फ़ैली है रोशनी,
और,
जश्न का माहौल,
छाया हर ओर है ॥
पर बीच बीच,
इसके दर्द का,
चीख का उठता ,
कैसा ये शोर है॥
नींद से बोझिल नयन,
तन-मन बिल्कुल थका हुआ,
अँधेरा है और उदासी भी,
आज कैसी ये भोर है॥
यूं हर खुशी है सबके पास,
पर अपने तक है ये एहसास,
दूसरे के लिए करने-देने को,
हर आदमी कमजोर है॥
मैं मरहम की ख्वाहिश नहीं करता,
जख्म यूं भी भर जायेंगे,
पर रोज़ एक नई चोट से मन,
दुखता पोर -पोर है॥
bahut sundar badhai
जवाब देंहटाएंsahi bahut sundar rachna hai,badhai
जवाब देंहटाएंaap dono kaa shukriyaa
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