यूं तो अभी इस ब्लॉग जगत पर मेरी इतनी हैसियत नहीं हुई है की ब्लॉग जगत या कहूँ कि हिन्दी साहित्य के बड़े स्तंभों के रूप में पहचान बना चुके वरिष्ठ चिट्ठाकारों से रूबरू, आमने-सामने, कुछ कह सकूं , परन्तु फ़िर भी एक अनुज या शिष्य के नाते ही उनसे कुछ कहने का मन कर रहा है॥
पहली बात तो ये की आप सभी बड़े चिट्ठाकारों ने एक अघोषित दायारा बना हुआ gअम्भीर -गंभीर विषयों पर गूढ़ चिंतन, बड़े-बड़े आलेख, विचार- विमर्श, तर्क-वितक, आकलन-विश्लेषण होते रहते हैं। और इधर कुछ दिनों से देख रहा हूँ की आप लोग कुछ ज्यादा ही आलोचनात्मक हो गए हैं। एक दूसरे की जबरदस्त खीन्चाई कर रहे हैं। आरोप-प्रतारोप और स्पस्तीकरण का दौर सा आ गया है जैसे। वैसे तो ये आपके दायरे की बात है मगर यदि सबकुछ सकारात्मक हो तो ज्यादा अच्छा नहीं है क्या। कभी कभी तो ठीक है मगर हर वक्त प्रहारक की भुमिका में रहना क्या उचित है??
अब दूसरी बात। आप सब ये बताइये की क्या हम छोटे छोटे अनजान ब्लोग्गेर्स आप सबके लिए कोई मायने नहीं रखते । क्या आपको नहीं लगता की आप लोगों को बड़े भी या कहूँ की मार्गदर्शक की भूमिका के आना चाहिए। मैं मानता हूँ की ये आपकी जिम्मेदारी नहीं है। मगर गुरूजी लोग, क्या आपको नहीं लगता की एक तरफ़ टू विभिन्न समाचार माध्यमों और ब्लॉगजगत पर भी आप लोग ब्लोग्गिंग की सार्थकता उसके भैविश्य पर काफी लिखते रहती हैं । मगर कभी हमें कुछ बताने , समझाने , डांटने के फुरसत आप लोगों को नहीं मिलती। ये जरूरी नहीं और न ही सम्भव है की हरेक को अलग-अलग ये बात बताई जाए, पोस्टों के माध्यम से भी ये हो सकता है। अभी टू हालत ये हैं की यदि हम जैसा की ब्लॉगर किसी वरिस्थ चिट्ठाकार की कोई तिप्प्न्नी अपने ब्लॉग पर देख ले टू मरे खुशी के बेहोश ही हो जाए।
यदि ब्लॉग लेखन और ब्लोग्गिंग को सार्थक दिशा देनी है टू आप सभे वरिष्ठ लोगों को अपने अदृश्य आभाचाक्रा से बाहर आना ही होगा। आप सबके मार्गदर्शन का इंतज़ार रहेगा..
अजय जी, मैं आपके ब्लॉग पर काफी कम आया हूं। लेकिन आपका नाम इधर-उधर जरुर पढता रहता हूं। आपने जो ये लेख लिखा है, मुझे नही लगता कि इसे अच्छा या बुरा सुनने की आपको तनिक भी जरुरत है। आपने इस लेख से साफ कर दिया है कि आप भी बडे ब्लॉगर्स की श्रेणी में आते है। किसी का ब्लॉग ज्यादा 'हिट' हुआ है तो इसका मतलब कही से भी ये नही है कि वो बडा ब्लॉगर है। बडा ब्लॉगर वो है जो लिखता अच्छा है। जैसा आपने लिखा है। इसलिये, सिर्फ कर्म कीजिये, फल की चिंता मत कीजिये। आप अपनी गलतियों से खुद सीख लेते रहेंगे।
जवाब देंहटाएंभैया कौन बड़ा कौन छोटा!!
जवाब देंहटाएंजो अपने को बड़ा सोचे वही सबसे छोटा।
टेंशन नई लेने का बस मस्त होकर लिखते जाईए!
यह कोई बड़ा या छोटा नही है मेरे भाई. आप इन सब फेर में क्यों फंसते हैं लिखिए और खूब लिखिए. कल आप भी अपने को बड़ा समझने लगेंगे :)
जवाब देंहटाएंtum bas likho aur blog ko koi mandand mat samjh blog ek dairy haen apne sochae ko sabdo mae likhnae kee aur kyaa yae jaruree haen kii ham jo sochtaey haen wo sab sochtaey ho . is liyae kament toh milae naa milae per likhana jarur hona chaheyae .
जवाब देंहटाएंvarishd aur kanishd kuch nahin hot eglish mae log blog likh kar bhul jaatey haen phir koi search kata us blog ko padtaa haen to kament kartaa haen, hindi bloging mae aggregator kii vajah sae hm kament kee jyaada umeed kartey haen
kuch aaj kii cheezo per apne view likhna churu kare
jaise kaam kajii mata -pita ke bachochoo ka jeevan , kuch esa likhe jo aap ko santosh dae kii aap ne kch likha
with blessings
कीसी का टीपनीं क्यों आय़ॆगा.. किसी का भि टीपनीं तभि आता है जब आप बहुत अछा लीखतॆ है।
जवाब देंहटाएंया आधा अधुरा लिखते हो सबसे जयादा तभि जब आप आध लीख्ते है। ईसलीये पूरा और बिना किशी बात और बिना टेनसन के लीख्ते रहीये और बाकि वीजीटर पर छोड दें
अजय जी आप भी कहाँ इस सब चक्कर मे पड़ रहे है।ब्लॉगिंग मे कोई भी छोटा-बड़ा नही है। यही तो ब्लॉगिंग की खासियत है।
जवाब देंहटाएंशुरूआती दौर मे सभी के साथ ऐसा होता है । यकीन नहो ती हमारी पुरानी पोस्ट देख लीजिये।
बस आप लिखते रहिये।
कोई छोटा या बड़ा नही है, जिसे आप सम्मान दो वही बड़ा है, जिससे सम्मान पाओं उसी से आपने आपको छोटा समझिये।
जवाब देंहटाएंआप की लिखने की शैली अच्छी है।
ऐसा कोई आभा चक्र किसी के इर्द गीर्द मुझे दिखा नहीं..कैसा होता है??
जवाब देंहटाएंaap ki kavitayen bahut achhi hoti hai hi,ab lekh bhi bahut achha likha hai,koi bada chota nahi hota is baat se hum bhi sehmat hai.
जवाब देंहटाएंaap sabkaa dhanyavaad,
जवाब देंहटाएंaapkee pratikriyaaon ne bataa diyaa ki yahan sabhee ek se badh kar ek paripakva aur nipun log maujood hai. main aap sabse sahmat hoon aur aapki salah ko gaanth baandh kar rakhoongaa. koshish karoongaa ki aane wale samay mein lekhanee kee dhaar aur bhee painee ho jaaye. hauslaaafzaaee ke liye shukriyaa.