सोमवार, 24 अगस्त 2009

जी हां...ऐसा सिर्फ़ हिन्दी ब्लोग्गिंग में होता है....


कल तक यही लिख रहा था कि..... जो लोग हिन्दी ब्लोग्गिंग पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं...उन्हें इससे पहले अपने अन्दर झांक कर देखना चाहिये....और ये भी कि हिन्दी ब्लोग्गिंग पर उंग्लियां उठाने से पहले उसे जानना बहुत ही जरूरी है...कम से कम उसका वो पहलू तो जरूर ही ...जिसे जाने अनजाने वे दरकिनार कर देते हैं...मैंने ये वादा किया था कि ...हिन्दी ब्लोग्गिंग में अब तक मुझे मिली और दिखी ...वो खास ..बात मैं सबके सामने जरूर ही रखूंगा ...तो फ़िलहाल तो जो भी मन में आ रहा है ...वो आपके सामने है....

मुझे ये तो नहीं पता कि ...इसे क्या नाम दिया जाये...मगर ये खासियत निश्चित रूप से मुझे अद्वितीय लगती है....और जहां तक कुछ अन्य भाषा की ब्लॉग्गिंग को मैं समझ पाया हूँ वहाँ तो कम से कम इसका नितांत अभाव ही दिखता है...वो खासियत है ..यहाँ पर जुड़े, जुड़ रहे रिश्ते...ये हो सकता है की ..कई लोगों को इस बात पर बहुत ही आपात्ति हो ..या होती है की यहाँ ब्लॉग्गिंग करने आये हैं रिश्ते बनाने नहीं..मगर मुझे नहीं लगता की ..हम यहाँ कुछ भी बनाते हैं...न ही अपनी छवि...न ही कोई रिश्ते...न ही कोई विशेष ..अच्छा या बुरा स्थान...सब कुछ अपने आप होता है...हमारी लेखनी,हमारे शब्द...हमारी अभिव्यक्ति ही वो माध्यम है ..जो ये सब करता है...और चाहे ना चाहे , जाने अनजाने रिश्ते तो जुड़ ही जाते हैं...जब मैंने ब्लॉग्गिंग शुरू की थी ..तो अगर मैं सही हूँ तो उस समय कुल हजार ब्लोग्गेर्स भी नहीं थे...हिंदी में...उस वक्त भी बहुत से लोग आपस में जुड़े हुए थे....आज ये संख्या दस हजार को पार कर रही है..और दायरा बढ़ता जा रहा है..यदि कुछ ब्लोग्गेर्स की अनियमितता के कारण संवाद में थोडा अन्तराल पड़ने से दूरी बढ़ जाती है ..तो स्वमेव रूप से उस स्थान पर कोई न कोई आ ही जाता है.....

आप खुद ही बताइये न...उड़नतश्तरी जी का ..सिर्फ ये भर कह देना की लगता है अब हार गया ..पूरे हिंदी ब्लॉगजगत को क्यूँकर उदास कर गया....राज भाटिया जी के स्वास्थय की मंगलकामना सब मिल कर क्यूँ कर रहे हैं...जब मेरे जैसा कोई ब्लॉगर टंकी पर चढ़ जाता है....या विवेक भाई जैसा कोई रूठ जाता है...या अलबेला जी से नाराजगी दिखानी होती है ..तो फिर क्यूँ सब सारे काम धाम छोड़ कर ..उस एक ब्लॉगर के खैरख्वाह में लग जाते हैं.....आखिर मेरे, आपके..किसी एक या दो ब्लोग्गेर्स के जाने , न लिखने से इतने बड़े ब्लॉग्गिंग परिवार में क्या घट जाता है....मगर नहीं ,.....एक कमी महसूस होने लगती है न ...दिल दुखता है न ..वो किस रिश्ते से ...किस कारण से ...मेरे ब्लॉग्गिंग न करने के निर्णय से ..पाबला जी की सेहत पर क्या फर्क पड़ जाता जो उन्होंने .. इतनी कोशिशों के बावजूद ,..मेरी श्रीमती जी को उलाहना, डांट,,सलाह ,,जो भी समझें..मुझे इस ब्लॉगजगत को छोड़ने नहीं दिया....और आगे बढ़ते हैं...यहाँ हम एक दुसरे को न सिर्फ सभी पर्व त्योहारों पर...बल्कि किसी के पुत्र/पुत्री के जन्मदिन पर , शादी की सालगिरह पर ..और खुद उनके जन्मदिवस पर बधाई दे रहे हैं....ऐसा तो आम तौर पर एक समाज , एक परिवार में ही होता है न ....शायद इसी बात को समझते हुए ..हिंदी का दैनिक समाचार पत्र आज समाज ...जब ब्लोग्स को कवर करता है तो शीर्षक देता है ...ब्लॉग समाज ...और अन्दर की बात तो ये है की ..जो सामने से ये कहते हैं की हम तो कोई रिश्ते नाते नहीं बनाते..यहाँ ..उन्हें भी कई बार अपने ब्लॉगर साथियों का अपना, और उनके किसी का हाल चाल पूछते हुए पाया है.......तो क्यूँ नहीं कहूँ .....हाँ जी....ऐसा तो सिर्फ हिंदी ब्लॉग्गिंग में ही होता है ....

यहाँ हिंदी ब्लॉग्गिंग में लिख रहा हरेक व्यक्ति ...कम से कम हिंदी , अंगरेजी के अलावा भी एक और एक से ज्यादा भाषा का जानकार तो जरूर है...और नहीं तो अपनी मातृभाषा का तो है ही ....यानि ...देवनागरी के अलावा...गुरमुखी, मैथिलि, भोजपुरी, गुजराती आदि भाषाओं में जानकारी के बावजूद ..अपनी अपनी भाषाओं में लिखते रहने और बहुत अच्छा लिखते रहने के बावजूद .....हिंदी भाषा में लिख रहे हैं ....क्यूँ ..बहुत से कारण हैं..जिनमें पहला है ...और कम से कम ये तो है ही.....हिंदी से अटूट प्रेम....हिंदी के प्रति सम्मान...बताइये है किसी भाषा में ऐसा और .....

आपमें से बहुतों ने अन्य बहुत सी भाषाओं के ब्लोग्स को पढा होगा..या नियमित/अनियमित रूप से पढ़ते होंगे..बहुत से विद्वान् लोग तो लिखते भी होंगे....क्या आपने ऐसा देखा है की वहाँ लोग पढने के बाद...हिंदी में,,,देवनागरी में अंगरेजी लिख कर टीप रहे हैं ....नहीं न..मैंने भी नहीं...अजी ये हमारी हिंदी ब्लॉग्गिंग ही है की ..आप अपनी टूटी फूटी हिंदी में ही नहीं ..अंगरेजी में...रोमन में हिंदी लिख कर ...जैसा मन चाह रहा है ..उसमें टीप रहे हैं..और उसे भी उसी भाव से उसी प्रेम से स्वीकार किया जा रहा है...और तो और हिंदी में ब्लॉग्गिंग करते हुए ..हिंदी ब्लॉग्गिंग को आप रोमन हिंदी में या खुल्लम खुल्ला अंगरेजी में, या अंग्रेजियत झाड़ झाड़ के गलिया रहे हैं...सब चल रहा है...हिंदी ब्लॉग्गिंग है न ....

ये हिंदी ब्लॉग्गिंग ही है ...की कोई आपके लिए अपनी पता नहीं कितने दिनों की/ कितने महीनो की मेहनत से... कभी तिरेंगे का, कभी गणेश जी का, कभी चूहे का, कभी ब्लॉग सजाने के लिए...कभी आपकी किसी समस्या को दूर करने के लिए विजेट तैयार करता है...कोई ब्लॉग बुखार..कोई ब्लॉग टिप्स ..तो कोई किसी और नाम से लिख और पोस्ट कर रहा है.....इसके अलावा न जाने कितने ब्लोग्गेर्स ...नए ब्लोग्गेर्स का उत्साह बढाने को ..कितने मुझ जैसे अनाडियों को कभी लिंक बनाना सिखाने को तो कभी स्नैप शोट लेने के लिए...कभी किसी और कुछ करने के लिए मदद करने को चौबीसों घंटे तैयार रहता है.......क्यूँ है किसी और भाषा की ब्लॉग्गिंग में ऐसा.......

सोचिये सोचिये.....आप भी सोचिये ...अभी तो जितना मन में आया , जो ध्यान रहा लिख दिया....बाँकी आप जोड़ते रहे.....जो शेष रहा ....वो अगले और अंतिम भाग में लिखूंगा ...

शनिवार, 22 अगस्त 2009

माफ़ कीजियेगा , ब्लॉग्गिंग में ये ठेका आपको दिया गया है ..या आपने खुद ही ...


जब लगातार कुछ दिनों तक एक ही तरह की आक्रोशात्मक पोस्टें ...वो भी हिंदी ब्लॉग्गिंग ..हिंदी ब्लोग्गेर्स..(कभी परोक्ष तो कभी प्रत्यक्ष रूप से ) देखा तो रहा नहीं गया ..और अपनी पिछली पोस्ट में मुझे उनके लिए कुछ न कुछ कहना ही पड़ा ...कम से कम वो तो जरूर ही .....जो उस वक्त मेरे मन में आया...मित्रों और अग्रजों ने पढ़ा ..टीपा ..और जाते जाते कह गए ..की नहीं अभी हिंदी ब्लॉग्गिंग की विशेषताओं पर कुछ भी लिखने से पहले ...अभी इसी मुद्दे पर जो थोडा बहुत बच गया है ...उसे भी ठेलते-उड़ेलते जाओ....वर्ना कल को मलाल रह न जाए ..हमने कहा ठीक है

नज़र दौडाई तो ..पता चला की ..इन दिनों ..( वैसे ये हो सकता है की ..चल पहले से रही हो ..मगर हमें ही न पता चला हो ...) ठेकेदारी खूब चल रही है ब्लॉग्गिंग में ...क्या कहा ...आपको पता नहीं चला की ..इसके टेंडर कब निकले ..अरे हमें ही कौन सा पता चला ...अभी तो मुकम्मल तौर यही पता नहीं है की इसके लिए टेंडर निकले भी थे या नहीं ..निकले तो ब्लोग्वानी , चिट्ठाजगत के अलावा ...और किस ईम्प्लोय्मेंट न्यूज में निकाले गए ...मगर ये तो तय है की ...ठेकेदार आ ही गए..कौन से ..ठेकेदार और कैसे ठेकेदार ,,...आइये आप भी देखिये न ....

इन दिनों कुछ लोग ..कभी पोस्ट के नाम पर, कभी सन्देश के नाम पर,,कभी टिपण्णी के नाम पर ...चाहे किसी भी नाम पर .....मगर ठेकेदारी धर्म की ही हो रही है ...कोई धर्म ग्रन्थ पढने को कह रहा है तो ..कोई कह रहा है ..की आप फलाना धर्म में क्यों हो ..जबकि धिमकाना धर्म तो ज्यादा बढ़िया है ...सबसे बड़े आश्चर्य की बात तो ये है की ..इन तमाम ठेकेदारों में ..कोई भी निकट भविष्य में न तो किसी मठ का मठाधीश बनने वाला है ....न ही जसवंत जी या किसी और की जगह उसे किसी राजनितिक पार्टी में कोई जगह मिलने वाली है ..तो फिर भैया ये धर्म युध्ध /जिहाद/क्रुसेड ...अमा यहाँ क्यूँ छेड़ रखे हैं ....क्या कहा ..आपको हिंदी ब्लॉग्गिंग में धर्म पर लिखने -खीजने का ठेका मिला है ....ओह हो ...

अब अगले ठेकेदारों से मिलते हैं ......इन्हें लगता है की नारियों/महिलाओं/स्त्रियों ...के नाम पर ..उनकी समस्याओं के नाम पर ..सिर्फ इन्ही को लिखने का ठेका मिला हुआ है ....क्यूँ भाई ....क्या हम पुरुष नहीं लिख सकते ....और यदि साबित करने पर आ गए तो ...तो आपकी जानकारी के लिए बता सकते हैं की ..जितनी मेहनत आपने वर्ष भर में अपनी पोस्टों में सिर्फ आपत्ति /विरोध/प्रतिक्रया जाहिर करने में खर्च की है ..उससे ज्यादा तो हम अपने एक आलेख में आकडों को इकठ्ठा खर्च करने में लगा देते हैं ....यहाँ भी कुछ दिलचस्प है ...जो बेहतर और सार्थक लिख रहे हैं ..वे ठेकदार होने का दावा नहीं कर रहे ..और जो ऐसा नहीं कर पा रहे ..वो ठेकेदार घोषित किये हुए हैं खुद को ....ऊपर से तुर्रा ये की ..यदि जरा सा टोक दिया जाए ..तो बस समझिये आ गयी आपकी शामत ....क्यूँ भाई क्या इतिहास में आज तक महिलाओं पर जो भी अत्याचार हुआ है उसमें कभी किसी स्त्री /महिला का हाथ या कोई दोष नहीं रहा...नहीं...... तो आइये न ..मैं दिखाता हूँ की ..दहेज़ प्रतारणा/दहेज़ ह्त्या/ सेक्स रैकेट ..जैसे गंभीर अपराधों के लगभग सत्तर प्रतिशत मामलों में महिलाओं की भागीदारी होती है ..मैं नहीं कोर्ट के आकडें बताते हैं ..खैर ये तो बहस का मुद्दा है ....यहाँ तो बात इतनी सी है की ..कभी कुछ सार्थक/ कुछ तथ्यपरक, विषद -वृहद् दृष्टिकोण वाला ...या यूँ कहूँ की कुछ अपनी तरफ से भी लिखा कीजिये न ..ताकि दूसरों को भी आपत्ति/विरोध/ दर्ज करने का मौका मिले....(यहाँ ये स्पष्ट कर दूं .की ऐसा सिर्फ कुछ ब्लोग्स और ब्लोग्गेर्स के साथ है ..अन्यथा स्त्री विमर्श और स्त्री विषयों पर कुछ ब्लोग्स तो कमाल का काम कर रहे हैं ......और हाँ मुझे ये भी पता है की इन पंक्तियों के बाद उन तथाकथित ठेकेदारों को खूब आपत्ति होने वाली है ...और मैं बहस के तैयार भी हूँ ...मगर बात वही की ये ठेकेदारी आपको दी गयी है ..या आपने खुद ही...

ऐसे ही कुछ ठेकेदार ..हैं दूसरों के नाम पर सीधा सीधा ..उल जलूल , बेतुका, और कभी कभी तो वाहियात ही ...लिख कर अपनी कथनी और करनी को ब्लॉग्गिंग का नाम दे रहे हैं ...खुद पर कुछ कहा जाए तो ऐसे बिदकते हैं ...जैसे आजकल बारिश का नाम सुन कर दिल्ली नगर निगम बिदक रहा है ....और पूछो तो कहेंगे ..की हम तो ब्लॉग्गिंग इसलिए करते हैं की खुद हमें मजा आये ..दूसरों को इससे क्या फर्क पड़ता है ..इससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता ..ऐसा इसलिए है ..क्यूंकि अभी तक आपकी ठेकेदारी के विरोध में किसी और ने टेंडर नहीं भरा ..जिस दिन भर दिया न ..आपको आपही के अंदाज़ में समझानी का ..कसम से ..नज़ारा बदल जाएगा ..विश्वास रखिये ..आपकी ठेकदारी-दुकानदारी सब खतरे में पड़ जायेगी ....वैसे क्या ये ठेकेदारी भी ....नहीं नहीं ये तो आपने खुद ही अपने नाम कर ली है...

अब अंत में ..मुझे पता है ..की मुझ से भी पूछा जाने वाला है ..की क्यूँ भैया ये हिंदी ब्लॉग्गिंग पर लिखने का ठेकेदार आपको किसने बना दिया ...कौन कहता है ....हम तो खुद ही चाहते हैं ..और लोग भी टेंडर भरें..मगर हिंदी को गरियाने/धकियाने/कटघरे में खडा करने के लिए नहीं ...और करिएगा तो हमारे जैसे चौकीदारों को भी झेलना होगा..बेशक आपको बातें बुरी लग सकती हैं ..अंदाज और शैली भी थोड़ी सी रुखी लग सकती है ......मगर करें क्या आपको प्यार से समझ ही नहीं आ रहा न कुछ भी ...एक बात का ध्यान रखिये ...ये सब तभी तक चल पता है ..जब तक कोई खुल्लम खुल्ला आपको आपकी तरह बताने/समझाने से परहेज़ कर रहा है ...मगर कब तक ..किसी न किसी दिन तो इसके लिए भी कोई हम जैसा चौकीदार ही ठेकेदार बन जाएगा ...

बस अब और नहीं ....अब अगले आलेखों में हम आपको बताएँगे/दिखाएँगे/सुनायेंगे/पढायेंगे/ की हिंदी ब्लॉग्गिंग में वो कौन सी खासियत है ..वो कौन सी बात है ..जो आपको नज़र नहीं आती ...और सिर्फ दोष ही दिखता है .....यकीन मानिए ...हमने आपका नज़रिया न बदल दिया तो कहियेगा....

यदि लिखते समय ..भाषा/शैली/ ..कुछ तल्ख़ लगी हो तो ..अन्यथा न लें ..सिर्फ ये समझें की मेरा उद्देश्य कान के उस मोटे परदे के भीतर वो आवाज पहुंचाने की है ..जिसे आप शोर समझ कर बाहर का रास्ता दिखा रहे हैं ...,..हिंदी ब्लॉग्गिंग क्या है .....कम से कम मेरी नज़र में ...ये आगे ...

गुरुवार, 20 अगस्त 2009

हिंदी ब्लॉग्गिंग पर प्रश्नचिन्ह लगाने से पहले .......?



हिंदी ब्लॉग्गिंग या ब्लोग्गेर्स पर जब भी कोई सकारात्मक आलेख पढता हूँ तो खुशी होती है , विशेषकर जब हम ब्लोग्गेर्स खुद भी इन विषयों पर लिखते हैं . ये कुछ कुछ आत्म मंथन करने जैसा होता है . सबसे अच्छी बात ये होती है की विषय एक होने के बावजूद सबका दृष्टिकोण अलग अलग होता है. अन्य पाठक (ब्लोग्गर्स ) भी इसे खूब रूचि लेकर पढ़ते हैं ....

लेकिन पिछले कुछ समय से देख रहा हूँ कि........ कुछ ब्लोग्गेर्स अकारण ही (मुझे अब तक ऐसी पोस्टों को लिखे जाने का ना तो एक भी सार्थक कारण दिखा और न ही कोई परिणाम ) कभी हिंदी ब्लॉग्गिंग पर निशाना साध रहे हैं तो कुछ उससे आगे जाकर सीधे -सीधे किसी का नाम लेकर कोई पोस्ट डाल रहे हैं ...जिसका कम से कम एक उद्देश्य .....सिर्फ विवाद पैदा करना तो है ही ...... आलोचना उचित है , किसी का विश्लेषण करना भी तार्किक बात है .....मगर उससे पहले कुछ सीमाएं ..कुछ अहर्ताएं भी तय होनी चाहिए....किसी भी परिस्थिति में किसी भी ब्लॉगर को दुसरे पर निजी आक्षेप तब तक करना सर्वथा अनुचित है (कम से कम सार्वजनिक रूप से तो जरूर ही ) जब तक यह एक मात्र और अंतिम विकल न हो . मैं अब सीधे सीधे कुछ प्रश्न उन तमाम ब्लोग्गेर्स से पूछना चाहूँगा ....इसलिए नहीं कि वे यहाँ जवाब दें,(क्यूंकि ब्लॉग्गिंग में यदि आप किसी के प्रति उत्तरदायी हैं ...तो खुद के ) ..उन सबसे जो लगातार हिंदी ब्लॉग्गिंग या ब्लोग्गर्स को अपने उपहास के निशाने पर रखे हुए हैं ....

आप कितने समय से ब्लॉग्गिंग कर रहे हैं....? तात्पर्य सिर्फ यह है कि ...क्या आपको लगता है कि आपने हिंदी ब्लॉगजगत पर इतना समय बिता दिया है कि ..इसकी अच्छाई/बुराई ...दशा/दिशा ..को समझ गए हैं .

क्या आपको नियमित रूप से हिंदी ब्लॉग्गिंग में बुराई ही दिख रही है...मेरा मतलब जैसा कि ..बहुत से लोग ..सिर्फ चाँद लाईनों की पोस्ट में फटाक से लगातार आरोप पर आरोप मढ़ते जा रहे हैं....यदि हाँ, तो क्या आलोचना करते समय अन्य जिस भाषा की ब्लॉग्गिंग में वो बात हिंदी से बेहतर है उसका उल्लेख आपने किया .....

क्या आलोचना से पहले हिंदी ब्लॉग्गिंग की विशिष्टता, विकास ,उपलब्धि,दिशा, जैसी बातों पर भी आपका ध्यान गया है और आपने उन पर भी कुछ लिखा है. ...तात्पर्य सिर्फ यह कि ...कहीं ऐसा तो नहीं कि आप किसी पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर ऐसा लिखने को प्रेरित हुए हैं...या किसी अन्य बात से नाराज होकर सारा गुस्सा ...हिंदी ब्लॉग्गिंग पर ही उतार दिया....

सबसे जरूरी बात ...ये कि ...जब आप आलोचना कर रहे हैं तो क्या आपकी भाषा /शैली संयत है. शालीनता की हद में है. कहीं आप किसी का मजाक तो नहीं उड़ा रहे हैं...या जाने अनजाने ..आपकी पोस्ट उनके लिए अपमान का / दुःख का बायस तो नहीं बन रहे ..

बातें और भी बहुत सी हैं...मगर फिलहाल तो मेरे कहने का आशय सिर्फ इतना है कि .....सिर्फ उंगली उठाना.....आरोप लगा देना...सारा दोष मढ़ देना ...या गलतियां ढूँढना ...आपत्ति दर्ज करवा देना ....सिर्फ इन दायरों में अपनी लेखनी को अपने विचारों को प्रतिबंधित न करें....

उम्मीद है कि ..हिंदी ब्लॉग्गिंग के प्रति सम्मान को बरकरार रखने में आप सब मेरा साथ देंगे ....

शुक्रवार, 14 अगस्त 2009

लगभग ५० पोस्ट, ५०० टिप्न्नियाँ, १५०० ब्लोग्स दर्शन, .महीने भर की ब्लॉग ड्यूटी



जब इस ब्लॉग्गिंग में घुसे ..तभी से न जाने कितने अरमान पैदा हो गए ..अरे नहीं नहीं जी...वो साहित्यकार कहलाने वाले नहीं...वो तो बड़े स्वाईन फ्लू टाईप के अरमान होते हैं...मेरे तो जो भी थे ...सब एक ब्लॉगर की आत्मा से जुड़े हुए....यार अब भगवान् के लिए ये मत कहना कि ..हिंदी ब्लॉगर की आत्मा भी नहीं होती...क्यूंकि मैं जब भी हिंदी ब्लॉग्गिंग और हिंदी ब्लोग्गेर्स की बात करता हूँ ...कोई न कोई ठुड्डे मार के कहता है ..अबे हिंदी ब्लॉग्गिंग में ये तो नहीं होता ...और जब हिंदी में नकद का ही कोई जुगाड़ तुम सबसे नहीं होता ...तो आत्मा कहाँ से आ गयी.....मेरे मतलब पूछने पर कहते हैं ...आत्मा ..परमात्मा का ही एक तत्त्व है..और परमात्मा ..नकद नारायाण के बिना कहाँ हैं..सो हे भक्त ..फालतू की बहस छोडो और आगे बढो ...तो मैं कह रहा था कि...जितने अरमान ब्लॉगर वाले थे वो सब जाग गए...ऐसे जागे कि कमबख्त खुजली की तरह बढ़ते ही गए ....

कभी पोस्टों की संख्या बढाने का ...तो कभी ..टीपते जाने का....कभी पसंद सूची में ...चमगादड़ की तरह ..हमेशा ही उल्टे लटके रहने का.....कभी अपने उड़नतश्तरी जी की तरह ....सारी पहेलियाँ .....सरे इनाम शिनाम ...एक झटका में जीत जाने का...और क्या क्या बताएं कैसे कैसे अरमान जागे ...कुछ तो पूरे हुए भी ..कुछ पूरे हो जायेंगे ..इसका भी पूरा विश्वास है...बिलकुल वैसे ही विश्वास ...जैसे कि प्रधानमंत्री मंमोहम सिंह पर है ....कि एक दिन वे पकिस्तान से आर पार की लड़ाई जरूर ही करेंगे ...नए ब्लोग्गेर्स को हमने भी खूब उत्साहित किया...खूब टीपा...मगर हाय रे लानत है ...किसी ने भी दोषी नहीं ठराया....देखा कुछ लोग ..दे धनाधन ..सिर्फ विवादों को पैदा कर रहे हैं ..या फिर उन्हें हवा दे रहे ...हमने भी अपना एक अरमान पूरा किया ..और अपनी राय ..बिलकुल उसी तरह दे डाली ..जैसे सलमान ने अपनी राय (ऐश्वर्या ) अभिषेक को दी थी...और किस्मत देखिये...हमारी टिप्पणी तो मुआ लाल कपडा बन गयी...सांड की तरह सब हमारे ही पीछे पड़ गए...

घर का भी मत पूछिए....लैपटॉप लेने के बाद ..बिटिया भी शिकायत करने लगी ..पापा ये आप मेरी जगह इसे गोद में लिए क्यूँ बैठे रहते हो...इसलिए न कि ये आपकी गोद में शुशू नहीं करता ...मैं क्या कहता ...पत्नी पूछ रही थी कि क्या हुआ जी...इत्ता सारा समय लगे रहते हो इस चपटे डिब्बे के साथ ..फिर भी बूथा लटका ही रहता है..के मन नहीं भरता ....मैंने ठंडी सांस भर के कहा .मुझे लगता है ..मैं अभी अपना पूरा .....ब्लॉग्गिंग को नहीं दे पा रहा हूँ.....पत्नी जी घूर कर कहती हैं....वो जो सलमा थी न ..वही साथ वाली गली की ...उसने चार शादियाँ की कुल ग्यारह बच्चे हैं उसके ..अभी परसों मिली थी तो वो भी कह रही थी...क्या बताऊँ बहन सच्चा प्यार नहीं मिला जीवन में......हाय हाय....तो क्या मैं भी सलमा हो गया ..

सोचा ...सोच कर देखूं कि आखिर ..क्या कर रहा हूँ ब्लॉग्गिंग में ....हिसाब लगाया गया...सरकारी कर्मचारी हूँ न सो हर बात का हिसाब महीने के हिसाब से लगाने की आदत सी हो गयी है ...कैलकुलेशन किया तो ये परिणाम निकला

कुल पोस्टें लिख पाता हूँ : लगभग पचास

कुल पोस्टें पढ़ पाता हूँ : लगभग पंद्रह सौ

कुल टिप्न्नियाँ करता हूँ : लगभग छ सौ ,,या नहीं तो पांच सौ से ऊपर ,(पंद्रह बीस प्रतिदिन भी करूँ तो )

ब्लॉग्गिंग में टाईम देता हूँ : खाने, पीने, सोने , पढने , के बाद जो भी बचता है इसे ही देता हूँ,

ब्लॉग्गिंग से आय होती है : अच्छा हुए कि दस लाख से नीचे वालों के लिए सरकार ने टैक्स दस प्रतिशत कर दिया वरना ब्लॉग्गिंग से कमाया सारा पैसा टैक्स में निकल जाता......अजी लानत है....ब्लॉग्गिंग से पैसा ...कैसी बातें करते हो....वैसे ऐसा है नहीं...बस ये है कि ...हमें अभी आता नहीं कमाना ....

तभी तो कहता हूँ ....सच्चा .......प्यार न मिला...

शुक्रवार, 7 अगस्त 2009

जाओ जी हमें भी घोर आपत्ति है ......



किसी ने बताया कि.....हम हमेशा या तो किसी दौर में जीते हैं ....या फिर दौरे में..मतलब ..तरह तरह के दौर..पहले ब्लैक एंड व्हाईट ..का दौर...अब रंगीन ..अजी रंगीन क्या थ्री डी...का दौर..पहले पेजर का दौर..अब मोबाईल का...और यदि दौर से आपको कोई इत्तेफाक नहीं तो फिर ..दौरे से होगा..अरे नहीं नहीं वो सरकारी दौरा नहीं..फायदे वाला टूर...मैं तो उस दौरे की बात कर रहा हूँ जो मुझ सहित आपको उठता है..तो कभी आप ब्लॉग्गिंग कर बैठते हैं..कभी दौरा उठता है तो पोस्ट ठेल देते हैं..कभी उठा तो कमेन्ट पर कमेन्ट ...और कभी उठा तो आपत्ति ..ओह हो मुद्दे पर आ ही गया ...

तो मैं कह रहा था कि...आजकल ...आपत्ति का दौर है...हालांकि ..इस बात पर मुझे बहुत घोर आपत्ति है कि ...पहले पति का दौर होना चाहिए था ..फिर आपत्ति की बारी आनी चाहिए थी...और चलो पति की बारी न भी आयी तो न सही..मगर इस महंगाई के दौर में ..चायपत्ती का तो पूरा हक़ बँटा है कि उसका नाम आपत्ति से पहले लिया जाए..मगर न जी..पता नहीं कहाँ से ..या कहूँ कि कहाँ कहाँ से ..कितनी कितनी बार आपत्ति का दौर आ ही पहुंचा है..कमबख्त ने राखी (यहाँ मेरा आशय दोनों ही राखी से है ...यार कमाल है अब ये भी बताना पडेगा कि दोनों राखी कौन से ..राखी सावंत और ..रक्षाबंधन ..) के बाद अब पंद्रह अगस्त की पोस्टों को भी पछाड़ दिया है....सब तरफ आपत्ति ही आपत्ति है..अमा ये कौन सी विपत्ति है..

मैंने सोचा कि अब जबकि आपत्तियों की जनगणना चल ही रही है तो मैं भी अपनी सूची सौंप ही दूँ......क्या पता कौन सी आपत्ति हिट हो जाए ....मुई पोस्टें हिट हों न हों...टिप्प्न्नी हिट हो न हो..चर्चा भी शायद फ्लॉप हो जाए..और चिट्ठों का क्या कहूँ ..बेचारे हिट का तो पता नहीं..चित जरूर पड़े हैं....खैर ..तो मैं कह रहा था कि ..चाहे ब्लॉग ओफ्फिस (जैसे बॉक्स ऑफिस होता है न ) पर सब कुछ फ्लॉप हो जाए ...मगर आपत्ति बिलकुल हिट हो जाती है..अरे हो रही है..आप मानते ही नहीं..चलिए मैं पहले सूची तो भेजूं

मुझे घोर आपत्ति है..किसी भी ब्लॉगर को ये जानकार माफी मिल सकती है कि..वो पिछले दिनों इस लिए बीमार रहा क्योंकि वो बीमार था ..मगर ये बात किसी भी सूरत में ..एक एलियन..(वो भी इकलौते एलियन जो ब्लॉग्गिंग करते हैं )..पर बिलकुल भी
नहीं लागू होती है..तो आपत्ति दर्ज की जाए..सुन रहे हैं न ..उड़नतश्तरी जी ..

मुझे घोर आपत्ति है...ताऊ हमेशा अकेले पता नहीं अपनी बिल्लन के साथ कहाँ कहाँ घूमने चले जाते हैं..पता नहीं कैसी कैसी फोटुएं खींचने लगते हैं..और पूरे शनिवार ..हम शनि की साढ़े साती पर फंस कर रह जाते हैं....ये क्या बात हुई ..ताऊ कभी ..हमें भी साथ ले जाया करो....फिर पूछो पहेली...देखो क्या नंबर पाते हैं ...ताऊ ..बिल्लन को भी सूचित करें..

हमें घोर आपत्ति है..ये विवेक भाई...पता नहीं कैसे कैसे सपने देखते हैं....जब भी लिखता हैं पसंद की सूची में सबसे ऊपर टंगे होते हैं...अजी आपत्ति इस बात पर नहीं हैं..आपत्ति तो ये है ...कि कभी हमारे सपने में नहीं आते...जबकि कित्ती बार कहा है ..आ जाओ प्रभु ....नींद में सारी निजी बातें करेंगे...और आप हनन करना ....आप जब हनन करते हो न ..तभी जाकर तो हमें उस पर मनन करने का मन करता है..

हमें आपत्ति है अलबेला जी पर भी..क्या अलबेला जी ..आपने तो ना पोस्टों के लिए जगह छोडी है ..न ही तिप्प्न्नियों के इनलिए...ऐसे ही टीपते रहे ..तो सबका आदत नहीं खराब हो जाएगा..अरे हम लोग हिंदी ब्लॉगर हैं ..जिनको टिप्प्न्नी मिलने का कोई हक़ नहीं है ( हाय इस बात से किसी को कितनी खुशी हुई होगी ,,जब भी हिंदी ब्लॉग्गिंग को लेकर खराब खराब बात लिखो ..उन्हें बड़ा अच्छा लगता है ....अरे हम जानते हैं न ) अलबेला जी..नए नए में इत्ता सब झेल लिए...इत्ता आपत्ति भी मिल गया..इसी बात पर घोर आपत्ति है..हमें नहीं मिली आज तक इत्ती आपत्ति ...अब मिल जाए तो ..ब्लॉगर जन्म सार्थक है....

लीजिये का आज ही सब आपत्ति गिना दें..अरे छोडिये बुद्धू समझें हैं क्या,,,..कई लोग इसी के सहारे ..अपनी ब्लॉग्गिंग चला रहे हैं...हमको भी तो कुछ दिन सेवा का अवसर दीजिये......और प्लीज ई मेल करके ...टिप्पी करके ..पोस्टकार्ड से ,,जैसे भी हो अपनी निजी बात बताइये..नहीं तो हम आपकी निजता का उल्लंघन कैसे करेंगे ..और फिर आप हमरी तरह आपत्ति कैसे करेंगे....ठीक है न


अब कुछ ऊ का कहते हैं अक्सर ..हाँ डिस्क्लेमर ..ई होता का है ..हमको आज तक नहीं पता चला ..

ई पोस्ट से बहुतों का ..बहुत कुछ लेना देना है.....और जिनका भी लेना देना हो ..ऊ ले लें ..और देना हो तो टिप्पी दे दें ......एक और घोषणा ..हम तीसरा खम्भा के छाँव तले ...अदालत और कोर्ट कचहरी ..में घुमते रहते हैं..वकालत भी कर सकते हैं और वकील हमारे मित्र भी हैं.....ई सब ...जर्मन. जापानी. फ़्रांसीसी..चायनीज...चाहे किसी भी ब्लॉग्गिंग की दें हो.....हिंदी की नहीं है .....अरे नहीं है..आप मानते क्यूँ नहीं है...

बुधवार, 5 अगस्त 2009

सावधान , ब्लॉगजगत में भी शुरू .. मंदी का दौर .

देखिये ये उनके लिए तो कतई चिंता की बात नहीं है ...न ही उन्हें ज्यादा सोचने की जरूरत है....जो पोस्टें लिख कर हमारे हवाले कर जाते हैं की जाओ बिटवा ..पढो...टीपो ..पसंद करो ..हम तो कल ही आयेंगे ...टिप्पियाँ पढेंगे ..और एक ठो अगला पोस्ट लिख कर चले जायेंगे...सो उन पर मंदी का असर बिलकुल उसी तरह नहीं होगा ..जिस तरह ..हमारे सरकारी कर्मचारियों और मंत्रियों पर नहीं होता है .....मगर अन्य लोगों के लिए निश्चित ही ये सावधान होने का समय है ..क्यूंकि साफ़ दिख रहा है कि ब्लॉगजगत पर भी मंदी का असर होने लगा है....


हाँ हाँ, मुझे पता है .....आप में से कुछ लोग कहेंगे ..मैं कैसी बात कर रहा हूँ..अपने अलबेला जी के रहते ..क्या कोई भी मंदी ..ब्लॉगजगत को प्रभावित कर सकती है ..अब तो ब्लोग्वानी हो या चिट्ठाजगत ..किसी का भी कोई भी पन्ना ऐसा बचा है ..जहां अलबेला जी न मौजूद हों ......सुना तो ये है कि ..ब्लोग्वानी और चिट्ठाजगत ...दोनों ही ये योजना बना रहे हैं कि ..अलबेला के लिए एक अलग प्लॉट....काट कर मुख्या पन्ने पर दे दिया जाए ....सब कुछ अलबेला जी पर छोड़ दिया गया है...तो ऐसे में मंदी ...फिर अब तो रतलामी जी ने भी घोषणा कर दी है कि ...हिंदी ब्लोग्गेर्स की संख्या तीन लाख हो गयी है...फिर काहे कि मंदी .....

आप लोग समझ नहीं रहे हैं न ...मैं चिट्ठों ..पोस्टों ...अग्ग्रीगेतार्स ..या और किसी की बात नहीं कर रहा हूँ ..गुरूजी असली बात तो तेल पानी ....अरे टिप्प्न्नी यार ....की बात कर रहा हूँ....मैं पिछले कुछ समय से देख रहा हूँ कि ..पोस्टों पर टिप्न्नियाँ बहुत ही कम आ रही हैं .....और ऐसा नहीं है कि किसी ख़ास ब्लॉग पर या किसी ख़ास दिन ....बल्कि छुट्टी के दिनों में भी ..और ताऊ की पहेली जैसे ब्लोग्स की पोस्टों पर भी अपेक्षाकृत टिप्न्नियाँ कम हो रही हैं..हमारे जैसे fisaddi ब्लोग्गेर्स का तो कहना ही क्या ...कारण सोचने बैठा तो ..पहला तो एकदम से पकड़ में आ गया ..आजकल उड़नतश्तरी ...सुना है ....वोर्कशौप में है ...वो भी गहन पहरेदारी के बीच ...इसका बाद सोचा ..तो बस अब तक सोच ही रहा हूँ .......हमारे जैसों को तो इस बैअरें नौकरी ने बाधित कर दिया है ..मगर फिर भी जब मौका मिलता है ..जहां घुसे ...फट से टीप आयी...

देखिये देखिये...अब ये मत कहियेगा कि..अजी टीपने तीपानी की छोडो ....अरे कैसे छोड़ दें महाराज ....खासकर जब देखते हैं ....पोस्ट को पढ़ा गया .....इत्ती बार ...वाह छाती चौड़ी हो जाती है ..एक दम लैपटॉप के स्क्रीन से भी ज्यादा ...और जैसे ही टिप्प्न्नी पर नजर पड़ती है ...कमबख्त झट से माउस बन जाती है ...और क्या कहूँ कई बार तो सिर्फ कर्सर सी होकर रह जाती है ...घोर आश्चर्य तब होता है जब पता चलता है पसंद तो पता नहीं कित्ते कित्ते लोगों ने कर लिया....मगर टीपे के नाम पर खाली पीपे पकडा गए ....अमा भैया ...कुछ तो लिखो यार ..सब लिखो एक दुसरे के लिए ...खाली मुंह ताकते बैठे रहते हैं .....यूँ तो भैया एक दिन ऐसा भी आयेगा ....जब खुद के लिखे पर खुद ही टीपना पडेगा ......कि वाह भैया ....का लिखे हो ...काश कि दूसरा भी कोई ऐसा लिख देता यहाँ पर ......

और हाँ ई बात हम सब से कह रहे हैं..कौनो नए पुराने, नियमित अनियमित,बडका छोटका कवी साहित्यकार ..वाला कतेग्राजेशन मत करिएगा ...खाली यही सब में तो मथ्फुत्तौव्वल करते हैं आप लोग ...ई न कि उतना देर में बढिया बढिया पढ़ कर सुन्दर सुन्दर टीपा जाए ....बस कौनो विवाद हो जाए ...ओह्हो बस उसके बाद देखिये न फुर्ती ...अजी महाराज पता नहीं मिनटों में कितना शोध तक हो जाता है ,...मतलब बिना विवाद के टीप दीजियेगा तो कुछ हो जाएगा ..ई बात ध्यान में रख लीजिये कि ब्लॉग्गिंग को चलायमान और सक्रिय रखने के लिए जितना जरूरी पोस्ट लिखना है ...उससे ज्यादा जरूरी है दूसरों की पोस्टों को पढ़ना और उनपर टीपना...उम्मीद है की मेरे इस आग्रह को आप गंभीर अनुरोध की तरह लेंगे और आने वाले कुछ दिनों में ही मुझे परिवर्तन देखने को मिलेगा ..

शनिवार, 1 अगस्त 2009

कल थोडा बिजी हूँ .

देखिये जी ..अब जबकि मैं एक ब्लॉगर हूँ ही तो ये मेरी ..मौलिक, नातिक , भौतिक , और बांकी सारी इक भी..टाईप की ड्यूटी बन जाती है ..की मैं जब भी बिजी हूँ ....आप सबको इसकी इत्तला एडवांस में दे दूं .....अरे एडवांस में क्यूँ ....कमाल है जब देश का वित्त मंत्री ....एडवांस में बता रहा है ....देश की जनता और भी महंगाई के लिए तैयार रहे .....तो फिर ..और रही बात कल बिजी रहने की...अब ये मत पूछियेगा की ..कल बिजी हैं..यानि बांकी दिन ..वेल्ले ही रहते हैं क्या..अरे नहीं भाई..ऐसा भी कुछ नहीं है..कहने का मतलब ये है की ...कल इत्ता बिजी रहूंगा की ....शायद पोस्ट ना लिख पाऊं ....हाँ मुझे पता है की ..आप कहेंगे कोई बात नहीं ..ओहो आप तो समझ ही नहीं रहे हैं ..यार टिप्प्न्नी भी नहीं कर पाउँगा कहीं भी.....हा..हां. हा ..देखा अब चुभा न ..मुझे पता था ..

चलिए छोडिये इस बात को...ये तो सुनिए की क्यूँ और कहाँ बिजी हूँ .....अरे कमाल है ..जब इत्ता पढ़ ही लिए हैं तो ये भी जान ही लीजिये ना.... दरअसल ..कल अचानक ही दो जरूरी काम निकल आये हैं ....एक है राखी सावंत की शादी करवाना और जैसे ही उससे निपटूंगा.....उसके फ़ौरन बाद इमरान हाशमी को एक किराए का ..या अपना ही..कोई मकान दिलवाना है ....अरे आप फिर मुस्कुरा रहे हैं...भैया ये बात आज देश का सबसे अहम् मुद्दा है...कोई भी न्यूज़ चैनेल खोल के देख लो....मेरी बात तो आप मानोगे नहीं.......हाँ तो मैं कह रहा था की ..कल पहले राखी सावंत की शादी करवानी है....

स्वयंवर पूरा होने वाला है..पता नहीं कित्ते जवान मर्द अपने अपने धनुष से मछली की आँख को निशाना बनाने की भरपूर कोशिश कर चुके हैं....अब तीन बच गए हैं....राखी पूछ रही थी ..आप तो ब्लॉगर हैं न ...दूसरों के फट्टे में अक्सर टांग अडाते हैं...आप ही बताइये न क्या करूँ ..लो सिंपल है ..एस ऍम एस ....तो करवा ही रही हो न ....अब जिसको सबसे कम वोट मिले ..तुम उससे शादी कर लेना ...बांकी दो को ..राखी बाँध देना....आखिर वे बेचारे भी तो खाली हाथ न जाएँ न ....आएं ....राखी चौंक कर बोली ..सबसे कम वोटिंग वाले से शादी करूँ ...मगर फॉर्मेट तो ये है की सबसे ज्यादा वोटिंग पाने वाले से .....अरे मारो गोली फॉर्मेट को ..एक ब्लॉगर के दिमाग से सोचो ...अक्सर वोटिंग में गलत वाला ही जीत जाता है ..यानि पक्का गड़बड़ होती है.....समझी.....अच्छा तुम बताओ तुम्हारा मन क्या कहता है.......मैं तो सोच रही हूँ ...तीनो को ही राखी के बंधन में बाँध लूं.....अरे मगर शादी तो एक से ही करनी है न ....ओहो ....तीनो को भाई तो बना ही सकती हूँ .....स्वयंवर के पार्ट टू में. शादी कर लूंगी ...आयें...अब चौंकने की बारी मेरी थी...अरे राखी तुमने तो मेरी एक दूसरी समस्या हल कर दी.....

हेल्लो ..भैया इमरान हाशमी ..हाँ हाँ..मुझे पता चला...सुना है कोई आपको मकान देने को राजी नहीं है..आप कह रहे हो ऐसा इसलिए है क्यूंकि आप मुसलमान हो..अरे कमाल है यार...हमने देश का राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति तक की गद्दी पर मुस्लिम सम्प्रदाय से महानुभावों को बिठाया आप फिर भी....खैर..छोडो ....सुनो एक स्टूडियो खाली हो रहा है..एक साल के लिए..नहीं नहीं अगले साल उसमें ..एक स्वयंवर की शूटिंग होनी है तब तक खाली है..चलेगा...क्या ..अरे नहीं जी ..वहाँ किस्सी विस्सी वाली कोई फैसिलिटी नहीं मिल सकती यार...आप समझ ही नहीं रहे हो..उस एपिसोड की शूटिंग तो बहुत पहले ही हो चुकी है...हाँ ..तो ठीक है ..फाईनल समझूँ...


लीजिये ..ये तो दोनों ही समस्याएं हल हो गयी..चलिए इसी ख़ुशी में..कल से चिट्ठाचर्चा शुरू..नए अंदाज और नए तेवर में ...
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