बुधवार, 20 फ़रवरी 2008

हर दिल ने चोट खाई है ( एक कविता )

परेशान है हर,
aadmee आज,
क्यों इतनी,
बदहवासी सी छाई है॥

शुष्क है आंखें और,
सूखी-सूखी आत्मा भी,
जाने किस ओर से,
ये खुश्क हवा सी आई है॥

मोहब्बत के मायने बदले,
प्रेम प्यार का फलसफा भी,
आज इश्क में, वो बात कहाँ,
कहीं गुस्सा, कहीं धोखा, कहीं पर रुसवाई है॥

ये मुमकिन है की ,
वक्त अलग हो और जगह अलहदा,
बस तय है इतना की,
हर दिल ने चोट खाई है॥

हर तरफ़ नफरत की आंधी,
राग द्वेष यूं पसरा है,
ख़ाक होने को घर भी नहीं उतने,
जितने हाथों में दियासलाई है॥


अजय कुमार झा
9871205767

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