मंगलवार, 6 अप्रैल 2010

बस इतना सा ख्वाब है .....पूरे हो जाएं तो कयामत होगी ..झा जी कहिन ..


कल तो आपने देखा ही था कि कौन मूड में था , एकदम से कंप्यूटर को पजिया के सो गया , बीच झपकी में ही उठ उठ कर टीपते रहे , पढते रहे ..ओह नहीं नहीं ..पढते रहे ..फ़िर टीपते रहे .............मगर फ़िर ।
ज्यादा की इच्छा नहीं है , कभी रही भी नहीं । और होती भी तो कौन सा पूरी हो जाती । शायद इसीलिए ही नहीं रही हो । मगर अब इंसान हूं तो छोटी मोटी , थोडी बहुत भी न हो तो फ़िर तो शक होना भी ज़ायज़ सा ही होगा कि आखिर कौन सा बुद्धत्व प्राप्त कर लिया जो इच्छा भी नहीं होती । जरूर निर्वाण प्राप्ति का मार्ग खुलने वाला होगा । मगर छोडिए न इन सब बातों को ...मेरा भी बस इतना सा ख्वाब तो है ही ..बस चुटकी भर है ..आप देखिए चुटकी यदि चिकोटी लगे तो इसमें मेरा क्या कसूर है जी ....खैर पहले ये तो देखिए ..

ख्वाब ये है कि सभी मंत्रियों के , आईएएस अफ़सरों , बडे बडे उद्योगपतियों के बच्चे सरकारी स्कूलों में  पढ रहे हैं और ये जो बडे बडे कौन्वेंट स्कूल बने हुए हैं न एसी कमरों और स्वीमिंग पूल वाले , सब बैठे झख मार रहे हैं ..और उनके बाहर रेहडी लगाकर एक सेल्समैन बैठा है ...दाखिला करवा लो ..अपने बच्चों को यहां भेजें ...भाई के दाखिले पर बहन का दाखिला फ़्री ...जैसी आवाजें लगा रहा है । बस इतना सा ख्वाब है । 

ख्वाब ये है कि नियम कायदा बनाने का कायदा ..जनता के हाथ में आ गया है और उसने बनाया है कि कल से जो भी मंत्री, अधिकारी, उससे भी बडा अधिकारी , और बडा व्यापारी भी .....सब के सब अपना .....ईलाज़ सिर्फ़  और सिर्फ़ ...जी हां वही ..फ़िर वही ....सरकारी अस्पताल में करवा रहे हैं । सोचता हूं कि क्या उनसे डा. पांडे कभी कह पाएंगे कि देखिए जी यहां तो यही इलाज़ संभव है , मेरी मानिए तो यदि ठीक होना चाहते हैं तो कल को मेरे फ़लाना क्लीनिक या ढिमकाना नर्सिंग होम में आ जाईये सब हो जाएगा । बस इतना सा ख्वाब है ।

ख्वाब बस इतना सा ही है कि आम जनता के पास हर महीने एक फ़ार्म भरने जा रहा है , जिसमें लिखा हुआ है कि ..........क्या आपको लगता है कि इस महीने आपके जनप्रतिनिधि ने आपके लिए इतना काम किया है कि उन्हें उनकी इस महीने की तन्ख्वाह दी जाए ??जनता बहुमत से जो लिखे ...बस उसी हिसाब से वेतन मिले उन्हें । बस इतना ही तो है छोटा सा ख्वाब ।

ख्वाब ये भी है कि किसी दिन बस में साथ की सीट पर थरूर बैठे होंगे ...और मैं कह रहा होउंगा ..कि अरे आज आप भी हमरे साथ इसी कैटल क्लास में ....। का बात है सर ...बहुते ट्विटराते थे ...अब बस में बैठ के टरटरटराईए न तनिक ...। ए हो खलासी कंडक्टर जी ..दीजीए तो इनका भी टिकस ..हमरे ही बीस टकिया में से । बस एतने ख्वाब है जी ..और का ॥

अब का बताएं कि छोटा सा नींद में केतना छोटा छोटा ख्वाब देखे ...सोचते हैं कि फ़ुर्सत से सो कर देखते तो ...शायद देश ही सुधर गया होता .....

14 टिप्‍पणियां:

  1. अब का बताएं कि छोटा सा नींद में केतना छोटा छोटा ख्वाब देखे ...सोचते हैं कि फ़ुर्सत से सो कर देखते तो ...शायद देश ही सुधर गया होता .....
    भैया
    वे सिर्फ़ सपने ही देख रहे हैं जो संसद/विधान भवन में सोते हैं
    गहरी नींद उनकी है आपकी थोडे न है

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  2. झा जी,
    यही तो एक सुख है कि सपने देखने पर कोई पाबंदी कोई राशन नहीं है। हाँ इधर राजस्थान में लाटरी के टिकट पर जरूर पाबंदी लग गई है। वरना एक रुपए के टिकट में पूरे महिने जागते-सोते, दिन-रात सपने देखने का इंतजाम हो जाता था।

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  3. सोचता हूँ कि अब टिपियाना बंद करके मैं भी एक नींद मार लूं....मैं भी ख्वाब देखूं...
    मजा आ गया.......वाह....बहुत खूब......
    http://laddoospeaks.blogspot.com/

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  4. bhai ab toh ek jhapki maarni hi padegi nahin toh saare khwab aap hi loot lenge

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  5. अरे और ख्वाब देखते
    राहुल गान्धी नगर पलिका चुनाव के टिकट के लिये शहर कान्ग्रेस के महासचिव की चमचागिरी करते फिर रहे है.

    हमारे वकील साहब जब कचहरी मे घुसे तो युवा जज उनके सीट पर बैठने तक खदा रहे.

    मास्टर लोग स्कूलो मे सिर्फ़ पढाये.

    और हा सरकारी दफ़्तरो के लोग कभी काम भी किया करे.

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  6. मेरा भी एक खवाब है जो जेसा करे उसे इसी साल उस का फ़ल मिले...

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  7. और काहे नहीं सो लेते हैं..दू चार और ऐसन ही ख्वाब देख डालिये..कौनो टेक्स तो लगेगा नहीं ..हाँ, जियरा चैनिया जायेगा जरा..आपके साथ साथ हमारा भी!!

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  8. हम नींद में ही टिपिया रहे हैं
    ख्वाब देखे में कौनो बुराई
    नहीं है. वास्तव में हम भी
    रहने वाले हैं मुंगेली जिला बिलासपुर
    छत्तीसगढ़. तो हम भी मुंगेरीलाल
    के हसीन सपनों की भांति ख्वाब देख लेते हैं
    और कह देते हैं मुन्गेलीलाल के हसीन सपने

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  9. ख्वाब तो बहुते अच्छा देख रहे हैं आप लेकिन उनका ख्वाब भी तो है कि कैटल क्लास का विमानवा ही अलग हो ताकि पसीने की बदबू (कैटल क्लास की खुश्बू) उन तक न पहुँचे और फिर इनके विमनवा का असमनवा भी अलग हो

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  10. हमारा तो एक छोटा सा ख्‍वाब है कि ह‍म लिखते रहे और आप सभी की टिप्‍पणी आती रहे। सब वाह वाह करते रहें।

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला

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