शनिवार, 14 जून 2008
दर्द बेचो या नंगापन, अच्छी पैकिंग में सब बिकता है .
जो दिखता है, वो बिकता है, और,
जो बिकता है, वही दिखता है।
दर्द बेचो , या नंगापन,
अच्छी पैकिंग में सब बिकता है॥
मोहब्बत-नफरत, घटना-दुर्घटना,
हत्या-आत्महत्या, व्यापार ,व्याभिचार,
सब खबरें हैं इस मंडी की,
ये गर्म ख़बरों का है बाज़ार ..
नाबालिग़ की अस्मत लुटना, एक्सक्लूसिव है,
आन्तंक-अपराध, रोज़ के आकर्षण,
भूत-प्रेत , नाग-नागिन, डायन-चुडैल,
जाने किसे-किसे, है आमंत्रण॥
पत्रकारिता की ना जाने,
ये कौन सी मजबूरी है,
सब कुछ ख़बर बन ही जाए,
क्या ये बात जरूरी है ?
काश कि हमारा मीडिया ये बात समझ पाता !
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फिलहाल तो नहीं समझ पाएगा
जवाब देंहटाएंsahi hai...satik bhi
जवाब देंहटाएंaap dono kaa bahut bahut dhanyavaad.swati jee mere blog par aane ke liye shukriyaa, ajee apko to bulaanaa padtaa hai.
जवाब देंहटाएंbilkul sahi.
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