सुबह सुबह की हल्की ठंड में जब होशियारपुर बस अड्डे पर उतरा तो पौ नहीं फ़टी थी ..जैसा कि पहले ही सोच चुका था कि इस बार तो मैं हर पल को सहेजने की कोशिश जरूर करूंगा और देखिए न मेरी कोशिश का नतीजा आपके सामने है ......मैं वहां पहुंच तो चुका था मगर जाने क्या सोच कर सिर्फ़ चंद कदमों पर दूर साढू साहब के घर पर तुंरत जाने से बेहतर मुझे बस अड्डे के कोने पर बनी चाय की दुकान में सुबह की पहली चुस्की लेना बेहतर लगा । मैंने वहीं ठंडे पानी से हाथ मुंह धोया और बैठ कर चाय की चुस्कियां लेने लगा । सुबह सुबह की बस पकडने वाले , दिल्ली के लिए जो बसें निकलने वाली थीं ..उनमें दिल्ली दिल्ली की आवाज लगने लगी थी ।चाय वैगेरह पीकर , मैं पैदल ही निकल पडा । घर पर सभी सुबह उठने वाले थे सो जाग हो चुकी थी । साढू साहब के घर के बारे में क्या कहूं । अभी कुछ समय पहले ही अपने पुश्तैनी मकान से हट कर अपने लिए अलग से एक मकान बनाया है उन्होंने । सच कहूं तो घर देख कर ऐसा ही लगा एकबारगी कि ये सचमुच ही सपनों का घर जैसा है । हालांकि पिछले एक साल से चल रहा निर्माण कार्य अभी पूरी तरह से बंद नहीं हुआ है ।और धीरे धीरे सब कुछ चल ही रहा है ....मगर इतना तो हो ही गया है कि मैं घूम घूम कर पूरे घर की छवि उतार सकता ..फ़ुर्सत के क्षणों में सुकून पहुंचाते हैं ऐसे दृश्य । सुबह ही उनके छत पर चढ कर लिए गए आसपास के दृश्य मुझे इतने भाए कि मैं लगाता ही उन्हें कैमरों में कैद करता चला गया ।श्रीमती जी की दीदी जी को पौधों से बडा प्यार है । और ये मेरे लिए बडे ही ताज्जुब और खुशी का विषय था कि उनके यहां , मुझे कमाल के हैरान कर देने वाले नन्हें पौधे मिले । नींबू का छोटा सा पौधा ..जिसमें पत्ते तो कम थे मगर नींबू भरपूर थे ..और नींबू भी बहुत ही खुशबूदार और अनोखे । हमारे बिहार में बरसों पहले ऐसे ही नींबू बचपन में खाए थे जिन्हें हम शायद जमीरी नींबू कहते थे ...एक बित्ते भर का अमरूद का पौधा ..जिसमें पत्ते भी थे और पूत के पांव पालने में ही दिखाई देते हैं ......की तर्ज़ पर एक अमरूद भी ।जब बातों का सिलसिला चला तो साढू साहब से मैंने होशियारपुर के बारे में जानना चाहा । बस यही वो पल था जब मेरे लिए जैसे जानकारी का खजाना खुल गया था । होशियारपुर किन किन बातों के लिए मशहूर हुआ करता था , प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का कॉलेज और जिस गली से वे पैदल पढने जाया करते थे वो प्रोफ़ेसर गली , होशियारपुर और उसके आसपास से निकलने वाली सैंकडों नहरें , होशियारपुर ही वो शहर है जहां के प्रतिनिधि पंजाब प्रांत के अधिकांश महत्वपूर्ण मंत्री तथा अन्य पदों पर बैठे हैं , एक सौ बीस साल पुराना एक स्कूल और उसके पास स्थित उतना ही पुराना एक बरगद का पेड ,भगवान बाल्मीकि चौक , घंटाघर और जाने क्या क्या ..अजी जल्दी क्या है अभी तो यात्रा अपने पहले पडाव पर ही है ...अभी तो आपको मेरे साथ जाने क्या क्या देखना है और घूमना है.........
गुरुवार, 21 अक्टूबर 2010
सपनों का घर , कमाल के नन्हें पौधे ...और होशियारपुर के बारे में कुछ रोचक बातें ...पंजाब यात्रा -२
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पाबला जी का यात्रा वृतांत चल ही रहा है .. और इधर आप भी शुरू .. दोनो के ही सफर में साथ रहना अच्छा लग रहा है .. आपका विवरण और खींचे गए सारे फोटो अच्छे लगे .. पर आपके साढू भाई के इतने सुंदर मकान के ड्राइंग रूम में बैठने की इतनी जगह और एक छोटी सी टेबल .. मेरे वहां आने से पहले चाय नाश्ते के लिए एक बडा सा टेबल लगाने को कहें .. होशियारपुर के बारे में और रोचक जानकारी के लिए अगली कडी की प्रतीक्षा रहेगी !!
जवाब देंहटाएंअरे हम कब मना कर रहे है घुमने से .........यहाँ कौन सा घुमा हुआ है होशियारपुर .....आप तो जी बस शुरू करो ....हम भी तैयार है !
जवाब देंहटाएंचित्रमयी होशियारी भरी यात्रा की बढ़िया शुरूआत
जवाब देंहटाएंसंगीता जी समान मुझे भी बड़ी टेबल चाहिए :-)
बहुत अच्छा पोस्ट ! होशियारपुर के बारे में रोचक जानकारी के लिए धन्यवाद !!!
जवाब देंहटाएंग्राम-चौपाल में पढ़ें...........
"अनाड़ी ब्लोगर का शतकीय पोस्ट" http://www.ashokbajaj.com/
चित्रमयी और काव्यमयी वृत्तान्त, पढ़कर आनन्द आया, घूमकर और भी आयेगा।
जवाब देंहटाएंहोशियारपुर के बारे में जानकारी अच्छी लगी ।
जवाब देंहटाएंकैमरा साथ हो तो फिर क्या कहने । सुन्दर फोटो ।
काफी समय पहले जब पहली बार बोनसाई संतरा देखा था तो बडी हैरानी हुई थी। छोटे से पौधे पर एकदम पका हुआ छोटा सा संतरा था।
जवाब देंहटाएंहोशियारपुर घूमने में मजा आ रहा है।
प्रणाम
अरे वकील साहब, आप पंजाब घूम रहे हो और हम दिल्ली में हैं।
जवाब देंहटाएंबढ़िया शहर है होशियारपुर।
जगह के अलावा लोगों के चरित्र पर भी प्रकाश डालना अगली कड़ियों में।
जीवनशैली काफ़ी अलग है पंजाब की।
अगली कडियों का भी इंतजार रहेगा।
sundar vivran.....
जवाब देंहटाएंchd aate hain chale jate hain....
aage dhyan rakhenge....ek bhai chd
me bhi hai....
pranam.
अरे संजय भाई दरअसल दोनों ही बार असमय ही आना जाना हुआ वो भी ऐसे समय में जब किसी से कुछ कहना सुनना भी उसे परेशान करना ही होता ..हां भविष्य में आपसे मुलाकात हो पाएगी ऐसी उम्मीद ही नहीं विश्वास भी है मुझे
जवाब देंहटाएंहोशियारपुर के बारे में और रोचक जानकारी
जवाब देंहटाएं...बढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.
ये तो बहुत ही सुम्दर चित्रमयी सैर करवाई आपने होशियारपुर की, शेष का इंतजार रहेगा.
जवाब देंहटाएंरामराम
छत से खीचे गये चित्र देखकर फिल्म दिलवाले दुल्हनिया.. के दृश्य याद आ गये ।
जवाब देंहटाएंभईया बस फोटो देख के वापस जा रहे हैं.....पढ़ने का वक्त नहीं है अभी....
जवाब देंहटाएंहम भी घूमने आये हुए हैं :)