शुक्रवार, 2 अक्टूबर 2009

विश यू आल...हैप्पी बापू डे......

अरे आप क्यूं चौंक गये...यही मेसेज आज मुझे मेरे मोबाईल पर मिला....बताईये हमारा देश कितनी शिद्दत से बापू का जन्मदिन मना रहा है...वर्ना आज की नस्ल को क्या जरूरत है कि ...वेलेंटाईन डे की तरह इसे भी सेलिब्रेट करे...अजी बापू ने कौन सा उनके लिये ..आर्थिक उदारीकरण....या मल्टी नेशनल कंपनियों ...या ऐसा ही कुछ उनके लिये करके दिया था.....और अब तो पता चला है कि देश तो देर सवेर वैसे भी आजाद होने ही वाला था...वो तो उस समय कोई था नहीं ...सो लगे हाथ उन्हें क्रेडिट दे दिया गया...और सबसे बडी कमी तो रही कि उस समय कोई एसएमएस का महत्वपूर्ण अधिकार भी तो नहीं था...तो फ़िर कैसी क्रेडिबिलिटी जी उस डिसीजन की...जिसमें एसएमएस के नैसर्गिक अधिकार का उपयोग ही नहीं किया गया ..खैर.....

दो अक्तूबर ......जब स्कूलों मे थे ..तब बडा जोश हुआ करता था...कुछ अलग ही उत्साह था...गांधी जी से जुडी हुई प्रतियोगिताओं में भागीदारी...उनके जीवन से जुडे सभी पहलुओं पर आधारित प्रश्न पहेली में जीत जाने की ललक...और भी न जाने क्या क्या..मगर उस समय से लेकर अब तक इस दिन को गांधी जयंती के रूप में जाना...पता नहीं शास्त्री जी ने क्यूं मना कर दिया था.....थोडा आगे बढा जीवन तो कुछ सात्विक टाईप के मित्रों ने समझाया कि इसका असली मतलब होता है ...ड्राई डे....आंय....अमां ये कौन सा डे हुआ ...अच्छा अच्छा बरसात के मौसम के बाद जब दिन बदलते होंगे...तो.....अबे चुप...तेरे जैसे लोगों को यही समझ में आ सकता है...तेरे लिये तो ..साल के तीन सौ पैंसठ दिन...ड्राई डे ही होते हैं....मेरे कहने का मतलब था कि ..आज के दिन टुन्न होने का कोई चांस नहीं...या तो पहले ही.......आज पहली तारीख है....... सेलिब्रेट कर लो.......या फ़िर ..छुट्टी के बाद करो......

इसका मतलब जब नौकरी में आये तो पता चला.......अक्तूबर महीने की पहली छुट्टी जो बिल्कुल कंफ़र्म है....किसी तरह से आगे पीछे हो जाने की कोई गुंजाईश नहीं....यदि आगे पीछे ..शनिवार ..रविवार पडता हो...तो समझिये...कि अगली छुट्टी आपको शास्त्री जी के जन्मदिन की मिल रही है...आप उन्हें भी याद कर सकते हो..फ़ुर्सत से .....क्योंकि एक दिन में आखिर आप कितने जनों को जबरन याद कर सकते हैं.........

अब इतने समय बाद तो हालत और भी गज़ब है जी.....वो तो कहिये कि सर्किट ने और मुन्ना भाई ने....अपने अंदाज़ में बापू ..और उनके दर्शन को युवा पीढी के सामने रखा.....लोगों को पता भी चला कि ...ये भी थे कोई ..जिन्होंने ..अपने देश के लिये कुछ न कुछ तो किया ही था...तभी तो उनके उपर इतनी मजेदार पिक्चर बन पायी है....

जहां तक मेरी अपनी बात है...तो मुझे गांधी जी के व्यक्तित्व से कहीं ज्यादा उनका दर्शन.....उनके विचार....उनके उद्देश्य....पसंद हैं...क्योंकि वे आज भी उतने ही सार्थक और सामयिक हैं ....बल्कि कहूं कि अब कुछ ज्यादा हैं......जितने उनके समय में हुआ करते थे.....मगर अफ़सोस है कि ..आने वाली नस्लें...ये सब महसूस नहीं कर पायेंगी......और इसके लिये किसी को भी दोषी नहीं ठहराया जा सकता...क्योंकि सब दोषी हैं........शास्त्री जयंती कभी मनाई जायेगी......इसकी आशंका हमेशा ही रही है.....मगर शायद.....कभी.....

तो आप सबको एक बार फ़िर .......हैप्पी बापू डे....एंड..हैप्पी शास्त्री दिवस.....

20 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर और समसामयिक पोस्ट है।

    महात्मा गांधी जी और
    पं.लालबहादुर शास्त्री जी को
    उनके जन्म-दिवस पर नमन।

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  2. अभी तो तेल देखा है मित्र...आगे-आगे इसकी धार देखिए

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  3. बेहतरीन!!

    आपको भी हैप्पी बापू डे....एंड..हैप्पी शास्त्री दिवस.....

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  4. आज शास्त्री जी की भी जयंती होती है,कितने जानते है ??

    भारत माता के सच्चे 'लाल', लाल बहादुर शास्त्री जी को मेरा शत शत नमन !

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  5. लालबहादुर शास्त्री जी को
    उनके जन्म-दिवस पर नमन।

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  6. किसी भी तरह याद तो किया । 100 साल बाद देखते है याद रहता है या नही !!!

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  7. छुट्टी ड्राई डे और गांधी जी का संबंध ब्‍लॉग पर भी जाहिर कर दिया। वैसे पता तो सबको था पर आपकी तो अदा ही निराली है।

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  8. गांधी का अपना कोई दर्शन नहीं था। हाँ, व्यवहार और भारत की जनता के बीच काम करने के उन के तरीकों से सीखा जा सकता है और उन के जीवन और विचारों से।

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  9. झा जी , गांधीजी को अपनी प्रासंगिकता सिद्ध करने के लिए किसी के प्रमाणपत्र की आवश्यकता ना कभी थी और ना रहेगी .....आपने बिलकुल मेरे मन की बात कह दी ...

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  10. अजय भाई क्या करेगे अब हम सब मार्डन हो गए है ना इसी का नतीजा है

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  11. उनका दर्शन.....उनके विचार....उनके उद्देश्य...

    ये क्या चीज़ें हैं :)

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  12. अरे प्रसाद जी...तभी तो कहा मैंने....विश यू ....हैप्पी बापू डे.....वेरी मच जी ....ये वाला खास आपके लिये था....

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  13. हैप्पी बापू डे!!!....एंड..हैप्पी शास्त्री डे!!!

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला

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