बहुत बार ये बात मैं पहले भी कह चुका हूँ क़ी ठीक तलवे के बीचों बीच काला तिल देख कर माँ अक्सर कह दिया करती थी कि इस लड़के के पाँव में चक्कर लगे हैं। कारण था मेरा लगातार घूमते रहना और सड़क , सफर जैसे उन दिनों किताब ,रेडियो ,चिट्ठी की तरह बिलकुल करीब के साथी थे मेरे। कॉलेज के पूरे पाँच साल रोज़ तीस किलोमीटर सायकल से नाप डालने का हुनर ज़िंदगी भर काम आता रहा। बहुत घूमा , घूमता हूँ और घूमना चाहता हूँ।
पिछले कुछ सालों में मेरा रुख पश्चिम की तरफ रहा है और कमोबेश आठ यात्राएं मैंने की हैं पिछले दो सालों में ही। कार ,बस , रेल , डबल डेकर रेल हर साधन और हर मार्ग से सिवा हवाई मार्ग के। सफर की जब भी बात होती है तो मुझे सड़क की याद आ जाती है और शायद यही वजह रही है कि , बिना सड़क वाला सफर यानी हवाई सफर से अब तक बचता ही रहा हूँ।
जयपुर , अलवर , जोधपुर , उदयपुर , माउंट आबू , चित्तौड़गढ़ ,जैसलमेर , फिलहाल इन तमाम शहरों को देखने समझने की एक कोशिश हो चुकी है। जयपुर में अनुज का निवास है और उदयपुर में अनुजा का , इन दोनों शहरों में बहुत बार जाना हुआ और इसके बावजूद भी बार बार जाने का मन हो आता है।
राजस्थान की धरती से इतिहास की किताबों में हमारा परिचय "राजों रजवाड़ों वाला , राजपूती शान वाला , राणा प्रताप वाला विशाल भूभाग वाला सा ही दिलाया जाता रहा है मगर मेरी यात्राओं में मैंने जाना कि अलौकिक धर्म क्षेत्र है पूरा राजस्थान। पग पग पर भगवान् स्वयं अनेक नामों रूपों में आज भी आपको महसूस होंगे। हिन्दू , जैन ,शैव सबकी आराध्य और पवित्र भूमि।
हर यात्रा की तरह जोधपुर यात्रा को भी विस्तार से लिखूंगा , लेकिन इस पोस्ट में मैं एक बहुत जरूरी विषय रखना चाह रहा हूँ वो ये कि , देश से लेकर विदेशी पर्यटकों तक की ख़्वाबों की नगरी , गुलाबी नगरी , झीलों का शहर , बने राजस्थान के शहरों के बेहद खूबसूरत और स्वच्छ होने के बावजूद कुछ पर्यटन स्थलों को छोड़ कर अन्य सब में सरकारी उदासीनता के चिन्ह साफ़ दिखाई देते हैं।
जल महल -के पास पर्यटकों द्वारा झील की मछलियों को आटा , दाना आदि खिलाने वाले स्थान पर मंडराता शूकरों का झुंड पास फैली हुई बेशुमार गंदगी। मुझे लगता है प्रशासन को उस ओर जल्द से जल्द ध्यान देना चाहिए , हैरानी होती है कि आज जब मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक का उपयोग करके लोग इन सब चीज़ों को ठीक कर रहे हैं तो फिर अब तक कैसे ??? खैर इस समस्या को तुरंत दूर किया जाना चाहिए।
वैसे करिश्मा , जादू , वरदान जैसा ही है राजस्थान भारत के लिए , एक अनमोल रत्न सरीखा। रेत के कण कण से सूरज की तपिश की तरह ललकता राष्ट्रवाद का प्रकाश और तेज। राजमहलों की इतनी बड़ी दुनिया और किसी देश के किसी भी प्रान्त स्थान में मिलना कठिन है। विराट अट्टालिकाएं , एक से बढ़ कर एक अभेद्य किले और उन किलों को मस्तक पर धारे हुए माँ भारती के वो सपूत , वो बांके जिन्होंने समय के आसमान पर अपनी वीरता और पराक्रम की कहानी लिख दी।