रविवार, 12 अक्तूबर 2008

एक पाती , अनाम जी के नाम

हे , परम आदरणीय अनाम जी, आप नारी हैं, नर हैं, या किन्नर हैं, या की कोई अलीयन हैं, मैं नहीं जानता परन्तु जो भी हैं , मेरा यथोचित अभिवादन स्वीकार करें। दरअसल आपकी पहचान को लेकर दुविधा का कारण भी ख़ुद आप हैं। अपनी टिप्प्न्नी के माध्यम से ही आप दिल के करीब आ गए हैं। महिला समाज और सोच पर लिखी एक पोस्ट पर आपने थोक के भाव मीर धज्जियाँ उडाई तो मैं समझा की महिला अधिकारों की शाश्क्त प्रहरी आप अवश्य ही कोई देवी हैं। मगर अगले ही पल मुझे पता लगा की आपने तो वरिस्थ महिला ब्लॉगर घुघूती जी को भी अपने शुभ वचनों के प्रसाद का रसास्वादन कराया है, फ़िर आपने मुझ पर ये आरोप भी जड़ दिया की मेरी पसंदीदा सूची में सिर्फ़ महिला ब्लोग्गेर्स का नाम क्यों, जबकि उनमें कई ब्लॉगर भाई भी मौजूद हैं। तो नर नारी के बाद किन्नर के रूप में आपको परखने की मेरी हिम्मत नहीं हुई।
अब एक अलग बात, हे प्राणी, आपका चेहरा कभी दिखाई नहीं देता। जो नेगटिव नुमा तस्वीर अपने चस्पा कर राखी है उससे आपकी शक्ल का अंदाजा लगायें तो उतनी बुरी नहीं लगती जितनी तल्ख़ आप टिप्प्न्नी करते हैं। मान्यवर, क्यों आप ;इतना तपे हुए, जले फूंके और लुटे हुए हैं। यदि किसी को प्रोत्साहित करने वाली बात गलती से ही सही , आपने कही हो तो बताएं, मैं पहले उनके फ़िर आपके चरणों में लोट जाउंगा।
एक आखिरी आग्रह इसी तरह मेरे चिट्ठे पर आकर मेरी बैंड बजाते रहे। भविष्य में फ़िर कोई नयी पोस्ट लिखने का प्लाट मिले न सही आपसे एक अनाम रिश्ता तो बना रहेगा। और हाँ, मित्रवर, आपके नाम की स्पेलिंग भी बड़ी कठिन है anynomous, इससे आसान और अच्छा रहेगा - ? । अब आप अपने आशीष वचनों से कृतार्थ करें। आप द्वारा घोषित आपका मानसिक रोगी.

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत समझदार हो खुद ही अनाम बन कर टिपियाते हो।परायो से सिकायत कर्त हो।

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  2. wah gurudev maan gaye aapko , jaoor aap itne pahunche hue hain ki main to bilkul bhee paar nahin paa saktaa. ab tak nahin samajh paayaa ki ye karaamaat aapne kaise kee ki tippnni kar dee wo bhee aisee ki jab us par klik kartaa hoon to mera hee blog khul jaataa hai. kamaal hai hum to kuchh bhee nahin hain. bus ab hamein baksh dein nahin to yahan se boriya bistar hee sametnaa pad jaayegaa.

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला

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