लगभग ढाई साल होने को आए इस मुंए ब्लोग्गिंग के अंतरजाल में फ़ंसे हुए । जब शुरू शुरू में आए थे तो सच कहें तो कुछ भी नहीं सोचा था ...अजी सोचते क्या खाक ..जब पता ही नहीं था कि ये ब्लोग्गिंग आखिर है क्या बला ? बस ब्लोग बना जैसे तैसे घुस लिए , कुछ दिनों बाद दोस्तों को पकड के फ़ोटो शोटो भी लगा ली , डेढ साल तक नगरी नगरी टाईप ....कैफ़े कैफ़े भटक कर ब्लोग्गिंग करते रहे ....पता नहीं .....मगर लगा कि ब्लोग्गिंग करते रहे , पिछले साल जब से कंप्यूटर लिया बस जैसे इसी के होकर रह गए । इतने कि सोच भी ब्लोगनुमा होकर रह गई । अब तो लगता है कि चार पन्नों का आलेख या दो पन्नों का हास्य लिखने के नए सिरे से सब शुरू करना होगा । मगर इस बीच एक खुशफ़हमी तो हो ही गई कि चलो सब छूटा तो छूटा ..ब्लोग्गिंग तो कर ही रहे हैं .......मगर हाय रे ...ये क्या ...अब तो ये कहा जाने लगा है कि नहीं ये ब्लोग्गिंग नहीं है ????
ओह अच्छा अच्छा तो ये भी ब्लोग्गिंग नहीं है , पोस्टें लिखी , पोस्टों में क्या लिखा ....अरे ये कहिए कि क्या नहीं लिखा ...आलेख लिखे, कविता लिखी , कहानी लिखी , व्यंग्य लिखा ....चर्चा न सही ..ब्लोग के लिंक्स लगा के दू लाईना भी खूब ठेली , इसके लिए पहले एक दो ...फ़िर जाने कितने और कहां कहां ब्लोग बना लिए । कुछ गंभीर और संजीदा लिखने के लिए भी । इसके बढ कर न सिर्फ़ लिखा बल्कि इसके बाद दूसरों को पढने की आदत डाल ली और जब से ये आदत डली , उंगलियों ने टिप्पणी करना जाने कैसे सीख लिया । बेशक रफ़्तार कभी कम कभी ज्यादा होती है मगर टिप्पणियां तो चलती रहती है ।कभी सबने लाख कहा कि ये आभासी दुनिया यहां दूर से ही शाबासी लिए जाओ और पास आकर मिलने मिलाने लगोगे तो सबको उबासी आने लगेगी , हमने कहा आती है तो आती रहे , हम लगे मिलने मिलाने , बैठने बैठाने , और जाने क्या क्या सपने सजाने लगे । एक दिन हिंदी ब्लोग्गिंग की भी चर्चा होगी , लोग जानना चाहेंगे कि हिंदी ब्लोग्गर्स इन दिनों किस दिशा में सोच रहे हैं क्या लिख रहे हैं । पूरा मीडिया , समाज , प्रशासन , और देश भी (क्योंकि आखिर ब्लोग्गिंग की दुनिया इन्हीं से तो बसी हुई है ) एकटक न सही मगर इस बात की प्रतीक्षा करते मिलेंगे कि .....देखें इस मुद्दे पर हिंदी ब्लोग्गर्स का स्टैंड क्या है ??? और ऐसा होगा यकीनन होगा एक न एक दिन ...
मगर मुझे तो फ़िलहाल यही समझ में नहीं आ रहा है कि यदि जो सब ऊपर मैंने कहा है यदि वो सब ब्लोग्गिंग नहीं है तो फ़िर भईया आखिर है क्या ब्लोग्गिंग , हमे कोई ठीक ठीक बताए कि ब्लोग्गिंग क्या है ....हिंदी की सेवा तो कर नहीं रहे , लोगों से मिलने मिलाने के पीछे भी हमारा कोई छुपा एजेंडा है ..जरूर कोई गुप्त गुट बना रहे हैं हम ....हो सकता है हमारे गुट का उपयोग अगले साल हम राहुल गांधी को हराने के लिए कर दें .....बार बार दूसरे पाठकों की पोस्टों को पढ के आपत्ति दर्ज़ नहीं कराते ......साफ़गोई नहीं है न हमारे भीतर ..सिर्फ़ अच्छा अच्छा सुनने का मन करता है हमारा ....यही चाहते हैं कि सभी बडाई करते रहें हमारी .....तभी तो जब मन होता है सभी मित्रों को बुला बैठा लेते हैं गपिया लेते हैं ...मन की कह और सुन लेते हैं...........ये भी मुई ब्लोग्गिंग नहीं है ??????किसी के नाम से नकारात्मक पोस्ट नहीं लिखते ...किसी को भर भर के नहीं कोसते ....साफ़ साफ़ कहने से बचते हैं न हमेशा ...वही न्यूट्रल गीयर .....मगर फ़िर भी तो सब कह ही जाते हैं कि न ये भी ब्लोग्गिं नहीं है ???????उफ़्फ़ उफ़्फ़ ...ढूंढ रहा हूं .........तो आखिर है क्या ब्लोग्गिंग .....और कैसी होती है ...यदि हिंदी में ब्लोग्गिंग नहीं हो रही है ..तो बताईये न कहां पर हो रही है ......चल के वहीं से सीखा जाए ....और फ़िर की जाए ब्लोग्गिंग ...??? अभी चिंतन मनन में फ़िर वही .....एक पोस्ट लिख मारी है ....जब तक ब्लोग्गिंग न आ जाए तब तक काम चलाईये ....
सोमवार, 22 फ़रवरी 2010
तो आप ही बताईये कि आखिर ब्लोग्गिंग है क्या ???
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हिंदी की सेवा तो कर नहीं रहे , लोगों से मिलने मिलाने के पीछे भी हमारा कोई छुपा एजेंडा है ..जरूर कोई गुप्त गुट बना रहे हैं हम ....
जवाब देंहटाएंभाई हमें बःइ भर्ती कर लेना इस गुप्त एजेंडे वाली टीम में.
रामराम.
भूल सुधार :-
जवाब देंहटाएंबःइ = भी
पढें.
रामराम.
यही है ब्लोगिंग।
जवाब देंहटाएंराजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
कुछ तो लोग कहेंगे ---लोगों का काम है कहना ---छोड़ो बेकार की बातों में कहीं ---बीत न जाये रैना।
जवाब देंहटाएंआज हमने भी एक गाने की ये पंक्तियाँ लिख दी।
लेकिन हकीकत यही है।
bahut kuchh kahne ko man kar raha hai, lekin filhaal is post me chipe dard ke saath hamdardi jataate hue patli gali se nikal leta hoon bhai !
जवाब देंहटाएंvarna fir koi vivaad khada ho jaayega, vaise maine aapka har aalekh pasand kiya hai
aaj bhi achha laga
jai hind !
अच्छा लिखा है ......आपने
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंब्लॉगिंग = ?
छड़े मुँडो का महबूबा मिलने तक का स्टैन्ड-बाई जुगाड़
मुझ जैसों को महबूबा हासिल हो जाने के गम का इज़हार
ब्लॉगिंग = ?
बोले तो बातूनी गूँगे का गुड़
इन्टरनेट की चॉकलेट मैलोडी
मैलोडी खाओ खुद जान जाओ
ब्लॉगिंग = ?
एक दूसरे की नाक की तारीफ़ में जुटी नकटों की ज़मात
बिन ब्याहे रँडुआ भये के लिये रचा गया सेहरा
ब्लॉगिंग = ?
दिमाग की खुजली का ज़ालिम लोशन..
कहाँ तक गिनायें.. मुँह में ब्रह्माँड छिपाये श्री हरि के सहस्त्रों रूप फीके पड़ जायेंगे
अजय बाबू कहाँ तक गिनायें एक्ठो बड़का टिप्पणी बक्सा लगाइये न !
भड़ास दिल की...कीपैड के जरिए कंप्यूटर पे उतार लेता हूँ मैं...
जवाब देंहटाएंमेरे लिए तो ब्लॉग्गिंग यही है....
@आदरणीय अमर कुमार जी ...
"एक दूसरे की नाक की तारीफ़ में जुटी नकटों की ज़मात
बिन ब्याहे रँडुआ भये के लिये रचा गया सेहरा"
सच इतना कड़वा भी नहीं है शायद....
चलिए आज पता चल ही गया की कोई है जो यह सब भी सोचता है ....भड़िया चिंतन !!
जवाब देंहटाएंआभार
hmmmmmmmmm mai nA bolunga
जवाब देंहटाएंब्लॉगिंग...
जवाब देंहटाएंअजीब दास्तां है ये...
कहां शुरू, कहां खत्म...
मंज़िलें ये प्यार की...
न तुम समझ सके, न हम...
किसी के इतने पास हो...
कि सबसे दूर हो गए...
जय हिंद...
जब जब भी मैने अपने दिल की बात को
जवाब देंहटाएंकिसी पोस्ट में उतारा है
जाने क्यूँ..लोगों ने उसे
ब्लॉगिंग कह कर पुकारा है....
-जान जाईये तो बताईयेगा जरुर महाराज..कुछ भला हमारा भी हो जायेगा.
अपनी बात दंनिया को कहने के लिए बहुत ही अच्छा मंच मिला है .. और क्या कहा जाए ?
जवाब देंहटाएंब्लॉगिंग क्या है जी पता नही? लेकिन मेरे लिये तो यह स्वर्ग से कम नही, कोई जमाना था कि ढुढना पडता था अपनी भाषा मै बात चीत करने के लिये लोगो को, ओर अब पुरा भारत ही अपना सा लगता है, कोई जमाना था हिन्दी के अखबार के टुकडे को सम्भाल कर रखते थे,आज हिन्दी का समुंदर बह रहा है, कोई कुछ भी कहे हमे तो बहुत अच्छा लगता है इस ब्लॉगिंग मै.
जवाब देंहटाएंआप ने बहुत सुंदर लिखा, लेकिन फ़िक ना करे कुछ तो लोग कहेगे...डॉ टी एस दराल जी से सहमत है जी
ऐं, ये ब्लॉगिंग नहीं है? पर मैंने तो अपने सब दोस्तों से यही बताया है. ये बात अलग है कि तब भी वो लोग नहीं पढ़ते. और ये गुटबाजी पता नहीं कहाँ होती है? हमें तो दिखती नहीं. हौवा बड़ा है लेकिन उसका.
जवाब देंहटाएंजब जब भी मैने अपने दिल की बात को
जवाब देंहटाएंकिसी पोस्ट में उतारा है
जाने क्यूँ..लोगों ने उसे
ब्लॉगिंग कह कर पुकारा है....:):)
हम और आप जो कुछ ठेल रहे हैं यही तो ब्लोगिंग है.....अब कोई ना माने तो क्या किया जा सकता है??;)
जवाब देंहटाएंविचारणीय पोस्ट लिखी है....
क्या बात है, आजकल गुटबाजी के बारे में बहुत सुनाई दे रहा है? लेकिन ये नहीं मालूम था कि हम जो कर रहे हैं ,वो ब्लॉगिंग नहीं है....प्रश्न बड़ा प्रासंगिक है.
जवाब देंहटाएंवाह जी वाह क्या उच्च विचार है :)
जवाब देंहटाएंआप बिलकुल सही सोचते हैं अपने बारे में :)
हम भी कुछ कुच्छ ऐसा ही सोचते हैं मगर इतना दीपाली कभी मणी सोचा जितना दीपाली आप चले गए :)
ब्लोगिंग जिंदाबाद
दीपाली को डीपली पढ़ा जाये
जवाब देंहटाएंरानी विशाल का लिखा 'भड़िया चिंतन' देखा तो दिमाग में लाइट जली - ब्लॉगरी 'भड़भड़िया चिंतन' भी है :)
जवाब देंहटाएंजो तीर छूट चुका कमान से वही है ब्लागिंग।
जवाब देंहटाएंगंभीर चिंतन ...इस लिहाज से हम कौनो जन्म में ब्लोगर नहीं कहलायेंगे ...!!
जवाब देंहटाएंकिस ब्लॉगिंग के बारे में पूछ रहे हैं आप अजय जी? अंग्रेजी ब्लॉगिंग के या हिन्दी ब्लॉगिंग के?
जवाब देंहटाएंलिखते लिखते ब्लॉगिंग हो जाये।
जवाब देंहटाएंयही लिखना चाह रहा था लेकिन अवधिया जी ने डाऊट में डाल दिया। क्या करूँ?
ब्लोगिंग; बस एक अभिव्यक्ति का केंद्र है और लिखते जाना है।
जवाब देंहटाएंआपको पता लग जाये तो कृप्या हमें भी बता दीजियेगा
जवाब देंहटाएंप्रणाम
ब्लोगिंग वेबलॉग हैं एक निज कि डाइरी हैं जो सार्वजनिक हैं । डाइरी मे हम जो चाहे लिख सकते हैं और वो सब लिखते हैं जो मन मे होता हैं और अपना "निज " होता हैं , ये हैं ब्लोगिंग का प्रथम स्वरुप
जवाब देंहटाएंअब आये ब्लोगिंग के उपयोग , गूगल के सौजन्य से या और किसी कम्पनी के सौजन्य से उनके सर्वर पर कुछ जगह मुफ्त मे आप को दे दी गयी हैं अब उसका उपयोग अपनी सहूलियत से करते हैं । वो कवि/ लेखक जो कहीं छापना नहीं चाहते { या छपते नहीं } अपनी अभिव्यक्ति को यहाँ दर्ज करा देते हैं और वो उस पर किसी भी कमेन्ट कि आपेक्षा नहीं रखते उनका उदेश्य मात्र अपनी रचनाओ को इस ब्लॉग प्लेटफोर्म पर दर्ज करना हैं घूमता फिरता कोई सरफर आजाता हैं और कमेन्ट दे जाता हैं । इसके अलावा सामाजिक मुद्दों पर बात करने के लिये और एक समान सोच वाले लोगो के साथ "मानसिक " रूप से जुडने के लिये ब्लॉग आभासी दुनिया का एक पहलु हैं । अपनी बात केवल कहने का नाकि अपने को बदलने का । इसके अलावा आज कल बड़ी कम्पनिया वेबसाइट के साथ साथ ब्लॉग का भी इस्तमाल करती हैं और छोटी कम्पनिया केवल ब्लॉग से काम चला लेती हैं ।
ये तो आप कि अपनी सोच हैं कि आप ब्लोगिंग मे क्यूँ आये हैं , अगर आप ब्लॉग मे सोशल नेटवर्क बड़ा करने आये हैं तो आभासी दुनिया से आप फिर बाहर आगये हैं ।
ब्लागिंग बस ब्लागिंग है.
जवाब देंहटाएंहमने कहीं ब्लागिंग की परिभाषा पढी थी कि "ब्लागिंग याने समय नष्ट करने का भ्रष्ट साधन"...अब ये तो पता नहीं कि इसमें कितनी सच्चाई है :-)
जवाब देंहटाएंब्लागिंग अच्छी है या बुरी है, है कि नहीं है, पता नहीं बस इतना पता है कि मन की लिख देते हैं और मन की पढ़ लेते हैं, मन हल्का हो जाता है। नहीं तो पहले दुनिया से झगड़ते ही फिरते थे।
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