बुधवार, 3 फ़रवरी 2010
अब तैयार हो जाईये विश्व स्तरीय ब्लोग्गिंग के लिए ....एक्शन और लीगल एक्शन के साथ ...
आजकल जो कुछ और जितनी तेजी से घट रहा है , उस स्थिति का अंदाज़ा तो मुझे पहले ही हो चुका था क्योंकि कभी मौज के नाम पर तो कभी चर्चा के नाम पर , कभी पोस्ट लिख कर कभी टिप्पणी और कभी प्रति टिप्पणी के सहारे अपनी प्रतिक्रियाओं , अपने गुस्से, और अपनी उस सोच को खुले आम इस ब्लोगजगत पर रख कर या कहूं कि परोस कर , आग लगा कर तमाशा देखने वाले काम कर रहे थे , उससे देर सवेर ये तो होना ही था कि किसी न किसी बिंदु पर किसी न किसी स्तर पर जाकर उन लोगों को बुरा लग सकता है जो सिर्फ़ ब्लोग्गिंग कर रहे थे या हैं । और ये तो शुक्र मनाने की बात है कि अब तक न तो उन तमाम बडे लोगों , बडे प्रशासकों , राजनीतिज्ञों , अधिवक्ताओं , कानून विदों और विधि क्षेत्र से जुडे लोगों ने व्यापक रूप से हिंदी ब्लोग्गिंग में कदम नहीं रखा । और जिन्होंने रखा भी वे जरूर ही मन के किसी न किसी कोने में हिंदी ब्लोग्गिंग को शायद एक भाषा ,एक देश, एक समाज या और भी किसी कारण से .यदि परिवार नहीं मानते तो भी ..इसे सिर्फ़ आभासी दुनिया तो नहीं ही मानते हैं ।
मगर असली दिक्कत शुरू हुई मुख्य रूप से दो वजहों से , पहला कारण ये रहा कि हमारे कुछ मित्र जो हर लिहाज से चाहे वो ब्लोग्गिंग में रहने के समय काल से हो या फ़िर हिंदी भाषा की अपनी विद्वता के लिहाज़ यदि सर्वश्रेष्ट नहीं भी तो उससे कम भी नहीं थे , मगर जो हिंदी ब्लोग्गिंग में एक नई पौध जिसने विशुद्ध ब्लोग्गिंग का रास्ता पकडा ( यानि जो मन किया लिख डाला बेबाक और बिंदास , जिसे मैं लोकप्रिय ब्लोग्गिंग का नाम दे सकता हूं ) से किसी न किसी या बहुत सारे वजहों से न सिर्फ़ दूर रहे बल्कि प्रतयक्ष अप्रत्यक्ष रूप से इन्हें कभी उपेक्षित तो कभी उपहास का पात्र , पहले समझने और फ़िर बनाने लगे । बात यदि यहीं तक रुकती तो भी चलिए क्षम्य होती शायद , मगर हममें से ही कुछ मित्रों ने अनाम बेनाम गुमनाम बनके , टिप्पणी और पोस्टों के माध्यम से इस तरह का रास्ता अख्तियार किया जो कभी किसी के अपमान से होकर गुजरता था तो किसी की बदनामी से वास्ता रखता था । हालांकि ऐसे समय में मुझे अक्सर दो बातों को लेकर शिकायत रही वो भी उन मित्रों से जो तकनीकी रूप से बहुत सबल हैं कि अथक प्रयासों के बावजूद आज तक एक भी ऐसा चेहरा सामने नहीं लाया जा सका कि जिसके लिए कहा जा सकता कि ये है वो जिसने अंधेरे में रहते हुए सब कुछ करना /करवाना चाहा .......हालांकि मैं जानता हूं कि इस दिशा में प्रयास चल रहे हैं और जिस दिन किसी को ठोस सफ़लता मिली आधी समस्या का अंत तो उसी दिन हो जाएगा । इस मामले में दूसरी शिकायत मुझे एग्रीगेटर्स से भी है , आखिर क्या जरूरी है कि ऐसी विवाद वाली पोस्टों , बेहूदा शीर्षकों , दूसरों के नाम उछाल कर लिखने वाली पोस्टों , और इस तरह की मंशा से लिखी गई सभी पोस्टों को ऐग्रीगेटर्स क्यों आने देते हैं और आने के बाद भी रहने देते हैं । सोचिए यदि ऐसी पोस्टों को पाठक ही न मिलें , कोई पढे ही न, कोई प्रतिक्रिया ही न दे तो ........तो भी क्या माहौल अशांत हो पाएगा ????और हां सबसे जरूरी बात तो ये कि इस कसौटी पर सबको रख दिया जाए , किसी का नाम नहीं , किसी का ओहदा नहीं , नया पुराना नहीं , स्थापित और नया लिक्खाड भी नहीं कुछ नहीं ,सबके साथ सिर्फ़ एक ही व्यवहार ॥
अब बात करते हैं विश्व स्तरीय ब्लोग्गिंग की ...जी हां विश्व स्तरीय ब्लोग्गिंग के गुण अब हिंदी ब्लोग्गिंग में भी तो आने लगे हैं न .......अब देखिए न एक्शन तो पहले से ही चलता रहा है और अब तो अब तो ये और भी बढ रहा है ....अनामी बेनामी सुनामी बन कर लोग एक दूसरे से भितरघात को बखूबी निभा पा रहे हैं , और इसके अलावा जो भी हिंदी ब्लोग्गिंग को आभासी दुनिया करार देने में लगे हुए हैं , उन्हें भी अब ये समझ लेना चाहिए कि चाहे ऐसे या वैसे सभी आभासी तो हो ही रहे हैं । मगर मैं यहां फ़िर उसी बात को दोहराऊंगा कि जब बात आभासी दुनिया की होती है और लोग इसकी वकालत करते हैं तो फ़िर कोई मित्र क्यों किसी की पोस्ट से टिप्पणी से आहत होते ही उसके नाम से जो मन में आया लिख मारते हैं । अभी हाल ही के एक विवाद में , एक तरफ़ तो हिंदी ब्लोग्गिंग में उस खास नाम से किसी संवेदना , आत्मीयता होने का दावा किया जा रहा है , मगर उसके लिए किसी से भी ( बेशक ये किन्हीं एक नाम के इर्द गिर्द घुमाया जा रहा है , मगर प्रयास तो सामूहिक ही था ) कम से कम एक बार स्नेहपूर्वक गुजारिश तो करनी ही चाहिए थी ....मगर फ़िर आभासी होने हवाने का दावा करने वालों ने शायद इसे ठीक रास्ता नहीं माना चलिए ठीक भी था ........हालांकि मुझे अब भी संदेह है कि यदि यही सब किसी रिचर्डसन, राबर्ट , या ऐसे ही नाम और सुदूर नागरिकता वाले के साथ जुडता तो भी क्या उसे ये सब समझाया या जताया जा सकता था , तो अब जब बिना ये सब किए ....वो तथाकथित आभासी दुनिया वाले कदम को ही उचित माना गया तो फ़िर उसके अनुरूप ही आगे के लिए भी तैयार ही रहना चाहिए ।
आप सोच रहे होंगे कि लो ......अब झाजी भी पता नहीं क्या अनाप शनाप लिख कर सबको धमकाने में लगे हैं .....नहीं जी बिल्कुल नहीं मैं तो आपको आने वाला कल दिखा रहा हूं । और जो हालात हैं न यदि अब भी सब कुछ सही दिशा में नहीं गया तो वो दिन भी दूर नहीं जब ...हिंदी के ब्लोग्गर भी प्रसिद्ध हो रहे होंगे , सुर्खियों में आ रहे होंगे ......जी हां अपनी लेखनी की वजह से ही ,अपनी टिप्पणियों और सबसे बढ कर अपनी अच्छी नीयत और बदनीयती के लिए भी । शुक्र मनाईये कि अभी सायबर कानूनों ने अपना पंख पसारा नहीं है , अन्यथा मौजू उडान भरने वाले तमाम परिंदों , टिप्पणियों में कैसी भी भाषा इस्तेमाल करने की तथाकथित स्पष्टवादिता के सहारे कुछ भी लिख जाते हैं ......तो तैयार हैं न विश्व स्तरीय स्तर हासिल करने के लिए ?????????????????????
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
मैं तैयार हूँ...
जवाब देंहटाएंओ.के.
जवाब देंहटाएंऔर सब तो ठीक है झा साहब लेकिन मैले की गगरी काहें अग्रीगेटर के सर फोड़ने को कह रहे हैं -अब यह भी वही करें ?
जवाब देंहटाएंआपसे सहमत हैं।
जवाब देंहटाएंसजगता की दरकार है.
जवाब देंहटाएंमुझ बेनामी का भी नाम ले लिए रहते जो तमाम नामियों से अच्छी है। नाम 'अनामदास' हो, 'उन्मुक्त' हो, 'ई स्वामी' हो, 'ई गुरु' हो ...ये क्षद्मनामी बेनामी अनामी तो तमाम नामियों से बेहतर हैं।
जवाब देंहटाएंकल का सच दिखने का सार्थक प्रयास...
जवाब देंहटाएं@ आदरणीय बेनामी जी आ तो सच कहूं तो उन तमाम छद्म नाम बेनामियों के लिए एक बहुत बडा और करारे तमाचे की तरह हैं जो बेनामी होने /बने रहने का ...सिर्फ़ एक ही मकसद जानते हैं , आप जो भी हैं जैसे भी हैं , हम चाहते हैं कि इसी तरह से मार्गदर्शन देते रहें ब्लोगजगत को और बेनामियों को भी
जवाब देंहटाएंअजय कुमार झा
अच्छे स्तरके चक्कर में नये लेखक कहां जायेगे इस पर भी विचार बाकी है लेकिन स्तर तो होना ही चाहिये
जवाब देंहटाएंअब कौन पीछे हटाने वाला है कोई भी स्तरीय हो हम सब तैयार है.. अब तो आदत सी हो गई है ऐसे जीने में.. और जब आप जैसा कदम कदम पर राह बताने वाला भाई साथ में हो तो बात ही क्या कहना...
जवाब देंहटाएंइस राह के मुसाफिर... हमको भी साथ ले ले....
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
क्या बात है , बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंसही कहा अपने कानूनों की नजर तो एक ही दिशा में होती है
जवाब देंहटाएंकहाँ लफड़ा है चलो वसूली को . इस क्षेत्र में होने के कारण इस बात को आप ज्यादा अच्छे से समझ सकते हैं
वैसे all is well एक अच्छा मंत्र है :)
अपनु ने तो प्रयास कब से शुरू कर दिया था, निर्भय ब्लॉग़िंग शुरू की थी, और करेंगे। इतना ही नहीं पुराने ब्लॉग़रों को पटड़ी पर लाने का यत्न भी शुरू कर दिया है।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन।
जवाब देंहटाएंमैं तैयार हूँ विश्वस्तरीय ब्लॉगिंग के लिए,
जवाब देंहटाएंनिम्नस्तरीय ब्लॉगिंग के लिए कदापि नहीं
बी एस पाबला
अजय जी! यदि हम सब ठान लें कि हमें हिन्दी ब्लोग्स में अच्छी सामग्री ही देना है तो संसार की कोई ताकत नहीं है जो हिन्दी को विश्वस्तरीय होने से रोक सके।
जवाब देंहटाएंमेरे विचार से एग्रीगेटर्स का कहीं भी कोई दोष नहीं है। वे तो वही दिखाते हैं जिसे अधिक लोगों ने देखा, पसंद किया और टिप्पणी की। अब यदि हमारे बीच अच्छी सामग्री के बदले विवादास्पद वस्तुएँ ही अधि लोकप्रिय होती है तो इसमें दोष एग्रीगेटर्स का नहीं बल्कि हमारी मानसिकता का ही है। हमें ही अपनी मानसिकता बदलनी होगी और हिन्दी ब्लोगिंग को सही दिशा देनी होगी।
आदरणीय मिश्रा जी और अवधिया जी ,आपकी बात से पूर्णतया सहमत ,और ऐग्रीगेटर्स वाली बात से मेरा तात्पर्य सिर्फ़ इतना है कि यदि कुछ मित्र ब्लोग्गर जाने अनजाने ऐसा कर जाते हैं तो एक छन्नी की तरह की प्रक्रिया के तहत उन्हें रोकने की कोई सुविधा हो तो बेहतर है
जवाब देंहटाएंअजय कुमार झा
सहमत है जी आपसे।
जवाब देंहटाएंसहमत है आपसे और तैयार भी.
जवाब देंहटाएंरामराम.
समझ तो कुछ नहीं आया झा जी सायद मेरी अल्प बुद्धि की बजह से मगर आप के साथ हूँ
जवाब देंहटाएंसादर
प्रवीण पथिक
9971969084
hum taiyaar hai ...
जवाब देंहटाएंbigul baj gaya hai phir kis baat ki deri,hum to teyaar hai bas aapke saath ki deri hai.. :)
जवाब देंहटाएंअजय भाई मेरी मै ही जान रहा हू. सवेरे आपको किये बादे के मुताविक टिप्पणी को पोस्ट बनाया था लेकिन शाम को काम धाम से वापिस आये तो क्या देख कि सिर्फ़ आपकी सलाह का फ़ोटू रह गया वाकी सब गायब. अब ये भी बता दो कि तुम्हारी सलाह मानने मे और क्या क्या दिक्कते आ सकती है.
जवाब देंहटाएंये समझ लो आज अपनी इस ब्लोग जगत मे ये हालत हो गई है जैसी बैडिट क्वीन मे फ़ूलन देवी की हो गयी थी.
मैने पोस्ट हटा ली है. लेकिन अब ये तय कर लिया है कि जो लिखो पहले अपने पास सेव कर लो. ईमान धरम का जमाना ही नही रहा.
थोडी लिखी बहुत समझना
हरि शर्मा
०९००१८९६०७९