अभी कुछ समय पहले भविष्यवाणी की गई थी कि ३ और ४ फ़रवरी को मौसम खराब हो सकत है , हालांकि आमतौर पर भविष्यवाणियों में रुचि न होने के कारण मैं इसपर ध्यान नहीं दे पाता इसलिए इस बार भी ऐसा ही हुआ । मगर अबकी बार तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ कि इस बात पर अविश्वास किया जाए । अरे मौसम तो मौसम , जब ब्लोगवाणी पर आया तो देखा कि कुछ ब्लोग्स का तापमान ( जिसमें से एक तो खुद इस खाकसार का था ) माईनस डिग्री में चल रह है , कई ब्लोगस पर तो पढा गया दिख रहा था दो और एक दूसरा स्कोर है ना ....पसंद ..वो ज्यादा था ..यानि माईनस तीन या माईनस चार । मुझे तब जाके पक्का यकीन हो गया कि , और मुझे क्या ...मुझे तो लगता है कि खुद भविष्यवाणी करने वालों ने भी नहीं सोचा होगा कि मौसम इस कदर बिगडेगा कि उसका प्रभाव ब्लोगवाणी पर आने वाली कुछ पोस्टों तक पर पड जाएगा । मैं ये भी सोच रहा था कि अब तक तो मैं ग्लोबल वार्मिंग की बात सुन रहा था ....मगर इसके साथ साथ ही ब्लोगल वार्मिंग भी बढ रही है ..ये अब जाके पता चला ।
मैंने गौर किया तो पता चला कि मौसम की मार सिर्फ़ कुछ खास ब्लोग्स पर ही पडी है । किसी मित्र ने भी इस ओर ईशारा किया तो हमने धडाक से अपना एंगल दिखाते हुए उनसे फ़रमाया ....भाई मियां ...आप काहे इस टाईप से सोच रहे हो ...ऐसे सोचो न कि हम लोग अब खासमखास हो गए । अरे भाई जी ये सोचो बिना पढे ...सिर्फ़ नाम गाम देख कर ही कौनो आपको एक चटका लगा दे रहा है तो होईए गए न खासमखास । वो फ़िर कहने लगे ...मगर यार इसके बावजूद भी उस पोस्ट को ढेरमढेर लोग पढ जाते हैं , टीप जाते हैं ....ई तो महाकंफ़्यूजन है जी । लो ये तो ह्यूमन सायोकोलोजी है भाई मियां ......जो उसे नापसंद करके चटकाते हैं वे चटकाने के बाद पढते हैं ...और बकिया लोग बाग इस लिए पढते हैं कि ....यार आखिर ऐसा क्या घटिया लिख दिया कि इत्ता नापसंद किया जा रहा है ???? यानि कुल मिला के ढाक के तीन पात ।
अमा भाई मियां , हमने तो सुना है कि ई नापसंद वाले मित्र लोग एतना डेडिकेटेड हैं कि बेचारे खानी पीना सोना जागना सब हराम करके सिर्फ़ इसी ताक में रहते हैं कि कब वो पोस्टें आएं जिनका टेम्प्रेचर नाप के उनको माईनस में पहुंचाया जाना है । गज़ब का डेडिकेशन है जी , हम तो फ़ुल फ़्लौट फ़िदा टाईप हो गए हैं उनके समर्पण भाव पर । चलिए अच्छा है ........हमें तो ऐसा लगता है कि नापसंद में भी एक ठो छोटा सा ही सही पसंद ( और देखा जाए तो बडा सा पसंद , क्योंकि ना तो खुदे उसके आगे छोटा बन जाता है ) तो घुसा ही रहता है । उफ़्फ़ ये ग्लोबल वार्मिंग .........अरे धत तेरे कि ....ब्लोगल वार्मिंग या कोल्डिंग ....कितना तेजी से बढ रही है ??????
जब आप ऊंचाई पर हों... और विरोधी काफी हों.... तो इसका यही मतलब है कि आप तरक्की पर हो....
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा ....बढ़िया व्यंग..सटीक... इ सब चटका का कमाल है...
जवाब देंहटाएंठेंगा उल्टा हो या सीधा असर कर ही जाता है।
जवाब देंहटाएं..रंग है।
हां ये तो है कि ग्लोबल कोल्डिंग का असर विशेष ब्लाग पे पड़ा है।
जवाब देंहटाएंआगे महफ़ुज मिंया ने तो कह ही दिया है।
उनसे सहमत है।
बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंक्या बात है झा साहब
जवाब देंहटाएंसही कहा है आपने तापमान का असर
तो पड़ा है भाई.
यानि कि नापसंदगी भी कोई घाटे का सौदा नहीं है :)
जवाब देंहटाएंये सही कही आपने, मोसम का असर हुआ भी तो उसे ताडने वाले ब्लॉग वैज्ञानिक भी आप ही हो सकते है ....ये हमारे बस का तो न था !! बहुत अच्छा व्यंग है ..
जवाब देंहटाएंhttp://kavyamanjusha.blogspot.com/
नौसम बहुते खराब हो चला है झा जी!
जवाब देंहटाएंब्लोगल वार्मिंग ....मौसम है कातिलाना ...:)
जवाब देंहटाएंतापमान जब माईनस में हो तो ब्लोअर चला लेना चाहिये.
जवाब देंहटाएंहो आज मौसम बड़ा बेईमान है, बेईमान है,
जवाब देंहटाएंआने वाला कोई तूफान है, कोई तूफान है,
आज मौसम बड़ा...
जय हिंद...
हा हा अजय भाई जब अंगूठा नीचे वाली फ़ैसिलिटी मिली है तो पाठक कैसे भी उपयोग कर सकता है। वैसे आज हम भी इसका पहली बार शिकार हुए हैं।
जवाब देंहटाएंबिना पढे ...सिर्फ़ नाम गाम देख कर ही कौनो आपको एक चटका लगा दे रहा है तो होईए गए न खासमखास।
जवाब देंहटाएंयही सच है
बी एस पाबला
"...सिर्फ़ नाम गाम देख कर ही कौनो आपको एक चटका लगा दे रहा है तो होईए गए न खासमखास । वो फ़िर कहने लगे ...मगर यार इसके बावजूद भी उस पोस्ट को ढेरमढेर लोग पढ जाते हैं , टीप जाते हैं ....ई तो महाकंफ़्यूजन है जी । लो ये तो ह्यूमन सायोकोलोजी है भाई मियां ......जो उसे नापसंद करके चटकाते हैं वे चटकाने के बाद पढते हैं ...और बकिया लोग बाग इस लिए पढते हैं कि ....यार आखिर ऐसा क्या घटिया लिख दिया कि इत्ता नापसंद किया जा रहा है ????"
जवाब देंहटाएंबदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा?
"बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा"
जवाब देंहटाएंसौजन्य : अवधिया जी
बद अच्छा बदनाम बुरा
कोई बात नही, रात के बाद फ़िर सुबह होगी अबःई रात को जश्न मनाने दिजिये मालिक.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सही कहा… "सिर्फ़ नाम देखकर" माइनस पर चटका लगाने पर भी वह ब्लॉगर तो लोकप्रिय है ही… वरना जिसने माइनस का चटका लगाया है, वह अपनी टिप्पणी में भी तो कुछ लिखता… आलोचना करता, गरियाता… :) लेकिन उसे सिर्फ़ पसन्द का आँकड़ा घटाने में इंटरेस्ट है…। हो तो रहा है यह सब, लेकिन हिन्दी पट्टी के गोबर ब्लॉगरों को ऊपर उठने में अभी थोड़ा समय लगेगा… :) :)
जवाब देंहटाएं(आखिरी वाक्य मेरा नहीं है अंग्रेजी ब्लॉग से उधार लिया है)
Sach kaha gaya hai ki apni prasiddhi ka aanklan apne virodhiyon ki sankhya se karna chahiye.. :)
जवाब देंहटाएंbaki sab theek hai..
Jai Hind...