रविवार, 13 जनवरी 2008

समझ गया मैं च j ई kaa मतलब

कुछ दिनों के अंतराल के बाद यहाँ चिट्ठाकार करने के लिए दोबारा पहुंचा तो पता चला कि आजकल किसी च जे ई की काफी चर्चा हो रही है । चारों तरफ सिर्फ उसी का गुणगान चल रहा है , परिचर्चाएँ हो रही हैं , शोध चल रहा है और तो और कई विद्वान् लोग तो बकायादा इस पर ग्रंथ तक रचने की योजना तक बना रहे हैं । हमने कहा ये तो हद हो थोडे दिन क्या दूर हुए यहाँ तो सारा माजरा ही बदला हुआ है । ये अचानक कौन सा नया सुतरा इस चित्थाकारे में अविह्स्कृत हो गया गुप चुप, चिंता में पड़ गए कि यदि जल्दी ही ना समझ पाए तो हो गयी सारी म्हणत बेकार। फिर ये भी लगा कि लानत है यार हम पर इतने दिनों तक क्या सिर्फ झक मारते रहे जो इतने महत्वपूर्ण सूत्र आदि के बारे में कुछ जान ना सके ; थोडी और गहराई में गए तो पता चला कि असली बात तो यही है हमारी तरह ही बांकी फालतू चिट्ठाकार बंधू भी इसी का भावार्थ तलाशने में लगे हुए हैं। काफी मंतःन और विश्लेषण के उपरांत अपने तमाम साहितिक अनुभव को लगते हुए हम जिस निष्कर्ष पर पहुंचे और हमें जैसे अर्थ मिले वो ठीक ठीक वैसे ही आपके सामने रख रहे हैं।:-

च जे ई ;- यानी कि चले जाओ इहाँ से , मतबल फौरन से भी पेश्तर दफा हो जाओ इहाँ से , तुम जैसे चिरकुट लेखक और फटीचर विचार वालों कि यहाँ कई जरूरत नहीं है ,खामखा अपना पैसा और दूसरों का वक़्त खराब कर रहे हो । हमने सोचा ठीक ही कह रहा है , परन्तु भाई क्यों जाएँ यहाँ से , अबे जब हमसे भी सादे गले विचार यहाँ लोगों को झेलने को मिल रहे हैं तो हमारे भी झेलो ना यार प्लीज़।

च जे ई - चल झपट ईनाम :- हमें लगा कि हो न हो शायद यही मतलब होगा इसका , वैसे भी जब से ये पता चला ही कि ई ब्लोग्गिंग कर के बहुत लोग तो पता नहीं कितना नवां पीट रहे हैं हमें तो लगता है कि हे भगवान् किसी भी सूरत में हमें भी तो कम से कम शगुन के तौर पर ही सही सवा रुपैया ही सही मिलना तो चाहिए ही। तो शायद कूनो बाबु भैया तरस खा के कोई ईनाम विनाम देने के बारे में सोच रहे हों सो भैया खुलाम्खुल्ला दावत है झपट लो।

च जे ई ;- चाइना जगत का ईनाम , मतबल ये जैसा हम ब्लोग लिखते हैं उससे तो भैया यहे लगता है कि सिर्फ और सिर्फ चिना बाज़ार का हरेक माल पांच रुपैया के किसी इनाम के ही हक़दार हैं सिर्फ ।

तो ये सरे फूल फॉर्म ही वे थे जो हमारे जैसे उच्च विचार वाले ब्लोग साहित्यकार के दिमाग में आये ।
क्या आपको कोई अर्थ पता चला ?

2 टिप्‍पणियां:

  1. हम समझते हैं कि अगर वर्णों को इधर उधर घुमा दिया जाए और एकाध को मिला दिया जाए तो एक नया शब्द जो बनेगा....वह होगा...
    च ज ई = जची ... जो जचेगी...उसे ही ईनाम मिलेगा. :)

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला

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