रविवार, 13 जनवरी 2008

आईये ब्लोग जगत को सार्थक बनायें

मैं जानता हूँ कि शायद शीर्षक को पढ़ कर बहुत से लोगों के मन में कुछ इस तरह की बातें आ सकती हैं । ब्लोग जगत को सार्थक बनाने का क्या तात्पर्य , क्या अभी चिट्ठाकारी जो हो रही है या की जा रही है वो सार्थक नहीं है , यदि ऐसा है तो कैसे है , या फिर ये भी कि यदि ब्लोग जगत को भी सार्थकता की कसौटी पर ही कास कर देखना है तो फिर इसकी स्वन्त्रन्ता और इसकी असिमित्ता क्या अर्थ रह जाएगा। मगर यकीन मानिए मेरा इस सब से कोई सरोकार नहीं हैं , मैं सिर्फ कुछ बातों पर कुछ खास लोगों का ध्यान दिलवाना चाहता हूँ । ये एक कटु सत्य है कि आज चिट्ठाकारी की इतनी चर्चा और इतनी लोकप्रियता होने के बावजूद अब भी कुल पंद्रह सौ लोग भी नियमित ऐसे नहीं हैं जो चिट्ठाकार कर रहे हैं या फिर कि हम जिन्हें चिट्ठाकार के रुप पहचानते हों। आज भी चिट्ठाकार की दुनिया बहुत से लिहाजों से सीमित जान पड़ती है । तो मैं कुछ लोगों से ये बातें ,ये गुजारिश तो जरूर करना चाहूँगा:-

बडे और चर्चित ब्लोग्गेर्स से : - हमारे सभी बडे ब्लोग्गेर्स और लेखकों से मेरा यही आग्रह है कि वे अन्य जिस भी माध्यम से जुडे हैं वहाँ ये प्रयास करें कि ब्लोग्गिंग के प्रति लोगों कि रूचि बढे कम से कम हिन्दी भाषा में ब्लोग्गिन करने के लिए तो जरूर ही प्रेरित करने की जरूरत है । जैसे कि मोहल्ला वाले अविनाश भाई रविवार को जनसत्ता के परिशिष्ट में एक विशेष स्तंभ ब्लोग पर लिखते हैं जिसमें चित्थाकारे और चिट्ठाकारों कि चर्चा रहती है , ऐसे ही नवभारत तिमेस के रविवार संस्करण में भी ब्लोग्गेर्स का कोना के नाम से शायद एक स्तंभ रहता है। इतना तय है कि चिट्ठाकारी से जितने ज्यादा लोग जुडेंगे उतनी ही यह समृद्ध होगी । मैं खुद अपने स्तर पर ये काम कर रह हूँ और अपने आगामी आलेख के अलावा मैंने बीबीसी हिन्दी रेडियो सेवा को ब्लोग्गिंग विशेषकर हिन्दी ब्लोग्गिंग पर एक प्रस्तुति पेश करने का आग्रह किया है ।

अग्ग्रेगातोर्स से :- यूं तो ब्लोग अग्ग्रेगातोर्स आज की तिथि में बेहद प्रशंन्शिनीय कार्य कर रहे हैं मगर मेरा उनसे आग्रह है कि वे दो बातों पर थोडा और ध्यान दें पहला ब्लोग्गेर्स को उनसे जुड़ने का और सरल तरीका ताकि कोई भी आसानी से अपने चिट्ठे को उनकी साईट पर दिहा सके । दूसरा प्रोत्साहन का काम । हालांकि बहुत से अग्ग्रेगातोर्स अपनी तरफ से कई तरह की प्रतियोगिताएं आयोजित करते हैं मगर जरूरत है इसे थोडा और ज्यादा विस्तार देने कि । मेरे कहने का मतलब है कि कोई एक ऐसी व्यवस्था जरूर बनाए जाने चाहिए जो नए लोगों के लिखने को प्रोत्साहित करने का काम करे। मेरा मतलब सप्ताह का अच्छा लेख , अच्छा व्यंग्य , अच्छा ब्लोग, अच्छा ब्लोग , नया ब्लॉगर , सबसे ज्यादा टिप्पणी करने वाला । रुचिका टिप्पणी करने वाला आदि जैसी तालिका भी बनाने कि कोशिश करें तो और बेहतर हो सकता है ये सब।

चिट्ठाकार मित्रों से ;- ये ठीक है कि चिट्ठाकार करने का मतलब है कि जो हमारे मन में है वो सब कुछ इस पर उकेर देना चाहे जिस भी रुप में हो जिस भी विधा में हो ,शुद्ध हो या अशुद्ध हो , तार्किक हो या अतार्किक हो , सही मायने में यही तो चिट्ठाकारी है। ठीक है मगर मैं उन लोगों को बता दूं कि भविष्य में ऐसा नहीं रहने वाला है बहुत जल्दी चिट्ठाकार और चिट्ठाकारी एक शाशाक्त और प्रबाव्कारी भूमिका में नज़र आएंगे तो ये तो उन्हें समझना ही होगा कि यदि वे भी इस जिम्मेदार समूह के सदस्य हैं तो उनकी भी कुछ ना कुछ तो जिम्मेदारी तो बंटी ही है । इसलिए मेरे कहने का मतलब ये है कि अपनी लेखनी को जहाँ तक हो सके धारदार बनाने का प्रयास जारी रखें।

फिलहाल इतना ही ,

आपका अपना
अजय कुमार झा
फोन 9871205767

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी बात का अनुमोदन करते हैं. आईए वाकई में उत्साह के साथ इस दिशा में कार्य करें.

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  2. हिन्दी ब्लाग जगत क़ी उन्नति के लिए मिलजुलकर ठोस प्रयास करने क़ी ज़रूरत है सबसे निहायत ज़रूरी है क़ी हिन्दी ब्लाग जगत को गुट बाजी से परे रखना होगा. आपके विचारो से मै सहमत हूँ

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  3. aap logon kaa bahut bahut dhanyavaad. meri koshish to yahee rahegee ki aane wale samay mein is blogging kaa jyaadaa saarthak upyog kar sakoon.

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  4. आपने सही कहा लेखनी को धारदार बनाना ही होगा साथ ही विषय का चयन भी सोच-समझ कर करना होगा। आपका लिखा प्रभावी लगता है पर एक बात हमेशा खटकती है वो यह की मात्रा और वर्तनीगत अशुध्दियां बहुत है।

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला

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