सोमवार, 3 मार्च 2008

कमजोर हिन्दी नहीं हम हैं ?

मैं ये बातें तब करना चाहता था जब देश में हिन्दी दिवस, हिन्दी पखवाडा या की हिन्दी माह मनाने का दिखावा किया जाता है, क्योंकि हमेशा इसके पीछे सिर्फ़ एक ही तर्क दिया जाता है कि ये सब हिन्दी को उसकी खोई हुई गरिमा दिलाने , या फिर की उसका सही स्थान दिलाने , या यूं कहें की उसे राष्ट्रीय भाषा के रूप में पहचान दिलाने के लिए किया जाता है और ना जाने कब से किया जा रहा है। मगर जब से मैंने होश सम्भाला है तब से तो मैं यही देख रहा हूँ , और तभी से मुझे कभी भी और कैसे भी ये नहीं लगा कि हिन्दी कमजोर है । किससे कमजोर है ? अंग्रेज़ी से , या किसी क्षेतिर्य भाषा से , या फिर अपने आप से ही। यहाँ भी हमारे कई चिट्ठाकारों ने हिन्दी भाषा की दिशा और दशा पर बहुत कुछ लिखा है और कईयों ने तो यहाँ तक उम्मीद जताई है कि एक न एक दिन हम हिन्दी को उसकी इज्ज़त दिला कर रहेंगे। भाई कैसी इज्ज़त और कौन सा स्थान। सब बेकार की बातें हैं।

आज सबसे ज्यादा अखबार किस भाषा के हैं,मनोरंजन हो या समाचार , सबसे ज्यादा टी वी चैनेल्स किस भाषा के हैं,लोग अभी भी पिक्चर देखने के लिए परिवार के साथ कौन सी भाषा की पिक्चर देखने के लिए जाते हैं, मुझे नहीं पता कि ये साक्छात्कार और बड़े बड़े mआंच पर अंग्रेज़ी झाड़ने वाले सभी नेता और अभिनेता अपने नाई से , अपने माली से, अपने धोबी से यहाँ तक कि अपने माँ बाप और बच्चों से किस भाषा में बात करते हैं। आप ख़ुद ही सोचिये कि हममें से कितने लोग ऐसे हैं जो किसी से मिलते हैं तो बात अंग्रेज़ी में करते हैं , एक दूसरे का अभिवादन अंग्रेज़ी में करते हैं , झगडा होने पर कितने ऐसे लोग हैं जो गाली अंग्रेज़ी में देते हैं। सोच कर देखिये जवाब ख़ुद बा ख़ुद मिल जायेगा।

अन्तिम सच तो सिर्फ़ ये है कि आज भी हिन्दी उतनी ही समृद्ध उतनी ही समर्थ और उतनी ही सशक्त है जितनी पहले थी। हाँ यदि कोई ये सोच या समझ रहा है या कि समझाना चाह रहा है कि हिन्दी जल्दी ही अमेरिका वाले और इंग्लैंड वाले बोलेंगे तो ये कभी सम्भव नहीं है। एक और दूसरी जरूरी बात भाषा कोई ख़राब या अच्छे नहीं होती जरूर ये है कि आपका उसके प्रत्ति ज्ञान और नज़रिया क्या है। मैंने ख़ुद अंग्रेज़ी में प्रतिष्ठा के साथ स्नातक की उपाधी ली है, और अंग्रेज़ी में भी ब्लोग्गिंग करता हूँ पर सच यही है किखुद को हिन्दी में जितना सहज पाता हूँ उतना अंग्रेज़ी में नहीं. मैं अंग्रेज़ी या और भी अन्य भाषाओं की इज्ज़त करता हूँ मगर हिन्दी से बेंथा मोहब्बत करता हूँ और ये किसी के समझाने या बताने से कम या ज्यादा नहीं हो सकती.

6 टिप्‍पणियां:

  1. hindi kamjor nahi hai,sashakt hai aaj bhi kal thi aur kal rahegi.hindi si mithas aur kaha.

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  2. अजय जी,आप जेसे विचार सभी के हो जाये तो कितना अच्छा हो.उच्च विचार

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  3. समस्या और हिन्दी से स्नेह दोनों जायज है, आप का..।

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  4. शत प्रतिशत सहमति

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  5. हिन्दी के लिए लगाव काबिले तारीफ है। आपने सही कहा की हिन्दी आज भी समृद्ध और सशक्त है।

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  6. aap sab kaa shukriya padhne ke liye bhee aur sahmati ke liye bhee.

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला

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