वैसे तो रोहतक तिलियार की ब्लॉगर बैठक के बारे में , उस दिन ब्लॉग बैठक में हुई बातचीत , विमर्श के अलावा बांकी सब कुछ आप पढ ही चुके हैं , अरे बल्कि इतना पढ चुके हैं कि ...बस एक पेशेवर ब्लॉगर ही इतना झेल सकता है ..वरना टहलुआ ब्लॉगर तो दूर से ही बिदक के निकल लिया होगा ...ये सोच कर अबे छोडो ..तिलियार झील का नाम सुन के तो अब आत्महत्या करने को कर रहा है ...खैर ये उनकी राय हो सकती है । मगर मुझे लगा कि इस ब्लॉग बैठक की सभी रिपोर्टों को अब तक पाठकों को वो सब पता चल गया जो कि सुबह ११ बजे से पहले और शाम चार बजे के बाद हुआ था , मगर बीच में ब्लॉगर क्या कहते सुनते रहे ये नहीं पता चल पाया है तो इसके बावजूद कि ब्लॉगर बैठक की एक और रिपोर्ट ...उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ नहींईईईईईई ....लीजीए पढ जाईये । लेकिन एक बात बताईये ...ब्लॉगर ब्लॉग की बात नहीं करेगा तो दूसरा उसकी बात कैसे करेगा और जब ब्लॉगर ..ब्लॉग की बात करेगा तो ब्लॉगर बैठक की बात भी करेगा और जब ब्लॉगर बैठक की बात करेगा तो रिपोर्ट तो लिखनी ही पडेगी न ..
जहां तक मुझे याद है कि उस दिन जब हम वहां पहुंचे तो भाई ललित शर्मा जी ने , अंतर सोहिल जी ने , नीरज जाट जी और अन्य मित्रों ने बडी ही गर्मजोशी से हमारा स्वागत किया और हम बढ चले इस सेमिनार हॉल की तरफ़ .
..बताईये किसी ने बताया दिखाया आपको कि सेमिनार हॉल में ही ब्लॉगर बैठक हुई थी , इसके बाहर जो भी हुआ वो कम से कम किसी ब्लॉगर बैठक का हिस्सा नहीं था , क्योंकि मुझे याद है कि खुद कम से कम तीन बार ...लघुशंका हेतु बाहर गया था ..और मेरे ख्याल से शायद डॉ प्रवीण जी मुझे वहां दिखे थे ...। तो सेमिनार हॉल में हमें राज भाटिया जी , डॉ अकेला , और अन्य मित्रगण बैठे मिले , सभी ब्लॉगर मित्रगण एक दूसरे को अपना नाम बता कर आभासी रिश्ते को महसूस कर रहे थे ।
रास्ते में ही हमें सूचना मिल चुकी थी कि भाई राजीव तनेजा जी भाभी संजू तनेजा जी , प्रख्यात ज्योतिषविद ब्लॉगर संगीता पुरी जी और ब्लॉग जगत पर अपने स्नेह की छाया बिखेरती निर्मला कपिला जी बस पहुंचने वाले हैं और भाई अलबेला जी हवा में टंग के उतरने के बाद रास्ते में कहीं टंगे पडे हैं । सबसे पहले शाहनवाज भाई ने लपक कर लैपटॉप के अंदर करंट छोड दिया ताकि वो फ़ौरन उर्जावान हो जाए । और खुशदीप भाई जो कार से उतरते हुए आस्तीन समेटी थी उसका कारण मुझे तब समझ में आया जब खुशदीप भाई ने लैपटॉप की आत्मा को बस पलक भर के लपलपाते देखा कि फ़ट से जम गए और कहा कि यार ये टाईपिंग करते हुए ये आस्तीनें बहुत तंग करती हैं ....और बस वो पहली वाली रिपोर्ट तो याद है न ..नुक्कड पे अरे इस पोस्ट के साथ एक और मजेदार बात हुई थी ...पहला कमेंट करने के लिए निर्मला कपिला जी को पकडा दिया गया ..अब चूंको खुशदीप भाई ऑलरेडी लॉगिन थे इसलिए ..जब वो टिप्पणी छपी तो लिखा हुआ या ...बेटा ये ब्लॉग बैठक ...और ऐसा ही कुछ ...टिप्पणीकार कौन ...खुद भाई खुशदीप ...हा हा हा हा हा । बस फ़ौरन से पेशतर खुशदीप भाई ने लैपटॉप लिया ..और देशनामा को गोद में ही लिए रहे ..पूरे ब्लॉग बैठक के दौरान ।
मगर एक और खूबसूरत बात उन्होंने ये की कि , किस ब्लॉगर ने क्या कहा ये लिखने नोट करने की जगह उसे टाईप करना शुरू कर दिया ..अजी छोडिए छोडिए ..कोई ब्लॉग सेवा नहीं चल रही थी ...ये थी वो दूसरी पोस्ट ...खुशदीप भाई के देशनामा पर ।
सबसे पहले बैठे हुए थे डॉ अकेला , जिन्होंने बताया कि उनका ब्लॉग सफ़र अभी उतना लंबा नहीं है और जो कुछ उन्होंने लिखा था अब तक वो अनछुआ सा है और अब जाकर वे उसे दोबारा हमारे बीच ले कर आएंगे । इसी बीच उधर से खुशदीप भाई ने सबके लिए एक एक शर्त रख दी कि सबको अपनी एक कमजोरी भी बतानी होगी .मैं सोच रहा था कि यदि ..किसी ने जानना चाहा कि क्या उन्हें छापा जाएगा .....तो मैं फ़ौरन ही कहूंगा ..अमां कमाल है यार ....वे तो हाईलायटेड स्टफ़ होगा भाई पाठको के लिए ...उधर से अगली सलाह हमारे मुंह से टपक पडी कि ....आपने ब्लॉग्गिंग में आने से पहले और अब आने के बाद किस तरफ़ का अंतर महसूस किया है ...कोई जरूरी नहीं है कि खुद महसूस किया हो ....कई बार तो जबरन महसूस कराया गया ..बाई गॉड सच्ची यार ...हालांकि मैं तो बस इस ख्याल से ये विचार दे बैठा था कि ...यार कोई तो होगा जो ...ब्लॉग्गिंग के चक्कर में घर में ..बीवी के जूते ..मेरे से ज्यादा खाता होगा ..जो भी मिल गया ,उसी दिन से ..उसकी रीडरशिप सबस्क्राईब ...हर पोस्ट पर पहली टिप्पणी का बॉड भर के दे दूंगा ....आदि आदि टाईप के सारे जज्बात उडॆल दूंगा ...। तो बस सभी ने उसका उत्तर दिया । सबसे पहले खुशदीप भाई ने अपनी कमी बता दी ..अब मैं समझ गया कि सोचा होगा ..अबे चलो ये वाली कमी मैं ही बता देता हूं ..फ़र्स्ट फ़र्स्ट ...इत्ता बडा सर्कल बना हुआ है इन ब्लॉगर्स का ..क्या पता मेरी वाली कमजोरी कोई पहले ही बता दे ..अपना नंबर आने तक क्या पता सारी फ़ेवरिट वाली कमजोरियां हाथ से ही निकल जाएं ..सो दन्न से बोले कि ..हमे अपनी पोस्ट पर जब कोई टेढी टिप्पणी करता है तो हमारा भी खोपडा भन्ना जाता है फ़िर तो ..अबे चलो ..इत्ती मेहनत के बाद ..ऐसी बात ...तो मतलब कि ...गुस्सा आ जाता है ....ये तो सबकी कमी मानी जाएगी ..कसम से ब्लॉगर्सली (युनिवर्सली टाईप ) कमजोरी हो गई ये । हालांकि अभी मुझे सबकी बताई कमी ध्यान भी नहीं है कसम से ..अरे कुछ भूलूंगा भी कि नहीं ...
अब भाई नरेश सिंह राठौड जी का नंबर आ गया और उन्होंने ब्लॉगिंग में अपने आने का जो अनुभव सुनाया सुनकर शायद आपके रोंगटे खडे हो जाएं । उन्होंने बताया कि , कुछ वर्षों पहले वे नौकरीपेशा थे । एक दिन काम के दौरान उन्हें कंप्यूटर संबंधित कोई काम सौंपा गया , उन्होंने अपने समझ के मुताबिक उसे ठीक करने की कोशिश की । जाने कैसे भूलवश उसके कारण , अचानक शनिवार को काम रुक गया और फ़िर अगले दिन रविवार होने के कारण ठ्प्प पडा रहा । उन्हें अपरोक्ष से बताया कि पिछले डेढ दिनों में वहां उस बंदी के कारण हुए नुकसान का कारण उन्हें माना समझा जा रहा है और उसके बाद उन्होंने वो नौकरी छोड दी । उनका कंप्यूटर तकनीक से लगाव और उसके बाद ब्लॉग्गिंग में आना इसके बाद का ही किस्सा है । मैंने अपना नाम बताने के बाद अंत में ही कुछ कहने का आग्रह किया । इसके बाद ललित जी ने मोर्चा संभाला उन्होंने सबसे पहले बताया कि वे पिछले दिनों कोटा श्री दिनेश राय द्विवेदी जी , श्री अखतर खान अकेला जी से मुलाकात करते हुए ." वरिष्ठ बजकर्मी " इंदु पुरी जी के पुत्र के विवाह में सम्मलित हो कर यहां पधारे हैं । उन्होंने बताया कि , ब्लॉगिंग विशेषकर हिंदी ब्लॉग्गिंग एक वैश्विक परिवार की तरह से हो गया है । जिस अपनेपन और स्नेह से इंदु पुरी जी मिलीं उसका गवाह तो वो आंसू का कतरा थे जो चार जोडी नेत्रों से बह निकले थे । ललित भाई ने बताया कि , इंदु पुरी जी ने ब्लॉगर बारातियों के लिए अलग से ही ब्लॉगर ठिकाना ही बना दिया था ...यहां तक कि सीढीयां और दीवारें तक ब्लॉगर्स के स्वागत में बिछी हुई थीं
इंदु पुरी जी के घर का दृश्य ..पद्म सिंह सी जी के बज से उडाई गई एक फ़ोटो
...बताईये देखा था अब तक आपने ये दीवानापन ....गौर से पढियेगा ...उनसे खास गुजारिश है जिन्हें ब्लॉगर बैठकों में सार्थकता नहीं मिल पाती ...। इसके बाद उन्होंने बताया कि बहुत जल्दी ही वे छत्तीसगढ में ब्लॉगर और मीडिया को आमने सामने लाने जैसा कोई सम्मेलन आयोजित किए जाने का विचार बना रहे हैं । संगीता पुरी जी ने बताया कि वे ब्लॉगजगत में अपने विषय को लेकर गंभीरता से लिखती हैं और अपने पिताजी द्वारा सीखे गए गत्यात्मक ज्योतिष को अंतर्जाल पर रख रही हैं । संगीता जी ने बताया कि अब किसी भी शहर लगता है कि एक आध ब्लॉगर से मुलाकात तो हो ही जाएगी इसलिए अब कोई शहर अनजाना नहीं लगता ।
भाई राजीव तनेजा जी और भाभी संजू तनेजा ने भी अपने अपने अनुभव बांटे । इसके बाद निर्मला कपिला जी ने बताया कि उन्हें सबसे ज्यादा दिक्कत ब्लॉग्स को पढने में आती है , जब से ब्लॉगवाणी बंद हुआ है उन्हें काफ़ी दिक्कत आई है । यहां मैं एग्रीगेटर्स और ब्लॉग पढने लिखने के विषय में कुछ कहा जो मैं आखिर में ही एक साथ बताता हूं । उन्होंने बताया कि उनके दामाद जी इसमें उनकी बहुत मदद करते हैं । हमने मन ही मन सोचा कमाल है ..एक हमारी सास है ब्लॉग्गिंग में हमारी सहायता लेना तो दूर घर पर आती हैं ..तो कंप्यूटर को देखते हुए ...आंखों ही आंखों में ये कहती हैं ...अच्छा तो ये है मुंई वो मुन्नी ..जिसके लिए ..दामाद जी हमारी ..बिटिया रानी को ...दरकिनार किए रहते हैं ..नाम क्या है DELL.....हुंह ...अंग्रेज मुईं ।इसके बाद डॉ अरुणा कपूर ने भी अपने अनुभव बांटे और बताया कि जायका के नाम से वे टिप्पणी करती रही हैं ।
इसके बाद भाई संजय भास्कर और भाई हरदीप राणा ने अपनी अपनी बात कही । अब सामने थे योगेन्द्र मौदगिल जी ,उनका परिचय दिया भाई सतीश सक्सेना जी ने , वो चार जादुई पंक्तियां आप बहुत बार सुन ही चुके हैं और फ़िर उनसे आग्रह किया कि वे कुछ सौगात हमें भी दें अपनी कविताओं गज़लों का , उन्होंने कहा कि परिचय के इस दौर के खत्म होने के बाद वे जरूर ये फ़रमाईश पूरी करेंगे । इसके बाद सतीश भाई ने भी अपने अंदाज़ में अपनी बातें कहीं । इसके बाद डा प्रवीण चोपडा जी ने भी अपने ब्लॉगिंग के अनुभव को साझा किया और उन्हीं कठिनाईयों का जिक्र किया । इसके बाद केवल राम जी ने बताया कि उनका विषय भी हिंदी ब्लॉग्गिंग है और वे बडी ही बारीकी से इसकी सभी गतिविधियों पर नज़र रखे हुए हैं ।
अंतर सोहिल ने बडी ही दिलचस्प बात कहते हुए कहा कि अब ब्लॉग्गिंग में आने के कारण वे सार्वजनिक से हो गए हैं इसलिए हठात कोई बुरा काम करने से खुद को बचा लेते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके बारे में तो सबको पता है फ़िर ..है न दिलचस्प बात । इसके बाद राज भाटिया जी ने अपने शुरूआती अनुभवों को बांटा और सबके स्नेह से गदगद हो गए ।जहां तक मेरी बात है तो मैंने जो बात कही वो ये कि मैं ब्लॉग पोस्ट पढने के लिए सबसे ज्यादा डैशबोर्ड का ही इस्तेमाल करता हूं । और मेरे ख्याल से हम सबके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा पाठकों तक अपनी बात को पहुंचाया जाए इसके लिए वर्तमान में मौजूद एग्रीगेटर्स पर खुद को पंजीकृत करना चाहिए ताकि कल को यही एग्रीगेटर मजबूत विकल्प के रूप में उभर कर सामने आएं । इसके बाद योगेन्द्र जी ने जो समां बांधा तो फ़िर तो सेमिनार हॉल ठहाकों से गूंज उठा ।इसके बाद भोजन का समय हो गया और सब शुरू हो गए ।
भोजन के दौरान और उसके बाद भी सब छोटे छोटे गोले में बैठ कर विचार विमर्श करते रहे ।
हमारा मोबाईल बीच बीच में तार द्वारा शाहनवाज भाई के लैपटॉप से गठबंधन करता रहा ताकि खुशादीप भाई द्वारा तैयार पोस्ट में फ़ोटुएं भी आपको दिखाई जाएं । भोजन के उपरांत सबने थोडी हल्की फ़ुल्की बात की और राज भाई के आग्रह पर तिलियार झील परिसर घूमने निकल गए ।
बीच में राजीव भाई के फ़ोन पर संदेश आया और हम चल दिए वापसी की ओर ।
वापसी में योगेंद्र जी ने अपनी अपनी गज़लों और गीतों का संग्रह अंधी आंखें गीले सपने की प्रति सप्रेम हमें भेंट की
। हम सतीश भाई की कार से डा. दराल सर के घर की ओर चल दिए ...
तो ये थी तिलियार की एक वो रिपोर्ट जो अब तक आप तक नहीं पहुंची थी ....चलिए कल से फ़िर पुराने सफ़र पर लौट सकूंगा ..
इस बैठक की सबसे शानदार फ़ोटुएं ..सतीश भाई ने अपने कैमरे से खींची थी और बहुत सी तो ऐसी कि ब्लॉगर प्रोफ़ाईल पर लगाई जा सके ..यहां देखिए न
बहुत बढ़िया चित्रमय प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रिपोर्ट ...
जवाब देंहटाएंफाइनल रिपोर्ट वाकई खूबसूरत रही, कई चीजों के जवाब बेवाकी से लोगों को मिल जायेंगे !
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें अजय भाई !
`उधर से अगली सलाह हमारे मुंह से टपक पडी कि ....'
जवाब देंहटाएंअब तो मूंछें रख लो यार :)
बढिया पोस्ट के लिए बधाई॥
बढ़िया एवं विस्तृत रिपोर्ट...
जवाब देंहटाएंइत्ती बातें याद कैसे रख लेते हो भाई?
इतनी अच्छी और सजीव रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिये धन्यवाद । सतीश जी ने हमे इसके बारे मे बताया और आमंत्रित भी किया था , किन्तु कुछ कारणवश सम्मिलित नही हो पाई थी , पर यह लिख पढ कर थोडी देर कि लिये ऐसा लगा जैसे मै आप सब के ही बीच आ गई ।
जवाब देंहटाएंदेख लिया स्मार्ट लोगों की
जवाब देंहटाएंएकदम स्मार्ट पोस्ट
एकदम यूनीक
है कोई ऐसा
अजय जी जैसा
आओ अमेरिका चलें
कैनन का एस एक्स 210 : खरीद लूं क्या (अविनाश वाचस्पति गोवा में)
सुखद मिलन .
जवाब देंहटाएंअजय जी, वैसे तो हर बार का ब्लोगर सम्मलेन यादगार ही रहा है, लेकिन इस बार का मिलन और भी ज़बरदस्त था... कितने ही मुद्दों पर सार्थक वार्ता हुई, विचार-विमर्श हुआ, एक-दूसरे को जानने का मौका मिला...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और विस्तृत रिपोर्ट तैयार की आपने. हार्दिक शुभकामनाएं और प्रणाम.
जवाब देंहटाएंरामराम.
एक मह्त्वपूर्ण बात छूट गई कि इस बैठक के बीच में ही समीर लाल समीर उर्फ़ उडनतश्तरी कनेडा वाले और भाई शिवम मिश्रा जी भी मोबाईल ध्वनि के सहारे हमसे जुडे और सबसे बातचीत की एवं शुभकामनाएं दीं ।
जवाब देंहटाएंअब यही पहले ही लिख देते तो कहें इतना बवाल मचता :) पूरा तिलियार ब्लॉग काण्ड ही हो गया !
जवाब देंहटाएंजब भी अजय कुमार झा को देखता हूँ एक हूक सी उठती है कि हम भी कभी ऐसे ही लगते थे उन्ही दिनों की तड़प महसूस करें ! शायद आप लोग पसंद करें !
जवाब देंहटाएंhttp://satish-saxena.blogspot.com/2010/11/blog-post_28.html
अब क्या बताएं मिसर जी ,
जवाब देंहटाएंबवाल होने न होने के लिए पहिले बाद का फ़र्क कहां पडता है ..जौन लोग को बवाल करना है ऊ तो करिए के न मानते हैं । ओईसे मौका देते तब न लिखते ...सब स्टेयरिंगे एतना बडा करके काटा कि....बस सब घूम गया । इसलिए आज फ़िर ये सब लिखना पड गया ।
आदरणीय अजय झा जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
..........विस्तृत एवं बढ़िया रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिये धन्यवाद
हाय हाय सतीश भाई अब कौन सी हूक उठ गई ..अभी पहुंचते हैं लिंक पर
जवाब देंहटाएंएगो कमेन्टवा इधर से ले लीजिए न हो...:)
जवाब देंहटाएंरिपोर्टिंग के आप मास्टर हैं...मैंने इतनी अच्छी रिपोर्ट नहीं पढ़ी कहीं भी...दोनों पार्ट पढ़ गया...पहला वाला मुझसे छुट गया था पढ़ना :(
जवाब देंहटाएं12 hours ago · Unlike · 1 person ..
लो फ़ेसबुक से उठा लाए हैं बच्चा अभिषेक ..तुम्हारा कमेंट
ajai bhai yeh sab kisto main karte ho.
जवाब देंहटाएंsab ka rukh dekh kar.ki kaun kiya chahata hai .
sunder reporting badhai ho .
अजय भाई आपके दिमाग की हार्ड डिस्क बडे कमाल की है\ जो बातें हम भूल गये थे याद दिला दी\ बहुत अच्छी रिपोर्ट बधाई, शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंअजी रुख तो हमारा सबका देखा हुआ ही है पुरबिया भाई , और जो जब लिखना होत अहै लिखते तो तभी के तभी हैं मगर सोचिए न यदि वो न होता ..तो उतरने दो हर रुख से नकाब ...आहिस्ता आहिस्ता ....हम नजर टिकाए हुई हैं ....हा हा हा हा आते रहिएगा ....मिलने .
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया...........
जवाब देंहटाएंबहुत खूब। रिपोर्ट और रिपोर्ट मे फर्क होता है।
जवाब देंहटाएंसबके विचार और जीवन के बारे में जानकर अच्छा लगा। चित्रमयी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंओ तेरी...
जवाब देंहटाएंअब समझ आई आप सब की साज़िश...मुझे लैपटपवा दिखाकर क्यों मेरा रिपोर्टिंग का कीड़ा जगाया गया...खुद कोई बाहर झील के नज़ारे लेता रहा...कोई बदमाश कंपनी के साथ बार में एक पैग खींच आया...और मुझे टिप-टिप में लगाए रखा...देख लूंगा ठाकुर सबको देख लूंगा अगली मीटिंग में...
और भइया, खोपड़ा भन्नाने वाली बात ललित भाई और राज जी ने की थी...मैंने कहा था कि मैं भावुक हूं...टिप्पणियां न आने से किसी को पड़े या न पड़ मुझे फर्क पड़ता है...मैं विचलित हो जाता हूं....
जय हिंद...
शानदार!!
जवाब देंहटाएंअजय भैया इस ख़ूबसूरत सफ़र की झांकी हम सब को भेट करने के लिए शुक्रिया.
(अनुपस्थिति के बाद मैंने आज पहली रिपोर्ट पढ़ी)
एक अच्छी रिपोर्ट , भाई यह बंदर है या यह भी कोई ब्लोगर है?
जवाब देंहटाएंओह मासूम भाई माफ़ करिएगा मुझे बता देना चाहिए था
जवाब देंहटाएंपेड पर लटका हुआ ब्लॉगर है और सबसे नीचे चशमा लगाए बंदर बैठा गर्दन टेढी किए हुए ..हा हा हा और कौनो कनफ़ूजन हो तो फ़ौरन बताएं
.
जवाब देंहटाएंअजय जी ,
इस बेहतरीन रिपोर्टिंग के बगैर तो कुछ अधुरा सा लग रहा था। आपके अनोखे अंदाज में की गयी इस रिपोर्टिंग ने एक सजीव चित्र खींच दिया आँखों के आगे --आभार।
.
अब ई कचहरी का काम काज छोड़ छाड कर रिपोर्टर काहे नहीं बन जाते भाई | अ़ब आया असली स्वाद ....|आपके पास दूसरा कोइ सीसी टीवी कैमरा जरूर था नहीं तो इतना एक एक छोटी छोटी चीजे कैसे याद रहती है|
जवाब देंहटाएंवाह झा जी! मिनिट्स रिपोर्ट को पढ़ते हुए लगा कि जैसे मैं भी वहीं पर हूँ!
जवाब देंहटाएंये हुई न रिपोर्टिंग अंदर वाली (सेमीनार हॉल के अन्दर वाली) :)
जवाब देंहटाएंraam raam ajay jhi,
जवाब देंहटाएंsampoorn rapat wali baat hai ji ye to...
bahut khoob,
kunwar ji,
बहुत अच्छा लगा तिलियार के बारे में सचित्र पढ़कर.
जवाब देंहटाएंबढ़िया चित्रमय प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकुछ हुया है ऐसा लग रहा!
और रिपोर्ट्स भी टटोलनी पड़ेंगी
बढि़या रहा सफर और सफर की खबर.
जवाब देंहटाएंवो तो बताया ही नहीं जो ब्लॉगर मीट में नहीं हुआ :)
जवाब देंहटाएंआपकी रिपोर्ट पढकर तसल्ली मिल जाती है दिल को, धन्यवाद इस रिपोर्ट के लिये
प्रणाम
हो सके तो बंटी चोर की बेतुकी और बेहुदी टिप्पणी को डिलिट कर दें, आभार होगा
जवाब देंहटाएंसंजय भास्कर जी और संजू जी झुककर क्या देख रहे थे, ये तो आपने बताया ही नहीं जी
जवाब देंहटाएंकोनो रामप्यारी तो वहां नहीं घूम रही थी, जिसे ये लोग देख रहे हैं :)
दिमाग की हार्ड डिस्क को सोफ़्ट रख कर इतनी बढिया रिपोर्टिंग के लिये आप बधाई की पात्र हैं
जवाब देंहटाएंहटा दी हैं अमित जी
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रिपोर्ट
जवाब देंहटाएंkya bat hai.....aisa bhi hota hai...
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