इससे पहले आप मेरी पंजाब यात्रा में इन पोस्टों पर पढ चुके हैं कि मैं कहां कहां कैसे कैसे घूमा । आज मैं आपको मिलवाता हूं हनुमान जी से ..अरे नहीं नहीं यूं तो भारत में हनुमान जी से मुलाकात ..अपने किसी परिचित अंजाने से मुलाकात से ज्यादा आसान है ...क्योंकि उसके लिए आपको किसी फ़्लैट नंबर , किसी ब्लॉक नंबर , किसी गली आदि की पहचान की जरूरत नहीं है ..हर जगह से समान रूप से अवेलेबल हैं ..। खैर हम , तो आज आपको मिलवा रहे हैं साक्षात हनुमान जी से । जी हां पंजाब होशियारपुर में दशहरे की एक प्रचलित प्रथा । पंजाब के होशियारपुर में प्रचलित रिवाज़ के अनुसार ..उन दस दिनों में शहर में मौजूद कम से कम चालीस हनुमान दल ..आम लोगों के ..अपने भक्तों के घर जाते हैं ..वहां कीर्तन भजन करते हैं और फ़िर सबको आशीष देते हुए चले जाते हैं फ़िर अगले बरस आने के लिए । और हां ये हनुमान दल कोई आम कीर्तन दल की तरह नहीं होता है । इसमें हनुमान बने युवक को चालीस दिनों तक कठिन उपवास रखने के अलावा एक बहुत लंबा और बहुत ही भारी मुकुट पहनना होता है तथा पूरे श्रद्धा और विश्वास से भक्ति में लीन रहना होता है । और फ़िर शिव जी की बारात की तरह तमाम गण उपगणों के साथ हनुमान जी का दल भक्तों के घरों में जाते हैं । इसके लिए बाकायदा हनुमान जी को अपने घर पर आमंत्रित करना होता है । तो ऐसे ही एक हनुमान जी से मिले हम अपने साढूं साहब के घर पर ..आप भी मिलिएसबसे पहले घर को अच्छी तरह से झाड पोंछ कर स्वच्छ किया जाता है , उसके बाद कीर्तन की तैयारी होती है ...देखिए बुलबुल को कीर्तन स्थल पर धमाचौकडी करते हुएऔर फ़िर कीर्तन के लिए जुटे आस पडोस के लोगकीर्तन जम रहा है ...........और ये पहुंचा हनुमान दल , खूब ढोल नगाडे बजाते हुएस्वागत की तैयारी भक्त के घर द्वार परलीजीए हनुमान दल तो आ ही पहुंचा नजदीकऔर ये एक बाल हनुमान का रूप धरे हुए बच्चाअपनी कला का प्रदर्शन करता हुए दल के युवकऔर देखिए ..और ये लंबे मुकुटधारी हनुमान जी भी आ पहुंचेघर के अंदर विश्राम करते हुए हनुमान जी और दल कीर्तन करता हुआसब हनुमान जी से आशीष लेते हुए ...
मंगलवार, 30 नवंबर 2010
जब हनुमान जी घर मेरे आए ....पंजाब यात्रा संस्मरण -५..jha ji on ride
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अजय भाई, यहाँ मैनपुरी में भी यह प्रथा है और मुख्यता यहाँ के पंजाबी समुदाय के भाई लोग हनुमान जी की इस यात्रा का आयोजन करते है जिस में बाकी सारे लोग, जिस में हिन्दू मुस्लिम सब शामिल है , बड़ चढ़ कर हिस्सा लेते है !
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार कि हम लोगो को वहाँ की इस यात्रा का विवरण जानने को मिला !
अच्छा लगा दोनों जगह के बारे में जानकर.
जवाब देंहटाएंशुभप्रभात !
जवाब देंहटाएंश्रद्धा के यह तरीके मानव को जीने की प्ररणा देते रहे हैं ! बढ़िया विवरण के लिए आभार !
मेरे लिए ये बिलकुल नयी जानकारी थी। अच्छा लगा पढ़कर। सुन्दर सचित्र वर्णन ।
जवाब देंहटाएंवैसे भी हनुमानजी चिरजीवी हैं, आप तक कभी भी आ सकते हैं।
जवाब देंहटाएंशिवम भाई ,
जवाब देंहटाएंये जरूर मेरे लिए एक नई जानकारी रही कि मैनपुरी में भी ये प्रचलन है , शुक्रिया
भारतीय नागरिक जी ,
जवाब देंहटाएंसतीश सक्सेना जी ,
और ज़ील जी ,
आपका शुक्रिया
प्रवीण पांडे जी ,
जवाब देंहटाएंसुना है कि हनुमान जी अब आपकी ओर ही निकले हैं, मिलें तो ख्बर करिएगा
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
हनुमान जी से मिलवाने का आभार | बढ़िया जानकारी दी है | इससे पहले भी ये बात एक खबर के रूप में भी टीवी पर देखी थी|
जवाब देंहटाएंबढिया जानकारी.
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी ..
जवाब देंहटाएंजय हनुमान ज्ञान गुण सागर ...
पहली बार अमृत्सर मे जब पढती थी तब देखा था ये समारोह। बाकी लिन्क देखती हूँ।ुजय बजरंगबली।।
जवाब देंहटाएंबहुत पहले ननिहाल में इस तरह का आयोजन देखा था। अच्छा लगा कि कुछ श्रद्धा के तरीके अभी भी बाकी हैं।
जवाब देंहटाएंबढिया जानकारी.
जवाब देंहटाएंवाह भैया ,कैमरे का सही इस्तेमाल किया है ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति ।
badiya jankari..achchha lagta hai jankar ki kahi to sanskriti shesh hai.....
जवाब देंहटाएंपरंपराओं के बारे में बताने का ये भी नायाब तरीका है. बहुत शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
झा जी आपने ये नही बताया कि आपने ब्लागजगत की खुशहाली के लिये हनुमान जी से आशीर्वाद लिया या नही?:)
जवाब देंहटाएंरामराम.
इधर भी भेज देते
जवाब देंहटाएंवाह, हमने इससे मिलता-जुलता मोहर्रम का शेर देखा है, लेकिन यह एकदम नई चीज है मेरे लिए. कब से है यह परम्परा, कैसे शुरू हुई, जानने की इच्छा हो रही है.
जवाब देंहटाएंहम फोटो देख के ही बस कल्पना कर सकते हैं की कितना मजा आया होगा आप लोगों को.. :)
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