अभी दीपावली को बीते चौबीस घंटे नहीं हुए हैं और मैंने सोचा कि जब कैमरा सक्रिय रहा कल तो फ़िर क्यों न एक अपडेटेड सेलिब्रेशन भी हो ही जाए पोस्ट के बहाने । दीवाली और दीवाली से पहले के कुछ दिन कुल मिला कर उमंग, धमाचौकडी , खूब सारा काम , खूब सारी खरीददारी , और ढेरों प्यार ,स्नेह ,संदेश और उपहारों के बीच ही बीतता है ...सच कहूं तो ये मौसम भी इन सभी के अनुकूल ही रहता है । धूप की नर्माहट अच्छी लगनी लगती है । ऐसा लगता है मानों सूरज की किरणें कह रही हों बताओ तो जरा है कोई मुझ सा चमकीला । तो दीवाली के दिन की शुरूआत घर की साफ़ सफ़ाई से ही हुई जो अधिकांशत: एक दिन पहले ही हो चुका था ।सबसे पहले तय किया गया कि आयुष (गोलू) को दीवाली का उपहार दिलवाया जाए , जिसके लिए पहले ही तय किया जा चुका था कि अबकि बार दीपाली बंपर प्राईज़ में उन्हें सायकिल दिलवाई जाएगी । मुझे याद है कि पहले पहल किसी सायकिल पर सवार होने का मौका मुझे तब मिला था जब मैं शायद पांचवीं कक्षा में था और पापा की सायकिल पर कैंची स्टाईल में ही खूब चलाई थी ।
आयुष जी मम्मी और अदिति के साथ सायकल स्टोर में
अदिति , पूछ रही है कि और मेरे लिए ...???
मिस्त्री जी,सायकल में आयुष के हिसाब से तब्दीली करते हुए
छोटी , आप बडे हो जाओ फ़िर आपके लिए भी ...
आयुष जी को सायकल दिलवा कर , बाजार से खरीददारी करते करते ही दोपहर के भोजन का वक्त हो गया था , लिहाजा भोजन के उपरांत हमने फ़िर से मोर्चा संभाला और फ़िर बनी रंगोली । इस बार रंगोली को लेकर पुत्र में ज्यादा ही उत्साह था सो उसी के आइडिए के अनुसार गूगल बाबा से एक रंगोली चुनी , उसका प्रिंट आऊट निकाला और बस ,,धर के रख दिया ..देखिए आपके सामने है ।
ये बनी रंगोली , बस लपेट दिया जैसे तैसे
रंगोली में दीप का उजाला भी भर दिया गया
दिन तेजी से बढ कर अवसान की ओर अग्रसर था , हम पूजा की तैयारी , दीपों में तेल बाती , मोमबत्ती आदि को सहेजने में लग गए थे , श्रीमती जी ने अपना मोर्चा रसोई में संभाला हुआ था ,,,बीच बीच में वे आकर फ़ूल , पत्तियां आदि भी ठीक कर रही थीं ..तो पूजा की तैयारी भी हो गई ।
घर के मंदिर में भगवान जी इन लाइटिंग मूड
और फ़िर निर्धारित समय पर आरती पूजा के बाद पहले छोटी पेट पूजा के बाद ..आयुष जी ने थोडी देर फ़ुलझडियों का मजा लिया । अदिति (बुलबुल ) पटाखों की आवाज़ से पहले ही डरी हुई थी सो मम्मी के साथ घर में पहले ही दुबक ली । हम सब कुछ से निपट कर घर पहुंचे और फ़िर चला पूरी, कचौडी, मटर पनीर , आलू गोभी , मलाई कोफ़्ते , रसमलाई , गुलाबजामुन , का दौर भी चला । श्रीमती जी ने अपना सारा जौहर खूब दिखाया था ।यदि इस समय कैमरा उठाने की हिमाकत करते तो बस भोजन पर ही संग्राम हो जाता इसलिए ....ओह ..इसके थोडी देर बाद पडोसी अपने तमाम बम , परमाणु बम , हाईड्रोजन बम लेकर मैदान में डट चुके थे और फ़िर ..ओहोहोहो ....बस समझिए कि इतनी जोर की जंग छेडी किओ ..दे बुमाबुम ..दे बुमाबुम ..हर ओर धुंआ ही धुंआ ...
आप सिर्फ़ धुंए का अंदाज़ा लगाईये
इसमें भी धुंआ ही धुंआ है ...
..हम चल पडे अगली सुबह की ओरतो आप सबको एक बार फ़िर से दीपावली , और हां भैय्यादूज की बहुत बहुत शुभकामनाएं जी ....
काहे याद दिला देते हैं जी..हम घर पे नहीं थे और आप घर का ही बात कर रहे हैं पुरे पोस्ट में..
जवाब देंहटाएंचलिए कोई नही
वैसे आयुष को साइकिल मिल गयी ये अच्छा हुआ...मेरी पहली अच्छी वाली साइकिल तब मिली थी मुझे जब मैं आठवें क्लास में था :)
आयुष और साइकिल की फोटो लगाया जाये बच्चों वाले ब्लॉग पर :)
फोटो सब एकदम शानदार हैं..
बहुत सुंदर लेख जी, आप की पुजा की थाली देख कर हमे याद आया कि थाली मे चावल भी रखते हे, हम तो सिर्फ़ कुछ दिये रख कर ही पुजा कर लेते हे,साईकिल पा कर तो आयुष मस्त हो गया होगा, हमे भी साईकिल तब मिली थी जब खुद कमाने लगे थे, सभी चित्र एक से बढ कर एक. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंछा गए झा जी छा गए ! कमाल के चित्र है .... बहुत बढ़िया !
जवाब देंहटाएंआयुष को बहुत बहुत बधाइयाँ नयी साइकिल की !
अदिति, आयुष की मस्ती का अंदाज़ लगा रहा हूँ :-)
जवाब देंहटाएंअपना बचपन याद आ रहा।
चित्र बढ़िया आए हैं।
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जवाब देंहटाएं'असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मा अमृतं गमय ' यानी कि असत्य की ओर नहीं सत्य की ओर, अंधकार नहीं प्रकाश की ओर, मृत्यु नहीं अमृतत्व की ओर बढ़ो ।
जवाब देंहटाएंदीप-पर्व की आपको ढेर सारी बधाइयाँ एवं शुभकामनाएं ! आपका - अशोक बजाज रायपुर
ग्राम-चौपाल में आपका स्वागत है
http://www.ashokbajaj.com/2010/11/blog-post_06.html
चित्रों की दीवाली।
जवाब देंहटाएंबढिया सचित्र दीवाली.... एक बात कहूं बुरा तो नही मानेंगे? रंगोली में उल्टा स्वस्तिक बन गया है... :( गलती से शायद... :(:(:(
जवाब देंहटाएंबढ़िया , सचित्र दीपावली ...गोलू जी की दीवाली खास रही ...और श्रीमति जी का जौहर पढ़ कर दंग हैं ...
जवाब देंहटाएंदीपावली की आप सबको बधाई
अरे वंदना जी इसमें बुरा कैसे मान सकता हूं जी , मुझे आज भी सच में नहीं पता कि उलटा सीधा स्वास्तिक में फ़र्क क्या और कैसा है , वो तो आपने बताया इससे पता चला , वैसे भी मुझे नेट पर जैसा मिला मैंने बनानी की कोशिश की , हो सकता है कि दिशा मैं ही नहीं भांप पाया ..........हा हा हा अच्छा किया आपने बता दिया ..होली पर सीधी वाली ....हा हा हा । शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबीजोड़ रंगोली बना है। बस स्वास्तिक उल्टा बना दिए।.
जवाब देंहटाएंआयुष को सायकिल मुबारक हो। शानदार दिवाली तो उसी की रही।
जवाब देंहटाएंआप सब को भी शुभकामनाएँ!
झा जी , धांसू रही दीवाली ।
जवाब देंहटाएंछोटे बच्चों के साथ उत्साह भी दुगना हो जाता है ।
बस धुआं काहे फैला दिए ?
मेरा मतलब बिना शोर और धुएं के बम नहीं बन सकते ! :)
bare mast vivaran bhaijee......
जवाब देंहटाएंbadhai ho....dipawali ki.......
pranam.