सोमवार, 24 मई 2010

दिल्ली ब्लोग्गर्स बैठक , एक कच्ची पक्की रिपोर्ट और कुछ बातें ब्लोग्गर्स संगठन पर -अजय कुमार झा










दिल्ली ब्लोग्गर्स की एक खासियत तो अब खुल कर सामने आने लगी है कि आपस में मिल बैठ कर बतियाने , और ब्लोगियाने के लिए उन्हें बस किसी बहाने भर की तलाश रहती है , और बाहर से आने वाला किसी ब्लोग्गर से मिलने के बहाने से खूबसूरत और कौन सा बहाना हो सकता है अब तक इसी तरह , श्री बी एस पाबला जी , श्री दीपक मशाल जी , श्री राज भाटिया जी , श्री अलबेला खत्री जी के दिल्ली आने पर इस तरह की बैठकों का आयोजन होता रहा है इस बार दिल्ली ब्लोग्गर्स को ये बहाना दिया ज्योतिष विशेषज्ञ ब्लोग्गर्स श्रीमती संगीता पुरी जी और छत्तीसगढ के मशहूर ब्लोग्गर श्री ललित शर्मा जी ने


संगीता
पुरी जी अपने किसी पारिवारिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए पहले ही दिल्ली पहुंची हुई थीं जबकि ललित जी का कार्यक्रम भी बन गया फ़टाफ़ट में तारीख और स्थान तय किया गया इतने अल्प समय में नेट और फ़ोन के माध्मय से जितनी सूचना जहां जहां तक पहुंच सकती थी वो पहुंचाई गई पश्चिमी दिल्ली के छोटूराम जाट धर्मशाला में रविवार २३ मई को दोपहर तीन बजे से शाम के : बजे तक इस ब्लोग बैठक का आयोजन किया गया जैसा कि पूर्व में की गई बैठकों में भी दिल्ली ब्लोग बैठकी का और कुछ उद्देश्य हो हो मगर एक सबसे अहम उद्देश्य होता है आपसी स्नेह को बांटना और एक दूसरे के अनुभवों को समझना किंतु इस बार ये थोडे मायनों में अलग इसलिए रही क्योंकि इस बार भाई अविनाश वाचस्पति जी की पहल पर और बहुत से साथी ब्लोग्गर्स के सुझाव के अनुसार ब्लोग्गर्स के किसी संगठन पर राय विमर्श करके कुछ निष्कर्ष निकाला जाए


बैठक
की शुरूआत औपचारिक परिचय के साथ हुई सबसे खुशी की बात ये रही कि इस बार पिछली बैठक में उपस्थित रहे तमाम ब्लोग्गर साथियों के अलावा और बहुत से नए साथी भी जोश खरोष के साथ पहुंचे थे इस बैठक में शामिल होने वाले ब्लोग्गर्स साथी थे , श्री ललित शर्मा जी , श्रीमती संगीता पुरी जी , श्री अविनाश वाचस्पति,श्री रतन सिंह शेखावत , श्री खुशदीप सहगल,श्री इरफ़ान, श्री जय कुमार झा, श्री एम वर्मा , श्री राजीव तनेजा , एवं श्रीमती संजू तनेजा , श्री विनोद कुमार पांडे , श्री पवन चंदन जी , श्री मयंक सक्सेना , श्री नीरज जाट , श्री अमित (अंतर सोहिल ) , सुश्री प्रतिभा कुशवाहा जी, श्री एस त्रिपाठी ,श्री आशुतोष मेहता , श्री शाहनवाज़ सिद्दकी , श्री सुधीर, श्री राहुल राय , डा. वेद व्यथित, श्री राजीव रंजन प्रसाद , श्री अजय यादव ,अभिषेक सागर , डा. प्रवीण चोपडा,श्री प्रवीण शुक्ल प्रार्थी , श्री योगेश गुलाटी , श्री उमा शंकर मिश्रा , श्री सुलभ जायसवाल ,श्री चंडीदत्त शुक्ला , श्री राम बाबू,श्री देवेंद्र गर्ग जी , श्री घनश्याम बाग्ला , श्री नवाब मियां , श्री बागी चाचा ,और मैं खुद यानि अजय कुमार झा इनके अलावा फ़ोन के माध्यम से भी हमारे बीच उपस्थित होने वालों में श्री समीर लाल , सुश्री शोभना चौरे जी , श्री ताऊ , और भी कई अन्य साथी इनके अलावा इस बैठक में एक जिस बालक ने सबसे बडी भूमिका निभाई ,वो रहा राजीव और संजू तनेजा जी के सुपुत्र माणिक तनेजा इस बालक ने पूरी बैठक के दौरान सबका ख्याल रखा और सबसे बढकर सारी तस्वीरें उतारीं जिन्हें आप देख पा रहे हैं


बैठक की शुरूआत सबके औपचारिक परिचय के आदान प्रदान से प्रारंभ हुई सभी साथियों ने अपना परिचय दिया अविनाश वाचस्पति जी ने , बैठक की प्रस्तावना पेश करते हुए कुछ अहम बातें कहीं हिन्दी ब्लॉगिंग को उन दोषों से दूर रखने का प्रयास करेंगे जो टी वी, प्रिंट मीडिया और अन् माध्यमों में दिखलाई दे रहे हैं। द्विअर्थी संवाद और शीर्षकों से बचे रहेंगे। जो भाषा हम अपने लिए, अपने बच्चों के लिए चाहते हैं - वही ब्लॉग पर लिखेंगे और वही प्रयोग करेंगे। ब्लॉगिंग को पारिवारिक और सामाजिक बनायेंगे, जिससे भविष् में इसे प्राइमरी शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल किया जा सके। ब्लॉगिंग में वो आनंद आना चाहिए जो संयुक् परिवार में आता है। यहां पर उसकी अच्छाईयां ही हों उसकी बुराईयों से बचे रहें। हम सबका प्रयास होना चाहिए कि जिस प्रकार आज मोबाइल फोन का प्रसार हुआ है उतना ही प्रचार प्रसार हिन्दी ब्लॉगिंग का भी हो परंतु उसके लिए हमें संगठित होना होगा। इसके लिए हमें एक संगठन बना लेना चाहिए। जो ब्लॉगर इस संबंध में पंजीकरण, नियमों इत्यादि की पूरी जानकारी रखते हों वो इस संबंध में कानूनी प्रक्रिया पूरी करते हुए कार्रवाई शुरू कर लें। उसमें कौन किस तरह से जुड़ेगा, किस पद पर रहेगा, यह सब आपसी सार्थक विचार विमर्श से तय किया जा सकता है पर शुरूआत हमें राजधानी से ही करनी होगी।

ब्लॉग की पोस्टों या टिप्पणियों में अपनी कुंठाओं को जाहिर नहीं करना चाहिए। आपने फिल्मों में ही सही झुग्गियों का माहौल देखा होगा जहां पर शिक्षा का प्रसार नहीं है। इस माहौल में जिस तरह से गाली गलौच का प्रयोग किया जाता है वो किसी को ठीक नहीं लगता।जिस प्रकार अपने बच्चों के लाभ के लिए हम सदा सक्रिय रहते हैं, उसी प्रकार ब्लॉगों के भले के लिए जागृत रहना चाहिए। और जो काम हम अपने लिए नहीं चाहते वो दूसरों के लिए भी करेंदेखना सारे फसाद उसी दिन खत् हो जायेंगे। हम सबको मिलकर हिन्दी ब्लॉग की दुनिया को बेहतर बनाना है। इस बेहतर दुनिया को फिर अपने पास पड़ोस में स्थापित करना है। एक दिन सब मोहल्लों में प्रत्येक नुक्कड़ पर ब्लॉगर मिलन हो रहा होगा फिर अलग से इस प्रकार के आयोजनों की जरूरत नहीं रह जाएगी और यह एक आदर्श स्थिति होगी। इसके अलावा विस्तार से और भी बहुत कुछ जिन्हें आप इस पोस्ट पर पढ सकते हैं इस बीच जलपान/कुछ भारी जलपान , और शीतल पेय का लुत्फ़ भी भरपूर उठाया जा रहा था इसके बाद शुरू हुआ विचार विमर्श


चूंकि
प्रस्तावना में ये बात कही गई थी कि ब्लोग्गर्स को एक साथ संगठित होने /किए जाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है इसलिए स्वाभाविक रूप से बात उसी मुद्दे से शुरू हुई जैसा कि उपर कह चुका हूं कि बहुत से साथी जो पहली बार शिरकत कर रहे थे उन्होंने अपनी आशंकाओं , अनुमानों के साथ प्रश्नों की झडी लगा दी सबसे पहले बात उठाई मिश्र जी ने जिन्होंने ब्लोग्गर्स के किसी भी संगठन के निर्माण से पहले , या किसी भी संगठन को स्थापित किए जाने से पहले उसके उद्देश्यों को तय किये जाने की बात कहीं उन्होंने कहा कि बिना उद्देश्य कोई भी संगठन यदि तैयार भी कर लिया जाए तो उसका प्रतिफ़ल बहुत प्रभावकारी नहीं निकलेगा बात को आगे बढाया श्री एम वर्मा जी जिन्होंने स्पष्ट किया कि भविष्य में ब्लोग्गर्स पर जो भी जिम्मेदारी बढने वाली है और संभावना है कि ब्लोग्गिंग की बढती ताकत को पहचानते हुए उसे दबाने की कोशिश की जाए तो इसके लिए अभी से तैयारी करना आवश्यक होगा डा. प्रवीण चोपडा जी ने भी संगठन को अपनी सहमति देते हुए उसका उद्देश्य भी तय करने का विचार रखा उन्होंने एक महत्वपूर्ण सुझाव रखते हुए कहा कि अच्छा होगा कि चूंकि हम सब ब्लोग्गर्स आभासी रूप से एक दूसरे से जुडे हैं इसलिए क्या अच्छा हो कि एक औनलाईन फ़ोरम ही इसके लिए तैयार किया जाए उदाहरण रखते हुए उन्होंने बताया कि इस तरह का एक फ़ोरम फ़िलहाल मौजूद है तो सूचना के अधिकार के लिए बहुत ही सशक्त लडाई लड रहा है इसी के तर्ज़ पर इंडियाब्लोगर्स फ़ोरम जैसा कुछ बनाया जा सकता है इसके बाद इरफ़ान जी ने अपने ब्लोग्गिंग और कार्टून के पेशेगत अनुभवों को बांटते हुए बताया कि किस तरह उनके एक कार्टून ने न्यायपालिका तक को मजबूर कर दिया और यही अभिव्यक्ति की ताकत है


अरे रे रे रे ...........पूरे पांच साढे पांच घंटे तक चली इस बैठक का पूरा हाल मैं एक पोस्ट में तो नहीं दे सकता , कम से कम मुझ से तो ये नहीं होगा इसलिए कल की पोस्ट भी लिखनी पडेगी कल की पोस्ट में बातें करेंगे ..ब्लोग संगठन के संभावित उद्देश्यों की , ब्लोग्गिंग और हिंदी के संबंध की , ब्लोग्गिंग के उद्देश्य और उपयोगिता की , आगामी ब्लोग बैठक/कार्यशाला की रूपरेखा की ....और ..........अरे छोडिए कल खुद ही पढिएगा .............क्यों पढिएगा ......?????

41 टिप्‍पणियां:

  1. अजय भाई अब मै भी यही आपके पास में रहता हु यहाँ से देलही २०० किलोमीटर है लेकिन आज सोमवार को आफिस होने की वजह से आ नहीं आ पाया लेकिन अगर अगली बार आप जब सम्मलेन करेगे तो जरुर कोशिश रहेगी

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  2. इस स्‍नेह मिलन के लिए आप सभी को बधाई. संगठन के संबंध में कल आपकी चर्चा और आज राजकुमार सोनी जी की पोस्‍ट दोनों में इस पर विमर्श हुआ है, हम आरंभ से संगठनों की उपादेयता को स्‍वीकार करते रहे हैं. ऐटो घेटों वालों को पसंद आये कि ना आये.
    मिलन रिपोर्ट के लिए धन्‍यवाद.

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  3. संगठन की तो जरूरत है। सामाजिक रूप से आपत्तिजनक पर सत्ता का हमला कभी नहीं होता उसे तो अनुशासन ही रोक सकता है। लेकिन जब ब्लागर सत्ता के मर्म पर चोट करते हैं तो उन पर हमला होता है। यह बात नई नहीं है। अनेक स्थानों पर ब्लागरों को यह झेलना पड़ा है। अभिव्यक्ति की आजादी की यह लड़ाई तो ब्लागर्स को लड़नी ही होगी और वह संगठन के बिना ल़ड़ी जा सके यह संभव नहीं है।

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  4. याने कि इस बार गहन चिन्तन का विषय उठाया गया ब्लॉगर मीट में. अच्छा है, बढ़िया रहा रिपोर्टिंग पढ़ना.

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  5. बड़ी दिलचस्प रिपोर्ट तैयार की आपने भैया जी... मैं भी तो पहुंचा था, आवाज़ ही सही पर पहुंचा तो..

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  6. बहुत बढिया झा जी, आपने समग्रता से रिपोर्टिंग प्रारम्भ की है. अगली कड़ी का इंतजार रहेगा.

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  7. बहुत सुंदर जी आप की रिपोर्ट, अब अगर संगठन की बात चली है तो इसे सिरे तक पहुचाना भी आप का ही काम है, लोगो की बातो को जो इस के बिरुद्ध बोलेगे आप अन्सुना ही करे... बाकी कल अगली पोस्ट मै मिलते है

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  8. बहुत मेहनत से कर रहे हैं अजय जी
    जरूर मिलेगी संगठन को विजय जी।

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  9. मजा आगया वाचस्पति जी का सन्देश भी मिला आशा है यह फोरम रुपी संगठन तेरे मेरे से दूर .................. सब का होगा हम सदस्यता को तै.............यार है खबर पर ओअहुच भी जायेंगे

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  10. बढ़िया रहा ये तो ...आपको शुभकामनायें

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  11. बहुत बढ़िया रिपोर्टिंग..धन्यवाद।

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  12. आती तो अवश्य
    दूरी की मजबूरी
    ब्लोगरों के दर्शन करने की
    रह गई अभिलाषा अधूरी
    ब्लोगर तो नहीं लिखती भी नहीं पर पढ़ कर अच्छा लगता है
    गुड्डोदादी चिकागो अमेरिका से,

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  13. अच्छी रिपोर्ट पार्ट वन

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  14. पोस्ट में उठाए गए कई सार्थक मुद्दों से सहमत

    ब्लॉगर संगठनों पर उठ रही शंका की दृष्टि पर समय रहते स्थिति स्पष्ट हो जाए तो बात आगे ही नहीं बढ़ेगी, लेकिन जो ठान कर ही बैठे हों उनका क्या?

    ब्लॉगिंग को सोशल नेटवर्किंग न बनाने की भावना व अपील, मानव के अस्तित्व होने को ही नकारती है।

    अगली कड़ी की प्रतीक्षा

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  15. बहुत ही सार्थक और उम्दा प्रस्तुती / आप थोडा पहले सभा में आते तो और भी कई सार्थक मुद्दों पे चर्चा विस्तार से हो सकती थी / आगे से हम लोग इस बात का विशेष ध्यान रखें की समय से पहले पहुंचा जाय /

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  16. आप का न आना खल रहा था पर आप की उपस्थिति और खुशी दे गई...बढ़िया रिपोर्ट भैया..नमस्कार

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  17. माफ़ी चाहूंगा , फ़ोन से ब्लोग बैठक में शिरकत करने वालों में भाई महफ़ूज़ अली, अनुज दीपक मशाल और अदा जी भी रहीं , जिनका नाम रिपोर्ट में छूट गया है , भूलवश । क्षमाप्रार्थी ।

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  18. मीटींग की विषयवस्तु से काफ़ी उम्मीदें जागी हैं कि कुछ सुखद दूरगामी परिणाम निकलेंगे.

    रामराम

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  19. sundar reporting ke liye badhai. itana achchha tha sabke liye. miulana, batiyana, ek ghatana hai.
    mera ek sher hai
    girati hai deevar dheere-dheere
    jor lagao yaar dheere-dheere
    milane-jalane mey kasar n chhodana
    ho jayega pyar dheere-dheere

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  20. मैं हमेशा से कहता रहा हूं अब भी कह रहा हूं कि जब दुनिया के आड़े-तेड़े लोग संगठन बना लेते हैं तो फिर पढ़ने-लिखने और सोचने वालों का संगठन क्यों नहीं हो सकता।
    लेखकों के तीन संगठन देश में सबसे ज्यादा सक्रिय है- प्रगतिशील लेखक संघ, जनवादी लेखक संघ और जनसंस्कृति मंच। उक्त सभी संगठन अपने स्तर पर शायद ठीक काम ही कर रहे हैं लेकिन इन संगठनों के झंडे का कलर लाल ही है। क्यों न एक ऐसा संगठन बने जिसमें सभी विचारधारा के थोड़े उदार लोगों की हिस्सेदारी हो। आज दुनिया बहुत आगे बढ़ चुकी है। एकता- ताकत की बात तो ठीक है। हमें यह भी मानना होगा कि संगठन आपकी पहचान का काम भी करता है। दुनिया का हर समझदार आदमी एक न एक बार यह जरूर पूछता है कि आप कहां से है और किससे जुड़े हैं। किसी भी ख्यातिप्राप्त संस्था से जुड़ाव होने पर आदमी की इज्जत कम नहीं होती बल्कि बढती ही है। यदि व्यक्ति एक ईकाई है तो उसे अपने आसपास बेहतर समाज के निर्माण के लिए प्रयास करना ही होगा और बेहतर समाज का निर्माण तभी हो सकता है जब प्रयास सामूहिक होता है। किसी गांव में तालाब भी तभी बन पाता है जब गांव वाले खुद कुदाल-फावड़ा लेकर श्रमदान करते हैं।
    इस दिशा में आप लोग आगे बढिए और मुझसे क्या हो सकता है यह बताए। वैसे हमारे यहां पाबला जी, संजीव भाई और हमारे कुछ मित्रों ने इस दिशा में प्रयास प्रारभ कर दिया है। मुझे आपकी दूसरी किश्त का इन्तजार रहेगा।

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  21. ब्लोगर्स संगठन तो बनना ही चाहिये। पर सबसे पहला काम है सार्थक लेखन जो कि सामान्य पाठकों को आकर्षित करे, महज ब्लोगर्स को नहीं।

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  22. अच्छा लगा जान कर कि मीट में काफ़ी सार्थक मु्द्दे उठाये गये। आगे की रिपोर्ट का बेसब्री से इंतजार

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  23. लाल टी शर्ट की जगह आप मैरून शर्ट में जलवा-अफ़रोज़ हुए...लेकिन महफ़िल में रौनक आपके आने से ही आई...नहीं आते तो कसक रह जाती...

    जय हिंद...

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  24. दिल्ली ब्लोग्गेर्स मीट की रिपोर्ट पढ़ कर लग रहा है की हम भटके हुए रास्ते से सब को सही मार्ग पर लाने की दिशा में जा रहे हैं. संख्या में हम बहुत हैं और अगर सही दिशा में हमारी पहल हो तो हम बहुत कुछ बदलने की ताकत रखते हैं बशर्ते की हम नियमबद्ध हों और वह संगठन के द्वारा ही हो सकता है. कोई तो वरिष्ठ होगा जो परिवार के मुखिया की तरह से गलत को गलत कहने का अधिकारी हो और गलत करनेवाला उसी के सामने स्वीकार करने वाला हो. इन्तजार है जब हम इस पारिवारिक संगठन के झंडे तले बैठे होंगे.
    झा जी बहुत बहुत धन्यवाद हम दूर बैठे लोगों को सचित्र जानकारी लेने के लिए.

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  25. इसे कहते हैं रिपोर्ट,
    सारी बाते सिलसिलेवार ढंग से बताई आपने... और कुछ आगे पोस्ट में.

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  26. ब्लौगर संगठन क्या करेगा और क्या नहीं?

    क्या यह संगठन लोगों को सदस्यता देगा? संगठन बनेगा तो सदस्य भी बनेंगे.
    ऐसे में यदि कोई ब्लौगर उस संगठन से नहीं जुड़ना चाहेगा तो क्या उसका बायकाट किया जा सकता है?

    एक संगठन बनेगा तो विरोधी संगठन बनने में देर नहीं लगेगी. क्या इसे भी राजनीति का मैदान बनायेंगे?

    संगठन होगा तो पदाधिकारी भी होंगे. उनके चयन के लिए चुनाव भी होंगे.
    चुनाव होगा तो फिर गुटबाजी, कलह और भितरघात भी होगी.
    कुल मिलकर इससे बहुत कुछ लाभ होना नहीं है.

    सरकार को तो संगठन का रौब डालकर दबाया नहीं जा सकता.
    जब सरकार अपनी करनी पर आती है तो उसके आगे किसी की नहीं चलती.
    बेहतर होगा कि इन सब फालतू की बातों की ओर से अपना ध्यान हटाकर अपना समय अच्छा पढने और अच्छा लिखने में लगायें.

    मानता हूँ कि एकता में बड़ी शक्ति होती है, लेकिन आप यहाँ पर अपनी नेटवर्किंग करने आये हों या अपने समय और रचनात्मकता का बेहतर सदुपयोग करने?

    आप सब समझदार ब्लौगर हैं, ज़रा कायदे से सोचें. हमें किसी संगठन की ज़रुरत नहीं है.

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  27. हिंदी ब्लोग जगत ,
    आपकी आशंकाओं का स्वागत है , मगर मुझे बेहद खुशी होती यदि ये बात आप अपने मूल परिचय के साथ । मुझे नहीं लगता कि ये बातें ऐसी हैं कि इन्हें कहने के लिए आपको किसी ओट या पर्दे की जरूरत महसूस हुई । आखिर आप खुद हिंदी ब्लोग जगत का भला चाहने वाले हैं ? क्यों हैं न ?

    हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि ये प्रयास किया जाएगा कि आपकी आशंकाओं को निर्मूल साबित किया जा सके । मगर आपने कुछ ज्यादा ही जल्दी निष्कर्ष वो भी नकारात्कम जाहिर कर दिए । आप जो भी हैं हम ब्लोग्गर्स में से एक ही हैं । मगर जिस तरह से पिछली दो पोस्टें लिख कर आप मिटा चुके हैं और जिस तरह से विवादास्पद बातों की तरफ़ आपका आकर्षण बढा है , उससे आप भी अब संदेह के दायरे में ही हैं । स्पष्ट नहीं हैं ।और मुझे लगता है कि यदि आपमें अपने मूल नाम से इतनी सारी बातों को कहने की हिम्मत नहीं है तो फ़िर आपके अन्य प्रयासों पर प्रश्न चिन्ह सा लगता महसूस होता है । उम्मीद है कि आप मेरे उत्तर को अन्यथा नहीं लेंगे ।

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  28. सर फ़ोन के माध्यम से आपके बीच में उपस्थित होने वालों में मैं भी थी, शोभना चौधरी. सुश्री शोभना चौरे जी का नाम था, फिर इस शोभना को क्यों छोड़ दिया?

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  29. माफ़ी चाहता हूं शोभना चौधरी जी , ये मेरे पहुंचने से पहले की बात थी इसलिए तरीके से दिमाग के कंप्यूटर सेव नहीं हो पाया । उम्मीद है कि आप समझ सकेंगी । आप लोगों के प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद ।

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  30. रिपोर्टिंग बहुते बढ़िया रही आपकी....
    बेटे माणिक को बहुत सारा आशीर्वाद....पूरे ब्लॉग जगत की ओर से....
    फ़ोन से हम भी उपस्थित हो ही गए थे....
    हाँ नहीं तो...!!

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  31. जलजला दर्शन न होने से इस बैठक की सार्थकता पर अजय कुमार झा जी कुछ प्रकाश डालेंगे ?
    साथ ही यह अवलोकन भी आवश्यक है कि एक बिना धड़ के धूमकेतु बेनामी से कतिपय लोगों के दिल-ओ-दिमाग क्यों इतना दहल जाता है, कि वह भूल जाते हैं कि ई बेनमिया हमारे बीच का ही होता है, अँतरिक्ष से नहीं आया होता ।
    इनकी चर्चा वहाँ न उठी हो ऎसा नहीं हो सकता !
    क्या कहवैं हैं, " हमीं से मोहब्बत... हमीं से लड़ाई.... अरे मार डाला, दुहाई है दुहाई !"

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  32. हम भी दिल्लिए में हैं अऊर सूचना मिला त हम भी भाग ले सकते हैं... एगो बात स्पष्ट पूछना चाहते हैं..कनफ्युजन के अलावा आपको हमसे कोनो नाराजगी है त हम बिना पूछे क्षमा माँग लेते हैं... लेकिन जानने का अधिकार त हईये है हमरा... जेतना साफ हम पूछ लिए हैं, ओतना साफ आप भी बोलिएगा त हमको खुसी होगा... बाकी ई टाईप का कोनो मीट होने से हमको भी लिस्ट में रखिएगा...

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  33. @ चला बिहारी ब्‍लॉगर भरने


    हम रखते नहीं हैं, न किसी मीट में, न किसी सूची में,
    खुदे ही शामिल होना पड़ता है
    अभिव्‍यक्ति की इस आजादी के माहौल में
    बंदिश का कोई रोल नहीं।

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  34. बहुत बढ़िया रिपोर्टिंग है जी।

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  35. वाह जी बहुत बढ़िया, अगर सार्थक मुद्दे हों तो बात ही कुछ ओर होती है, बधाई आप सबको।

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला

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