दिल्ली ब्लोग्गर्स मीट में जिन जिन से पैसे लिए गए थे वे हिसाब ले लें ......
जीहांबिल्कुलठीककहरहाहूंजी , अभी अभी इस पोस्ट पर एक कमेंट में किन्हीं मित्र ने बताया कि "झाने, दिल्लीब्लोग्गर्सकीजोबैठककीथी , उसमेंसभीशामिलहोनेवालोंसेपैसेभीलिएथे।सोमेरातत्कालफ़र्ज़बनताहैकिआपसबकोउसकाहिसाबदियाजाए।वैसेकायदेसेतोयेबातब्लोग्गर्समीटकीरिपोर्टकेदौरानहीदेनीचाहिएथी , मगरअफ़सोसकितबमुझेहीनहींपताथाकिमैंनेकिसीसेइसकेलिएकोईपैसेलिएथे।औरकमसेकममुझेतोलगताहैकिइश्वरकीकृपासेइतनीऔकाततोहैहीमेरीकिअपनेमित्रोंकेसाथबैठकरमैंखानापीनाखासकूंऔरकुछदेरबतियासकूं।औरउसकेलिएमुझेसबसेकहनापडे।हालांकिबहुतसेमित्रों , औरबडेभाईसरीखेब्लोग्गरदोस्तोंनेइसबारेमेंमुझसेभरपूरआग्रहकियाथा , मगरमैंनेअगलीबारकाकहकरटालदियाथा।
वोतोभलाहोअबउनअनामजीकाजिन्होंनेअभीअभीसार्वजनिकरूपसेबतायाकिझाजीनेइसकेलिएसबसेपैसेलिएथे।ऐसेमेंयदिउसबैठकमेंशामिलअनुजनीशूतिवारीकोलगाकियेबैठकसिर्फ़खानेपीनेतकसीमितरहगईतोइसकामतलबस्पष्टहैकियेतोदोहराघाटाहुआ।तोभाईयोंआपलोगफ़टाफ़टअभीकेअभीमुझसेहिसाबलेलें।क्यापताकलकोकोईऔरहीमहाघोटाला निक्ल ही आए । आज के बाद किसी भी ब्लोग्गर मीट से तौबा और किसी भी ब्लोग्गर मीट में शिरकत बंद ।
अरे ये क्या कर दिए झा जी , हमने blogging शुरू की और आप ब्लॉगर मीट बंद कर रहे है ..यानि भविष्य में गुनीजनो सो मिलने का कोई उपाय नहीं, आजकल इन बेनामियों ने नाम वालो की नाक में दम कर रखा है .... आप तो "संत ना छोड़े संतई कोटिक मिले असंत " पर कायम रहिये
हां झा जी, बेनामी सही कह रहा है, मुझे अपना हिसाब चाहिए...
आपके बेशुमार प्यार का... आदर भाव का... निस्वार्थ आतिथ्य का... हंसमुख स्वभाव का... एक टांग पर खड़ा होकर सारा इंतज़ाम करने का... कहने पर भी किसी से एक पाई न लेने का...
झा जी, अगर आप ये हिसाब नहीं कर सकते तो एक मूर्ख की मूर्खता पर हम सब से बदला क्यों लेना चाहते हैं...
अजय जी...इन बेनामी स्सालों की परवाह मत कीजिए...इनका तो काम ही है बिना बात के आग लगना...ये अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आने वाले... हम इन्हें जितना भाव देंगे ये उतना ही सर पे चढ के थूकेंगे
यार अजय तुम भी.......... नपुन्शको की औलादे अनामी बनकर सुनामी लाने का भरम पाल रही है. ऐसे नालायको के लिये मेरे मन मे अनेक गालिया आ रही है पर मुझे पता है तुम्हारे ब्लोग को ब्लोग जगत के बहुत से भले लोग और महिलाये भी पढते है
तो अनामी को गालिया कभी लिख्चीत मे देन्गे. फिलहाल प्रशन्न चित्त रहो खुद प्रशन्न और अनामी बनामी सारे चित्त. हा नही तो......... ( अदा जी से साभार )
क्या भैया.. आप भी ना.. जो मुंह छिपा कर कुछ भी कहता रहे उसकी बात आप एक बार में सुन रहे हैं, और जिनसे इतना प्यार मिल रहा है उनको नकार रहे हैं.. ये ठीक नहीं है..
इतनी निरर्थक, तथ्यहीन और निस्सार बातों पर स्प्ष्टीकरण देने का भला क्या औचित्य है। बात ही इतनी घटिया व अविश्वसनीय है कि उसे तूल देने का कोई तुक ही नहीं दिखाई देता।
कोई भी वमन करता फिरेगा तो क्या वमन का शमन, विश्लेषण और अपने पर झेलने में कोई बड़प्पन है या उसको इलाज के लिए सौंप देने/ भरती करा देने में ? इन प्रतिप्रश्नों से आगे और क्या कहा जाए!!
का वकील साहब, हमें नहीं शामिल करना चाहते अपने ब्लॉगर्स ग्रुप में तो साफ़ मना कर देते भाई कि ’नो वैकेन्सी’, एक माईक्रो पोस्ट ही बन जाती। अच्छा चिन्ता मत करो, नहीं आयेंगे नये लोग, बस्स। अमां पुराने तो मिलते रहो कम से कम। हम हिन्दुस्तानी सचमुच गज़ब के हैं। कोई भी कुछ कह देगा और किसी को भी कुछ कह देगा। कहने में क्या जाता है?
अजय जी संयम से काम लें। यम को मत हावी होने दें। जो नहीं चाहते हिन्दी ब्लॉगिंग और इसके माध्यम से सामाजिक सद्भाव बने और कायम रहे। उन्हें अपनी धूर्तताओं में व्यस्त रहने दें। हम सब तो अच्छे कार्यों में लगे रहें। यही बात माननीय भाई गिरीश बिल्लौरे जी से हुई थी। विध्वंस करने वाले तैयार बैठे हैं। किसी भी प्रकार से येन केन प्रकारेण अहित साधना चाहते हैं, उन्हें मत सफल होने दें। कविता जी की बात पर गौर करें। नहीं तो रोज ही कोई न कोई ढपोरशंख और जलजला कुमार आयेंगे और वमन करेंगे। हम सार्थक करते रहें, वे वमन से बदलकर मनन करने के लिए बाध्य हो जायें। यह क्षणिक लोग अथाह टिप्पणियां पाकर प्रख्यात होना चाहते हैं तो उन्हें होने दें कुख्यात। पर हम अपनी क्रांति में जुटे रहें, बिगुल बज चुका है। इन्हें न तो भाव दें और न बेभाव रहने दें। जैसे उभयलिंगी होते हैं न स्त्री और न पुरुष। हिन्दी ब्लॉगिंग में अपनी पहचान छिपाकर विध्वंस मचाने वाले ऐसे लोग खुद ब खुद नकार दिए जाएंगे। न इनकी टिप्पणियों को महत्व दें और न इनकी पोस्टों को। इनका बिल्कुल नोटिस न लें। किसी बात को दिल पर न लें क्योंकि दिल से बहुत बड़ी है हमारी हिन्दी, उसे विश्वभाषा बनाने के लिए अभी से जुट जाएं। पर इन कुत्तों को भौंकने दें और हम हाथी अपनी गजमस्ती में सतत प्रवाहमान रहें। शक्तिमान की तर्ज पर हिन्दीमान बनें।
अजय जी सादर आप सरीखे इंसान इन बेनामियों के अस्तित्व को हवा देंगे तो बाकी क्या करेंगे. आप के कारण हम उनसे मिल पाये जिनसे मिल पाना सम्भव नहीं था. रही बात पैसे की तो नीशू जी भी तो उस 'मिलन' में सम्मिलित थे, उन्होने कितने पैसे दिये? वे खुद क्यों नही बताते. बेनामी की टिप्पणी के बाद उन्हें खुद खंडन करना चाहिये था. आपके द्वारा बेनामियो के मकसद को जान लेने के बाद भी यह कहना 'आज के बाद किसी भी ब्लोग्गर मीट से तौबा और किसी भी ब्लोग्गर मीट में शिरकत बंद ।' उचित नहीं है. आपने तो बस दिया है लिया क्या? @खुशदीप साजिश करने वाला मुर्ख नही होता. हमारा काम है उसकी साजिश को नाकाम करना.
दुनिया में जो भी कोई अगुआई करेगा उस पर ऐसे स्तरहीन आरोप लगते रहे हैं और लगते रहेंगे. आमान्य रूप से तो आपका व्यथित होना सहज है. पर अगर आपको ब्लाग जगत में कुछ सकारात्मक करना है तो इन कोव्वों की कांय कांय सुनने के लिये अपने कानों में सरसों का कच्ची घानी का तेल डालकर रखना पडॆगा.
सोचो अगर आपकी जगह ताऊ होता तो कौव्वे को क्या जवाब मिलता? सुन लिजिये : "सुन बे कौव्वे, तेरे कितने नकलते हैं वो पकड, बाकी के मैं जीम गया, अब निकल ले वर्ना लठ्ठ खायेगा"
नीशू ने जो लिखा, वह उनकी सोच, उनकी समझ, उनकी अभिव्यक्ति थी। कई बार व्यक्ति जिस नजरिये को जीता है उसी को सम्पूर्ण विश्व मान लेता है।
यहाँ तक तो ठीक है किन्तु बेनामियों की टिप्पणियों को बनाए रख, उन पर अपनी किसी प्रकार की प्रतिक्रिया न दे, मौन रह वह अपनी सहमति दे रहे हैं। जो पुन: उनके नज़रिए को दर्शाता है।
बेशक मेरी कोई प्रत्यक्ष भागीदारी नहीं थी इस ब्लॉगर बैठक में, किन्तु जैसा कि कुछ साथी जानते हैं कि अंतिम क्षणों तक मेरा वहाँ पहुँचने का प्रयास रहा व मानसिक तौर पर बैठक से जुड़ा रहा अत: मैं यह मान कर चल रहा कि कथित रूप से पैसे दे कर बैठक में भाग लेने की बात मुझ पर भी लागू हो रही।
ब्लॉग स्वामी के नाते, बेनामी की टिप्पणी को बनाए रख नीशू उसकी बात से सहमति जता रहे हैं। मैं बी एस पाबला, आई पी 59.95.128.172 द्वारा उनसे यह आग्रह कर चुका हूँ कि बेनामी की उपरोक्त टिप्पणी तत्काल हटाते हुए अजय कुमार झा सहित उस बैठक में शामिल सभी ब्लॉगर्स से सार्वजनिक खेद प्रकट करें अन्यथा मुझ समेत आहत ब्लॉगर्स की ओर से वैधानिक कार्यवाही की प्रतीक्षा करें।
टिप्पणियों सहित उनके सम्पूर्ण लेख का स्नैपशॉट पहले ही लिया जा चुका है
और हाँ अजय जी याद आया। पिछले बरस तिलक शाहदरा स्टेशन के पास अदरक खरीदने के लिए, खुले पैसे ना होने के कारण आपने मुझसे जो तीन अट्ठनियाँ ली थी वह वापस करने का कष्ट करें। मेरे डेढ़ रूपए भी गए और वह बंदर आपको दांत भी दिखा गया था।
अजय भाई आपको यह अंदाजा भी हो गया होगा की इसी दुनिया में कितने नीच लोग रहते हैं -मैं समझ रहा हूँ की यह किसकी खुरापात हो सकती है! मैंने टिप्पणी संदर्भित ब्लॉग पर कर दी है ...आप भी ...नेकी कर दरिया में डाल....फिर एक सम्मलेन करिए ..और हाँ इस बार कम से कम भोजन भात का नगद नारायण वसूल करके हा हा .... क्षुब्ध मत होईये ..अभी तो ब्लॉग दुनियादारी के उबड़ खाबड़ रास्ते पर आपका यह पहला कदम था ...पहला कदम ,,,आप भी कितने नाजुक निकले ....आपसे यह आशा तो न थी ...जरा मजबूत बनिए न भाई ! इन दिनों सहसा ही एक ब्लागर फिर उधराया हुआ है ....उस पर नजर रखा जाय ....
अजय भाई, क्या बात है, विवाद और खींचातानी आपका पीछा नहीं छोडती. आपके लक्ष्य और आशय अच्छे होने पर भी हर कोई ऐरा गैर अनामी-सनामी आपको झल्ला जाता है और आप भी ज़रा-ज़रा सी बात पर उखड़ते दिखते हैं. मेरी राय में आपको इस तरह बात-बात पर तुनकना नहीं चाहिए. आपकी रचनात्मकता और ऊर्जा तो इन्ही बातों में खपी जा रही है. और आपको यह भी मनन करना चाहिए कि आपको लेकर हाल में ही इतनी निगेटिविटी क्यों बढ़ गयी है. आशा है अन्यथा नहीं लेंगे. मैं आपसे विस्तार से फोन पर बात करूंगा.
दिल्ली में अठन्नियों चवन्नियों का जमाना नहीं रहा है। एक रुपया भी जा रहा है। दस रुपये से शुरूआत हुआ करेगी। लगता है आप सबने इसे नहीं पढ़ा है इसलिए ऐसी बहकी लहकी बातें बना रहे हैं पढि़ए फिर http://avinashvachaspati.blogspot.com/2010/05/blog-post_180.html नहीं पढ़ा है किसी ने। उस दिन जरूर ब्लॉगिंग से अवकाश रहा होगा। या सब दिल्लीवालों के पास पहुंच गए होंगे। यही है अब दिल्लीवालों की नई दुनिया।
अजय जी आपको ऐसे ताने और ऐसे लोगों की बातों को हर वक्त झेलना परेगा, अगर आप सच्चे,अच्छे और इमानदार हैं / क्या आप ऐसे तानों से घबराकर सच्चाई,अच्छाई और ईमानदारी छोड़ देंगे ?अरे हाथी चले बाजार तो क्या कहते है .....की और ब्लोगिंग को तो हर हाल में मरते दम तक आगे बढ़ाना है / इतने लोगों के प्यार को देखिये जो उन्होंने अपनी सच्ची टिप्पणियों में व्यक्त किया है /
भाईसाहब, ब्लोग्गर्स मिलन दिल्ली में आने वाला हर एक ब्लोग्गर जानता हैं की अजय झा ने कैसे अपने बलबूते पर आयोजन किया था! सतीश सक्सेना जी, राज भाटिया जी तथा अन्य ब्लोग्गर्स के बार बार बोलने पर भी अजय झा ने एक रुपया लेने से मना कर दिया था! फालतू की बातों से परेशान मत होयिए! आपको इस बात से कितनी ठेस पहुची होगी, आपसे मिलने वाला हर ब्लोग्गर जानता हैं!
क्या अजय भईया आपने पोस्ट की और बताया भी नहीं , देर हो गयी मुझे आने में उसके लिए माफी चाहता हूँ , । अब क्या कहूँ अजय भईया मैं खुद आहत हूँ इससे , समझ नहीं आ रहा कि उस बेनामी को क्या कहूँ । हाँ हिसाब देना चाहिए आपको कि आपने फ्री में इतना प्यार क्यों बाँटा , फोन करके सुबह से आप पुछते रहे कि भईया कहाँ हो, हद हो गयी है , वही बात है ना नेकी कर दरिया में डाल , लोग कहते हैं कि गुटबाजी हो रही है ब्लोगिंग में , अरे भईया काहे की गुटबाजी , अब आपको लगता है कि आप किसी का लिखा ना पढ़े और आप पर सब टूट पड़े तो ऐसा थोड़ी ना होता है , रही बात ब्लोगिंग ना करने की तो भईया अगर ब्लोगिंग से मन उब गया हो तो छोड़ दो , किसी के उपर आरोप प्रत्यारोप तो नहीं लगाना चाहिए । अजय भईया आपने जो कुछ भी किया उसका हिसाब तो कभी हो ही नहीं सकता , पता नहीं कैसे लोग इसकी तुलना खाने पिने से कर देते हैं , और हाँ आपको जरा भी हताश होने की जरुरत नहीं है , और अगली बार जब ब्लोगिंग मीट हो तो खाने का सामान सब अपने घर से लायेंगे हाहाहाहाह ।
अजय जी.... आजकल मैंने पोस्ट्स पढना छोड़ दिया है.... सिर्फ लाइन से सबको वैरी गुड दे रहा हूं.... उसी झोंक में आपको भी वैरी गुड दे बैठा.... अभी सारा माजरा समझ में आ गया है.... तो अपने वैरी गुड की माफ़ी चाहता हूँ... अबसे मेरा वैरी गुड सिर्फ चुनिन्दा जगहों पर ही दिखाई देगा....
अरे अजय भाई, आप इन दो टकें की ओकात वालो की बातो का बुरा मत माने, अगर यह सच बोलना जानते तो अपना नाम ओर चेहरा ले कर सामने आते ओर तब बोलते, अब यह अगर यह कहे कि राज भाटिया जी को टिकट भी इन ब्लांगरो ने पैसे जमा कर के दी है तो क्या कोई मान लेगा? तो भाई इन कमीनो को भोंकने दो. वेसे आप से हिसाब तो बहुत करना है, इतना प्यार बिना जान पहचान के दिया, बदले मै हमारा दिल ले लिया, इतने सारे लोगो से मुलाकात बस आओ की मेहरबाणी से ही हो पाई है,ओर हम सब के कहने के बावजूद भी एक पेसा किसी से नही लिया, अब यह सब बाते इस बेनामी की समझ मै कहा आयेगी, क्योकि इस के पास प्यार नाम की चीज ही नही है, तो भाई मस्त रहो ओर अगली मिटिंग की तेयारी करो, जो हमारी तरफ़ से होगी,शायद इस साल के अंत तक भारत आऊं, या २०११ के पहले तीन महीनो मै कभी, तो भाई शेर दिल हो इन बिल्ली कुत्तो की बातो पर ध्यान मत दो, जो कही छुप कर तरह तरह की आवाजे निकालते है
मुझसे कहा जा रहा है बताने के लिए इसलिए यहाँ एक सामान्य सी बात लिख रहा कि आईपीसी की धारा-499 के तहत नेट के जरिये किसी को परेशान करने या अपशब्द कहने पर केस दायर किया जा सकता है। अधिक जानकारी यहाँ है
हां झा जी, बेनामी सही कह रहा है, मुझे भी अपना हिसाब चाहिए...
आपके बेशुमार प्यार का... आदर भाव का... निस्वार्थ आतिथ्य का... हंसमुख स्वभाव का... एक टांग पर खड़ा होकर सारा इंतज़ाम करने का... कहने पर भी किसी से एक पाई न लेने का...
झा जी, अगर आप ये हिसाब नहीं कर सकते तो एक मूर्ख की मूर्खता पर हम सब से बदला क्यों लेना चाहते हैं...
खैर आपने तो ब्लागरों को बुलाया था भला मैं कैसे आ पाता। वैसे भी जलजला अपनी मर्जी से ही कही भी आता-जाता है। हां... लोगों के सपने में मैं तब जाता हूं जब वे मुझे बुलाते हैं। आपको पता नहीं सपना कौन देखता है और सपने में बुलाने का काम किसे अच्छा लगता है। आप लोगों की लड़ाई और झगड़े को देखकर यही कहूंगा कि आप लोग एक दूसरे का सिर जल्द से जल्द फोड़े।
अजय भैया आज कल ब्लॉगिंग का स्वरूप इतना तेज़ी से बदल रहा है कि क्या कहें प्रेम के मेल मिलाप को भी लोग विवादित बना देते है..हम दिल्ली वासियों का प्रेम और मेल मिलाप देख कर यह सब किसी ने उछाला है..मैने चाहूँगा की वा व्यक्ति स्पष्ट रूप से सामने आए जिसने ऐसी अफवाह उड़ाई है ऐसी बातें किसी के द्वारा स्वीकार्य नही है..हम आज भी आपके प्रेम के कायल है और जानते है कि यह मेल मिलाप केवल आप और अविनाश चाचा जी के प्रयास से ही संभव हुआ हम सब बस मिलने आए थे....फिर भी कोई इस तरह की बात करें तो चाहे वहाँ उपस्थित ही कोई क्यों ना हो बिल्कुल ग़लत है...यह सब जानते है कि अगर पैसों की बात की जाती तो यह ब्लॉगर्स सम्मेलन कितना सफल होता...भाई हम सब खूब अच्छे ए जानते है और यह दिल्ली के ब्लॉगर्स के बीच में शक पैदा करने के लिए कहा गया..मैने चाहूँगा अगर किसी को इसमें कोई प्रश्न करना हो तो वहाँ मजूद एक एक ब्लॉगर्स से करें कि किसने क्या किया....
हम आज भी यही कहेंगे अजय भैया की केवल आप के सहयोग से ही यह संभव हो सकता है बाकी हर बात व्यर्थ है...
आपका आना अच्छा लगा है आज आपने रुटीन कार्य से अलग चाहे अपने धंधे को बढ़ावा देने के लिए ही सही लगता तो यही है कि आप एक डॉक्टर हैं और उन्हें ही किसी के सिर फोड़ने से लाभ मिल सकता है पर जहां तक मुझे याद है आपने न तो डॉक्टर की वर्दी पहनी थी न गले में आला लटकाया था कोई सिस्टर (नर्स) भी आपके साथ नहीं थी प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स भी नहीं दिखलाई दिया फिर भी हमारे सिर फोड़ने से आपकी जलन को कुछ जलता (शीतलता) मिलती है तो हम आपके लिए वह भी करने को तैयार हैं पर ऐसा न हो कि हम तो सिर फोड़ बैठें और आपका दूर दूर तक पता ही न हो आप सामने आएं और निश्चित मानें कि आपकी दवाईयां तो कम हो सकती हैं पर जो हालत हिन्दी ब्लॉग जगत में चल रही है फूटे सिरों और उनसे बहते लहू की कोई कमी नहीं होगी और हां, सावधानी के लिए एक नाव अवश्य साथ लाइयेगा कहीं इतना खून न बह जाए कि बचाने वाला ही उस खून में डूब जाए उससे बचाने के लिए वह नाव काम आएगी आपको हमारी न सही पर हमें डॉक्टर कुमार जलजला के व्यवसाय और उनके जीवन की बेहद चिंता है।
अजय जी , आपने जो किया वो सराहनीय कार्य है .....मैं ब्लागर सम्मेलन होने को बुरा नहीं मान रहा बल्कि किसी मुद्दे पर आम सहमती की बात कह रहा था ...और रही बात बेनामी की तो जो अपनी बात सामने आ कर नहीं कह सकता उसकी क्या औकात ? वैसे भी लोगों का काम है कहना ...बस अपना काम करते जाना है ....यूँ ही बढ़ते रहें कदम ..
मैं मास्टर नहीं हूं दिलजला और आप नहीं हो डॉक्टर जलजला पर जलेगा कोई नहीं सब रहेंगे यहीं और सबकी बेहतरी के लिए डटे रहेंगे एक भी मान गया सच्चाई जान गया तो पोस्ट लगाने से सार्थक कार्य होगा यही।
जलजला जी , आप जो भी हैं इतना तो तय है कि एक हिंदी ब्लोग्गर हैं और जितना मैं अविनाश भाई को जानता हूं उस कारण से किसी को ये इजाजत नहीं दे सकता कि वो यहां दुर्भावना से कुछ लिखे , कम से मेरे ब्लोग पर तो नहीं । उम्मीद है आप इस बात को समझेंगे ।
वाह-वाह क्या बात है। क्या बात है। क्या बात है। क्या प्यारी कविता है। क्या बात है। आशा है मेरी वाह-वाह को आप अन्यथा नहीं लेंगे। अभी कुछ देर पहले ही मैंने एक जबरदस्त कवि की तुकबंदियां पढ़ी इसलिए वाह-वाह कर बैठा।
जाके पाऊँ न फटे बिवाई वो क्या जाने पीर पराई आपका गुस्सा सही है...और आपकी पोस्ट भी सही है... ये ॐ शांति का पाठ अब बंद किया जाए....अगर बिना इलाज़ के अगर सारी बीमारियाँ ठीक हो जाएँ ...तो फिर सारे डाक्टर अपनी दूकान बंद कर लेवें... हाँ नहीं तो...!!
झा जी आप भी बहुते सेंटीमेंटल टाइप के आदमी हैं... एतना दिन से इ दुनिया में हैं और इ सब फालतू बात से घबरा जाते हैं.. भुला गुए कि सुकरात और मसीह को भी अइसहीं लोग जहर और सूली दे दिया था.. उनका जो काम है उ अहले सियासत जानें हमरा पैगाम मोहब्बत है जहां तक पहुंचे..
हम तो आज पहुँच पाये आपकी इस पोस्ट पर, बोलते रहने दो दुनिया वालों को, आप तो कर्म करे जाईये। अगर इनको सुना तो जीना दूभर कर देंगे, हम तो अनसूनी करके आगे बड़ते रहते हैं, आपने भी किया बहुत खुशी हुई।
मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला
अरे ये क्या कर दिए झा जी , हमने blogging शुरू की और आप ब्लॉगर मीट बंद कर रहे है ..यानि भविष्य में गुनीजनो सो मिलने का कोई उपाय नहीं, आजकल इन बेनामियों ने नाम वालो की नाक में दम कर रखा है .... आप तो "संत ना छोड़े संतई कोटिक मिले असंत " पर कायम रहिये
जवाब देंहटाएंहां झा जी,
जवाब देंहटाएंबेनामी सही कह रहा है, मुझे अपना हिसाब चाहिए...
आपके बेशुमार प्यार का...
आदर भाव का...
निस्वार्थ आतिथ्य का...
हंसमुख स्वभाव का...
एक टांग पर खड़ा होकर सारा इंतज़ाम करने का...
कहने पर भी किसी से एक पाई न लेने का...
झा जी, अगर आप ये हिसाब नहीं कर सकते तो एक मूर्ख की मूर्खता पर हम सब से बदला क्यों लेना चाहते हैं...
जय हिंद...
मुझे लगा कि आप समोसे और चाय का विवरण लिखने वाले है .. । लेकिन सही है यह सुनकर मन दुखी होता है ।
जवाब देंहटाएंकहाँ किसकी बातों को तवज्जो दे रहे हैं आप भी. सभी समझदार हैं और जानते हैं.
जवाब देंहटाएंVery Good...
जवाब देंहटाएं@ खुशदीप सहगल
जवाब देंहटाएंऔर स्कूटर पर जा जाकर
रास्ता दिखलाने का
सबको बेपरेशानी स्थान पर पहुंचाने का
आखिर ये सभी सेवाएं अनमोल हैं
मतलब बेमोल नहीं।
चित्र में शामिल सभी ब्लॉगर इस पर अपनी टिप्पणी दें। कोई एक भी बकाया नहीं रहना चाहिए, जिसकी टिप्पणी नहीं आई तो समझा जाएगा कि वही अनानिमस है।
भाई, इस से पहले वाली ब्लागर मीट पर हमारा दिल ले चुके हैं,आप। उस का क्या हिसाब?
जवाब देंहटाएंअजय जी...इन बेनामी स्सालों की परवाह मत कीजिए...इनका तो काम ही है बिना बात के आग लगना...ये अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आने वाले... हम इन्हें जितना भाव देंगे ये उतना ही सर पे चढ के थूकेंगे
जवाब देंहटाएंयार अजय तुम भी..........
जवाब देंहटाएंनपुन्शको की औलादे अनामी बनकर सुनामी लाने का भरम पाल रही है. ऐसे नालायको के लिये मेरे मन मे अनेक गालिया आ रही है पर मुझे पता है तुम्हारे ब्लोग को ब्लोग जगत के बहुत से भले लोग और महिलाये भी पढते है
तो अनामी को गालिया कभी लिख्चीत मे देन्गे.
फिलहाल प्रशन्न चित्त रहो
खुद प्रशन्न और अनामी बनामी सारे चित्त.
हा नही तो......... ( अदा जी से साभार )
दिल पे मत ले यार ...............
जवाब देंहटाएंचाहे कोई खुश हो चाहे गालियाँ हज़ार दे ...........आरे मस्त राम बन के ज़िन्दगी के दिन गुज़ार दे !!
जवाब देंहटाएंक्या भैया.. आप भी ना.. जो मुंह छिपा कर कुछ भी कहता रहे उसकी बात आप एक बार में सुन रहे हैं, और जिनसे इतना प्यार मिल रहा है उनको नकार रहे हैं.. ये ठीक नहीं है..
जवाब देंहटाएंइतनी निरर्थक, तथ्यहीन और निस्सार बातों पर स्प्ष्टीकरण देने का भला क्या औचित्य है।
जवाब देंहटाएंबात ही इतनी घटिया व अविश्वसनीय है कि उसे तूल देने का कोई तुक ही नहीं दिखाई देता।
कोई भी वमन करता फिरेगा तो क्या वमन का शमन, विश्लेषण और अपने पर झेलने में कोई बड़प्पन है या उसको इलाज के लिए सौंप देने/ भरती करा देने में ?
इन प्रतिप्रश्नों से आगे और क्या कहा जाए!!
कविता मैम के कथन में मेरी भी सहमती शामिल कर लें भईया
जवाब देंहटाएंका वकील साहब, हमें नहीं शामिल करना चाहते अपने ब्लॉगर्स ग्रुप में तो साफ़ मना कर देते भाई कि ’नो वैकेन्सी’, एक माईक्रो पोस्ट ही बन जाती।
जवाब देंहटाएंअच्छा चिन्ता मत करो, नहीं आयेंगे नये लोग, बस्स। अमां पुराने तो मिलते रहो कम से कम। हम हिन्दुस्तानी सचमुच गज़ब के हैं। कोई भी कुछ कह देगा और किसी को भी कुछ कह देगा। कहने में क्या जाता है?
अजय जी संयम से काम लें। यम को मत हावी होने दें। जो नहीं चाहते हिन्दी ब्लॉगिंग और इसके माध्यम से सामाजिक सद्भाव बने और कायम रहे। उन्हें अपनी धूर्तताओं में व्यस्त रहने दें। हम सब तो अच्छे कार्यों में लगे रहें। यही बात माननीय भाई गिरीश बिल्लौरे जी से हुई थी। विध्वंस करने वाले तैयार बैठे हैं। किसी भी प्रकार से येन केन प्रकारेण अहित साधना चाहते हैं, उन्हें मत सफल होने दें। कविता जी की बात पर गौर करें। नहीं तो रोज ही कोई न कोई ढपोरशंख और जलजला कुमार आयेंगे और वमन करेंगे। हम सार्थक करते रहें, वे वमन से बदलकर मनन करने के लिए बाध्य हो जायें। यह क्षणिक लोग अथाह टिप्पणियां पाकर प्रख्यात होना चाहते हैं तो उन्हें होने दें कुख्यात। पर हम अपनी क्रांति में जुटे रहें, बिगुल बज चुका है। इन्हें न तो भाव दें और न बेभाव रहने दें। जैसे उभयलिंगी होते हैं न स्त्री और न पुरुष। हिन्दी ब्लॉगिंग में अपनी पहचान छिपाकर विध्वंस मचाने वाले ऐसे लोग खुद ब खुद नकार दिए जाएंगे। न इनकी टिप्पणियों को महत्व दें और न इनकी पोस्टों को। इनका बिल्कुल नोटिस न लें। किसी बात को दिल पर न लें क्योंकि दिल से बहुत बड़ी है हमारी हिन्दी, उसे विश्वभाषा बनाने के लिए अभी से जुट जाएं। पर इन कुत्तों को भौंकने दें और हम हाथी अपनी गजमस्ती में सतत प्रवाहमान रहें। शक्तिमान की तर्ज पर हिन्दीमान बनें।
जवाब देंहटाएंअजय जी
जवाब देंहटाएंसादर
आप सरीखे इंसान इन बेनामियों के अस्तित्व को हवा देंगे तो बाकी क्या करेंगे. आप के कारण हम उनसे मिल पाये जिनसे मिल पाना सम्भव नहीं था. रही बात पैसे की तो नीशू जी भी तो उस 'मिलन' में सम्मिलित थे, उन्होने कितने पैसे दिये? वे खुद क्यों नही बताते. बेनामी की टिप्पणी के बाद उन्हें खुद खंडन करना चाहिये था.
आपके द्वारा बेनामियो के मकसद को जान लेने के बाद भी यह कहना 'आज के बाद किसी भी ब्लोग्गर मीट से तौबा और किसी भी ब्लोग्गर मीट में शिरकत बंद ।' उचित नहीं है.
आपने तो बस दिया है लिया क्या?
@खुशदीप
साजिश करने वाला मुर्ख नही होता. हमारा काम है उसकी साजिश को नाकाम करना.
.... ?!
जवाब देंहटाएंदुनिया में जो भी कोई अगुआई करेगा उस पर ऐसे स्तरहीन आरोप लगते रहे हैं और लगते रहेंगे. आमान्य रूप से तो आपका व्यथित होना सहज है. पर अगर आपको ब्लाग जगत में कुछ सकारात्मक करना है तो इन कोव्वों की कांय कांय सुनने के लिये अपने कानों में सरसों का कच्ची घानी का तेल डालकर रखना पडॆगा.
जवाब देंहटाएंसोचो अगर आपकी जगह ताऊ होता तो कौव्वे को क्या जवाब मिलता? सुन लिजिये : "सुन बे कौव्वे, तेरे कितने नकलते हैं वो पकड, बाकी के मैं जीम गया, अब निकल ले वर्ना लठ्ठ खायेगा"
रामराम.
नीशू ने जो लिखा, वह उनकी सोच, उनकी समझ, उनकी अभिव्यक्ति थी। कई बार व्यक्ति जिस नजरिये को जीता है उसी को सम्पूर्ण विश्व मान लेता है।
जवाब देंहटाएंयहाँ तक तो ठीक है किन्तु बेनामियों की टिप्पणियों को बनाए रख, उन पर अपनी किसी प्रकार की प्रतिक्रिया न दे, मौन रह वह अपनी सहमति दे रहे हैं। जो पुन: उनके नज़रिए को दर्शाता है।
बेशक मेरी कोई प्रत्यक्ष भागीदारी नहीं थी इस ब्लॉगर बैठक में, किन्तु जैसा कि कुछ साथी जानते हैं कि अंतिम क्षणों तक मेरा वहाँ पहुँचने का प्रयास रहा व मानसिक तौर पर बैठक से जुड़ा रहा अत: मैं यह मान कर चल रहा कि कथित रूप से पैसे दे कर बैठक में भाग लेने की बात मुझ पर भी लागू हो रही।
ब्लॉग स्वामी के नाते, बेनामी की टिप्पणी को बनाए रख नीशू उसकी बात से सहमति जता रहे हैं। मैं बी एस पाबला, आई पी 59.95.128.172 द्वारा उनसे यह आग्रह कर चुका हूँ कि बेनामी की उपरोक्त टिप्पणी तत्काल हटाते हुए अजय कुमार झा सहित उस बैठक में शामिल सभी ब्लॉगर्स से सार्वजनिक खेद प्रकट करें अन्यथा मुझ समेत आहत ब्लॉगर्स की ओर से वैधानिक कार्यवाही की प्रतीक्षा करें।
टिप्पणियों सहित उनके सम्पूर्ण लेख का स्नैपशॉट पहले ही लिया जा चुका है
और हाँ अजय जी याद आया। पिछले बरस तिलक शाहदरा स्टेशन के पास अदरक खरीदने के लिए, खुले पैसे ना होने के कारण आपने मुझसे जो तीन अट्ठनियाँ ली थी वह वापस करने का कष्ट करें। मेरे डेढ़ रूपए भी गए और वह बंदर आपको दांत भी दिखा गया था।
जवाब देंहटाएंअफ़सोस!
जवाब देंहटाएंयही है जग की रीत।
जवाब देंहटाएंअजय भाई आपको यह अंदाजा भी हो गया होगा की इसी दुनिया में कितने नीच लोग रहते हैं -मैं समझ रहा हूँ की यह किसकी खुरापात हो सकती है! मैंने टिप्पणी संदर्भित ब्लॉग पर कर दी है ...आप भी ...नेकी कर दरिया में डाल....फिर एक सम्मलेन करिए ..और हाँ इस बार कम से कम भोजन भात का नगद नारायण वसूल करके हा हा ....
जवाब देंहटाएंक्षुब्ध मत होईये ..अभी तो ब्लॉग दुनियादारी के उबड़ खाबड़ रास्ते पर आपका यह पहला कदम था ...पहला कदम ,,,आप भी कितने नाजुक निकले ....आपसे यह आशा तो न थी ...जरा मजबूत बनिए न भाई !
इन दिनों सहसा ही एक ब्लागर फिर उधराया हुआ है ....उस पर नजर रखा जाय ....
कविताजी की बात पर गौर कीजिये ...!!
जवाब देंहटाएंहा हा हा ! झा जी । हमारा कितना निकलता है , ज़रा खुद ही हिसाब लगा लें ।
जवाब देंहटाएंवैसे आधा हिसाब तो खुशदीप भाई ने लगा ही दिया है।
अजय भाई, क्या बात है, विवाद और खींचातानी आपका पीछा नहीं छोडती.
जवाब देंहटाएंआपके लक्ष्य और आशय अच्छे होने पर भी हर कोई ऐरा गैर अनामी-सनामी आपको झल्ला जाता है और आप भी ज़रा-ज़रा सी बात पर उखड़ते दिखते हैं.
मेरी राय में आपको इस तरह बात-बात पर तुनकना नहीं चाहिए. आपकी रचनात्मकता और ऊर्जा तो इन्ही बातों में खपी जा रही है.
और आपको यह भी मनन करना चाहिए कि आपको लेकर हाल में ही इतनी निगेटिविटी क्यों बढ़ गयी है.
आशा है अन्यथा नहीं लेंगे. मैं आपसे विस्तार से फोन पर बात करूंगा.
@ B.S.Pabla
जवाब देंहटाएंteen aththaniyo me se ek meri thi, wo mujhe lauta dijiyega.:)
ram ram
दिल्ली में अठन्नियों चवन्नियों का जमाना नहीं रहा है। एक रुपया भी जा रहा है। दस रुपये से शुरूआत हुआ करेगी।
जवाब देंहटाएंलगता है आप सबने इसे नहीं पढ़ा है इसलिए ऐसी बहकी लहकी बातें बना रहे हैं
पढि़ए फिर
http://avinashvachaspati.blogspot.com/2010/05/blog-post_180.html
नहीं पढ़ा है किसी ने। उस दिन जरूर ब्लॉगिंग से अवकाश रहा होगा। या सब दिल्लीवालों के पास पहुंच गए होंगे। यही है अब दिल्लीवालों की नई दुनिया।
अजय जी आपको ऐसे ताने और ऐसे लोगों की बातों को हर वक्त झेलना परेगा, अगर आप सच्चे,अच्छे और इमानदार हैं / क्या आप ऐसे तानों से घबराकर सच्चाई,अच्छाई और ईमानदारी छोड़ देंगे ?अरे हाथी चले बाजार तो क्या कहते है .....की और ब्लोगिंग को तो हर हाल में मरते दम तक आगे बढ़ाना है / इतने लोगों के प्यार को देखिये जो उन्होंने अपनी सच्ची टिप्पणियों में व्यक्त किया है /
जवाब देंहटाएंभाईसाहब, ब्लोग्गर्स मिलन दिल्ली में आने वाला हर एक ब्लोग्गर जानता हैं की अजय झा ने कैसे अपने बलबूते पर आयोजन किया था! सतीश सक्सेना जी, राज भाटिया जी तथा अन्य ब्लोग्गर्स के बार बार बोलने पर भी अजय झा ने एक रुपया लेने से मना कर दिया था! फालतू की बातों से परेशान मत होयिए! आपको इस बात से कितनी ठेस पहुची होगी, आपसे मिलने वाला हर ब्लोग्गर जानता हैं!
जवाब देंहटाएंक्या अजय भईया आपने पोस्ट की और बताया भी नहीं , देर हो गयी मुझे आने में उसके लिए माफी चाहता हूँ , । अब क्या कहूँ अजय भईया मैं खुद आहत हूँ इससे , समझ नहीं आ रहा कि उस बेनामी को क्या कहूँ । हाँ हिसाब देना चाहिए आपको कि आपने फ्री में इतना प्यार क्यों बाँटा , फोन करके सुबह से आप पुछते रहे कि भईया कहाँ हो, हद हो गयी है , वही बात है ना नेकी कर दरिया में डाल , लोग कहते हैं कि गुटबाजी हो रही है ब्लोगिंग में , अरे भईया काहे की गुटबाजी , अब आपको लगता है कि आप किसी का लिखा ना पढ़े और आप पर सब टूट पड़े तो ऐसा थोड़ी ना होता है , रही बात ब्लोगिंग ना करने की तो भईया अगर ब्लोगिंग से मन उब गया हो तो छोड़ दो , किसी के उपर आरोप प्रत्यारोप तो नहीं लगाना चाहिए । अजय भईया आपने जो कुछ भी किया उसका हिसाब तो कभी हो ही नहीं सकता , पता नहीं कैसे लोग इसकी तुलना खाने पिने से कर देते हैं , और हाँ आपको जरा भी हताश होने की जरुरत नहीं है , और अगली बार जब ब्लोगिंग मीट हो तो खाने का सामान सब अपने घर से लायेंगे हाहाहाहाह ।
जवाब देंहटाएंअजय जी.... आजकल मैंने पोस्ट्स पढना छोड़ दिया है.... सिर्फ लाइन से सबको वैरी गुड दे रहा हूं.... उसी झोंक में आपको भी वैरी गुड दे बैठा.... अभी सारा माजरा समझ में आ गया है.... तो अपने वैरी गुड की माफ़ी चाहता हूँ... अबसे मेरा वैरी गुड सिर्फ चुनिन्दा जगहों पर ही दिखाई देगा....
जवाब देंहटाएंyah to had ho gai...
जवाब देंहटाएंwaise esi baaton me dhyan dene ki jarurat nahi hai jha ji...
अरे अजय भाई, आप इन दो टकें की ओकात वालो की बातो का बुरा मत माने, अगर यह सच बोलना जानते तो अपना नाम ओर चेहरा ले कर सामने आते ओर तब बोलते, अब यह अगर यह कहे कि राज भाटिया जी को टिकट भी इन ब्लांगरो ने पैसे जमा कर के दी है तो क्या कोई मान लेगा? तो भाई इन कमीनो को भोंकने दो.
जवाब देंहटाएंवेसे आप से हिसाब तो बहुत करना है, इतना प्यार बिना जान पहचान के दिया, बदले मै हमारा दिल ले लिया, इतने सारे लोगो से मुलाकात बस आओ की मेहरबाणी से ही हो पाई है,ओर हम सब के कहने के बावजूद भी एक पेसा किसी से नही लिया, अब यह सब बाते इस बेनामी की समझ मै कहा आयेगी, क्योकि इस के पास प्यार नाम की चीज ही नही है, तो भाई मस्त रहो ओर अगली मिटिंग की तेयारी करो, जो हमारी तरफ़ से होगी,शायद इस साल के अंत तक भारत आऊं, या २०११ के पहले तीन महीनो मै कभी, तो भाई शेर दिल हो इन बिल्ली कुत्तो की बातो पर ध्यान मत दो, जो कही छुप कर तरह तरह की आवाजे निकालते है
भई हम तो सिर्फ इतना जानते हैं कि मूर्खों की किसी भी बात पर ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए....
जवाब देंहटाएंMere Priy, Jha Ji
जवाब देंहटाएंHame to Aap ka pyar chahiye.
मुझसे कहा जा रहा है बताने के लिए इसलिए यहाँ एक सामान्य सी बात लिख रहा कि आईपीसी की धारा-499 के तहत नेट के जरिये किसी को परेशान करने या अपशब्द कहने पर केस दायर किया जा सकता है। अधिक जानकारी यहाँ है
जवाब देंहटाएंहां झा जी,
जवाब देंहटाएंबेनामी सही कह रहा है, मुझे भी अपना हिसाब चाहिए...
आपके बेशुमार प्यार का...
आदर भाव का...
निस्वार्थ आतिथ्य का...
हंसमुख स्वभाव का...
एक टांग पर खड़ा होकर सारा इंतज़ाम करने का...
कहने पर भी किसी से एक पाई न लेने का...
झा जी, अगर आप ये हिसाब नहीं कर सकते तो एक मूर्ख की मूर्खता पर हम सब से बदला क्यों लेना चाहते हैं...
प्रणाम
अजय जी, जिस तरह से ये मसला फर्जी तरीके से बनाया गया है, वह वाकई शर्मनाक है। पता नहीं क्या मिल जाता है लोगों को बिना धुंए के आग लगाने से।
जवाब देंहटाएंखैर आपने तो ब्लागरों को बुलाया था भला मैं कैसे आ पाता। वैसे भी जलजला अपनी मर्जी से ही कही भी आता-जाता है। हां... लोगों के सपने में मैं तब जाता हूं जब वे मुझे बुलाते हैं।
जवाब देंहटाएंआपको पता नहीं सपना कौन देखता है और सपने में बुलाने का काम किसे अच्छा लगता है।
आप लोगों की लड़ाई और झगड़े को देखकर यही कहूंगा कि आप लोग एक दूसरे का सिर जल्द से जल्द फोड़े।
अजय भैया आज कल ब्लॉगिंग का स्वरूप इतना तेज़ी से बदल रहा है कि क्या कहें प्रेम के मेल मिलाप को भी लोग विवादित बना देते है..हम दिल्ली वासियों का प्रेम और मेल मिलाप देख कर यह सब किसी ने उछाला है..मैने चाहूँगा की वा व्यक्ति स्पष्ट रूप से सामने आए जिसने ऐसी अफवाह उड़ाई है ऐसी बातें किसी के द्वारा स्वीकार्य नही है..हम आज भी आपके प्रेम के कायल है और जानते है कि यह मेल मिलाप केवल आप और अविनाश चाचा जी के प्रयास से ही संभव हुआ हम सब बस मिलने आए थे....फिर भी कोई इस तरह की बात करें तो चाहे वहाँ उपस्थित ही कोई क्यों ना हो बिल्कुल ग़लत है...यह सब जानते है कि अगर पैसों की बात की जाती तो यह ब्लॉगर्स सम्मेलन कितना सफल होता...भाई हम सब खूब अच्छे ए जानते है और यह दिल्ली के ब्लॉगर्स के बीच में शक पैदा करने के लिए कहा गया..मैने चाहूँगा अगर किसी को इसमें कोई प्रश्न करना हो तो वहाँ मजूद एक एक ब्लॉगर्स से करें कि किसने क्या किया....
जवाब देंहटाएंहम आज भी यही कहेंगे अजय भैया की केवल आप के सहयोग से ही यह संभव हो सकता है बाकी हर बात व्यर्थ है...
पहले खुश्दीप जी का हिसाब किताब बराबर करे .
जवाब देंहटाएं@ कुमार जलजला
जवाब देंहटाएंआपका आना अच्छा लगा है
आज आपने रुटीन कार्य से अलग
चाहे अपने धंधे को बढ़ावा देने के लिए ही सही
लगता तो यही है कि आप एक डॉक्टर हैं
और उन्हें ही किसी के सिर फोड़ने से लाभ मिल सकता है
पर जहां तक मुझे याद है
आपने न तो डॉक्टर की वर्दी पहनी थी
न गले में आला लटकाया था
कोई सिस्टर (नर्स) भी आपके साथ नहीं थी
प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स भी नहीं दिखलाई दिया
फिर भी हमारे सिर फोड़ने से
आपकी जलन को कुछ जलता (शीतलता)
मिलती है तो हम आपके लिए
वह भी करने को तैयार हैं
पर ऐसा न हो कि
हम तो सिर फोड़ बैठें
और आपका दूर दूर तक पता ही न हो
आप सामने आएं
और निश्चित मानें कि
आपकी दवाईयां तो कम हो सकती हैं
पर जो हालत हिन्दी ब्लॉग जगत में चल रही है
फूटे सिरों और उनसे बहते लहू की कोई कमी नहीं होगी
और हां, सावधानी के लिए
एक नाव अवश्य साथ लाइयेगा
कहीं इतना खून न बह जाए
कि बचाने वाला ही उस खून में डूब जाए
उससे बचाने के लिए वह नाव काम आएगी
आपको हमारी न सही
पर हमें डॉक्टर कुमार जलजला के व्यवसाय
और उनके जीवन की बेहद चिंता है।
अजय जी , आपने जो किया वो सराहनीय कार्य है .....मैं ब्लागर सम्मेलन होने को बुरा नहीं मान रहा बल्कि किसी मुद्दे पर आम सहमती की बात कह रहा था ...और रही बात बेनामी की तो जो अपनी बात सामने आ कर नहीं कह सकता उसकी क्या औकात ? वैसे भी लोगों का काम है कहना ...बस अपना काम करते जाना है ....यूँ ही बढ़ते रहें कदम ..
जवाब देंहटाएं@ नीशू भैया
जवाब देंहटाएंअगर यह बढ़ते जाना है
तो डगमगाना क्या होता है ?
@ कुमार जलजला
मैं मास्टर नहीं हूं दिलजला
और आप नहीं हो डॉक्टर जलजला
पर जलेगा कोई नहीं
सब रहेंगे यहीं
और सबकी बेहतरी के लिए
डटे रहेंगे
एक भी मान गया
सच्चाई जान गया
तो पोस्ट लगाने से सार्थक
कार्य होगा यही।
जलजला जी ,
जवाब देंहटाएंआप जो भी हैं इतना तो तय है कि एक हिंदी ब्लोग्गर हैं और जितना मैं अविनाश भाई को जानता हूं उस कारण से किसी को ये इजाजत नहीं दे सकता कि वो यहां दुर्भावना से कुछ लिखे , कम से मेरे ब्लोग पर तो नहीं ।
उम्मीद है आप इस बात को समझेंगे ।
वाह-वाह क्या बात है। क्या बात है। क्या बात है। क्या प्यारी कविता है। क्या बात है।
जवाब देंहटाएंआशा है मेरी वाह-वाह को आप अन्यथा नहीं लेंगे। अभी कुछ देर पहले ही मैंने एक जबरदस्त कवि की तुकबंदियां पढ़ी इसलिए वाह-वाह कर बैठा।
जाके पाऊँ न फटे बिवाई वो क्या जाने पीर पराई
जवाब देंहटाएंआपका गुस्सा सही है...और आपकी पोस्ट भी सही है...
ये ॐ शांति का पाठ अब बंद किया जाए....अगर बिना इलाज़ के अगर सारी बीमारियाँ ठीक हो जाएँ ...तो फिर सारे डाक्टर अपनी दूकान बंद कर लेवें...
हाँ नहीं तो...!!
आप भी किन बातों पर कान दे रहे हैं?
जवाब देंहटाएंकुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना... अगली मीट में आपसे मुलाकात होगी पक्का भरोसा है मुझे. होगी न?
झा जी आप भी बहुते सेंटीमेंटल टाइप के आदमी हैं... एतना दिन से इ दुनिया में हैं और इ सब फालतू बात से घबरा जाते हैं.. भुला गुए कि सुकरात और मसीह को भी अइसहीं लोग जहर और सूली दे दिया था..
जवाब देंहटाएंउनका जो काम है उ अहले सियासत जानें
हमरा पैगाम मोहब्बत है जहां तक पहुंचे..
हम तो आज पहुँच पाये आपकी इस पोस्ट पर, बोलते रहने दो दुनिया वालों को, आप तो कर्म करे जाईये। अगर इनको सुना तो जीना दूभर कर देंगे, हम तो अनसूनी करके आगे बड़ते रहते हैं, आपने भी किया बहुत खुशी हुई।
जवाब देंहटाएं