"झाजी मैं ब्लोग्गिंग छोड रहा हूं , बस यार अब नहीं करना " मित्र सत्येन्द्र जी ने मुझे चौंका दिया । मैं सोचने लगा आयं ये क्या , इसे क्या हो गया , अभी तो कुछ समय पहले ही ब्लोग्गिंग में इन्हें हमने घुसेडा था मगर इत्ती जल्दी टंकी आरोहण ......हमें तो पूरा यकीन था कि इन्हें तो टंकी महात्म्य के बारे में पता भी नहीं होगा फ़िर .......अरे हुआ क्या आखिर .....कोई तल्ख टीप मार गया क्या ??? कुछ बताओ तो सही
"क्या बताऊं आपने तो ब्लोग्गिंग में आने से पहले पता नहीं क्या क्या सपने दिखा दिए थे , फ़लाना ढिमकाना , और तो छोडो बांकी बातें , आपने कहा कि लोग आपको पढके तुरंत ही उस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं ,अजी क्या खाक करते हैं । पिछली सात पोस्टों से न तो किसी ने पढा और न ही कोई टिप्पणी की मेरा तो मन ही टूट रहा है इस ब्लोग्गिंग से "। इसके बाद मैं सोचने लगा कि ये बात तो हमने भी कभी सोची थी और शायद देर सवेर हरेक ब्लोग्गर के मन में आती ही होगी खासकर नए ब्लोग मित्रों के मन में ,अब तो जरूर ही , जबकि मैं पिछले कुछ समय से पुन: देख रहा हूं कि पोस्टों पर टिप्पणियों की संख्या में औसत कमी आई है । तो सोचा कि आज अपने नए ब्लोग्गर्स मित्रों से चंदा बातें उनके लिए की जाए ।
सबसे पहली बात तो ये कि ब्लोग्गिंग में सबके आने के अलग अलग कारण और बहाने होते हैं , कुछ लोगों को बाकायदा ये पता होता है ब्लोग्गिंग क्या है , उसके कायदे, उसके तकनीकी पक्ष, एग्रीगेटर्स आदि के बारे में पूरी जानकारी होती है , मगर अधिकांशत : हमारे जैसे ही लिखास और छपास के स्वाभाविक कीटाणु से उद्वेलित होकर कूद पडते हैं और मेरा अनुभव ये कहता है अधिकांशत: ये स्थिति उन्हीं के साथ होती है । तो अपने उन हमारे जैसे मित्रों के लिए ये जानना और समझना बहुत ही जरूरी है कि , यदि आप आमिर और शाहरुख नहीं , प्रियंका, एशवर्या भी नहीं हैं , प्रेमचंद. तेंदुलकर, आदि नहीं हैं तो फ़िर क्यूं भाई क्यों , आख्रिर क्यों आप ये उम्मीद लगा बैठते हैं कि इधर आप लिखेंगे और उधर उसे सब हाथों हाथ ले लेंगे ।इसलिए ये बात गांठ बांध लीजीए कि यदि टिप्पणियों के आने न आने से आपकी ब्लोग्गिंग प्रभावित होती है तो फ़िर आपको कम से कम थोडे दिन तो धैर्य धारण करना ही होगा ।
वैसे सारी गलती पाठकों की भी नहीं होती , बहुत बार तो होता ये है कि ब्लोग बनाने के बाद उसे ज्यादा ऐग्रीगेटर्स से जोडा ही नहीं जाता तो स्वाभाविक है कि पाठकों की पहुंच तो कम होगी ही और फ़िर टिप्पणी भी तो मेरी सलाह है कि आप सबसे पहले अपने ब्लोग को विभिन्न चिट्ठा संकंलकों से जोडें ,आपकी सुविधा के लिए मैं यहां कुछ संकंलंकों के लिंक दे रहा हूं :-
ब्लोगवाणी
चिट्ठाजगत
हिंदी ब्लोग्स
रफ़्तार
ब्लोगप्रहरी
अब एक और बात, जब भी नए ब्लोगस पर हम कोई टिप्पणी छोडने जाते हैं एक जिस बात से सबसे ज्यादा खीज होती है वो है वर्ड वेरिफ़िकेशन । मैं मानता हूं कि बहुत से ब्लोग्गर्स को ये पता भी नहीं होता कि ऐसी कोई बला पाठकों को उनकी पोस्ट पर टीपने में व्यवधान डालता है , और बहुत अच्छी बात ये है कि हमारे बहुत से साथी ब्लोग्गर्स अपने स्वागत संदेश के साथ उन्हें ये वर्ड वेरिफ़िकेशन हटाने की न सिर्फ़ सलाह देते हैं बल्कि उन्हें हटाने की विधि भी बता देते हैं तो सबसे पहले तो नए ब्लोग्गर्स बंधुओं को ये वर्ड वेरिफ़िकेशन हटाने पर ही ध्यान देना चाहिए ॥
चलिए ये तो हुई कुछ प्रायोगिक बातें जो नए ब्लोग्गर्स को करनी चाहिए और देर सवेर वो कर ही लेता है ।अब आपको कुछ छोटे शार्टकट्स भी बता देते हैं । हालांकि इसे सूत्र वाक्य तो कतई न मानें मगर फ़िर भी आजमाया तो जा ही सकता है ।
ब्लोगजगत में होने वाली चिट्ठाचर्चाओं को अवश्य ही पढें और देखें ,इससे न सिर्फ़ आपको एक साथ ढेर सारी अच्छी पोस्टें पढने को मिल जाएंगी बल्कि , चूंकि चर्चा हमेशा ही पाठकों के बीच आकर्षण का केंद्र रही है इसलिए आपको उनके बीच परिचय बनाने और उनका परिचय जानने में भी आसानी होगी ।
ब्लोगजगत में चल रहे गंभीर और अगंभीर लेखन के बीच में कुछ ब्लोगों द्वारा नियमित /अनियमित/दैनिक/साप्ताहिक ...और बेहद रोचक ,ज्ञानवर्धक पहेलियों का आयोजन किया जाता है । य़े पहेलियां बहुत कम समय में ही लोकप्रियता के नए आयाम गढ चुकी हैं । नए ब्लोग्गर्स को प्रयास करना चाहिए के वे इनमें भाग लें । इसे इस तरह से देखें कि ये उनके लिए एक प्लेटफ़ार्म की तरह काम करेगा सबसे परिचय के लिए ॥
तो आज के लिए बस इतना ही, शेष फ़िर कभी ...
भईया सोच तो हम भी रहे है, ब्लांगिग को छोडने की नही बल्कि कम करने की, बाकी आप ने नये ब्लोगरो के लिये सलाह बहुत अच्छी दी.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
मैंने गीता पढ़ी नहीं, बस राह चलते सुनी है हजारों से।
जवाब देंहटाएंकाम करो फल की इच्छा मत रखो।
रश्मि रविजा की प्रोफाइल में एक पंक्ति है।
"मंजिल मिले ना मिले , ये ग़म नहीं मंजिल की जुस्तजू में, मेरा कारवां तो है"
शायद वो नए ब्लॉगरों के काम आ जाए।
अजय भाई, बहुत अच्छी सलाह दी है आपने आखिर बिना पाठक या टिप्पणी के नया ब्लॉगर कब तक लिखता रहेगा, अब हम तो ठहरे फ़ेवीकोल वाले कोई कितना भी बोल ले पर अपने तो इस बारे में सोच भी नहीं सकते अपन तो ये सोचते हैं कि चलो आज नहीं तो कल तो पड़ेगा कोई पाठक, और कोई अपने लेख छापता नहीं है, अपन खुद ही छाप लो, जितने लोग पढ़े उतने ही सही।
जवाब देंहटाएंनय ब्लॉगर्स भी ध्यान रखें कि ये नशा है, और कभी छोड़ने की सोची तो डॉन का डायलाग याद कर लो, कि यहाँ आने का रास्ता है, और जाने का .........
बहुत सुंदर और उपयोगी पाठ।
जवाब देंहटाएंनए ब्लागरों के लिए बहुत उपयोगी -शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंब्लौगवुद भी बॉलीवुड से कम नहीं है। बहुत संघर्ष करना पड़ता है , नए ब्लोगर को।
जवाब देंहटाएंपुराने ब्लोगर्स का फ़र्ज़ है की नए लेखक को प्रोत्साहन दें।
सार्थक लेख। आभार।
बहुत अच्छी सलाह!
जवाब देंहटाएंअच्छी सलाह!! इधर कुछ तबीयत भी नरम गरम सी है तो ज्यादा नये लोगों पर ध्यान भी नहीं दे पा रहे लिकिन इस दायित्व की तरह सभी को लेना चाहिये कि प्रोत्साहन दें.
जवाब देंहटाएंबहुत जरुरी और सही सलाह दी है आपने. शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
यह काम की बात है...
जवाब देंहटाएंबढिया लेख के साथ सार्थक बात रखने के लिए आभार आपका ।
जवाब देंहटाएंachchi salah di hai aapne..vaise sochte to ham bhi hain roz chhodne ki blogging ..par kya karen ye daldal hi esa hai na rehte banta hai na nikalte :).
जवाब देंहटाएंcool tips!
जवाब देंहटाएंअच्छी सलाह।
जवाब देंहटाएंसभी हिन्दी ब्लोगरों के लिये बहुत अच्छी सलाह!
जवाब देंहटाएंसच्ची और खरी बात
जवाब देंहटाएंउपयोगी सलाह।
जवाब देंहटाएंअच्छी सलाह ........
जवाब देंहटाएंनये ब्लागर्स के मार्गदर्शन हेतु बहुत ही उपयोगी जानकारी......
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