देखिये जी आप एकदमे ठीक समझ रहे हैं.....हमहुं संगम सम्मेलन का ही कौनो बवंडर पर सवार होकर एक ठो पोस्ट ठेलने की तैयारी कर बैठे हैं। देखिये देखिये अब ई मत कहियेगा कि आपहु शूरू हो गये....आप तो गईबे नहीं किये थे...अरे जाना छोडिये आप लोगन को बुलाया भी नहीं गया था जी...। अजी हम ऊ सब काहे रीपीट करेंगे जी....जब लोग बाग लिखिये रहे हैं...लिख का रहे हैं....एक दम से दाग रहे हैं...बोफ़ोर्स का मुंह खोल दिये हैं। इत्ता चर्चा तो कुंभ का नहीं हुआ होगा जतना ई सम्मेलन/संगोष्ठी/महासम्मेलन/कार्यक्रम/मेला/चौपाल...बस जी एतने आ रहा है अभी मन में......का हुआ ।
दरअसल पिछले दिन ..गाम की तरफ़ गये तो ....हम दू ठो बिलागर ...अरे दूसरे ओही चिट्ठा सिंह जी ...(अब तो सिंग भी बदल दिये हैं..काहे से राजा बाबू को एतराज न हो ) बतियाते जा रहे थे....तो चच्चा बीच में मिल गये। अब ई मत पूछियेगा कि चच्चा कौन। अरे एके गो चच्चा हैं...जिनके हम सर्टिफ़ाईड बच्चा ..माने भतीजा हैं।
पूछे लगे ," तब और बताओ..का सब चल रहा है ..का बने ...कुछ बनबो किये कि बस खलिया बंदूक ढन ढन"
हम कुछ कहते कि मित्र कह उठे ...," अजी का बात कर रहे हैं चच्चा....हम इनको अपने फ़ील्ड में ले आये हैं....लईका आपका अब आम नहीं रहा ......एक दमे खासमखास बिलागर हो गया है ॥"
आंय ई का होता है जी ...ई तो सुनने में कौनो अजगर , कारीगर, बाजीगर जैसा लग रहा है ..?
हां चच्चा होता तो कुछ अईसने टाईप का होता है ...मुदा का कहें आज कल सब इहे बन जाना चाहता है..माने जानिये कि ..आप इंसान हों न हों ....बिलागर होना जरूरी है.....काहे से कि बिलागर हो जाने के बाद आप इंसान, हैवान, शैतान, ....ई सब टाईप से मुक्त हो जाते हैं।
"अरे जादे नहीं छोडो हमको पता है ..ई पिछला दिन अभी तुम लोग अपने जैसे ही कुछ अजगर ,बाजीगर , का कुछ संगम मेला ..माने कुंभ जैसा कुछो था न जी...सुने हैं बडा ....कपडा उतारा -उतारी हुआ जी....आ हुआ का अभियो चलिये रहा है "।
"हम सिटपिटाते इससे पहिले ही ..मित्तर चिट्ठा बोल पडे," अरे चच्चा तुमका पता तो हईये नहीं है...अब ई बताओं..आदमी..अरे माने बिलागर ...ओह मान लो थोडिये देर के लिये कि जौन बिलागर सब था उ सब आदमीए था ...तो संगम जायेगा ..तो स्नान करबे करेगा न गंगा जी में...और गंगा जी में स्नान के लिये कपडवा तो उतारना ही न पडेगा जी....अब ई तो स्नेह है सबका कि ...सब एक दोसर का ही प्रेम प्यार से उतार दिया ...ई तो हम लोगन का चलता रहता है । देखो चचा ...बिलागर माने ...उ...चीज,प्राणी, जंतु,जीव ...जो बिलबिलाए...बिलबिलाते रहे। वजह होने पर भी बिना वजह भी , मुद्दों पर, बगैर मुद्दों पर , चिरकुटई पर, टिप्पणियों पर ....अब का गिनायें...बस ई समझिये कि जो बिलबिलाता हो बही ब्लागियाता भी है । बकिया सब तो ओइसे ही टाईम पास है ...।"
चचा कहां मानने वाले थे...कहे लगे .".चलो मान लिया ..मगर ई तो बताओ कि ..तुम्हरा चीफ़े गेस्ट ....जो बहुते नाम वाला था सुने हैं होस्टाईल हो गया जी....का तो कहा कि ई सब तो कचरा है जी । रे तुम लोग तो कबाडी हो गया न । "
अरे चचा तो जो लोग बुलाए थे ...उन्हीं को कहां मालूम था कि उ नाम वाले ..हमही को बेनाम कर जाएंगे ...फ़िर ठहरे चीफ़ गेस्ट....इहे गुस्ताखी तनिक इहां बिलागिंग में करते न तब देखते आप....ई जौन पोस्ट सब आ रहा है ..एकर दस गुना आता नाम से ....आ टीप आता बेनामी बन के ....नाम तो नाम ....काम भी तमाम हुई जाता उनका ।
देखिये हम जान रहे हैं ..जो इससे जादे बताए तो आप भी चचा की तरह बिलबिला के हमही को .......छोडते हैं जी ....फ़िर कहियो......