जी हां मैं समझ रहा हूं कि आप लोग सोच रहे होंगे कि आज तो पिज्जा की होम डिलिवरी का जमाना है और वो भी बाकायदा पेमेंट करके मिलती है ।और यदि मुफ़्त में किसी चीज़ की होम डिलिवरी होती है तो वो है तनाव /दुख / गम और इनके ही भाई बंधु .........॥ तो ऐसे में यदि खुशियों की होम डिलिवरी की जाए , या कोई आपके पास करे तो .......कैसा लगता है ,....अच्छा लगता है टाईप फ़ीलींग होगी न । तो कीजीए न आप भी , अरे इसमें कौन सी मुश्किल है ॥
अपनी किताबों की आलमारी /मेज की दराज या ऐसे ही खजाने छुपाने वाली जगह को टटोल के देखिए ,अरे नहीं नहीं कोई खास काम नहीं कह रहा हूं करने को , कोई किताब पढ के उसका विश्लेषण करने को भी नहीं कह रहा , बस इतना कीजीए कि कोई बरसों पुराना कोई धूल में अटा, कहीं से फ़टा , मुडा तुडा खत , कोई पोस्टकार्ड, कोई प्यारा सा खत पा कर देखिए , उसे निहारिए और फ़िर पढ के देखिए । मुझे पूरा यकीन है कि आपको न सिर्फ़ पुराने दिन याद आ जाएंगे बल्कि बहुत कुछ रुमानी हो जाएगा । हुई न खुशियों की होम डिलिवरी .......। चिट्ठी नहीं मिली , कोई बात नहीं , इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं , अब तो डाकिया भी चिट्ठी के अलावा सब लाने को तैयार है ।अरे बहुत सारे नुस्खें है जी एकदम कमाल कमाल , आप कोशिश तो कीजीए । जिंदगी बहुत ही छोटी है , यदि प्यार से जीनी हो तो और भी छोटी , तो फ़िर एक एक पल ऐसा हो , या ऐसी कोशिश तो हो कि खुशियों की होम डिलिवरी होती रहे ...होती रहे ॥
चलिए फ़िर एक काम कीजीए , आप अपना पर्स खोलिए , अरे नहीं नहीं जी कोई पार्टी नहीं देनी है , अरे चंदा भी नहीं देना है । आप तो बस ये कीजिए कि पर्स को खंगाल के कोई ऐसा फ़ोन नं निकालिए जिसे आपनी जाने अनजाने नोट कर लिया , किसी यार दोस्त के नाम का नंबर , किसी अपने बेगाने का नं , और कोई तो ऐसा नंबर जिसके लिए आप जानते ही नहीं या भूल गए हैं कि है किसका .........मिलाईये न ..........जाने आपके यहां या उसके जिससे बात हुई उसीके यहां हो जाए खुशियों की होम डिलिवरी ।
चलिए ये न सही तो फ़िर ऐसा करते हैं , पडोस के शर्मा अंकल , मिश्रा आंटी, तिवारी चाचा, पांडे काका , किसी का कोई ऐसा काम कर देते हैं जो कराने के लिए वे बेचारे कब से परेशान हैं । डाक्टर के पास ले जाना, कोई दवाई ला देना , या शायद पिछले काफ़ी समय से उनका फ़ोन का , या पानी का , बिजली का कोई बिल पेंडिंग है ...भई जमा करवाने वाला तो लंदन/अमरीका/फ़्रांस या आस्ट्रेलिया चला गया है , उसे ही जमा करवा दिया जाए । देखिए करके ......खुशियों की होम डिलिवरी ।
चलिए पास के पार्क में चलते हैं , अपने बच्चों और बहुत सारे बच्चों को बुला कर , उनके साथ कोई दिलचस्प खेल खेलते हैं ,छुपन छुपाई , पकडम पकडाई ,पिट्ठू गरम या कोई और खेल खेला जाए । जानते हैं मैंने अक्सर ये बात गौर की है कि जब जब मैं ऐसा करता हूं तो जितनी खुशी मुझे होती है , उससे ज्यादा आनंदित और उत्साहित तो बच्चे हो जाते हैं । और बीच बीच में फ़ूल पौधों से बात करने का आनंद तो अनुपम होता ही है , हां मगर अब चिडियों की चहचहाहट नहीं मिलती , .मगर खुशियों की होम डिलिवरी तो हो ही जाती है ।
अरे मारिए गोली , आप एक काम कीजीए , सर्दी की धूप में छत पर बैठ जाईये ( और ऐसी ही सलाह गर्मी के समय में किसी दिन जब हवा चल रही हो मंद मंद , के लिए भी है ) और रेडियो सुनिए । अरे नहीं नहीं जी कोई समाचार नहीं , कोई ऐफ़ ऐम भी नहीं , विविध भारती सुनिए , भूले बिसरे गीत सुनिए ....और सुनिए हवामहल । फ़िर कहिएगा कि ....हुई न खुशियों की होम डिलिवरी ॥
अरे भैया, इतने सारे काम !
जवाब देंहटाएंहम तो पुरानी तस्वीरें निकाल कर देख लेते हैं और देखकर जो आनंद आता है , तो भैया बस पूछो मत।
जल्दी ही आपको भी दिखायेंगे। शुभकामनायें।
सीधी सीधी सामान्य सी बातों में जिन्दगी की गहराई ढूढ़ना आप से सीखता हूँ। अब तो आप से मिलने को मन करने लगा है।
जवाब देंहटाएंचलिये हम आप को होम्डिलईवरी मै वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाये दे रहे है, बिलकुल मुफ़्त ओर यह मुस्कान भी जो अभी तक आप के चेहरे पर मोजूद है
जवाब देंहटाएंआपके नुस्खे तो सच में कमाल के हैं । आपको वसंत पचंमी की बहुत-बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंBade seedhe saade aur behtareen nuskhe hain...!
जवाब देंहटाएंअजय भाई,
जवाब देंहटाएंक्या विविध भारती, हवा महल अब भी आता है...एफएम के ज़माने में मीडियमवेव तो सुनना ही बंद हो गया है...
रही बात खुशियों की होम डिलीवरी की तो आदेश कीजिए मुझे किस-किस के घर जाना है....भई नाम में ही खुश जो है...
जय हिंद..
सब नुस्खे नोट किये अब आजमाने चला -शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंअदरणीय अजय की
जवाब देंहटाएंक्षमा
मेरी मंशा किसी को ठेंस पहूंचाने की नहीं थी और न ही मैं हिंसा का समर्थक हूं पर गोपाल ही के ब्लॉग को पढ़ने के बाद अनायास ही जो लिखाना प्रारंभ किया वह रूका ही नहीं और इसलिए ही लिखता चला गया। मैं तो बस यह कहना चाहता हूं कि किसी भी समस्या को समझकर कर ही उसका समाधान किया जा सकता है और बिना समाधान के कोई समाज आगे जा भी नहीं सकता।
सुझाव के लिए धन्यवाद, वादा करता हूं कि यह गलती आगे नहीं दुहराउंगा ..
नुस्खे सॉलिड हैं और ई सब करने का ना मन करे तो उड़नतश्तरी पर आईये...उहाँ भी फ्री डिलेवरी है झा जी खुशियों की... :)
जवाब देंहटाएंफ़्री होम डिलेवरी बहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंगजब के नुस्खे हैं जी. बहुत शानदार.
जवाब देंहटाएंरामराम.
कुछ नुस्खे तो अपनाए हुए हैं
जवाब देंहटाएंपुरानी तस्वीरे स्कैन कर नेट पर रखने के बहाने पता नहीं क्या क्या याद आ जाता है
जब तक मैं इंटरनेट से जुड़ा रहता हूँ तब तक विविध भारती का डीटीएच चैनल चलता रहता है। महसूस किया है मैंने कि इससे मन प्रसन्नचित्त रहता है।
@ खुशदीप जी,
हवामहल, पंचरंगी कार्यक्रम, जयमाला, त्रिवेणी, मनचाहे गीत, आपकी फरमाईश सब वैसा ही है विविध भारती पर! इसी के प्रेम में तो हम उसके दर पर जा पहुंचे थे,
अपने घर का पता तो आपको दे चुका हूँ, नज़रें इनायत कब होंगी?
बढ़िया दिल के आदमी लगते हो ! शुभकामनायें कि दिल न दुखे ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ...खुशिया तो हमारे आसपास ही होती है बस जरूरत होती है घर और मन का दरवाज़ा खोल कर उन्हें अन्दर आने देने की
जवाब देंहटाएंकभी अपनी कामवाली के बच्चे को बिठा कर मिठाई खिला कर देखिये...उसके चेहरे की चमक और मुस्कराहट आपके दिल में खुशियों की इंस्टेंट डिलीवरी ना करे तो कहिये, आभार ,
http://sonal-rastogi.blogspot.com
हां ऐसा ही होता है अजय जी.पुरानी चीज़ें हमेशा सुकून और खुशी ही देतीं हैं.
जवाब देंहटाएंलाजवाब नुस्खे बताये हैं धन्यवाद सही मे ज़िन्दगी बहुत छोती है बस जितनी हो सकें खुशियाँ बटोर लें
जवाब देंहटाएं