जी हां आज जब इस ब्लॉग पर ये पोस्ट लिखने बैठा हूं तो समझ ही नहीं पा रहा हूं कि मन कैसा सा हो रहा है । नहीं इसलिए नहीं कि अब इस वर्ष की ब्लॉग की पढाई लिखाई और टिपाई भी तो हो गई ..अब चलें देखें कि अगले बरस क्या नया , और क्या पुराना ही नए चेहरे के साथ सामने आता है । हां फ़िलहाल जिस दौर से हिंदी ब्लॉगजगत गुज़र रहा है उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाला समय इस समय से जरूर ही बेहतर होगा । और देखिए न जिस तरह से जरूरत रास्ता खुद ब खुद बना लेती है । आज हिंदी ब्लॉगजगत के पास कोई भी ऐसा एग्रीगेटर नहीं है जो हिंदी ब्लॉग पोस्ट को अपने आप पाठकों के पास ले आए । मगर फ़िर भी पाठक पढ रहे हैं , और क्या खूब पढ रहे हैं कुछ भी आसामान्य नहीं लग रहा है । लेकिन जरूरी नहीं कि सबके साथ ही ऐसा हो लेकिन बहुत जल्दी ही आप इस समस्या से भी पार पा ही लेंगे या तो एग्रीगेटर्स पुन: आ जाएंगे , पुराने न सही नए ही सही ....या फ़िर बुरी से बुरी परिस्थितियों में क्या होगा ..आपको तलाश तलाश कर पढने की आदत लग जाएगी ।इस बीच कई मित्रों के ब्लॉग्स के गायब होने की सूचनाएं भी आने लगीं , शुक्र ये था कि ये ज्यादा नहीं हुआ और बात आराम से संभल ही गई । मगर शायद होनी ने इसी समय के लिए ये तय कर रखा था कि मैं पिछले काफ़ी समय से टालते आ रहे एक काम को अब अंजाम तक पहुंचा दूं । जी हां मेरी निर्माणाधीन साईट पर अपने सभी ब्लॉग को ले जाने का तथा भविष्य में वही अड्डा जमाने का । बीच में सोने पर सुहागा ये हुआ कि , पाबला जी के दिल्ली प्रवास ने इस योजना को अमली जामा पहनाने में और भी त्वरित कर दिया । और फ़िर मेरे सभी हिंदी ब्लॉग पोस्टों को टिप्पणी समेत यहां पर पहुंचाने का काम शुरू हुआ । अगले कुछ दिन मुझे इन पोस्टों को कैटेगराईज़्ड करना था , जो अब तक चल ही रहा है । और इसके साथ ही अपनी पोस्टों को वहां न सिर्फ़ प्रकाशित करना था बल्कि पाठकों को वहां तक पहुंचाना भी । इस काम में मेरी मदद की मेरे सोशल नेटवर्किंग साईट ने जहां मैं इनकीजानकारी देता रहा और अब भी दे रहा हूं इसके अलावा सभी एग्रीगेटर्स से इस साईट को जोडने का कार्य भी ।ब्लॉगर से अपने डोमेन पर पहुंचने के पीछे कोई एक ही मकसद गिना दूं तो शायद ठीक नहीं होगा । दिमाग में नित नए पनपते विचारों ने ब्लॉग्स की संख्या एक दर्जन तक पहुंचा दी थी पहले ही , तिसपर दिक्कत ये कि अभी तो ये आधा भी नहीं हुआ था जितना मैंने सोचा था देने की । तो फ़िर ज्यादा सामग्री एक ही स्थान पर समेटने का इससे बेहतर और कोई उपाय मुझे नहीं दिखा । फ़िलहाल तो ब्लॉगिंग सैक्शन पर ही काम चल रहा है । इसके बाद अभी तक की योजना के अनुसार तो एक फ़ोटोग्राफ़ी सैक्शन जिसमें अपने द्वारा खींची गई फ़ोटोस लगाने का मौका मिलेगा , एक ऑनलाईन उपन्यास , जिसका एक पन्ना रोज़ पाठकों के लिए आएगा , एक पॉड्कास्टिंग सेक्शन , अपनी ही आवाज़ में अपनी ही पंक्तियां सुनवाऊंगा , विधि की जानकारियों के लिए एक पन्ना ....और जाने क्या क्या जो अभी नहीं सोच पाया हूं। तो ये तो लगभग तय है कि अब लेखन के लिए मैं इसी मंच का प्रयोग करूंगा । उम्मीद करता हूं कि जब वर्ष २०११ की आखिरी तारीख को जब मुड कर देखूंगा तो बहुत कुछ मिलेगा इसमें से मुझे भी ।इसलिए सबसे पहले तो आप सबसे यही आग्रह करूंगा कि , मेरे इस नए पन्ने पर पहुंचे और उसके साथी (फ़ौलोवर ) बन कर अपनी अंतर्जालीय पसंद में स्थान देने की कृपा करें , ताकि कम से कम आप मुझे अपने डैशबोर्ड पर सीधे ही पा सकें ।फ़िलहाल तो इसी आग्रह के साथ यहां से विदा चाहता हूं कि , इस पगडंडी तक आने के बाद आप उस कच्चे रास्ते पर चले ही आएंगे ..आएंगे न ??आप सबको नव वर्ष के शुभआगमन पर बहुत बहुत शुभकामनाएं ।
शुक्रवार, 31 दिसंबर 2010
अलविदा वर्ष २०१० , अब अगले साल से नए अड्डे पर मिला करेंगे ......अजय कुमार झा
सोमवार, 20 दिसंबर 2010
ब्लॉगवाणी के नाम .. एक लव लेटर...झा जी की तरफ़ से
हां पूछने वाला पहला सवाल तो यही करेगा कि ब्लॉगवाणी के नाम लव लेटर ..क्यों भाई ..आखिर लव लेटर ही क्यों और वो भी किस हैसियत से । कमाल है अब ये भी आपको बताना पडेगा क्या ..कमाल है ब्लॉगर हैं तो खुद बखुद समझिए न कि ...एक पोस्ट माशूका है तो पाठक उसका आशिक और इन दोनों को एक साथ मिलाने वाले को दिल खोल कर लव लेटर न लिखा जाए तो क्या लिखा जाए । तो इसी हैसियत से ..। खैर सबसे पहले तो उनके लिए कुछ बातें , जिनके लिए ये लव लेटर लिख रहा हूं ।
प्रिय सिरिल जी एवं मैथिली जी ,आप लोगों को कभी नहीं देखा , कभी मिला भी नहीं , मगर मुझ सहित हर ब्लॉगर जिसे ब्लॉगवाणी ने अपने अंक में समेटे रखा , सजाए रखा उसने यकीनन मेरी तरह ही कभी न कभी ये जरूर महसूस किया होगा कि ..यार यदि अंतर्जाल पर ये पन्ना न होता तो फ़िर होमपेज किसे बना कर रखते । और दीवानगी तो देखिए हमारे जैसों कि अब तक मोस्ट व्हयूड पेज में भी रोज ब्लॉगवाणी ही दिखाता है ..और अब तो ये कुछ कुछ उस तरह का नौस्टेलियाजिक सा लगता है जैसा ..बरसों पहले सुन कर होता था ...ये आकाशवाणी है अब आप देवकी नंदन पांडे से समाचार सुनिए । और मुझे तो अब भी लगता है कभी कभी कि , किसी दिन सुबह अचानक जब मैं रोज की आदत के अनुसार ब्लॉगवाणी का पन्ना खोलूंगा तो ...सीता की दुविधा खत्म हो चुकी होगी ...। माना कि सीता ने त्रेता, द्वापर , से होते हुए कलियुग तक का जीवन जी ही लिया इस दुविधा में ही रहते हुए ..खैर विषयांतर नहीं करूंगा ।
मैं कह रहा था कि आज जब आप ये पत्र पढें, तो बस इतनी सी कृपा जरूर करें कि इसे एक ब्लॉगर बन कर पढें , संकलक बन कर नहीं । मुझे पूरा यकीन है कि बात ठीक ठीक आप तक पहुंच जाएगी । तो सुनिए , हिंदी ब्लॉगिंग के , हिंदी के ब्लॉगर्स से , उनकी मानसिकता से , उनकी हरकतों से ...और जितने भी ...से हैं उन सभी से आपसे बेहतर भलीभांति परिचित हैं ही .....वो तो हम पाठक ही पसंद नापसंद , हॉट कूल आदि का खेल खेलने के बावजूद पर्दे में रह जाते थे ..मगर पर्दे के पीछे से आप तो उस हमाम को देख ही रहे थे न ..तो यदि आज मैं या कोई और या और भी बहुत सारे और ....एक एक करके ब्लॉगवाणी को याद कर रहे हैं तो सिर्फ़ इसलिए कि आज बहुत से ब्लॉग्स ने अपने ड्राफ़्ट में एक सुसाईड नोट लिखे बैठे हैं ..जो धीरे धीरे अपने आप पब्लिश भी होते जा रहे हैं ...हालांकि उन्हें उम्मीद रहती है कि ..शायद कोई पत्र तो दिख जाएगा ब्लॉगवाणी पर और सब दोस्त आकर उसे बचा लेंगे खुदकुशी से । अब पाठक ही न पढेंगे पोस्टों को तो फ़िर ..इन बातों को उकेरने का फ़ायदा ही क्या ??? वैसे भी कोई कमाने धमाने तो आया नहीं हिंदी ब्लॉग्गिंग में ..जो कुछ कमा गया वो बस टिप्पणियां ही थीं और अब भी हैं ।
तो मैं कह रहा था कि इस सबके बावजूद ..आप आ जाईये , । न न न न ...बिल्कुल नहीं मैं कुछ बातें अभी ही स्पष्ट कर दूं कि मैं ये बिल्कुल भी नहीं कहूंगा कि इस बार आप जब वापस आएंगे तो सब कुछ बदल चुका होगा ......अजी लानत है जो कुत्ते की पूंछ और ब्लॉग्गर की उंगली करने वाली आदत ..बरसों बाद भी सीधी मिले ..तो आप बिल्कुल तैयार होकर आईये इस बात के लिए ..कि कुछ ज्ञानी लोग जिन्होंने इस बीच शायद कोई और पोस्ट नहीं लिखी होगी वे आपके आते ही अपना दिव्य ज्ञान पधारने आ जाएं ..तो आप अब बस ये करिएगा कि ..वो जो आपका ब्लॉगवाणी वाला ब्लॉग है न उस पर लिख कर हमारे हवाले कर दीजीएगा ..और फ़िर भी बात न बने तो सीधा गेट आऊट वाला रास्ता है ही । अब रही दूसरी बात ....तो सबको मालूम है कि न तो किसी धनाभाव के कारण ये बंद हुआ था न ही आगे अब ऐसी कोई समस्या है ...और वैसे भी यदि होती भी न तो मैं पहले ही बता दे रहा हूं कि ..बेशक आज एक मिनट को सब के सब ..वो मेज थपथपा के पास होता है न कोई विधेयक ..एकदम उसी स्टाईल में हां के साथ एक हां फ़्री सेवा चला रहे हों ...मगर जल्दी ही रोना गाना शुरू हो जाएगा ..फ़लान बताईये ..ढिमकाना हिसाब दीजीए ..अरे होता है महाराज तो इसलिए पैसा लेकर एंट्री देने ब्लॉग शामिल करने टाईप की योजना पर तो आप खुदे फ़ैसला करिएगा ..मगर आ जाईये ..फ़ौरन से पेश्तर आ ही जाईये ।
चलिए अब चलते चलते एक बात झाजी स्टाईल वाली भी बता ही दूं आपको ..देखिए मान जाईये आप ..वर्ना ऐसा न हो कि हम दिल्ली ब्लॉगर्स की मंडली सीधा आपको जादू की झप्पी देने पहुंच जाए ...हा हा हा फ़िर न कहिएगा कि ...पंगा ले लिया ....
शनिवार, 11 दिसंबर 2010
दिल्ली ब्लॉगर्स करेंगे धमाल ...वो भी इसी वर्षांत पर .....कैसे .....jha ji end note
जी हां , अब तो मुझे लगने लगा है कि पिछले कुछ वर्षों से वर्षांत पर यकायक ब्लॉगर मिलनों की जो सिलसिला सा बनता जा रहा है वो अब धीरे धीरे एक परंपरा का रूप लेता जा रहा है । मित्र ब्लॉगर्स के आने के बहाने , तो कभी किसी और बहाने से मिलने मिलाने का दौर शुरू होता है तो फ़िर बस यादों की धरोहर का ऐसा खजाना जुडता है हिंदी अतंरजाल पर कि इसका आकर्षण तो भविष्य में आने वाले ब्लॉगर ही भली भांति समझेंगे । बस कल्पना कीजीए कि आज से दस साल बाद यानि सन दो हजार बीस में ..हमारे नए ब्लॉगर्स की पूरी ऐसी ही या इससे बहुत बडी मंडली किसी ब्लॉगर मिलन की चर्चा करते दिखेंगे और लिखेंगे कि देखिए आज से दस साल पहले भी ऐसी ही ब्लॉग बैठक आयोजित की गई थी तो सोचिए ..बस एक बार कल्पना करके देखिए कि कैसा अनुभव करेंगे आज के सभी मित्र ..है न दिलचस्प ।
तो चलिए सबसे पहले तो आपको ये बता दूं कि इसी सप्ताहांत पर दिल्ली ब्लॉगर फ़िर आपस में मिल बैठने वाले हैं .....हा हा हा जी हां इतने झमेले बवेले के बावजूद ...अब दिल तो दिल है सरकार ..जो अड गया दीदारे यार को तो फ़िर कहां मानता है बंदिशें और तोहमतों की फ़िक्र भी नहीं करता । अभी दिन और समय न ही स्थान कुछ भी तय नहीं हो पाया है ....बहुत सारे जुगाड भिडा कर कोशिश की जा रही है कि कम से कम जगह तो फ़ोकट की मिल ही जाए ...अन्य भत्ते तो वहां यूं ही निपटा लिए जाएंगे ....लेकिन बहुत जल्दी ही ये बता दिया जाएगा ...तो वहां पर एक ब्लॉग बैठकी का आयोजन होगा और हां विमर्श से लेकर बतकुच्चन तक के लिए पर्याप्त समय भी रहेगा सुबह ग्यारह बजे से शाम चार बजे तक का । खूब बैठे के बोल बतिया करेंगे ....और खींचेंगे ढेर सारी यादें सहेजने के लिए ।
अब दूसरी बात ...मैंने कई स्तरों पर ये प्रयास शुरू कर दिए हैं कि अगले वर्ष दिल्ली के विभिन्न विद्यालयों , और कॉलेजों में जाकर हिंदी ब्लॉगर्स की टीम बच्चों युवाओं को हिंदी ब्लॉगिंग के बारे में न सिर्फ़ बताएंगे बल्कि ज्यादा से ज्यादा ब्लॉगर्स बनें ये प्रयास करेंगे ...होगा क्या ....अजी सोचिए न जब ये पंद्रह हजार लोगों का स्वर पंद्रह लाख के रूप में उभर कर निकलेगा ...होगा जी ..यकीनन होगा । अभी तक के प्रयासों के प्रस्तावों पर जो प्रतिक्रिया मुझे मिली है मुझे लगता है कि प्रयास यकीनन परिणामदायक निकलेगा ।
अब एक और खबर भी सुन ही लीजीए , इस साल आप एग्रीगेटर को ढूंढते रहे , जबकि अमूमन तौर पर अन्य भाषाओं में एग्रीगेटर्स खुद ब्लॉगर्स को ढूंढते हैं एक अकेली हिंदी ब्लॉगिगं ही ऐसी है जिसमें ब्लॉगर्स एग्रीगेटर ढूंढते नज़र आते हैं । लेकिन कोई बात नहीं अगले साल, यदि मेरा अनुमान गलत नहीं तो हिंदी ब्लॉग पाठकों के लिए अगले साल कम से कम पांच नए , बढिया , तेज , नए तेवरों और शैली वाले एग्रीगेटर्स उपस्थित होंगे और स्थापित भी हो जाएंगे । चर्चाओं की रफ़्तार बढेगी और कई और प्रयोग अभी आपके सामने आएंगे । एक तो नए मौलिक और सिर्फ़ ब्लॉग खबरों पर आधारित ब्लॉग आपके बीच आएंगे जिनमें से एक मैं खुद लाऊंगा और नाम होगा ," ब्लॉगर बोला ब्लॉग से "। चलिए फ़िलहाल इतना ही । अगली पोस्ट में मैं ये बांटने की कोशिश करूंगा कि झा जी ने कैसा देखा हिंदी ब्लॉग्गिंग का २०१० ???
रविवार, 5 दिसंबर 2010
कुछ भी कभी भी ..पर छ: सौ पोस्टों का सफ़र पूरा ...कुल दर्जन ब्लॉग ..लगभग सोलह सौ पोस्टें ..तीन सौ पचास फ़ौलोवर्स ...हा हा हा कोई कहता है कि मैं ब्लॉग्गिंग का दीवाना हूं तो कहता रहे ...jha ji ..a report ca
आज अचानक देखा तो पाया कि डैशबोर्ड पर कुछ भी कभी भी कि छ: सौ पोस्टों का आंकडा दिखा रहा था ,हालांकि अभी तो जाने कितनी ही ड्राफ़्ट का चादर ओढे दुबकी बैठी हैं । यूं तो मुझे इन आंकडों ने कभी न तो आकर्षित ही किया न ही मेरा ध्यान बंटा पाए हैं , मगर आज अचानक डैशबोर्ड पर एक साथ ...ठेले पर पडे एक दर्जन केले के गुच्छे की तरह अपने ब्लॉग्स भी दिख गए । आम तौर पर मैं सीधे नीचे पहुंच कर नई पोस्टों की जानकारी लेता हूं , उन्हें देखता पढता हूं ..पहले ही बता चुका हूं कि लगभग छ: सौ ब्लॉग्स को फ़ौलो करने के कारण एक छोटा मोटा एग्रीगेटर तो मेरा डैशबोर्ड ही है । तो देखा तो ये पाया जो आपको ऊपर शीर्षक में बताया है ।
मैं जब किसी से मिलता हूं , और अब तो ये न सिर्फ़ ब्लॉग मित्रों के साथ मुलाकात पर बल्कि तो अब मीडिया मित्र और साथ के सहकर्मी तक मेरी बातों के होने के कारण सभी कहने लगे हैं कि ..यार झाजी आप तो लगता है कि हिंदी ब्लॉग्गिंग के दीवाने हो । और एक बेसाख्ता मुस्कुराहट मेरे अंदर जन्म लेती है और दिल सोचता है ..क्या बात है झाजी ..घर से बाहर भी वही बात ...तो हैं तो हैं ..। जी हां ब्लॉग्गिंग के दीवाने हैं हम तो । और इसके बाद पूछने का मन करता है ..वही उसी स्टाईल में ..कोई शक ..??
अपने पिछले तीन सालों के ब्लॉग सफ़र को देखता हूं तो लगता है कि अब तो इतने दिलचस्प किस्से रोज बनते बिगडते से दिख रहे हैं कि बहुत जल्दी ही मुझे शायद "blogobiography " न शुरू करनी पड जाए ......हा हा हा ये तो गोया एक और ब्लॉग की तैयारी कर ली झाजी ने ..आप यही सोचेंगे न ..। इस आभासी दुनिया में लाने का श्रेय भी आभासी ही रहा ...जी हां कादम्बिनी के एक अंक संभवत : सितंबर २००७ का था , ने ही हमें हिंदी ब्लॉगिंग से हमारा परिचय करवाया । और क्या दिन थे वे भी चिट्ठाजगत पर कुल चिट्ठों की संख्या पांच सौ भी नहीं थी , और वो कैफ़े में बैठ कर ब्लॉगिंग करना ,, सिर्फ़ लिखना भर ही आता था और कुछ भी नहीं । खैर अब तो ये सफ़र दिनों दिन हजारों लाखों किलोमीटर स्नेह और ज्ञान के माईलस्टोन को छू लेता है । अब तो लगता है कि उफ़्फ़ दिन में चौबीस ही घंटे होते हैं उसमें भी नहाने , खाने , और इन जैसे कई गैरजरूरी कार्यों को करते हुए एक नुकसान ये है कि आप ब्लॉगिंग नहीं कर पाते । पहले छुट्टियों का इंतज़ार उतनी शिद्दत से कहां रहता था , जितना कि अब रहने लगा है । पहले लिखना पढना उतना दिलचस्प कहां होता था लगता था जितना अब लगने लगा है ।
और सच कहूं तो पहले वो शहर अनजाने से लगते थे जिनका नाम सुनते ही अब जो पहली बात जेहन में आती है वो ये होती है कि , ओह यहां तो वो रहते हैं न ब्लॉगर , जिनका ब्लॉग है .......। है न कमाल ब्लॉग्गिंग का । ब्लॉगिंग को लेकर जब कोई सवाल पूछता है या ये जानने की कोशिश करता है कि , ब्लॉग्गिंग को लेकर मेरे मन में क्या चल रहा है तो मैं उससे यही कहना चाहता हूं कि , मैं चाहता हूं बल्कि कहूं कि जानता हूं कि आने वाले समय में सबके ब्लॉग्स पर टिप्पणी आएगी ..मैं फ़लाना राज्य का मुख्यमंत्रा लिख रहा हूं आपने बहुत सुंदर लिखा है मेरे प्रांत के विषय में बहुत अच्छा लिखा है ...या कि सलमान शाहरूख और अमिताभ बच्चन की टिप्पणी आती है ..आप हमारी फ़लाना पोस्ट भी पढें और आने वाली पिक्चर भी देखिए न । हां मानता हूं कि अभी ये दूर की कौडी है , मगर दिल तो चाहता है कि और मानता भी है कि ये होगा तो जरूर बेशक हमारे जाने के बाद ही हो । एफ़ एम रेडियो पर जिक्र होगा कि आज फ़लाना ब्लॉग पर ये लिखा गया और जिस पर ये दिलचस्प टिप्पणी की गई ...ब्लॉग का पता है .......फ़लाना फ़लाना । वाह वाह क्या ख्यालात है ..क्या सपना है ..।
अब जहां तक मेरी अपनी बात है तो अपना क्या कहूं ...सुना है , देखा है और जाने कितने ही सर्वेक्षणों में भी देखा है कि ब्लॉग्गिंग आपकी कायापलट कर सकता है ..हां कर तो सकता है ..देखिए अब हमारी खुद ही काया कैसे पलटती जा रही है ..सच कहें तो ब्लॉगिंग तो खुद के साथ साथ हमें भी जवान किए जा रही है भाई ...
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