भारत की आत्मा गाँव में ही बसती है। आज से दशकों पहले ये बात महात्मा गाँधी ने तब कही थी जब वे अपनी पढ़ाई विदेश में करके भारत के स्वंतत्रता संघर्ष में हिन्दुस्तान के गाँव गाँव विचरे थे। तब ही उन्हें ये एहसास हुआ था कि गाँव ही भारत की असली ताकत हैं , भारत के गाँव बदल गए तो देश बदल जाएगा। मगर अफ़सोस की गाँधी के कांग्रेस और उनके कांग्रेसियों ने पचास सालों से अधिक तक शासन करने के बावजूद भी गाँव की वो सुध नहीं ली जिसकी अपेक्षा कभी खुद गाँधी जी ने की थी।
ये नया भारत है और देखने वाले देख और समझ भी रहे हैं कि -ये देश असल में कभी भी गरीब नहीं था , शास्वत काल से ही पूरी दुनिया के अपनों बेगानों द्वारा लूटे नोचे जाने के बावजूद भी , जब जब किसी योग्य , कर्मठ , निष्ठावान प्रतिबद्ध नेतृत्व सम्भाला है भारत बार बार विश्व गुरु की तरह दुनिया के सामने उठ खड़ा हुआ है। और यही सब एक बार फिर से देखने को मिल रहा है केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा भारत को एक नए भारत , एक नई शक्ति , एक विकास पुँज के रूप में संगठित , सामर्थ्यवान और संवर्धित करने के ध्येय पथ पर काम शुरू हुआ है , एक सुखद परिवर्तन सामने आया है।
एक लम्बे समय के अंतराल के बाद , दीपावली और छठ पर्व पर बिहार के मधुबनी जिले स्थित अपने गाँव जाने का अवसर मिला और खुद पर यकीन नहीं हुआ कि , देश के सीमांत जिले पर स्थित मेरे गाँव में विकास की बयार इतने सुखद बदलाव ला चुकी है। देखिये कुछ चुनिंदा तस्वीरें। ...........
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पिताजी द्वारा निर्मित महादेव मंदिर और सूर्योदय |
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मंदिर के साथ ही लगा हुआ पारिवारिक तालाब /पोखर |
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मंदिर के साथ का बूढ़ा पीपल |
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ताल तलैये |
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धान की पैदावार से लहलहाते सोने से खेत |
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जलकुम्भी |
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फूल पत्तों वनस्पति |
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महाराजाओं के किले और उनके अवशेष |
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गाँव का मेला हाट बाजार |
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और ये है गाँव गाँव कस्बे मोहल्ले की सड़कें |
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चमचमाती सड़कें |
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हर गाँव में आम के दर्जनों बाग़ बगीचे |
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खूबसूरत और साफ़ सुथरे रेलवे स्टेशन |
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चमचमाता जगमगाता रेलवे स्टेशन |
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गाँव के भोज भात की तैयारी |
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काली मंदिर |
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पेठे /कुम्हर
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इस यात्रा के अनुभव , गाँव में अब निरंतर रहने वाली बिजली और उसके प्रभाव , मद्यनिषेध के बावजूद भी शराब और अन्य नशे का बढ़ता चलन , शिक्षित , ऊर्जा से भरपूर मगर बेरोजगार युवा वर्ग , सब पर धीरे धीरे शब्दों और तस्वीरों को साझा करूंगा।