जब से इस नेट से नाता जुडा तब से तो जैसे लिखना बंद ही सा हो गया है...अजी मेरा मतलब हाथों से कागज़ों पर उकेरना सब कुछ...पहले कुछ शब्द से लिख कर थोडा खाका सा खींच देना...फ़िर उन्हें दोबारा सिलसिलेवार समेट कर सहेज़ कर अंतिम रूप देकर मसौदा तैयार करना...छोडिये जी सब पुरानी बातें हो गयी हैं.....अब तो दिमाग में कुछ आया नहीं कि उंगलियां भागने लगती हैं...खटाखट की आवाज के साथ सब कुछ आपके सामने होता है...मगर न जाने क्यूं और कैसे ...किन अनजानी भावनाओं के बीच मैं पिछले दिनों ...दोबारा से न जाने कितने समय बाद चिट्ठी लिखने बैठ गया...शायद इसलिये भी कि ..ये बहुत दिनों से टला आ रहा था ...तो देखिये आप खुद ही मैंने किसको क्या लिखा...................
सेवा में,
माननीय हेड मास्टर साहब,
प्राथमिक विद्यालय,
ग्राम......
पोस्ट.......
जिला..........
आदरणीय मा साहब...
सादर चरण स्पर्श ।अपने पिछले प्रवास में मैनें ग्राम विद्यालय की जो स्थिति देखी ,....मुझे खुशी है कि ...शायद अपने जीवन में ये पहली बार था कि.....मुझे सुखद अनुभव हुआ.....भवन का जीर्णोधार हो रहा था.....विद्यार्थियों की संख्या भी बढ रही थी.....और सबसे अच्छी बात जो लगी ....वो ये कि...अध्यापकों की जो कमी महसूस हो रही थी....उसे आपने अपने किसी निजि अनुदान से ...कुछ नवयुवकों को पढाने का जिम्मा देकर पूरा करने का जो प्रयास किया...वो तो अपने आप में अनुकरणीय है।
मैंने अपना पूरा बचपन और उससे आगे की शिक्षा ....अपने इस गांव से बाहर ही की....मगर जो समय मैंने गांव में बिताया.....और जो हालत इस विद्यालय और शिक्षा की देखी उसने मेरा मन दुखी कर दिया था....मगर ये सकारात्मक परिवर्तन तो दिल को छू गया। आपसे मैं पिछली बार मिल नहीं पाया था। माता जी के असमय देहावसान ने किसी अन्य बात की तरफ़ ध्यान ही नहीं जाने दिया ।अब कुछ समय बाद ही पुन: गांव आने का समय हो रहा है तो सोचा कि इस बार पहले ही मन की बात आपको बता कर रखूं। कि मैं नहीं जानता कि अब जबकि ये तय सा हो गया है कि ....अब शायद ही गांव में बसना रहना हो पाये.....तो मैं आपसे एक वादा करना चाहता हूं....कि इस वर्ष से ही ....अपने इस विद्यालय के दो बच्चों को ......एक बालक और् एक बालिका ...प्रति वर्ष एक एक हज़ार की नकद धनराशि...प्रोत्साहन स्वरूप दूंगा। आगे यदि इश्वर ने चाहा तो ...यथाशक्ति इस राशि को बढाता रहूंगा।
आपसे मेरा आग्रह ये है कि....मेरे आने तक इस योजना को मूर्त रूप देने के लिये सभी नियम-कायदे, समिति, और अन्य औपचारिकताओं पर विद्यालय समिति और आप अध्यापक गणों से सलाह मशविरा करके रखें । शेष मिलने पर।यदि तुरंत में कोई जिज्ञासा या शंका हो तो अवश्य संपर्क करें।
आपका अपना...
अजय कुमार झा...
पत्र को पोस्ट करने के बाद मन में एक सुकून सा है.....और खुशी भी......