रविवार, 10 जनवरी 2010
एक मुलाकात बाबा रणछोडदास श्यामलदास चांचड से
अब ये मत पूछ बैठना आप कि बाबा रणछोडदास श्यामलदास चांचड , कौन से बाबा हैं । हद है यार इतनी मेहनत से तो तीन बुद्धूओं ने मिलकर ऐसी पिक्चर बनाई है ,जिसके लिए कहा जा रहा है कि उसने सारे रिकार्ड दिए हैं ,(वैसे रिकार्ड के बारे में मुझे ये नहीं समझ आता कि ये मुएं रिकार्ड मेहबूबा के दिल से भी ज्यादा नाजुक क्यों होते हैं ,फ़ट से झट से टूट जाते हैं , दो बूंद बारिश के ज्यादा पड गए तो टूट गया रिकार्ड, ठंड बढ गई तो फ़िर टूट गया रिकार्ड , अबे तो बनाते ही क्यों हो इतनी जल्दी जल्दी, पहले ही कायदे से तरीके का रिकार्ड बन जाने तो ताकि टूटते समय लगे , देखिए इस बात पर मैं खुद ही आऊट औफ़ रिकार्ड हो रहा हूं ) वैसे भी जब आपने इन दिनों ब्लोगजगत में बिना किसी परमिट , लाईसेंस, वीजा और पास्पोर्ट के एंट्री मारने वाले बाबा जी लोगों से गेट पास नहीं मांगा तो हमारे बाबा रणछोडदास श्यामलदास से क्यों मांगा जाए । दरअसल हमारी उनसे ये स्पेशल वाली मुलाकत ब्लोग्गिंग के संदर्भ में ही हुई थी सो आप लोगों को बताना जरूरी था ।
हमने बाबा से पूछा , बाबा बच्चे की एक शंका का निवारण करें , " आप कहते हैं कि काबलियत के पीछे भागो ...कामयाबी ...बीप ( अपनी श्रद्धा और स्वाद के अनुसार बीप को भर लें ) ..झक्ख मार के पीछे आएगी । तो प्रभु दोनों ही कंडीशन में भागना तो कंपल्सरी माना जाएगा न । फ़िर ये भी है कि हमें पता कैसे चलेगा कि हम काबलियत के पीछे भाग रहे हैं या कि कामयाबी के पीछे ,,,,देखिए न प्रभु अक्षर भी लगभग वही के वही हैं, क , ब , य ।
बाबा रणछोडदास बोले , " अबे सुन राजू, ..नहीं नहीं कुरैशी...अबे कौन है बे ...तेरी शक्ल और अक्ल चतुर जैसी है मगर मुझे तो इडियट ही लग रहा है तू अबे नाम क्यों नहीं बताता ..अच्छा याद आया पाजी
"प्रभु पाजी नहीं झाजी "मैं झिझकते और बिदकते दोनों एकप्रेशन एक साथ देते हुए बोला
" हां तो बेटे सुनों , देखो तुम्हारे ब्लोगजगत में यूं तो पहले से ही टाईप टाईप के वायरस हैं और इन सबके ऊपर इंसानी वायरस , वो वीरू सह्स्रबुद्धि टाईप वायरस भी हैं , मुझे तो लगता है एक क्या पूरी गैंग है वायरसों की जो तुम्हें दौडाए दे रही है । और जब तुम दौडोगे ही तो फ़िर काबिलियत के पीछे, अच्छा हां तुमने पूछा था न पता कैसे चलेगा । अबे ये तो तुम्हारे ब्लोगजगत में एकदम आसान है , अपनी पोस्ट को देखों उसे किसने कितनी बार पढा देखो, टीपा देखो, और सब हो चुकने के बाद देखो कि जो सोच के लिखा था क्या सचमुच ही तुम्हारे पाठकों को वो मिल गया ,यानि पढने का आनंद , वो संदेश जो तुम देना चाह रहे थे , वो जानकारी जो तुम्हें लगता था कि उन्हें पता चलनी चाहिए थी । जवाब खुद मिल जाएगा वत्स,और यदि तुम्हें लगता है कि जवाब हां है तो तुम काबिल हो ऐसे ही भागते रहो। और कामयाबी का क्या है इसमें कौन सा कमाई धमाई होनी है ॥
मगर प्रभु आपने भी तो अपने ब्लोग पर खासा बवाल मचाया था , सह कलाकार को ही कुतवा कह दिये थे आप तो फ़िर इतना ज्ञान में से अपने लिए भी कुछ काहे नहीं रखे , प्रभु खाली हमही को बांट रहे हैं ॥
"अरे छोडो यार , तुम भी क्या बात ले के बैठ गए अब सुनो एक आखिरी बात सबसे काम की ," किसी भी ऊंचे मुकाम पर पहुंचने के दो रास्ते होते हैं ...पहला ये कि दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करो ताकि तुम्हें भ्रम रहे कि तुम ऊंचे हो रहे हो । दूसरा और असली ये कि खुद को ऊपर उठाने का प्रयास करो , जितनी भी ऊंचाई पर पहुंचोगे , तुम्हें सुकून और दूसरों को फ़क्र होगा ॥ अच्छा चलो अब हमें और भी कई बुद्धू बनाने हैं समझे जी अजयरामलिंगम किट्टमकिट्टू ।
मैं अपना नाम प्रभु को फ़िर से बताता प्रभु निकल लिए , मैंने सोचा हटो छोडो यार प्रभु का ही कौन सा अपना नाम इंसानों वाला है , बाबा रणछोडदास श्यामलदास चांचड ...हुंह ..॥
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ये रही ब्लागिंग में दार्शनिक बात ..वाह अजय जी . ....
जवाब देंहटाएंमुकालात अधूरी रह गयी लगता है
जवाब देंहटाएंब्लोग जगत के बाबा रणछोडदास श्यामलदास चांचड और तीन बुद्धू कौन ......
जवाब देंहटाएंआपके लिखने का अंदाज़ मोह लिया.
जवाब देंहटाएंसहज होकर कुछ कहना आसन लगा आपके इस पोस्ट को पढ़ कर
इतना अच्छा लिखने के लिए धन्यवाद
बाबा रणछोडदास श्यामलदास चांचड ........
जवाब देंहटाएं...................... जय हो.
बहुत बढ़िया लेख....मज़ा आया पढ़ कर.... बधाई
जवाब देंहटाएंबेहतरीन। लाजवाब।
जवाब देंहटाएंजय हो।
मज़ा आ गया.
जवाब देंहटाएंबाबा रणछोडदास श्यामलदास चांचड..... अरे अरे एक ओर बाबा? ना बाबा ना, इन पहले ही बाबाओ के रुप मै पता नही कोन कोन है ? किस ने रुप धारण किया है बाबा का ओर उपर से यह बाबा रणछोडदास श्यामलदास चांचड .... हे राम
जवाब देंहटाएंहा हा हा राज भाई , लगता है अभी आपने तीन बुद्धु नहीं देखी ..अरे ये नाम है आमिर खान का इस पिक्चर में, तभी तो सबको इतना स्वाद आ रहा है
जवाब देंहटाएंअजय कुमार झा
अति मस्त चकाचक पोस्ट.
जवाब देंहटाएंरामराम.
तीन बुद्धू अभी हमने भी नहीं देखी।
जवाब देंहटाएंपाजी नहीं झाजी...हा हा!! :)
जवाब देंहटाएंबेहतरीन दर्शनशास्त्री जी!!
ha ha ha ha ....maja aa gaya par yahan to 3 budhdhu hai hi nahi sabhi virus hain h ah ahah
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत....
जवाब देंहटाएंअजय भाई,
जवाब देंहटाएंआपने गलत सुना, बाबा रणछोडदास श्यामलदास चांचड तो बस गाना गा रहे थे...पा..पा..पा..पा..वाह जी... और आपको लगा कि कह रहे हैं पा जी...
जय हिंद...
अरे छोडो यार , तुम भी क्या बात ले के बैठ गए अब सुनो एक आखिरी बात सबसे काम की ," किसी भी ऊंचे मुकाम पर पहुंचने के दो रास्ते होते हैं ...पहला
जवाब देंहटाएंफौटकट
दूसरा
बड़ा फौटकट
बाबा रैंचो!!
जवाब देंहटाएंकिसी भी ऊंचे मुकाम पर पहुंचने के दो रास्ते होते हैं ...पहला ये कि दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करो ताकि तुम्हें भ्रम रहे कि तुम ऊंचे हो रहे हो । दूसरा और असली ये कि खुद को ऊपर उठाने का प्रयास करो , जितनी भी ऊंचाई पर पहुंचोगे , तुम्हें सुकून और दूसरों को फ़क्र होगा ॥
जवाब देंहटाएंबहुत गजब की बात कही है-आभार