रविवार, 1 नवंबर 2009

क्या मेरी टिप्पणियां आपको कष्ट पहुंचाती हैं.....?

जी हां कोई भूमिका नहीं, कोई संदर्भ नहीं, कोई सफ़ाई नहीं, कोई आरोप भी नहीं ..और किसी से कोई शिकायत भी नहीं।

मुझे लगता था कि मैं जब भी किसी की कोई पोस्ट पढूं तो जब उस पर कुछ भी टिप्पणी करूं तो पोस्ट लिखने वाले को भी उतना नहीं तो कम से कम उससे थोडा कम ही सही आनंद आये जितन उन्हें पोस्ट लिखते समय आया हो। पता नहीं कोशिश में कितन कामयाब होता हूं..मगर विश्वास रहता है कि कम से कम ..मेरी लेखनी को पढने के बाद जो भी जैसी भी छवि मेरी उनके मन में बनी हुई है..उसको और मेरी टीप को देखते हुए..किसी भी सूरत में ..मेरी टिप्पणी किसी के लिये दुख का कारण तो नहीं बन सकती है।

मगर जाने अनजाने शायद ऐसा हो जाता है....और तब लगता है कि क्या पढना कम कर दूं ...नहीं तो फ़िर जिसे पढूं ..उस पर टीपना बंद कर दूं.....नहीं तो करूं क्या.....सोचा सीधे सीधे आपही से पूछा जाए...कि क्या वाकई मेरी टिप्पणियां ..आपको कष्ट पहुंचाती हैं...


और आपसे भी सीधे सीधे .....अपना विचार रख देने की अपेक्षा रहेगी....।

39 टिप्‍पणियां:

  1. हमें तो कभी नहीं पहुंचायी जी बल्कि आप जैसे लोग कमेंट नहीं कर रहे होते तो कई बार मन बना चुका था कि अब समेट दूंगा लिखना। आप जो कमेंट करते हैं उससे हम अपने को दुरुस्त करते हैं। जिस किसी को भी ऐसा लगता है तो समझिए कि वो अपने ही पैरों पर ऐसा कहकर कुल्हाड़ी मारने का काम कर रहे हैं। आप कमेंट करना जारी रखिएगा।.

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  2. किसी ने आपको भी कुछ कह दिया क्‍या ?
    टोक दिए जाने से मेरा आत्‍मविश्‍वास तो टिप्‍पणी करने में कम हो ही चुका है .. अब आपके साथ क्‍या हुआ ??

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  3. हमें तो कभी नहीं पहुंचायी जी बल्कि आप जैसे लोग कमेंट नहीं कर रहे होते तो कई बार मन बना चुका था कि अब समेट दूंगा लिखना। आप जो कमेंट करते हैं उससे हम अपने को दुरुस्त करते हैं। जिस किसी को भी ऐसा लगता है तो समझिए कि वो अपने ही पैरों पर ऐसा कहकर कुल्हाड़ी मारने का काम कर रहे हैं। आप कमेंट करना जारी रखिएगा।.

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  4. टिप्पणियाँ कभी कष्ट नहीं पहुँचाती हैं। जब तक कि वे इसी इरादे से न की गई हों। हाँ किसी और को कष्ट पहुँचाने वाली हुईं तो मोडरेशन है ना। आप तो जी खोल कर टिप्पणियाँ करें जी ये टिप्पणी बक्सा यूँ ही थोड़े ही टांग रखा है।

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  5. अजय भाई मुझे तो नहीं बाकी लोगो का पता नहीं

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  6. Jee...nahi Ajay ji.... aapki tippaniyan to bahut achchi hotin hain.... kisne kah diya ki aapki tippani kasht pahunchati hai....?


    aap khoob tippani kariye.... jee khol kar...... ek request.....aur plz meri posts pe bhi regular kar dijiya kariye...... hihihihihihihihi....... ksi ne kuch kaha ho to bataiye..... arey! aapne mujhe itna hausla diya.....uska main apka aabhaari hoon.....

    aap tipanni kariye aur jee khol ke kariye...

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  7. अजय भाई,
    मैं व्यस्तता के चलते सारी पोस्ट को नहीं देख पाया हूं...समझ नहीं पा रहा हूं कि किस संदर्भ में आपको ये लिखना पड़ा है...आपकी पोस्ट जितनी ही आपकी टिप्पणियां रोचक और दिलचस्प होती है...वाहवाही से ऊपर उठकर ये टिप्पणियां कभी सटीक पूरक का काम करती हैं तो कभी गुदगुदाने का...इन पर अगर किसी को ऐतराज होता है तो ऐतराज करने वाले की बुद्धि पर सिर्फ तरस ही खाया जा सकता है...

    जय हिंद...

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  8. सच पूछे तो हमें तो आपकी भाषा और हास्यात्मक शैली बढिया लगती है.....हमें नहीं लगता कि किसी को आपकी टिप्पणी कष्टदायी लगती होगी...खैर आप जारी रखिए !
    अगर किसी को कष्ट हो रहा हो तो आप उसके हिस्से की टिप्पणियाँ हमारे ब्लाग पर कर दिया करें :)

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  9. अजय जी, फिल्म बैराग का वह गीत याद है ना आपको?

    पीते पीते कभी-कभी यूं जाम बदल जाते हैं
    अरे काम बदल जाते हैं, लोगों के नाम बदल जाते हैं
    यहाँ से वहाँ तक जाने में, वहाँ से यहाँ तक आने में लोग ये कहते हैं जी
    बंद लिफ़ाफ़े में भी, दिल के पैग़ाम बदल जाते हैं


    और क्या कहूँ!?

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  10. आपकी टिप्पणियाँ सर आँखों पर...

    बहुत मज़ेदार होती हैँ आपकी टिप्पणियाँ...

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  11. अजय भाई केसी बाते करते हे भाई, सच कहूं तो कई बार मेरी टिपण्णीयां बहुत उतेजिक होती है, शायद मेरी टिपण्णियो से कई लोगो को जरुर ठेस लगती है, आप की टिपण्णिया तो मिश्री सेभी ज्यादा अच्छी होती है, धन्यवाद

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  12. का अजय बाबु कौन सा और किसका बात दिल पे ले के बईठे है हमको पता नही, लेकिन टीपना भी इतना आसान काम है का-बताईये-जब आपका ई पोस्ट बुलागबानी पे नमुदार हो रहा था-तभे हमने पेज खोला था अउर टीपना चालु किया था तो अब हिंया पहुचे है, बताईये केतना कठिन काम है। हमारा 6 गो बलाग है रोज टीपीए-100-100 टिपिए-जी भर टिपीए-कउनो हरज नही है। फ़ुल अथारिटी है।

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  13. कबो टिपण्णी कीजियेगा तब न बताएँगे ...!!

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  14. एलियन बोलते हो और फिर पूछते हो महाराज??? हा हा!! हमें तो एलियन सुनकर मजा आता है...किसी को आये न आये.

    रामप्यारी भी कह रही थी कि उसे बिल्लन कहते हैं प्यार से अजय अंकल ...वो भी खुश लग रही थी..


    फिर कौन डाऊट पाल लिए हो??

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  15. अगर ब्लाग सभी के लिए है तो उस पर आने वाली टिप्पणी पढ़ने का माद्दा भी, मेरे विचार से, होना ही चाहिये. केवल गरियाने की परंपरा के पक्षधरों की बात अलग है.

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  16. आपने सन्दर्भ का उल्लेख नहीं किया है. टिप्पणियाँ पुरस्कार धर्म निभाती हैं. पुरस्कार किसे नहीं भाती.

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  17. अजय जी टिप्पणियाँ किसी का दिल नहीं दुखाती आप तो टिपियाना चालू रखिये |

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  18. अंकल आपकी टिप्पणीयां मुझे बहुत दुख पहुंचाती हैं..पर जिस दिन वो नही आती.

    तो अब से मुझे बिल्लन कहने ताऊजी डाट काम पर रोज आना.

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  19. " क्या पढना कम कर दूं ...नहीं तो फ़िर जिसे पढूं ..उस पर टीपना बंद कर दूं."

    ऐसन जुलुम मती करना गुरू :)

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  20. ajay ji ,
    मन के अन्दर से जो निकलता है, उसे अंतरात्मा की आवाज कहते है, बिना तोडे मरोड़े अगर उसे सीधे व्यक्त किया जाए तो उससे बेहतर कुछ भी नहीं, अगर सच्चाई है तो सामने वाला नाराज हो तो होए ! हाँ हमें यह कोश्सिह्स जरूर करनी चाहिए कि किसी को बहुत ज्यादा चुभने वाली भाषा न इस्तेमाल करे ! बाकी तो अगर उसने ब्लॉग पर लिखा है तो जाहिर से बात है कि वह पब्लिक के बीच जाएगा और प्रतिक्रया भी आ सकती है चाहे अच्छी हो याफिर बुरी !

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  21. आपने इतने सारे लोगों को ये तो बताया ही नही किसे बुरा लगा और क्यूं बुरा लगा?जब इतना सब बता दिया तो वो भी बताना था।खैर आप ने नही बताया, न सही, मै बता देता हूं।देर से इधर आया इस्लिये देर से बता रहा हूं और कोई वजह नही है। अजय जी की टिपण्णी से मुझे बुरा लगा था और इस्लिये लगा था कि उन्होने मुझे अमीर कहा और मेरी धरती को गरीब जो मेरे ब्लाग के शीर्षक का ठीक उल्टा है।मुझे खुद को अमीर कहने से ज्यादा बुरा मेरी धरती को गरीब कहना बुरा लगा और इस बारे मे मैने आज सुबह फ़ोन करके अजय को सफ़ाई भी दे दी अगर इसके बाद भी उन्हे लगता है कि मैने कोई घोर अपराध किया है तो सार्वजनिक रूप से मै उनसे क्षमा मांग लेता हूं।लेकिन मेरा सवाल ये है कि क्या कभी किसी को गलतफ़हमी नही हो सकती?क्या मैने उस टिपण्णी का बुरा लगने पर उसे पोस्ट बना कर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की?क्या इस जवाब को मै अपने ब्लाग पर पोस्ट नही कर सकता था?क्या मैने अपनी नाराज़गी मे लिखी प्रति टिप्ण्णी मे कोई गलत आ अशोभनीय भाषा या बात लिखी थी?क्या मैने उसमे आपको बुरा-भला कहा था?खैर जाने दिजिये मैने कल ही लिख दिया था,रात गई बात गई लेकिन लगता है आपका दर्द कम नही हुआ फ़ोन पर भी मैने आपसे खेद व्यक्त कर दिया था और एक बार ऊपर व्यक्त कर चुका हूं और एक बार और कर रहा हूं और लगे तो बताईयेगा अपने ब्लाग पर भी कर दूंगा।ये मेरे स्वभाव के विपरित है लेकिन मुझे असल ज़िंदगी के रिश्तों से इस आभासी दुनिया के रिश्ते अच्छे लगे इसलिये मैं इन्हे बनते तक़ बनाये रखना चाह्ता हूं वरना असल ज़िंदगी मे तो आजतक़ सिवाय लड़ाई-झगड़े के मैने कुछ किया ही नही है।एक बार फ़िर हो सके तो मुझे माफ़ कर देना मुझे भाषा का शायद उतना ज्ञान नही है इसलिये आपकी बात समझ नही पाया था।

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  22. लिजीये इसे कहते हैं कंफ़्यूजन पे कंफ़्यूजन ..
    अनिल भाई ..अब इस बात का पटाक्षेप करते हुए मैं सबको फ़िर से बता देता हूं..
    कल अनिल भाई को मेरी किसी टिप्प्णी अच्छी नहीं लगा ..नहीं ये तो नहीं कह सकता ..बल्कि ये कहूं कि शायद मैं ही ठीक से अपनी टीप नहीं रख पाया ..और उसका अर्थ का अनर्थ निकल गया..अनिल भाई ने उसके बाद मुझे संबोधित करके उसको स्पष्ट करना चाहा..
    मैंने भी अपनी बात रखी..मोडरेशन चालू था..सो मेरी टीप थोडी देर के लिये सो गयी...अब मुझे जब तक सारी बात पता चलती ..तब तक ..मैं दुखी होकर ये पोस्ट लगा चुका था ...अब उन्हें लग रहा है कि शायद मैंने वही बात यहां आगे बढा दी है..अनिल भाई..ये पोस्ट तो रात में ही लग चुकी थी..
    आप अग्रज हैं और रहेंगे...और हां मैं तो टीपता ही रहूंगा ही...आप मना करेंगे तो भी...इतना तो हक आपने दिया ही है मुझे ..लगता है अब मुझे भी फ़ोन करन ही पडेगा..

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  23. जी हाँ सर, बिल्कुल पहुँचाती हैं कष्ट, जब वो हमारे ब्लॉग पर आती नहीं हैं। हा हा।

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  24. केतना दिन से तो टिपण्णी नहीं दिए हैं और बात कर रहे हैं.....बड़का-बड़का ....
    बढियां बहाना ढूंढ़ लिए हैं आप नहीं टिपियाने का का ???
    इ पोस्ट-उस्ट नहीं चलेगा..... हाँ ....कह दे रहे हैं...... !!!

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  25. ब्लागरों को टिप्पणिया ही तो कमाई स्वरूप मिलती है और आप उनको भी राशनिंग करने के चक्कर मे हैं. पर अब दोनो भतिजों ने बात समझली है तो सबको मिठाई खिलाई जाती है और आज नानक्देव जी के प्रकाशोत्सव की बधाई और शुभकामनाए<

    और खबरदार आगे कभी इस तरह का बात किया तो.:)

    रामराम.

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  26. आपने किया तो है पर कम करते है :)

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  27. टिप्पणी चर्चा तो चल रही थी अब यह एक नई विधा और जुड़ गई है " टिप्पणी प्रतिक्रिया चर्चा " अच्छा है इस बहाने सम्वाद तो हो जाता है । बातचीत करके गिले शिकवे दूर करने ज़रूरी है जैसे कि अनिल जी और अजय जी ने किये । लेकिन इसे कोई भी कभी भी तूल ज़्यादा न दे क्योंकि इस से रचनात्मक लेखन कम होने लगता है और व्यर्थ के विवाद ज़्यादा होते है । मेरी शुभकामनायें ।

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  28. सही सोच रहे हो अजय भाई
    टिप्‍पणियां बहुत कष्‍ट पहुंचाती हैं
    जब पोस्‍ट टिप्‍पणियों के लिए तरस जाती है
    तो टिप्‍पणियों का न आना
    खूब कष्‍ट पहुंचाता है
    कष्‍ट से मार जाता है।

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  29. अव्वल तो टिपियाते कम हैं, उपर से भारी सवाल पूछ्ते हैं! ये लीला मुद्रा छोड़िए। लाभ तो हुआ है इससे - मेरी मिलाकर 33 टिप्पणियाँ हो जाएँगी। जरा अपने लेख के शब्द गिनिए और फिर टिप्पणियों के शब्द। टिप्पणियाँ भारी पड़ेंगी। ...

    इसे कहते हैं प्रचण्ड मुनाफा। .. अब जल्दी से रीइनवेस्ट करिए - मेरी जिन पोस्टों पर नहीं टिपियाए हैं, वहाँ टिपियाइए। अभी शुरू कीजिए।

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  30. अजय जी आपको ऐसा क्यूँ लगा टिप्पणियां कष्ट पहुंचाती है? काफी दिन हो गए आप मेरे ब्लॉग पर नहीं आए! मुझे तो आपका टिपण्णी बहुत अच्छा लगता है और हमेशा इंतज़ार रहता है! जब आपका और बाकि ब्लॉगर दोस्तों से टिप्पणियां मिलती है तो मुझे बेहद खुशी होती है और लिखने का उत्साह दुगना हो जाता है! मैं आपकी टिपण्णी का इंतज़ार करुँगी!

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  31. अजय जी , इतना सब कुछ हो गया और मुझे आज पता चला है । खैर देर से ही सही मुझे भी कुछ कहने का अवसर हाथ लग गया है , अब देखिए न टिप्पणी कष्ट तो पहुंचाती ही है जबकि पोस्ट पर कोई टिप्पणी आए ही ना । क्योंकि पोस्ट करते ही हम इंतजार में रहते हैं कि कहीम से कोई टिप्पणी आए लेकिन जब टिप्पणी नहीं आती है तो कष्ट बहुत होता है । पोस्ट को जब तक ज्यादा से ज्यादा लोग न पढे़ं और अपनी टिप्पणी न दें तो पोस्ट लिखने का मजा ही किरकिरा हो जाता है । इसलिए मुझे तो आपकी व अन्य ब्लॉगरों की टिप्पणी का इंतजार रहता ही है । फिर देर किस बात की टिपियाईए ना ......

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  32. आप की टिप्पणी इतजार करती हूँ, कभी भी कष्ट नहीं पहुचाई आप की टिप्पणी ..

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  33. आप की टिप्पणी इतजार करती हूँ, कभी भी कष्ट नहीं पहुचाई आप की टिप्पणी ..

    जवाब देंहटाएं

मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला

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