दूसरों की तरह मैंने भी जब इस ब्लोग जगत में कदम रखा था तो विशुद्ध रूप से एक लेखक था ...लेखक मतलब वो वाला लेखक नहीं ...सिर्फ़ एक लिखने वाला । इससे पहले कागजों पर कलम चलती थी और अब फ़र्क ये आया था सिर्फ़ ..कि अब उंगलियां कंप्यूटर पर चल रही थी । और ज्यादा फ़र्क तो नहीं आया था अलबत्ता ये भी जरूर था कि पहले सिर्फ़ अपने मतलब की यानि अपने स्वाद के हिसाब से , अपनी जरूरत के अनुसार ही पत्र पत्रिकाओं, समाचारों का पठन और संकलन करता था । यहां आने के बाद सबसे पहले तो अपनी पोस्ट पर आई प्रति्क्रियाओं और टीपों को पढने की आदत सी हो गई थी । यानि कहने का मतलब ये कि सिर्फ़ एक चिट्ठाकार की तरह का हो गया था । चूंकि कंप्यूटर नहीं था और सिर्फ़ एक डेढ घंटे की ब्लोग्गिंग सीमा में ही सब करने की मजबूरी थी सो .....पोस्ट लिखने के बाद जो भी समय मिलता था उसमें दूसरी पोस्टें जो भी सामने पडती गयीं , एक स्वाभाविक आदत सी बनी।किंतु इस सबके बीच एक जो चीज़ अपने आप विकसित हुई वो थी पोस्ट पर आई टिप्पणियों को पढके उनका मजा लेना और उन टीपकारों के पीछे पीछे जाकर उनको जानना , फ़िर उनके लेखन का मजा उठाना और उनको भी टीपना । मेरी आदत थी कि मैं न सिर्फ़ उनकी पोस्ट के अनुसार टिप्पणी करता था बल्कि मुझे मिली टिप्पणियों का जवाब भी दे दिया करता था । ये बस इस तरह से था जैसे मुझे मिली किसी चिट्ठी का जवाब देना । मगर फ़िर भी बहुत चाहने के बाद भी मैं ये काम बखूबी नहीं कर पाता था । इसी दौरान मुझे एक बात ने बहुत प्रभावित किया वो थी उडनतशतरी जी की टिप्पणियां, जो मुझे हर दूसरी तीसरी पोस्ट पर मिल जाती थी । जब ब्लोग्गिंग में नियमित हुआ तो जाना कि ये तो अपने ब्लोग जगत के इकलौते एलियन हैं सो कोई भी ब्लोग इनके पहुंच से बाहर नहीं है , और न ही कोई पहेली ऐसी है जिसका जवाब इन्हें न मालूम हो ।लेकिन इससे इतर इनकी एक आदत ने मुझे भी कायल बना दिया , और मैंने भी उसी पल ये सोच लिया था कि चाहे चिट्ठाकारी चले न चले टिप्पीकारी की दुकान तो सजा ही लेंगे । और फ़िर जब नियमित हुआ , माने अपने घर में कंप्यूटर आ गया तो ये काम जोरों शोरों से शुरू हुआ । मेरी कोशिश ये होती है कि खूब सारे ब्लोग्स को पढा जाए, कौन से कैसे क्यों ....ये पैमाने मैंने कभी तय नहीं किए ..इसलिये जो मिलता है जहां मिलता है पढता हूं ...और एक ऊसूल भी पक्का है जिसके ब्लोग में एक बार घुसता हूं बिना टीपे बाहर भी नहीं निकलता । लेकिन फ़िर भी कभी कभी ..मौन टीप ...देकर सिर्फ़ पढ के ही बाहर निकलना भी पडता है ।किसी भी पोस्ट को टीपने के दौरान मेरी कोशिश रहती है कि पोस्ट लेखक तक कम से कम दो बातें तो जरूर पहुंच जाएं। एक ये कि हमने उनकी पोस्ट को खूब अच्छे से पढ लिया है ....दूसरी बात ये कि पढने के बाद मैं आखिर समझा क्या या कि मेरे मन में क्या आया ..ये भी उन तक पहुंच जाए। यही कारण है कि मेरी टीपों में कभी आपको चुहलबाजी , कभी कविता, कभी शरारत, कभी भीरूपन , कभी सलाह , कभी शिकायत , और कभी तीखापन मिलता होगा । मगर किसी भी सूरत में मेरी यही कोशिश रहती है कि ....यदि आपको आपकी पोस्ट याद रहे तो आपको मेरी टीप भी उसी के साथ याद रहे । अब इस कोशिश में कितना कामयाब होता हूं ये तो पता नहीं मगर ...चिट्ठाकार से एक टिप्पाकार तक का ये सफ़र मुझे खूब पसंद आया । यहां ये कहता चलूं कि ..शायद यही कारण था कि जब मैंने टिप्पणियों के संकलन और चर्चा वाले ब्लोग को देखा तो झट से उनसे आग्रह किया कि मुझे भी शामिल करें और मुझे बहुत खुशी और गर्व है कि मैं उस ब्लोग से जुडा ।अब यदि टीपों की बात हो रही है तो यदि उन टीपकारों के नाम न लूं. जो मुझे प्रभावित करते हैं तो ये पोस्ट कुछ अधूरी सी लगेगी । जैसा कि पहले ही कह चुका हूं अपने एलियन जी महाराज, यानि समीर जी , का तो कोई जवाब ही नहीं है , इनके अलावा श्री गिरिजेश राव जी ,अविनाश भाई , अनिल पुसादकर जी ,समय जी , संगीता पुरी जी, अदा जी, निर्मला कपिला जी , श्री पाबला जी, द्विवेदी जी, अनूप शुक्ला जी, पांडे जी , मिश्रा जी , अरविंद मिश्रा जी भाई महेन्द्र मिश्रा जी , राज भाटिया जी, ताऊ जी , सी एम प्रसाद जी, पंडित जी , रंजन जी , शेफ़ाली पांडे जी, महफ़ूज़ अली, दीपक मशाल जी , विवेक जी , हिमांशु जी , शिवम मिश्रा जी ,पकंज मिश्रा जी , काजल कुमार जी , रूप चंद शास्त्री सी , पी सी गोदियाल जी श्री जी के अवधिया जी , भाई खुशदीप जी ,अलबेला खत्री जी ,और लास्ट बट नौट लीस्ट में अनाम जी ...इसके अलावा और भी जिनके नाम अभी नहीं ले पा रहा हूं उन सबका साथ मुझे इस टीपकारी के अनथक सफ़र में मिल रहा है ।तो बताईये आप सब हैं न मेरे साथ ...
शनिवार, 7 नवंबर 2009
चिट्ठाकारी से टिप्पीकारी तक का सफ़र
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हम एकदम आप के साथ थे, हैं और रहेंगे। जल्दी से मेरे छूट गए लेखों पर टिप्पणी करिए। फौरन ;)
जवाब देंहटाएंभाई ज्यूं बोलने से ज़्यादा अच्छा सुनना होता है वैसे ही लिखने से ज़्यादा अच्छा पढ़ना होता है...कम से कम मैं तो यही समझता हूं
जवाब देंहटाएंचर्चा से टिप्पणी की ओर बढ़ते कदम। इन कदमों में खूब दम आये। आप भी एक एलियन बन जाएं। पर पहले हमारी भी सारी पोस्टों पर टिप्पणी कर जाएं और अगर कोई ऐसी पोस्ट न मिले तो दोबारा हाजिरी बजाएं।
जवाब देंहटाएंmain hamesha aapke saath hoon......... aur marte dum tak aap hi ke saath rahunga.........
जवाब देंहटाएंसोच बहुत अच्छी लगी कोशिश बिल्कुल खास।
जवाब देंहटाएंमिले अजय को यश बहुत करते रहें प्रयास।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
भाई आप नाम ले न लें पर टिप्पणी करता रहा हूँ और करूंगा ही.
जवाब देंहटाएंटीपना जन्मसिद्ध अधिकार होना चाहिए।
जवाब देंहटाएंखैर हम आप के ही नहीं पूरी हिन्दी ब्लागरी के साथ हैं।
भाई बहुत सुंदर बात कही, मै भी एक दो घंटे देता था, लेकिन अब कम पड गये है यह दो घंटे भी, वेसे कल से समय भी काफ़ी कम मिल रहा है आप ने बहुत सुंदर लिखा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हा हा हा ,मुझे पता था कि स्नेह पूर्वक उलाहना तो मिलेगी ही उनसे जिनका नाम भूल गया हूं ..वर्मा जी आपका स्थान दिल में है ..पोस्ट में भले दिखे न दिखे ..दिल में दिखेगा हमेशा ..उम्मीद है क्षमा करेंगे ।
जवाब देंहटाएंकोई माने या न माने हम टीपने के दीवाने !!
जवाब देंहटाएंये आज हमें पोस्ट से भी प्यारे हो गएSSSSSSS
भाई यह समर्थन जारी रहेगा जब हमे आपकी चर्चाएँ और आलेख लुभाएँगे, तो पक्का हम टीपियाएँगे..
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अजय जी..
आरे झा जी अब इतना भी 'सेंटी' नाहीं ना कीजिये हमका कि का कहेत है कि हम 'मेंटल' हुई जाये !
जवाब देंहटाएंबाकी हम तो रहिबे करेगे आपके साथ ......आरे हम दोनों को मिल के वोह 'जुत्तम जुत्ता' सेमिनार भी करना है कि नहीं ??
कहीं इरादा तो नहीं ना बदल लिए आप ??
gazab karte ho bandhu !
जवाब देंहटाएंachha laga ye andaaaaz !
badhaaib !
झा जी, ई का घोटाला कर दीन्ह!!! अरे, ई लोगन का नाम देने का खतरा मोल ही ली ना॥। अब हम तो तनिक खुस हो लीन पर..........:):)
जवाब देंहटाएंहम भी 'अदा'जी के साथ ड्यूट गा देते हैं भई :-)
जवाब देंहटाएंबी एस पाबला
main hamesha aapke saath hoon......... aur marte dum tak aap hi ke saath rahunga.........
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया जी, शायद आज कल ब्लाग जगत मे आपका टिफ का कोनू मुकाबला नही है. रामप्यारी को तो जब तक आपकी टीप नही मिले वो खाना ही नही खाती.:) बहुत शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सच कहा अजय जी आपने....इन्हीं टिप्पणियों के जरिये कितने दोस्त बन गये, कितने अद्भुत लेखकों से जान-पहचान हो गयी।
जवाब देंहटाएंमैं भी खूब-खूब लोगों को पढ़ना चाहता हूं, लेकिन एक तो इतना विशाल ब्लौग-जगत और इतना कम समय!
चिट्ठाकारी से टिप्पीकारी तक का सफ़र तो आपने तय कर ही लिया है...अब तो आपको किसी "कलाकारी" की राह पे चलने की तैयारी कर देनी चाहिए :)
जवाब देंहटाएंहम भी आते हैं आपके पीछे पीछे..:)
सबसे बड़ी बात यही है कि आपसी स्नेह और प्रेम बना रहे, हम सब अनदेखे अपनों का।
जवाब देंहटाएंयह जानकर खुशी हुई कि हमारी टिप्पणियां आपको प्रभावित करती हैं। आपने जो लिखा:
जवाब देंहटाएं..शायद यही कारण था कि जब मैंने टिप्पणियों के संकलन और चर्चा वाले ब्लोग को देखा तो झट से उनसे आग्रह किया कि मुझे भी शामिल करें और मुझे बहुत खुशी और गर्व है कि मैं उस ब्लोग से जुडा । मेरा विश्वास है कि टिप्पणियों के संकलन वाला ब्लाग आपका ही है। बाकी के दो सदस्यों के ईमेल पते भी नहीं हैं वहां। मैं गलत साबित हुआ तो मुझे अच्छा ही लगेगा लेकिन फ़िलहाल आपकी लिखने की शैली, जुड़ाव के अंदाज और अन्य बातों से जैसा लगता है वैसा मैंने लिखा।
आप बहुत अच्छा लिखते हैं। लगातार लिखते रहने की आपकी क्षमता की सराहना करता हूं। शुभकामनायें।
bhaai yah kya dikh 21 tipaani hai aur padhane ke liye sirf saat
जवाब देंहटाएंलेकिन अजय भाई यह याद रखिये कि आपको एक टिप्पणीकार के रूप मे याद नही रखा जायेगा , याद रखा जायेगा एक लेखक के बतौर ही इसलिये इसमे आप ज़्यादा सफल हो यह हमारी कामना है ।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंटिप्पणी की कितनी अहमियत हैं ये इस कमेन्ट से साफ़ जाहिर हो रहा हैं "रामप्यारी को तो जब तक आपकी टीप नही मिले वो खाना ही नही खाती.:) "। शुक्र हैं मै ऐसी किसी जगह टिप्पणी नहीं देती ।
जवाब देंहटाएंहिन्दी ब्लॉग जगत मे ही टिप्पणी किसने की को महत्त्व दिया जाता हैं ना की टिप्पणी क्या की और उसका सन्दर्भ क्या हैं ।
किसी ब्लॉग पर अगर १०० टिप्पणिया हैं तो केवल ये मानना होगा की उस लेखक का "पी आर " अच्छा होगा ।
क्युकी १०० मै से ८० तो ये ही कहती हैं वाह लिखते रहे । बाकि २० मै से १५ कहती हैं हमारे पर आकर भी टीप दे ।
टीप का महत्व तब ही होगा जब केवल और केवल सम्बंधित विषय मे अगर कुछ ग़लत हो तो लिखे या कुछ जोड़ना हो तो लिखे
शेष तो आप समझदार भी हैं और शायद वकील भी सो अपना भला बुरा समझ कर ही आप ने ये पोस्ट बनाई हैं ।
भगवान् से कामना हैं की वो ज्ञान से आप का नाता बनाये रखे ।
हम को भी बताना पड़ेगा का महाराज कि साथ हैं कि नहीं..गजबे सवाल करते हो जी!! :)
जवाब देंहटाएंसिंह रचना जी(एस आर ),
जवाब देंहटाएंआपकी टीप के लिये शुक्रिया ...आप अपनी बातें स्पष्ट कह जाती हैं ..ये बहुत बडी खूबी है आपकी ...मगर आपके और हमारे विचारों बुनियादी फ़र्क ये है कि ..हिंदी ब्लोग्गिंग में लाख बुराईयां, बचपना , बचकानापन और जो भी आप चाहें सही ...मगर फ़िर भी मुझे इसके सकारात्मक पहलू (मैं जानता हूं कि इस शब्द से आप सहमत नहीं होती ) ज्यादा भाते हैं । रही बात टिप्पणियों की ..तो इसमें में मेरे पैमाने आपसे अलग हैं ..मुझे नहीं लगता कि कभी टिप्पणी में मैंने किसी को कहा है कि बदले में आप भी मुझे अपनी टीप दें । और रही बात सौ में से प्रतिशतता ..सहमत असहमत होने की तो ये आपका अनुभव हो सकता है ॥ यदि सिर्फ़ गलती गिनाने के लिये ही टिप्पणी करनी हो तो ....करें....आखिर प्रशंसा, हौसला अफ़जाई के लिये क्या अन्यत्र जाना होगा ...?
और हां मैं वकील नहीं हूं जी ...और पोस्ट लिखते वक्त कहां देखता हूं कि ..कि मेरा भला होगा या बुरा ..आप जुडी रहें ...ज्ञान तो अपने आप मिलता रहेगा ....
agar SR likha haen naam mae to SR likhna chahiyae yae bloging ki paramparaa haen aur kyuki aap sab parmparaa ko bahut maan daetey haen to kisi kae bhi naam laekar nahin likhna chahiyae
जवाब देंहटाएंprofile par jo bhi likha ho usko manytaa dae aurblogger ko profile sae jodae naaki us blogger kaa naam pataa thikaana kyaa haen kyuki har cheez apnae peechae ek parparaa laatee haen
aasha haen aap samjh gayae hogaey ki mujeh SR ko naam mae badalnae aapti haen kyuki yae bloging ki veedha mae gair jarurii haen
maene ek neutral tippni dee wo na sakaaratak thee naa nakaratmak
yae aap ki drishti haen jo har jeez mae "aatamak " khojtee haen jabki blog, blogger , bloging aadii shabd hi neutral haen
हम तो आपके पूरी तरह से साथ है जी :)
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