रविवार, 27 जनवरी 2008

ब्लोग जगत में मेरी औकात

ब्लॉगजगत में मेरी औकात क्या है ?
आप सोचेंगे कि क्यों भाई अभी तो जुम्मा-जुम्मा चार रोज़ हुए हैं ब्लोगिंग में घुसे हुए या कहें कि ब्लॉगजगत में पैदा हुए और अभी से ये बातें । ये बात तो अब तक उन लोगों ने भी नहीं उठाई है जो इस ब्लोग्संसार की जनक मंडली है। अजी शुभ शुभ बोलिए, ऐसे बातें जब बडों के बारे में होती हैं तो हैसियत कहते है, उसे रूतबा कहा जाता है। खैर मैं तो अपनी यानी अपने औकात की बात कर रहा था।

सोचता हूँ कि पिछले तीन महीनों में लगभग दो सौ घंटे इस ब्लॉगजगत पर बिताने के बाद भी मुझे ठीक ठीक पता नहीं होता कि मुझे क्या लिखना- है , कहानी, कविता, लेख क्या। और तो और तिप्प्न्नी भी हिन्दी में नहीं कर पाटा हूँ अब तक, और न ही अपने ब्लोग पर कोइ तस्वीर , चित्र वागैरेह दाल पाता हूँ । ना ही किसी मोहल्ले में मेरा कोई मकान है ना ही अपना कोई कस्बा है , ना ही किसी कम्युनिटी में शामिल हैं ना ही किसी गुट में, ना ही कहीं हमारे ब्लोग की चर्चा है ना ही कहीं ब्लॉगर के रुप में हमारी चर्चा। फिर व्यावसायिक ब्लोग्गिंग और कमाने-धमाने की तो बात ही क्या?

फिर थोडा करवट बदल कर सोचा।

इतना समय बीत जाने के बाद भी हिन्दी ब्लॉगजगत में सिर्फ डेढ़ हजार ब्लोगिए हैं, कडोदों हिन्दी भाषियों के बीच सिर्फ डेढ़ हजार और उनमें से एक मैं। देश विदेश के इतने बडे लेखकों, कवियों विचारकों के बीच घुसा हुआ मैं बेशक सफ़ेद जैकेट पर लगी काली जिप की तरह लगता होऊं , मगर उसके बगैर जैकेट पूरी भी तो नहीं होगी। कौन सोच सकता था कि मेरी बातों पर संयक्त अरब अमीरात में बैठा कोई ब्लॉगर और बिहार या ओर्रिस्सा में बैठा कोई ब्लॉगर अपनी राय जाहिर करेगा।


तो भैया हमारी औकात कम से कम इस ब्लॉगजगत पर इतनी तो है कि हम खुद पर इतरा सकें॥

अजय कुमार झा
9871205767

4 टिप्‍पणियां:

  1. सोलह आने सही बात...

    आपने तो मुझे भी इतराने का हौसला दे दिया...

    हिन्दी ब्लॉगजगत के तंबू ना बन सके तो क्या ...बंबू तो ज़रूर बन ही जाएंगे...
    और बंबू के बिना तो.........

    "हम तो तंबू में बंबू लगाई बइठे....
    लगाई बईठे"

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  2. are wah,
    agar ye baat hai to chaliye phir saath saath likhte aur itraate hain.

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  3. blog ke leeye itraun
    comment dene ke jab baare aaye to bhag jaun hehehe

    जवाब देंहटाएं

मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला

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