भारत के नए रेल बजट की तैयारी शुरू हो चुकी है। अपने माननीय रेल मंत्री फिर बहुत सारे नए लल्लू छाप आईडिया लेकर आ रहे हैं। कुल्हड़ की चाय के बाद अब खाने के लिए पत्तल इन्त्रोदुस किये जायेंगे। केले के पत्ते के पत्तल, दुसरे पत्तों के पत्तल मगर सावधान नो कागज़, नो प्लास्टिक पत्तल । अरे चौंक क्यों रहे हैं भी पत्ते पूर्णतया एको फ़्रेंडली और बिल्कुल हर्बल होंगे इसमें आश्चर्य की क्या बात है।
देखिए अब ये आप टूथ पेस्ट से लेकर जूते चप्पल तक और कछे से लेकर कम्बल तक लगा सकते हैं। भी अव्व्वल तो ये पता नहीं है यदि ये है भी कुछ तो इसका प्रमाण क्या है, कौन जाने और कौन साबित कर सकता है। मुझे तो कभी कभी लगता है कि मेरा बेटा भी बहुत एको फ़्रेंडली और हर्बल किस्म का है क्योंकि हमेशा ही बच्चों से ज्यादा कुत्ते के बच्चों के साथ खेलता रहता है । और तो और मति तो पत्नी भी काफी एको फ़्रेंडली है। जब तक मैं चार के सारे काम करता रहता हूँ वे बिल्कुल फ़्रेंडली रहती हैं मगर ज़रा सी भी आनाकानी करूं तो उनकी आवाज़ और डांट चारों तरफ एको करने लगते हैं। खैर छोडिये मेरे एको फ़्रेंडली परिवार की बातें। सूना है कि टिकट भी ताड़ पत्रों पर छापे हुए मिलेंगे। भोजन में सिर्फ कंदमूल और फल मिलेंगे ।
देखिए ये तो सिर्फ एक प्रस्ताव है , आगे आगे देखिए होता है क्या?
All of us should welcome such an eco-friendly and innovative railway budget whenever it is presented.
जवाब देंहटाएंdoctor saahaab,
जवाब देंहटाएंsaadar abhivaadan. are aap to sachmuch hee ise siriously le baithe ajee kise chintaa hai eco friendly aur paryaavaran ki yahan to yaatriyon ki bhee fikra nahin hai.