यूं तो इनमें से कोई भी बात ऐसी नहीं है जिसे पहले नहीं कहा गया हो और सभी ने कभी न कभी इसे अपने अपने अंदाज़ में कहा भी है मगर जाने क्यों जब देखता हूं कि इस ब्लोग शहर में हर रोज़ कई घरौंदे बस रहे हैं नए नए , नए नए कस्बे , नए नए मुहल्ले बस रहे हैं तो फ़िर उन बातों को कहने का मन करता है बांटने का मन करता है । मुझे ये तो नहीं पता कि इससे कुछ लाभ हानि है या नहीं मगर इतना तो है ही कि नए आए मित्रों के लिए इसमें से बहुत कुछ काम का निकल आए । ब्लोग्गिंग की कोई पाठशाला कोई कार्यशाला आयोजित होती तो हम भी समय समय पर रिफ़्रेशर कोर्स कर लेते ...चलिए भाई तब तक तो इस कुंजी से ही काम चलाईये ।
शीर्षक :- किसी भी पोस्ट को लिखे पढे जाने की एक बडी वजह होती है उसका शीर्षक । इसमें कोई शक नहीं कि पोस्टों को पढे जाने पसंद किए जाने की एकमात्र शर्त ये तो नहीं है , मगर ये कम से कम उस तरह से तो है ही जैसे कि कोई आप लाईब्रेरी में से चुनते समय आप किसी किताब का नाम , फ़िर शायद उसके लेखक का नाम , कभी कभी उस पुस्तक की साज सज्जा भी आकर्षित करती है । ठीक उसी तरह से कहना ये है कि यदि आप चाहते हैं कि पाठक पोस्ट तक पहुंचें तो सबसे पहले आपको ये जानना होगा कि उस लेख का शीर्षक कैसा हो कि पाठक उस एक बार देखने का लोभ संवरण न कर पाए , मगर यहां मैं उन तमाम मित्रों से ये आग्रह जरूर करता चलूं कि इसका मतलब ये कदापि नहीं हो जाता कि शीर्षक में जानबूझ कर कोई उकसाऊ शब्द , किसी का नाम (खासकर नकारात्मक संदर्भों में ) , आदि डाले ..हालांकि ये बात भी असर तो उतना ही डालेगी मगर आगे आप खुद ही जानते हैं कि क्या होगा । मुझे ये तो नहीं पता कि ये आईडिया मूल रूप से किसका था ..(पोस्ट के आगे नाम अपना लिखने का )...मगर आपको लगता है कि लोग आपके नाम को देखकर भी आपकी पोस्ट को पढने आएंगे तो फ़िर ये प्रयोग भी कर के देखें । मैं अपनी बात करूं तो कई बार मैंने पोस्टों को छापना सिर्फ़ इस कारण से टाल दिया है कि उनके लिए मुझे कोई उपयुक्त शीर्षक नहीं मिला उस समय । आगे का काम आपकी लेखनी का विषय ,उसकी शैली , और पाठकों को उससे मिलने वाला अपेक्षित ...ही तय कर देता है ।
ब्लोग :- जी हां एक ब्लोग्गर के लिए सबसे पहले तो यही जरूरी है कि वो अपने ब्लोग के बारे में सोचे । हालांकि मुझे लगता है कि मैं इस विषय पर लिखने वाला सही व्यक्ति नहीं हूं ..कारण सिर्फ़ इतना है कि ब्लोग के विषय में कोई तकनीकी मित्र लिखें ( लिख ही रहे हैं ) तो ज्यादा अच्छा होगा । मगर कुछ मोटी मोटी बातें जो अपने पल्ले पडती हैं उन्हें आपके सामने रखता चलूं । अपने ब्लोग को सजाना संवारना और उन्हें उन तमाम सुविधाओं से लैस करना भी बहुत जरूरी है । सुविधाओं से लैस करने का मतलब है कि पाठकों को फ़ीड , मेल आदि की सुविधा उपलब्ध कराने आदि ।किसी किसी ब्लोग की पृष्ठभूमि ऐसी होती है जो कि पाठकों को पोस्ट पढने में दिक्कत पैदा करती है । कई ब्लोग्स पर जाने अनजाने कुछ ऐसे विजेट लग जाते हैं जो पाठकों के लिए खासी मुश्किलें खडी करते हैं । और भी इसी तरह की बहुत सी छोटी छोटी बातें होती हैं जिनपर ध्यान देकर काम करने की जरूरत होती है । एक बात और . ऐसा नहीं है कि आप अपना अपने पाठकों का , स्वाद बदलने के लिए अपने ब्लोग का थोबडा बदल नहीं सकते ...बल्कि बदलना ही चाहिए ....एक बदलाव के लिए ही सही .....जैसे कि आज हमने ब्लोग्गर की नई सुविधा का लाभ उठाते हुए सभी की थोडी सी डेंटिंग पेंटिंग कर डाली । ब्लोग को बहुत तरह के विजेट लगाने के फ़ायदे नुकसान पर सभी तकनीकी ब्लोग्गर्स से आग्रह करूंगा कि वे समय समय पर मार्गदर्शन करते रहें ।
लिखें या न लिखें मगर पढें जरूर :- जी हां अब ब्लोग्गिंग का सबसे महत्वपूर्ण सूत्र बता दूं जिसकी आज शायद सबसे ज्यादा जरूरत भी है इस ब्लोगजगत को हरेक नए पुराने ब्लोग्गर को भी । आप जितना समय लिखने में दे रहे हैं उससे ज्यादा तो निश्चित रूप से पढने पर दीजीए ...टिप्पणी पर अभी कुछ नहीं कहूंगा क्योंकि कुंजी का सारा पाठ आज ही पढ लीजीएगा तो फ़िर आप लोग कल से ही क्लास में ऐबसेंटी मार दीजीएगा । और हां जैसा कि पहले भी कहता रहा हूं कि पोस्टों को पढने के लिए यूं तो ब्लोगवाणी और चिट्ठाजगत से बेहतर और कोई विकल्प नहीं है मगर ऐसा भी नहीं है कि इसके परे कुछ भी नहीं है । वो कौन कौन से मंच और संकलक हैं जहां आप घूम फ़िर सकते हैं टहल सकते हैं और चाहे तो दौड लगा सकते हैं , उनके लिए कल की पोस्ट देखिएगा । साथ ही संकलकों आदि का जानकारी भी देने की कोशिश करूंगा और ब्लोग्गिंग से जुडी और भी बहुत सी बातें ।
चलते चलते एक और बात बताते चलें ...बहुत जल्द ही आपको झा जी कहिन पर ...""हमरे बलम ब्लोग्गर "" ब्लोग्गर्स से एक परिचय ...के नाम से एक कमाल श्रंखला पढने को मिलेगी ...उम्मीद है मजा आएगा आपको ..मुझे तो आएगा ही ॥