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शनिवार, 13 मार्च 2010

ब्लोग्गिंग के लिए कही चंद पुरानी बातों को फ़िर दुहराया जाए ......




यूं तो इनमें से कोई भी बात ऐसी नहीं है जिसे पहले नहीं कहा गया हो और सभी ने कभी न कभी इसे अपने अपने अंदाज़ में कहा भी है मगर जाने क्यों जब देखता हूं कि इस ब्लोग शहर में हर रोज़ कई घरौंदे बस रहे हैं नए नए , नए नए कस्बे , नए नए मुहल्ले बस रहे हैं तो फ़िर उन बातों को कहने का मन करता है बांटने का मन करता है । मुझे ये तो नहीं पता कि इससे कुछ लाभ हानि है या नहीं मगर इतना तो है ही कि नए आए मित्रों के लिए इसमें से बहुत कुछ काम का निकल आए । ब्लोग्गिंग की कोई पाठशाला कोई कार्यशाला आयोजित होती तो हम भी समय समय पर रिफ़्रेशर कोर्स कर लेते ...चलिए भाई तब तक तो इस कुंजी से ही काम चलाईये ।

शीर्षक :- किसी भी पोस्ट को लिखे पढे जाने की एक बडी वजह होती है उसका शीर्षक । इसमें कोई शक नहीं कि पोस्टों को पढे जाने पसंद किए जाने की एकमात्र शर्त ये तो नहीं है , मगर ये कम से कम उस तरह से तो है ही जैसे कि कोई आप लाईब्रेरी में से चुनते समय आप किसी किताब का नाम , फ़िर शायद  उसके लेखक का नाम , कभी कभी उस पुस्तक की साज सज्जा भी आकर्षित करती है । ठीक उसी तरह से कहना ये है कि यदि आप चाहते हैं कि पाठक पोस्ट तक पहुंचें तो सबसे पहले आपको ये जानना होगा कि उस लेख का शीर्षक कैसा हो कि पाठक उस एक बार देखने का लोभ संवरण न कर पाए , मगर यहां मैं उन तमाम मित्रों से ये आग्रह जरूर करता चलूं कि इसका मतलब ये कदापि नहीं हो जाता कि शीर्षक में जानबूझ कर कोई उकसाऊ शब्द , किसी का नाम (खासकर नकारात्मक संदर्भों में ) , आदि डाले ..हालांकि ये बात भी असर तो उतना ही डालेगी मगर आगे आप खुद ही जानते हैं कि क्या होगा । मुझे ये तो नहीं पता कि ये आईडिया मूल रूप से किसका था ..(पोस्ट के आगे नाम अपना लिखने का )...मगर आपको लगता है कि लोग आपके नाम को देखकर भी आपकी पोस्ट को पढने आएंगे तो फ़िर ये प्रयोग भी कर के देखें । मैं अपनी बात करूं तो कई बार मैंने पोस्टों को छापना सिर्फ़ इस कारण से टाल दिया है कि उनके लिए मुझे कोई उपयुक्त शीर्षक नहीं मिला उस समय । आगे का काम आपकी लेखनी का विषय ,उसकी शैली , और पाठकों को उससे मिलने वाला  अपेक्षित ...ही तय कर देता है ।

ब्लोग :- जी हां एक ब्लोग्गर के लिए सबसे पहले तो यही जरूरी है कि वो अपने ब्लोग के बारे में सोचे । हालांकि मुझे लगता है कि मैं इस विषय पर लिखने वाला सही व्यक्ति नहीं हूं ..कारण सिर्फ़ इतना है कि ब्लोग के विषय में कोई तकनीकी मित्र लिखें ( लिख ही रहे हैं ) तो ज्यादा अच्छा होगा । मगर कुछ मोटी मोटी बातें जो अपने पल्ले पडती हैं उन्हें आपके सामने रखता चलूं । अपने ब्लोग को सजाना संवारना और उन्हें उन तमाम सुविधाओं से लैस करना भी बहुत जरूरी है । सुविधाओं से लैस करने का मतलब है कि पाठकों को फ़ीड , मेल आदि की सुविधा उपलब्ध कराने आदि ।किसी किसी ब्लोग की पृष्ठभूमि ऐसी होती है जो कि पाठकों को पोस्ट पढने में दिक्कत पैदा करती है । कई ब्लोग्स पर जाने अनजाने कुछ ऐसे विजेट लग जाते हैं जो पाठकों के लिए खासी मुश्किलें खडी करते हैं । और भी इसी तरह की बहुत सी छोटी छोटी बातें होती हैं जिनपर ध्यान देकर काम करने की जरूरत होती है । एक बात और . ऐसा नहीं है कि आप अपना अपने पाठकों का , स्वाद बदलने के लिए अपने ब्लोग का थोबडा बदल नहीं सकते ...बल्कि बदलना ही चाहिए ....एक बदलाव के लिए ही सही .....जैसे कि आज हमने ब्लोग्गर की नई सुविधा का लाभ उठाते हुए सभी की थोडी सी डेंटिंग पेंटिंग कर डाली । ब्लोग को बहुत तरह के विजेट लगाने के फ़ायदे नुकसान पर सभी तकनीकी ब्लोग्गर्स से आग्रह करूंगा कि वे समय समय पर मार्गदर्शन करते रहें ।

लिखें या न लिखें मगर पढें जरूर :- जी हां अब ब्लोग्गिंग का सबसे महत्वपूर्ण सूत्र बता दूं जिसकी आज शायद सबसे ज्यादा जरूरत भी है इस ब्लोगजगत को हरेक नए पुराने ब्लोग्गर को भी । आप जितना समय लिखने में दे रहे हैं उससे ज्यादा तो निश्चित रूप से पढने पर दीजीए ...टिप्पणी पर अभी कुछ नहीं कहूंगा क्योंकि कुंजी का सारा पाठ आज ही पढ लीजीएगा तो फ़िर आप लोग कल से ही क्लास में ऐबसेंटी मार दीजीएगा । और हां जैसा कि पहले भी कहता रहा हूं कि पोस्टों को पढने के लिए यूं तो ब्लोगवाणी और चिट्ठाजगत से बेहतर और कोई विकल्प नहीं है मगर ऐसा भी नहीं है कि इसके परे कुछ भी नहीं है । वो कौन कौन से मंच और संकलक हैं जहां आप घूम फ़िर सकते हैं टहल सकते हैं और चाहे तो दौड लगा सकते हैं , उनके लिए कल की पोस्ट देखिएगा । साथ ही संकलकों आदि का जानकारी भी देने की कोशिश करूंगा और ब्लोग्गिंग से जुडी और भी बहुत सी बातें ।

चलते चलते एक और बात बताते चलें ...बहुत जल्द ही आपको झा जी कहिन पर ...""हमरे बलम ब्लोग्गर "" ब्लोग्गर्स से एक परिचय ...के नाम से एक कमाल श्रंखला पढने  को मिलेगी ...उम्मीद है मजा आएगा आपको ..मुझे तो आएगा ही ॥

गुरुवार, 25 फ़रवरी 2010

गुटबाजी, संगठन , घेटो ... सही समय पर एक गलत पोस्ट !




ओह कहते हैं न कि कुछ भी सोचा हुआ नहीं होता है तब तो बिल्कुल भी नहीं जब आप चाहें कि वैसा ही हो , अब देखिए न सोचा था फ़गुनाहट में कुछ ऐसी धूम मचाएंगे कि ब्लोगजगत में इंद्रधनुषी छटा बिखर जाएगी , जिनको वो भी न नज़र आई उन्हें भांग का लोटा गटका देंगे ..बांकी सब आपे आप हो जाएगा ...। मगर क्या खाक हो जाएगा .....अजी हमें शांति रास आए तब न ...हमें तो मुद्दे चाहिएं....मुद्दे भी ऐसे जिन्हें घसीट के हम पोस्टिया सकें , गरिया सकें , जुतिया सकें । बेशक लहज़ा और शैली कोई भी हो ...इस पर जोर कैसा और जोर हो भी क्यों आखिर ब्लोग्गिंग है ही इस चिडिया का नाम .....अभी पिछली पोस्ट में ही तो पूछा था कि ...भाई लोगों ...ये जो हम कर रहे हैं यदि ये ब्लोग्गिंग नहीं है तो फ़िर यार ब्लोग्गिंग है क्या ....अब नया ही एंगल पता चल रहा है । हर बात में कोई उलटा एंगल देखो ...बात बेबात आपत्ति दर्ज़ करो ...कभी विरोध में तो कभी समर्थन में पोस्ट लिखो ...क्या चकाचक ब्लोग्गिंग होती है ...होती क्या ...हो ही रही है । पिछले दिनों से कुछ शानदार शब्द और जुमले ..ब्लोग्गिंग में अपनी टीआरपी न सिर्फ़ बनाए हुए हैं बल्कि बराबर बढाए जा रहे हैं । अब अपने अजित वडनेरकर भाई तो जब लिखेंगे तब लिखेंगे इन शब्दों पर शोध करके ...हमने सोचा कि शोध करके न सही ....क्रोध करके तो इन पर लिख ही सकते हैं । और फ़िर कल से जम के फ़गुनियाएंगे ....।


ब्लोग्गिंग में यूं तो कहने को ढाई साल से जुते पडे हैं ...मगर कमबख्त ये गुटबाजी का इक्वेशन आज तक पल्ले नहीं पडा । वैसे भी इन इक्वेशन्स के मामले में हम बचपन से ही बहुत हुसियार रहे हैं ....जानते हैं कि कुछ पल्ले नहीं पडने वाला सो कोशिशियाते ही नहीं है ..काहे लें ऐसी टेंशन ?????जिसका ससुर कौनो आऊटपुट और इनपुट ही न हो । अब सुनते हैं कि कमाल की गुटबाजी है इस ब्लोग्गिंग में ....गजब के गुट हैं ...इतनी गुटगुट्टमगुट्ट तो ..गुटनिरपेक्ष देशों में भी नहीं देखी जाती । फ़िर शोध करके देखा .....नहीं नहीं क्रोध करके देखा तो कमाल के गुट मिले ....अरे हां मिल गए जी बिल्कुल ...क्या आपको विश्वास नहीं होता ।
आईये मैं दिखाता हूं ...

पहला गुट ..ऐसे कबूतरों का है जो बस प्रेम की भाषा जानते हैं , सबको गले लगाने को , सबको प्रोत्साहन देने को तैयार रहता है , मुएं नए ब्लोग्गर हों , पुराने ब्लोग्गर हों , कविता लिखने वाले हों , गीत लिखने वाले हों , गंभीर लिखने वाले हों , ये सभी की पोस्ट पढेंगे और टीपेंगे भी ....गजब का कमाल गुट है ये ...और इस गुट में जाने कौन कौन है शामिल । हम खुद भी ........

अब एक और गुट है , किसी का भी नाम ले के पोस्ट लिख मारी , किसी की पोस्ट का लिंक उठाया और दे दनादन निकाल ली भडास , धडाधड ...इस गुट को कोई मतलब नहीं है कि ब्लोग्गिंग कहां जा रही है ,,, क्यों जा रही है , इस गुट के लोग हमेशा ही हर पोस्ट को , और तो और उसमें आई टिप्पणियों को , ब्लोगगर्स आपस में भिडते हैं तो भी इन्हें दुर्भावना नज़र आती है ..ब्लोग्गर्स मिलते हैं आपसे में तब तो कयामत हो आती है देखिए न ..आप खुद ही ये कमाल के भाव निकल कर आए हैं ,ऐसे उदगार व्यक्त करने वाले भी हैं यहां , अभी अभी मिली सूचना के अनुसार बिना लाग लपेट जो कहा जाए वही सच हैंनामक सुंदर ब्लोग (http://mypoeticresponse.blogspot.com) में ये कहा गया है कि
,,
"" क्या किसी के घर मे कोई काम नहीं हैं की हर दो दिन तीन दिन बाद एक मीट की खबर आ रही हैं दिल्ली से । इस महगाई के ज़माने मे घर खर्च कैसे चलता हैं या सब के पास सरकारी नौकरी हैं । भगवान जाने इतनी सोशल नेटवर्किंग से क्या मिल जाने वाला हैं ??? ""

तो अब इन्हें कैसे समझाएं कि चाहे जमाना महंगाई का हो या सस्ताई का घर में यदि प्यार हो तो चल ही जाता है .....मगर घर होना चाहिए ..जिस घर समझा जाए ...खैर उनसे भी कोई गिला नहीं है ...सुना है कि शिशुपाल के सौ गुनाह तक कृष्ण रुके थे ...???

गुट तो और भी हैं कई , सिर्फ़ अपनी पोस्ट कर लिख कर निकल जाने वाले, पढ के चुपचाप निकल जाने वाले ,दूसरों को तो जम कर कोसने वाले मगर खुद पर पडने पर बिलबिलाने वाले , दूसरों की मौज लेने वाले मगर जब दूसरे लें तो जूता उठा कर तैयार रहने वाले ....

हमारे जैसे चिट्ठाचर्चा करने वाले फ़ालतू के गुटबाज लोग , और उन्हें समय समय पर ये बताने वाले गुटबाज कि आप चर्चाकार तो बस अपने गुट की ही चर्चा करते हो...

देखिए जी सूची बहुत लंबी है और विषय अभी दो बचे हैं , और सबसे बडी बात है कि इसके बाद इस विषय पर कुछ लिखने का मन नहीं है ..कम से कम होली तक तो नहीं ही ...सो आगे चलते हैं

अब बात करते हैं संगठन की .....तो बिल्कुल ठीक कहा है सबने ...अजी हम कोई गधे थोडी हैं जो समूह बनाने या संगठन बनाने की जरूरत है ...कहते हैं न कि शेर अकेला ही चलता है ...और इसमें क्या शक है कि ब्लोगजगत में हम सब शेर हैं ...जो सवाशेर बनने के लिए ही मरे मारे जा रहे हैं ...और ज़ाहिर है कि जब हम मिज़ाज़ से ही शेर हैं तो उसके लिए तो हमें ब्लोगजगत को भी जंगल बनाना ही पडेगा न । और फ़िर उस जंगल में ..अपनी अपनी मांद में बैठ के हम सब गुर्राएंगे ...लो कल्लो बात ..तो मांद से बाहर कैसे ....आखिर सभी शेर हैं न ...मिलते ही गधे न बन जाएंगे । चलिए अब इस बात को जरा दूसरे तेवर में कहूं । पिछली दोनों बार जब जब ब्लोग बैठक की बात हुई तो दोनों ही बार मैं तय कर चुका था कि जो करना है मुझ अकेले ने ही करना है , जो भी करूंगा जैसे करूंगा वो मैं खुद करूंगा । कारण बहुत से थे इसके ...और जाहिर है कि आप सब जानते हैं कि वो कौन से अपेक्षित कारण होंगे । पहले भी कह चुका हूं कि ये सिर्फ़ और मेरे मन की बात थी और जैसा मैंने चाहा वो किया , और जानते हैं कि ऐसा क्यों किया क्योंकि मैं किसी भी शर्त पर किसी को भी ये कहने का मौका नहीं देना चाहता था कि फ़लाना ने ऐसा या वैसा किस अधिकार से और क्यों किया ? किस मकसद से किया ?? क्यों भाई क्यों ...मैं अपना फ़ोन नं किसी की टिप्पणी में छोडता हूं इसलिए कि शायद यहां पोस्ट लिखने और टीपने की तथाकथित आभासी दुनिया से इतर उसके लिए वास्तव में कोई मदद कर सकूं ..तो उस फ़ोन नं का उपयोग कोई मुझे बरगलाने में तो कोई धमकाने में उपयोग करता है तो मैं उससे अपने तरीके निपटने में सक्षम हूं । मुझे इस बात के लिए किसी को सफ़ाई देने की कोई जरूरत नहीं है कि मेरा घरखर्च कैसे चलता है और उन पैसों को मैं आखिर किस कारण से मीट में लगा देता हूं ...क्यों जी आप कोई ठेकेदार हैं क्या मेरे घर परिवार के ...मेरी मर्ज़ी है मैं अपने घर पर रोज़ एक ब्लोग्गर मीट रख दूं ...?????और मैंने कब कहा कि मेरे द्वारा बुलाए गए किसी बैठक का कोई एजेंडा था ...जरूरी तो नहीं कि हर बार कोई न कोई एजेंडा झंडा हो ही । क्या यही बडी बात नहीं कि दोनों ही बार सबने आपस में मिल कर एक दूसरे से प्यार बांटा । आज जो लोग इन संगठनों के बनने पर प्रश्नचिन्ह खडा कर रहे हैं ..वे पहले इस ब्लोगजगत के लिए दिया गया अपना समय , अपना योगदान , का आकलन करें फ़िर किसी की नीयत पर उंगली उठाएं ।

मैं यहां पहले कुछ बातें बता दूं ..कि ब्लोग्गर्स को एकजुट करने के लिए ये कोई ऐसा प्रयास नहीं था जो कि पहली बार करने की कोशिश की गई थी । अभी भी ब्लोगजगत में लखनऊ ब्लोग्गर्स एसोसिएशन, साईंस ब्लोग्गर्स एसोसिएशन ..और जाने ऐसे ही कितने साझा मंच बने हुए हैं । हां अब आप सोच रहे हैं न ..तो फ़िर ये अभी से कैसे और क्यों मान लिया गया कि उस संगठन की बात शुरू करने वालों की मंशा किसी तरह की मठाधीशी करना था ...या फ़िर शायद किसी को ये डर लग गया था कि इस संगठन से रातोंरात करोडों रुपए इकट्ठा हो जाएंगे जिनका दुरूपयोग शायद ऐसी ही गुटबाज़ी वाली ब्लोग्गर्स मीट के लिए किया जा सकता है । हां भाई ...आखिर ब्लोग्गर्स बेवकूफ़ हैं न जो कि एक कहेगा कि पैसे दो सभी आंख मूंद कर दे देंगे । इसलिए बिल्कुल ठीक शंका जताई गई । ..अच्छा ये नहीं सोचा गया था तो फ़िर ये संगठन आखिर ऐसा क्या कर लेता जी जो आज के लगभग पच्चीस हज़ार हिंदी ब्लोग्गर्स प्रभावित हो जाते ????कैसी आशंका और किस पर ????? और किन्होंने की ...कितने ब्लोग पढते हैं आप ...कितने पर टिप्पणियां करते हैं जी ....कितने ब्लोग्गर्स के सुख दुख में शामिल होते हैं ...ओह माफ़ी माफ़ी ...भई ये तो आभासी दुनिया है न ..यहां पर तो सिर्फ़ लिख कर ..जी हां लिख कर ..और बस लिख कर इतिश्री करके ही अपनी चिंता , अपना क्रोध , अपनी समस्या, सब कुछ को रखना चाहिए ।
अब चलते चलते कुछ बात करते हैं घेटो की, मैं इत्ता बडा विद्वान तो कभी नहीं रहा सो जब समझाया गया और जैसा समझाया गया ..तब जाकर अपनी अल्पबुद्धि में ये बात आई कि घेटो का मतलब ..जी हां मतलब नहीं ....ये समझा कि ...ये अलग थलग होने की प्रक्रिया जैसा कुछ है । आयं ये तो यार बिल्कुल ही बात पल्ले नहीं पडी ....जिस शख्स की तरफ़ ईशारा किया जा रहा था अलग बस्ती ..बसाने का ..शायद कोई डोमेन शोमेन लेने के लिए जिम्मेदार ठहरा कर ...वो अलग बस्ती बसा रहा है अलगाव लाने का प्रयास हो रहा है । कमाल है एक ब्लोग्गर जो सभी की जन्मदिन , वैवाहिक वर्षगांठ , और ऐसे ही अवसरों को न सिर्फ़ सहेज़ता है बल्कि उन्हें बधाई देने का मौका देता और दिलवाता है , वही ब्लोग्गर किसी भी पहचान बिना पहचान वाले ब्लोग्गर को न सिर्फ़ ये बताता है कि उसकी फ़लानी पोस्ट में ये तकनीकी समस्या आ रही है ..बल्कि रात दिन की परवाह किए बगैर उसे दुरूस्त करता है , एक ब्लोग्गर जो सभी ब्लोग्गर्स की देश भर के समाचार पत्रों में छपी हुई पोस्टों को सजा कर सहेजता और प्रस्तुत करता है ...वो ......क्या कह रह थे ....आप घेटो ....कर रहा है ......अजी मेरी मानिए इसे घेटो नहीं ......इसे तो फ़ेंटो कहते हैं । अरे बचा है ब्लोग्गिंग का कोई रंग जिसे ये ब्लोग्गर न फ़ेंट रहा हो हिंदी ब्लोगजगत में ....। ओह शायद इसके लिए जरूर उन्हें भारत सरकार पैसे दे रही होगी न ....या शायद किसी ब्लोग्गर संगठन ने तगडी पेंशन तय कर रखी होगी ।
देखिए जी अब होली का समय नज़दीक है ..मैं नहीं चाहता कि इस पोस्ट का रंग ही इतना पक्का चढ जाए कि आगे के फ़गुनिया रंग फ़ीके लगें आपको ..तो यकीनन आप समझेंगे बात को । और हां संगठन, और गुट तो बिना कहे सुने भी बने हुए हैं जी .......बस तय तो आपको करना है कि आपको पसंद क्या है ,.,,,,हम तो ऐसे कबूतर हैं जो हर गुट में गुटरगूं ....कर जाते हैं ....। प्रेम की भाषा से ...समझिए न उसको ..चाहे गपशप करें ...कुछ भी कभी भी कहें ...........


बुधवार, 4 नवंबर 2009

ब्लोग्गिंग के वर्तमान हालातों पर बिलागर्स (ब्लोग्गर्स नहीं ) का थौरो चिंतन.



ब्लोग्गिंग बदल रही है , ब्लोग्गर्स भी बदल रहे हैं । नहीं ब्लोग्गर्स बदल रहे हैं तभी तो ब्लोग्गिंग बदल रही है।
अरे छोडिये सीधा सीधा ..झेलिये न ..कि दोनो बदल रहे हैं । ब्लाग्गिंग सम्मेलन ( देखिये ई भी अब तो शोध का विषय बन गया है कि ऊ ठीके में ब्लाग्गिंग सम्मेलन ही था न कि सब ठो ब्लाग्गर मजे मजे में संगम डुबकी लगाने के लिये गये थे ) हो रहा है , कहिये कि जोरदार हुआ । भूगोल , विज्ञान, और इतिहास सब एके साथ बन गया जी । इसके तुरंत बाद एक ठो और सम्मेलन करा दिये अपने ताऊ जी ने.....गधा सम्मेलन । गर्दभ सम्मेलन ...कि कहें कि गजब सम्मेलन ..। ई तो नहीं पता कि ई सम्मेलन भी ऊ सम्मेलन के समांतर था कि नहीं ..मगर सुने कि सुपर हिट रहा जी ...। मुदा एक तकलीफ़ तो होईये गया ..हमारे समेत बहुते गरीब गुरबा ब्लागर को .......न तो उहे वाला में बुलाया गया न इहे में ...। इससे इतना तो फ़ायदा होईये गया कि न घर के ( बिलाग्गर सम्मेलन ) रहे न घाट (गधा सम्मेलन ) के ...ई टाईप का मुहावरा का मतबल एक दमे समझ में आ गया ..।



मुदा ई बात तो चीन द्वारा भारत का कुछ भाग दिखाने से भी जादे इंपोर्टेंट हो गया था ....सो तत्काल तय हुआ ... ...बडका ब्रिगेड एकदम इम्मिडियेट मीटिंग काल किया ...अरे एके बार नहीं जी..खेपमखेप में तो देखिये ..पढिये और चिंतन किजीये..काहे से कि बिलागर्स पर पहली बार एतना थौरो ..चिंतन हुआ है ..।तो हम भी आपको उसक रपट एकदमे नहीं ठेलेंगे .....धीरे धीरे ...और हां ई चिंतन बैठकी का कौनो तस्वीर उपलब्ध नहीं है . ..लिया हे नहीं गया जानके ..दुई ठो कारण है इसका भी ..सुना गया है कि ऐसी रपटों मे अक्सर तस्वीरें लगने से ..सारा ध्यान तस्वीरों की तरफ़ ही चला जाता है ..और रपट पिट जाती है ..दूसरा कारण ई कि ..कई बार तस्वीर देख के ..अचानक बिलागर सब को धक्का पहुंचता है....कि अरे एतना रोमांटिक गज़ल ..ठेलने वाला ई बुढऊ टाईप जवान था ...धत तेरे की..। अरे मारिये गोली इ सब टौपिक को ..पहली बैठकी में ...ताऊ जी ...अरे वही बिल्लन माने रामप्यारी वाले ...चच्चा ..टिप्पू जी ....और लाला उडनतशतरी जी शामिल हुए....। रामप्यारे से खासमखास सिफ़ारिश ..( पोल खोलिये देते हैं ..उ से कहे हैं कि ऊ का खुल्लम खेल फ़र्रुखाबादी ..मे रोजे टीपेंगे ..और कभी नहीं जीतेंगे ) पर हमको भी ई बैठकी का ..एक मात्र औडिएंस के रूप में ....नीचे चटाई पर बैठा दिया गया ..हम चुपचाप लपेटते रहे । आखिर आप सबके लिये रपट भी तो लानी थी ।





ताऊ जी :- और भैया ...का चिंतन करना है ..हमरे हिसाब से तो एजेंडा खाली ई तय होना चाहिये कि ...उडन जी और हमारे ब्लाग पर ..रिकार्ड टिप्पणी आ गयी हैं ....और आने वाले समय में हम लोग तेंदुलकर का रिकार्ड भी तोड सकते हैं ....और इस हेतु का का नया पहेली पूछा जाए....।पिक्चर बना लिये....मैगजीन भी खूबे चला....लूप में बहुते योजना सब है ....सोच रहे हैं एक ठो रिएल्टी शो भी शुरू किया जाए......एक दम फ़ाईट क्लब टाईप....लट्ठ हम देंगे ....और कपार सब तो लोग अपने उपलब्ध करा देता है ....का कहते हैं .....?








उडन जी :- देखिये हम आप दुनो ( ताऊ और चच्चा ) के बीच में सिर्फ़ इसलिये बैठ्की किये हैं ..कि भले हम सेर और सायरी ..बीडी के खोली पर लिख कर हिट करा रहे हैं ....मुदा सबको पता है कि हमरा उमर तो लडक पने से निकल के ...आप चचा , ताउ जईसने हो गया है ..और पहेली उहेली का कहें ...आप लोग पूछ पूछ के थक जाईयेगा ...हम जीत जीत के नहीं थकेंगे ....टीपवा तो ...आईये जाता है ...धडाधड ...कुछ तो विल्स कंपनी वाले भी भेज रहे हैं ...आखिर उनका विल्स कार्ड हमई तो फ़ेमस किए हैं न..।



चचा कहे :- देखिये उडन जी , ई उमर का बात ऊत नहीं किया किजीये आप ...आप ठहर एलियन ...आपका उमर का ...और आपकी जवानी का ....आप तो एवर ग्रीन जवान हैं जी । आ रहबे किजीयेगा ...ई बिलागरवा सब ..बुढैती में थोडे जाने देगा आपको ...हां आप लोगन का टीप का रिकार्ड और ऊ का स्पीड देख देख के हम सोच रहे हैं कि ..हमको तो अपने भतीजा सब के साथ ..एक दिन में आठ आठ बार टीप चर्चा लगानी पडेगा...। ओईसे भी जौन स्पीड से चर्चा मंच का विस्तार हो रहा है ..बहुत जल्दीये ई समय आने वाला है जब कौनो ब्लोगर को ई सिकायत नहीं रहेगा कि ..ऊ की पोस्ट की चर्चा नहीं हुई ....।


ताऊ :- अरे भई हमने तो अपनी इस बिल्लन को भी बराबर टरेनिंग दे दी है ....हमारा कैमरा लेकर लिकड लेती है ..का फ़ोटू खींच लाती है ...और कमाल तो ई की ...फ़ोटू एतना काट पीट के लेती है कि ...खुद हमें ही नहीं पता चलता...सो पहेली में लगा देते हैं ..ईसी बिल्लन की पहेली में .....आखिर ई बिल्लन का टेंशन अकेले हमही काहे पालें ...। कह रही थी ..ताऊ ई गर्दभ सम्मेलन का सारा फ़ोटो शूट हमें ही करने दो ...कईसे तो रोके हैं ....हम कहे ..नहीं ..हम नहीं चाहते कि ..सम्मेलन सम्मेलन का कंफ़्यूजन होई जाए..।


बस जी आज एतने ...उडन जी इसके बाद ब्रेक में बीडी पीने और ऊ का खोली पर ..का कहते हैं ..बिल्स कार्डवा लिखे चल दिये....चच्चा कहे ..रोहित को कहते हैं ..टेम्पलेटवा पकडे के मशीन का ओवरवायलिंग करदे ..आगे जरूरत पडेगा ... ताऊ तो बिजी थईये थे ...सो ब्रेक के वास्ते हम भी उठे ...और अगला चौपाल पर पहुंचे ......लिजीये सब एपीसोड आजे ....तो कल का ....


शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2009

दीपावली की शाम, और मेरे ब्लोग्गिंग के दो वर्ष पूरे ..यानि डबल बधाई..


लिजीये जी देखते देखते दो साल पूरे कर लिये इस ब्लोग्गिंग की दुनिया में। कहने वाले कहते हैं कि आभासी दुनिया है। कैसे मान लूं ..जब भी कोई खुशी गम हो तो सबसे पहले से सबसे बाद तक तो आप ही रहते हैं साथ। देखता हूं कि कोई बीमार पडता है..या किसी के यहां कोई उत्सव का अवसर आता है तो मन में मेरे भी स्पंदन तो होता ही है।
जब ये सफ़र शुरू हुआ था तो वो एक अकस्मात घटना थी । लिखते पढते और छपते हुए भी काफ़ी समय हो चला था मगर ब्लोग या कहें कि चिट्ठा से तो परिचय दूर ..उतना सुना भी नहीं था । क्या कैसे हुआ आप मेरी दो साल पहले लिखी इस पोस्ट से खुद ही अंदाजा लगा लिजीये।

मेरी दो साल पहले लिखी और ब्लोग के लिये लिखी पहली पोस्ट
यूं तो ब्लोग के बारे में काफी पहले रेडियो पर कुछ कुछ सुना था मगर पिछले दिनों कादम्बिनी के ताज़ा अंक में पूरी जानकारी मिली । अब जब कि ये पता चल गया है कि इसमे मुझे बार बार पेन चलाने कि जरूरत नहीं पड़ेगी तो समझ गया कि यही है वह जगह जिसके लिए मैं पिछले दिनों मन ही मन सोच रह था।

सुना है कि इसका नाम है चिटठा , मगर किसी ने ये नहीं बतया कि कैसा चिटठा ,फिर सोचा कि जाहिर सी बात है कि चिटठा पका हुआ ही तो लिखना होगा वरना कच्चा चिटठा तो खबर बन जायेगी और एक्सक्लूसिव न्यूज़ के रुप में किसी खबरिया चैनल पर पहुंच जायेगी और ये ब्लॉगर तो रिपोर्टर बन जाएगा। या फिर शायद ऐसा होता हो कि आप कुछ भी अपने झोली से निकालो ,उछालो ,घुमा लो, फिरा लो और उदेल दो ब्लोग कि दुनिया में बाकी भाई बंधू खुद ही उसे घिस घिस कर पका देंगे । भाई, हर कोई कुछ ना कुछ कहीं ना कहीं पका ही तो रहा है । आप सोच रहे होंगे कि आख़िर मैं चाहता क्या हूँ। कुछ नहीं । बस आपको इतना बताना चाहता हूँ कि मैं भी आ गया हूँ आपके बीच अब तैयार रहे , मैं कभी भी कुछ भी , आपको परोस दूंगा पकने के लिए या पकने के लिए ये तो आप ही तय करना हाँ फिहाल इतना जरूर कहूँगा कि मेरे साथ आप गंभीर भी होंगे और खुश भी, कभी परेशान भी होंगे और हैरान भी मगर भी मैं तो लिखता रहूंगा कभी भी कुछ भी। लिखूंगा क्या सब कुछ कहानी , कविता , लेख , चिट्ठी , और ढेर सी वो बातें जो किसी को भाषण लगती हैं तो किसी को फालतू बात।
चलिए आज इतना ही
अब जबकि दो साल बीत गये हैं तो निश्चित तौर पर बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों के बावजूद अब ये मेरी दिनचर्या का एक अनिवार्य अंग बन चुकी है । और मेरा परिवार बढता ही जा रहा है। कुछ तो इतनी करीब आ चुके हैं कि यदि एक दो दिन में उनसे सीधे सीधे संवाद न स्थापित हो तो कुछ अधूरा सा लगता है। कुछ दिलचस्प बातें भी रही इस दौरान जो मैं आपसे बांटना चाहूंगा । जब ब्लोग्गिंग शुरू की तो कुछ लोगों ने बताया या कहूं कि चेताया कि आप सरकारी सेवा में हो न तो इसलिये अपने सही नाम और पहचान से न लिखें। हमने भी आदेश माना और झोलटनमा जी ..हां गांव में सुना हुआ एक नाम झोलटन ..या झोलटनमा....के नाम से लिखने लगे..मेरा एक अन्य ब्लोग अभी भी उसी यू आर एल से दर्ज़ है ।थोडे दिन तक अपना ये बूथा भी छुपा के रखा गया। मगर अजी हम छुपने और छुपाने में कब तक यकीन रखते ।सो जारी हो गये धडाधड।

फ़िर तो ब्लोग दर ब्लोग सिलसिला बढता गया। अभी कुछ दिनों पहले ही किसी अजीज ने पूछा ..अजी कितने ब्लोग पर लिखेंगे ..आप? मैंने कहा आप तो बस देखते जाईये और पढते जाईये। जिस दिन खराब लिखने लगें कहियेगा...उस दिन सिर्फ़ पढना ..जी सिर्फ़ पढना शुरू कर देंगे। चलिये आज के लिये इतना ही। जब इतना कह ही दिया है तो एक वादा जो बहुत पहले किया था,..और न जाने क्यों अब तक नहीं पूरा कर पाया हूं....अरे आपसे नहीं अपने आप से जी....मेरा पहला औन लाईन उपन्यास..मंदाकिनी ...जिसे जल्दी ही शुरू करूंगा ..उम्मीद है कि मेरे हर प्रयास की तरह मेरी ये कोशिश भी आपका स्नेह जरूर बटोरेगी।

तो दिवाली इस बार मेरे लिये दोहरी खुशी लेकर आई है.....आप सबको एक बार फ़िर से दीपावली की बहुत बहुत बधाई और शुभकामना।

सोमवार, 12 अक्टूबर 2009

ब्लोगजगत का संक्रमणकाल: अपना सर्वस्व और सर्वश्रेष्ट देने का समय

ब्लोग्वाणी जैसे सबसे लोकप्रिय ऐग्रीगेटर के अचानक बंद हो जाने से एगबारगी तो ऐसा लगा था कि ..हिंदी ब्लोगजगत पर किसी अनजाने कीटाणु/जीवाणु, का हमला हुआ है...इस शुक्राणु का संबंध चाहे तकनीकी लोगों के दिमाग की उपज रहा हो या कि खाली दिमाग शैतान का घर जैसे वालों के मस्तिष्क वालों की खुराफ़ात मगर इसकी मारक क्षमता की चपेट में..प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से पूरा ब्लोगजगत तो प्रभावित हो ही गया था । वो तो शुक्र है कि जल्दी ही ये समस्या सुलझ गयी। ब्लोगवाणी हमारे बीच दोबरा लौट आया। इस घटना के कई परिणामों में से कुछ सुखद भी निकले। जिनमें से एक था..कई नये ऐग्रीगेटर्स से पहचान और एक नये ऐग्रीगेटर, ब्लोग प्रहरी , का आगाज।

लेकिन लगता है कि ये ब्लोग्गिंग का ..अब तो हिंदी ब्लोग्गिंग का कहना भी तर्क संगत नहीं लगता..सो इस तरह कह लेते हैं कि देवनागिरी में लिखने वाले ब लोग्गर्स के लिये संक्रमण काल सा हो गया है। विवाद -प्रतिवाद, निजी आक्षेप, बेवजह तूल देने वाले मुद्दे, उसे आगे बढाने वाली पोस्टें, धर्म, लिंग, भाषा, की लडाई....वाह वाह एक साथ इतने जीवाणु/कीटाणु, हैं कि ...एक से निबटो तो दूसरे का हमला..दूसरे से ...तो तीसरे का..ताबडतोड...और तो और जो थोडी बहुत रोकने की कोशिश भी हो रही थी ...वो पोस्टें ही अपने आप में एक वायरस बन रही थीं। और ऊपर से तुर्रा ये कि ..गोया ये काफ़िला चला ही नहीं था अकेला.....तो सिलसिला इतना लंबा हो गया कि ..बदस्तूर जारी है।

इसी बीच इन्हीं हालातों के मद्देनज़र पिछले दिनों एक पोस्ट पढी ..शीर्षक था ...क्या ब्लोग्गर्स के पास लिखने के लिये विषयों का अभाव है...पोस्ट ने और उस पर टीप के रूप में दर्ज़ एक रहस्योघाटन ने ..बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया। उसी वक्त लग गया था कि...ठीक ही है..अब शायद वो वक्त आ गया है कि सबको ..इन सबसे इतर जाकर..इन सबसे उपर उठकर और इन सबसे किनारा करके..कुछ संजीदा, कुछ गंभीर ,कुछ सार्थक लिखा जाये...विचार बना कि जो ब्लोग्स पहले से हैं उनपे ही ..मगर सबने सलाह दी कि उन पर उनके मिजाज के अनुरूप ही लिखा जाये ..सो एक नया ब्लोग ले कर आ रहा हूं आपके बीच। उम्मीद है कि खुद को और आपको गंभीर लेखन से रूबरू करा सकूंगा..



और मेरी आप सबसे भी यही गुजारिश है कि अपना सर्वस्व और सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास करें..
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