मंगलवार, 14 अप्रैल 2020

थोड़ा और जीना है ,मुझे





मैंने अपने निजी जीवन में इतने उतार चढ़ाव देखे हैं जो विरले लोगों की किस्मत में ही होते हैं , बेहद ख़राब से खराब समय और बहुत ही शानदार से भी कहीं अधिक शानदार दिन।  इसलिए मैं दोस्तों से बात करते समय अक्सर एक बात कहता हूँ की मेरी उम्र यदि 47 वर्ष की है तो मेरा अनुभव 94 वर्षों का है।  

इन सबने मुझे एक बात सिखा दी कि ,नकारात्मकता और निराशा से कहीं अच्छा है कि सकारात्मक रहने की भरसक कोशिश की जाए। आखिर हूँ तो इंसान ही और बहुत बार अपने इस प्रयास में थोड़ा सा असफल भी रहता हूँ मगर फिर अगले ही क्षण मेरी ज़िद मेरा जुनून दुबारा मुझे उसी तेवर ,उसी रफ़्तार में लाकर रख देती है और मेरा सफर निर्बाध निरन्तर चल पड़ता है।  यूँ भी ज़िंदगी में मुझे सफर से ज्यादा कुछ भी और पसंद नहीं शायद इसलिए भी उस वक्त मैं हर समय धरती ,ज़मीन ,पेड़ रास्तों के करीब होता हूँ। 

इस देशबन्दी के बहुत से अप्रत्यक्ष प्रभावों में से एक प्रभाव मुझ पर ये पड़ा की दशकों से संवाद और संपर्क से छूटे छोड़े गए मित्रों ,बंधू बांधवों को तलाश तलाश कर उनके संपर्क सूत्र निकाल कर वीडिओ कॉल और फोन वल्ल के माध्यम से उनसे बात की अपना समाचार दिया उनका हाल जाना।  दीदियाँ ,मासियां ,सहेलियाँ भी , मामा ,चाचा ,दोस्त , क्लास मेट ,बैच मेट ,बहुत पुराने साथी ब्लॉगर सबसे रोज़ाना बात करते करते ही घंटो कैसे बीत रहे हैं इसका मुझे अंदाज़ा ही नहीं होता।

बेहद भावुक इंसान हूँ सो आवाज़ में थरथराहट और आँखों से आँसू कब बेसाख्ता निकल जाते हैं मुझे पता ही नहीं चलता और मैं भी उन्हें नहीं रोकता बरसों के बाँध टूट रहे हैं तो उन्हें टूटने देता हूँ।  साथ ही सबसे वादा भी करता जा रहा हूँ कि इन सबसे उबरने के बाद यदि जीवन रहा तो निश्चित रूप से सबसे ,हाँ सभी से मुलाकात करूंगा।  किसी के गले लगना है ,किसी के गोद में सर रख कर खूब रोना है ,किसी के पाँव पर माथा रख कर सुकून महसूस करना है।  मेरे भीतर मौजूद हर रोम छिद्र में से जो स्नेह ,जो मुहब्बत जाने कबसे बँधी हुई है वो सब लुटा देनी है और खुद भी लुट जाना है।  आसपास में रह रहे और बहुत दूर दूर रह रहे सबसे एक बार हुलस कर ,उन्हें भींच कर सराबोर हो जाना है।  उदयपुर ,भिलाई ,पटना ,मधुबनी ,दरभंगा कोलकाता ,जोधपुर ,जयपुर , फरीदाबाद, जनकपुर  ,नोएडा सब जगह उड़ उड़ कर जाना है।  थोड़ा और जीना है  ..........


13 टिप्‍पणियां:

  1. इस अवसर का लाभ इसी तरह उठाना ही समझदारी भी है, रिश्तों को जीवन्त करना भी है।

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    1. सही कह रहे हैं आप राजा साहब। स्नेह बनाए रखियेगा

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  2. कुछ ऐसा ही यहाँ है लेकिन समय बहुत कम मिलता है । घर के सारे काम अपने पाले पोधों को पानी देना और गरमी से बचाना । वैसे भी वन मैन आर्मी है फिर भी फोन करके हाल चाल ले ही लेती हूँ.। यही लाभ है ।

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  3. ये जीवन है, इस जीवन का, यही है ,यहीं है, यही है रंग रूप ।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया बच्चे। सच कहा यही जीवन है

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  4. Bhaiya pranam bahut Nik bichar lagal or humhu sab aha s prerna lay aagu k Nik s Nik jevan sabhak sang vetabak prayas karav or ahina humra sabke upar aasirbad dene rahu or jahiya mon hua Gam janakpur phone k dev hum Madhubani me rahav baki upar vala k jehan bichar hoytan tahi anukul humhu aha chalab besaas pranam bhaiya

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    1. बहुत रास स्नेह अहाँ सबके प्रेम हमर जीवन हमर पूँजी अईछ । अबैत छी बहुत जल्दी गाम । 🙏🙏🙏🙏🙏

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  5. इससे साबित होता है पत्थर की इस दुनिया में अब भी इंसानियत बाकी है। जय श्री राम🙏🏼

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    1. आपने बहुत बड़ी बात कह दी मित्र। स्नेह बनाए रखियेगा। शुक्रिया आपका

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  6. सकारात्मकता ही काम आती है, मन के हारे हार है मन के जीते जीत !

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  7. मन प्रसन्न हो गया जय श्री राम

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला

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