बुधवार, 15 अक्तूबर 2008

लिव इन रिलेशनशिप यानि जीवन में जहाजी रिश्ता

अब चूँकि शहर , उसमें भी मेट्रो , वो भी राजधानी आ गए हैं, अजी आ क्या गए हैं, बस आ कर बस गए हैं तो स्वाभाविक रूप से सभी ग्रामीणों , और पुरे ग्राम समाज के प्रति एक चाही और अनचाही जिम्मेदारी आ ही गयी है, वो है शहर में चल रही नयी बातों, कानूनों, फैशन, बदलाव , के बारे में उन्हें जानकारी देना। आप यकीन मानें अपनी अभूतपूर्व बुद्धि के अनुसार हम ऐसा करते भी रहते हैं, ये अलग बात है अक्सर उसका अर्थ का अनर्थ ही हो जाता है। अभी कल ही लपटन चाचा का फोन आ गया, कहने लगे, बताओ , बचवा, का नया चल रहा शहर में , अब तो चुनाव के चर्चा हो रही होगी।
हमने कहा , कहाँ चाचा, अभी चुनाव तो दूर है, वैसे भी अगले पाँच साल तक किसे हम गद्दी सौपेंगे इस बात का फैसला करने में हम लोग पाँच मिनट भी कहाँ लगते हैं। आज कल तो लिव इन रिलेशनशिप की चर्चा हो रही है हर तरफ़।
चाचा डर कर पूछने लगे, का बात कर रहे हो भैया, का ई भी मैड काऊ, चिकन गुनिया तरह का कौनो बीमारी हैं का।

अरे नहीं चाचा, ई वैसे तो बीमारी ही है, मगर ऊ टाईप का नहीं है , जैसा आप सोच रहे हैं। दरअसल इसका सीधा मतलब है जिंदगी में एक जहाजी रिश्ता होना चाहिए।

का मतलब, पूरा बात खुल कर बतलाओ।

देखो , चाचा, आप तो जानत हो की अन्ग्रेज़न को जहाज और उनमें बनाये रिश्ते का कितना चाहत रहता है, ऊ आप टाइटैनिक देखबे किए होंगे, हम ता उस पिक्चर के बाद से कौनो सफर में एक पेंसिल और कागज़ साथ लेकर चलते हैं की ना जाने कब चित्रकारी का मौका मिल जाए। वैसे ही अंग्रेजों ने एक व्यवस्था बनाई है जिसमें चित्रकार और जिसका चित्र बनाना है ऊ जहाज के अलावा भी जगह तलाश कर अपनी कला का प्रदर्शन कर सकता है। और फ़िर हम लोग किसी से पीछी थोड़ी हैं, इसलिए वैसे रिश्ते यहाँ भी बनने और बनने की बातें चल रही हैं।

पर बिटवा, ऊ जहाज ता अंत में डूब गया था न,
अरे चाचा ता ई जहाज कौन सा पार जाने के लिए चढ़ा जाता है, ई जहाज और रिश्ता दोनों ही डूबने के लिए ही तो बनता है।

अच्छा तब तो तुम भी कहे नहीं कोशिश करते हो , नयी चीज है, सीख कर आओ, यहाँ गाँव का कुछ भला हो जायेगा।
अरे नहीं चाचा, जिनका शादी हो चुका है न , मतलब उनके लिए तो पहले ही dead out रिलेशनशिप बन चुका होता है , इसलिए उनके लिए ई जीवन में ऐसे कोई भी जहाजी रिश्ते का कोई काम नहीं है। अब छोडो चाचा, ई सब नया बात है, ज्यादा हमको भी नहीं पता है जैसे ही कुछ पता चलेगा हम आपको बताएँगे।

मेरा अगला पन्ना - क़ानून बना, कुँए में डाल.

5 टिप्‍पणियां:

  1. कुछ लोग इस बात से बहुत खुश हैं कि लिव-इन कानूनी रूप लेने जा रहा है. जो भी समय सीमा सरकार लगायेगी उस से कुछ दिन पहले लिव-इन से खिसक लेंगे. कितनी अच्छी सरकार है यह. इन लोगों का वोट तो पक्का.

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  2. sahi kah rahe hai ese rishte bhavishy me jahaji rishte hi sabit honge. bahut badhiya post.

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  3. अजय जी , कानून तो भारत में तोडने के लिए ही बनाए जाते हैं । जिस तरह दुकान का शटर उठाया और गिराया जाता है ,उसी तरह हर नई सरकार पुराने फ़ैसलों को बदल कर कुछ नए कानून बना देती है । आखिर पार्टी चलानी है और सत्ता का सिंहासन हासिल करना है सभी को ।

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला

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