गुरुवार, 1 मई 2008

यौन कर्मियों को भी चाहिए मजदूर का दर्जा (मजदूर दिवस पर एक चर्चा )

वैसे तो, अब ये परम्परा भी एकदम सड़ी गली हो गयी है की अमुक दिन अमुक महीने अमुक सप्ताह को मजदूर दिवस, किसान दिवस , हिन्दी सप्ताह, महिला दिवस के रूप में मनाया जाए। मगर न तो ये अपने बस में है ना ही हमारे रोने पीटने से ये बंद होने वाला है । मुझे ठीक ठीक ये भी नहीं पता कि इन अमुक विशेष दिनों को यूं मनाये जाने या कि मानते रहने के बावजूद कभी इन सबका रत्ती भर भी भला हुआ है या नहीं, मगर अब मनाया जाता है तो मनाया जाता है। और ये तो एक्पोजर का ज़माना भाई , अब तो जोर शोर से मनाया जाता है, क्यों न हो अब तो शादी की दावत जितनी बड़ी होती है , उतनी ही बड़ी दावत तलाक मिलने पर भी होती है ( मैं तो उससे भी बड़ी दूंगा )।खैर मेरे साथ तो इस मजदूर दिवस के संबंधित एक और वारदात वो भी बेहद संवेदनशील जुडी हुई है, दरअसल १ मई को मेरी शादी की सालगिरह जी हाँ यानि गुलामी की डेट का renewal डेट भी होता है और अब शादी के इतने सालों बाद मुझे इस बात का कोई मलाल नहीं रहा कि मेरी शादी के दिन के महत्व के अनुरूप ही मेरा जीवन भी सार्थक हो रहा है , बिल्कुल मजदूर की तरह। खैर, चलिए कुछ अलग बात करते हैं।

आज कुछ रेडियो प्रसारणों में सुनी रिपोर्टों से पता चला कि देश के कई क्षेत्रों के यौन कर्मियों ने आज जोर शोर से मांग उठाई है कि उन्हें भी संगठित मजदूरों का दर्जा दिया जाए , वो सारे अधिकार, वो सारे सहुलियाताएं, सुरक्षा आदि दी जाए जो संगठित मजदूरों को मिल रही है। उनका जीवन और उन पर होने वाले जुल्म को देख कर तो लगता है कि वे भी बेचारे कुछ ग़लत नहीं मांग रहे हैं, हालांकि कुछ वर्षों पहले ऐसे ही किसी ने इन यौन कर्मियों को बकायादा पंजीकृत करके एक समुचित पहचान देने की बात कही थी, जैसा की लगभग सभी यूरोप के देशों में चलन है। किंतु अपने यहाँ ऐसी व्यवस्था लागू करने में कई saaree कठिनाईयाँ हैं। और ऐसा तभी सम्भव है जब सभी यौन कर्मियों, ऐसे सभी जगहों और इससे जुड़े सभी लोगों के बारे में सरकार और प्रशाशन के पास सम्पूर्ण जानकारी हो। वैसे तो अपने यहाँ की व्यवस्था पर मुझे इतना विश्वास तो है ही कि चाहे जो हो जाए , बेशक इनके नाम और इनका भला करने के नाम लाखों कडोदों खा पी जाएँ मगर इनका भला कभी नहीं होने देंगे।

मजदूर दिवस जिन्दाबाद, यदि मजदूर जिंदा रहे तो ...............

4 टिप्‍पणियां:

  1. मजदूर दिवस जिन्दाबाद श्रम करने वाले जिन्दाबाद. .बहुत बढ़िया धन्यवाद

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  2. मई दिवस पर बधाई। पर शादी की साल गिरह को आप का गुलामी दिवस कहना अखर गय़ा।

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  3. aap dono ko bhee may diwas par badhai, are sarkaar gulami diwas kehnaa apko akhar gaya maafee chaahungaa magar sach hai ki shaadee kee gulaamee mein main to bikhar gaya, magar sach kahoon to ab to aadaat see ban chuki hai.

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला

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