शनिवार, 13 अप्रैल 2013

बेटा डोइचेवैले ! पटना, दिल्ली , नखलऊ होते तो .........ढिच्क्याउं , ढुम ढुम ढुम



पहिले तो हम आपको ई डोइचे वेले से परिचय कराते चलें , नहीं नहीं जी बिल्कुल नहीं , आजकल जिस तरह से इस डोइचेवेले को लेकर पकेले से थकेले टाइप का घमासान छिडा हुआ है उससे आपको इहे फ़ील हो रहा होगा कि जरूर ई कोई वेल्ले टाईप का कुछ होगा । मगर जो भी कहिए , ई टॉपिक से वेल्ले से ढिल्ले तक सब हल्ले गुल्ले में व्यस्त हो गए हैं ई क्या कम है । खैर तो हम आपका इंटोडक्शन डोइचेवैले से करवा रहे थे ।
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डोइचेवेले से मेरा परिचय रेडियो डोइचेवेले हिंदी सेवा के एक श्रोता के रूप में लगभग बीस साल पुराना है , समझिए कि हमारे उन दिनों के साथी भजार हैं जब रेडियो को गलबहियां डालते हुए समाचार से लेकर कमेंट्री तक सब उन्हीं के मुंह जबानी सुनते थे और न सिर्फ़ सुनते थे बल्कि घनघोर रूप से चिट्ठियाते भी रहते थे । बाद में जब सारी विश्व प्रसारण सेवाओं की हिंदी सेवा का शटर डाउन हुआ तो इनका भी हो गया लेकिन यहां भी हमने इन्हें धर लिया । 
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अब अचानक देखने पढने और सुनने को मिला कि इनके कोई बॉब जी हैं जिन्होंने अलग अलग कटेगरियों में बहुत सारे ब्लॉग्स की सूची में ऊंची वोटिंग वाले को ईनाम शिनाम देने की घोषणा कर डाली है । जियोह्ह्ह! रे करेजा फ़ाड हिम्मत दिखाइस हो जी । पुरस्कार की घोषणा ऊ भी बोटिंग और घुडसवारी करा करा के । हां हां समझ गिए बेट्टा ! तुमको हिंदी ब्लॉगिंगि की रवायत की जानकारी न थी न न त ई कवायद न करने पाते । चलो बॉब भईया जब ठान ही लिए हो , यानि कि जब ओखलिया में सर डाल ही दिए हो तो मसूलवा से क्या डरना जी । 
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ई बात पे एकठो घटना/दुर्घटना हमें भी याद हो आई , अरे नहीं जी पुरस्कार बनाम तिरस्कार वाया बहिष्कार का फ़ार्मूल्ला तो जमाने से हिट आउर फ़िट है अपने ब्लॉगजगत में । फ़िर मुहब्बत की रीत देखिए इहां कि चाहे किसी का ढेर तिरस्कार हो /अपमान हो /जूतम पैजार हो , ..पूरा बिलागजगत ..एकदम पिरधान मंत्री हो जाता है 


" तुम्हारे लाख सवालों से मेरी खामोशी अच्छी,
अबे जो सुननी पडे कविता तुम्हारी ,हमारी बेहोशी अच्छी :) "


लेकिन मजाल है कोइयो का कि कोई हिंदी ब्लॉगिंग , हिंदी ब्लॉग या हिंदी ब्लॉगर के सम्मान की बात सोचे ,बिलागजगत ..बिलबिला के आगजगत में फ़ौरन ही तब्दील हो जाता है । अरे घटनवा तो भुला ही गया बताना । अईसे ही एक बार एक ठो होडम होड में सब बताने लगे कि उन्हें अलेक्सा ने फ़लानी ढिमकानी रैंकिंग दी है , हमें पहले तो यही पता नहीं चला कि ई रैकिंग से प्रमोशन या इंक्रीमेंट टाइप का कुछ मिलने वाला है क्या , मगर ई सोच कर पहुंचे कि काहे नहीं मिस अलेक्सा को अपने ब्लॉग का नाम भी जबरिया इंटोडूस करा दिया जावे । मगर धत्त तेरे कि , ई तो कौनो कंपूटर गणित निकला जी , हमसे सीधा गणित का सवाल हल नहीं होता तो कंपूटर गणित की कौन कहे । खैर !


तो भईये डोइचेवेले बॉब जी , आपने जो भी रायता फ़ैलाया है उसकी फ़ैल से ब्लॉगजगत में पहले ही बहुत सी रेलमपेल फ़ैल चुकी है । घनघोर पोस्टें , और उससे भी घनघोर इंटरभू , विद क्रिया एंड प्रतिक्रिया भी आनी चालू हो गई हैं , और ताज़ा ताज़ा जानकारी मिलने तक बोले तो लेटेस्ट अपडेट मिलने तक नौबत मानहानि तक भी जा पहुंची है तो हमारा आपसे सिर्फ़ इत्ता सा कहना है कि भईये सोचो कि जर्मनी के बॉन्न के बॉब हो तब त तुम्हरा इत्ता भकमोच्चड छोडा दिया है भाई लोग अगर पटना , दिल्ली आ नखलऊ के होते नू बाबा .........त बस ढिच्क्याउं ..ढुम ढुम ढुम ढुम ...ढिच्क्याउं ..ढुम ढुम ढुम ढुम :) । 

अब सीरीयस नोट पर कुछ बातें , ये छिछालेद्दर और ढिंच्चक ढपाक ढिंच्चक ढपाक तो पहले भी खूब हुआ है और आगे भी होता रहेगा , अब जबकि मामला देसी आंगन से निकल कर अंतरराष्ट्रीय फ़लक पर पहुंच चुका है तो बेशक आपको लगता हो कि ये बॉब का जॉब , बिल्कुल फ़ितूर और फ़िज़ूल है , बेशक आपको लगता हो कि जब वे हमें धेले भर का नहीं मानते जिन्हें इस सूची में स्थान मिला है तो हमहीं इस अवसर पर क्यों चूकें , बेशक अभी ही तमाम बडी बडी समाचार एजेसियां और पोर्टल आपसे इसी समय और इसी मसले पर आपका इंटरभू छापें और आप उसमें खुल कर अपने उदगार व्यक्त करें , आप बेशक आलोचना -प्रतिआलोचना करें , हानि और मानहानि भी करें , मगर ये हर हाल में याद रखें कि इसमें कहीं से भी हिंदी का नुकसान और अपमान नहीं होना चाहिए , विशेषकर अंतरराष्ट्रीय फ़लक पर । इसलिए चाहे गुस्से में फ़ूल कर कुप्प बैठें , चाहे तिलमिला कर चुप्प बैठें इस समय और इस अवसर को छीछालेदर के मौके के रूप में कतई न भुनावें ।

आप न चाहें न वोट करें , लाख गलतियां नोट करें ,
मगर ध्यान सिर्फ़ ये रहे , हिंदी पर न कोई चोट करें ॥


बहुत दिनों बाद इस ब्लॉग पर पोस्ट की वापसी हुई है , यूं होगी सोचा न था ..चलिए अब तो मिलते रहेंगे और कहते सुनते रहेंगे ...कुछ भी , कभी भी ।




15 टिप्‍पणियां:

  1. ...ठीक कहत हौ झा जी ।

    इहाँ सभी वेले हैं अउर अपना निशाना लगावै मा जुटे हैं।

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  2. सबको हक है माट साब ! कोई मनाही भी नहीं है , बस आंगन की लडाई को हवाईजहाज के छत पे न लडा जाए , दुनिया को दिखाने के लिए तमाशे हमारे पास और भी हैं । इसलिए हमें ये कतई गवारा नहीं है कि हिंदी के सम्मान को लेकर इत्ता घमासान बेवजह मचे और मचाया जाए । बकिया मालिक तो सब हईये हैं अपने अपने :)

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    उत्तर
    1. चलो इसी बहाने डायनासोर युग में जाने वाला हिंदी ब्लॉग-जगत फिर से जी उठा:)
      .
      .आपकी भावनाएँ नेक हैं ।

      हटाएं
  3. हा हा विदेशी चारा देशी घमासान लल्लन टॉप स्टाइल में ....

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  4. ढिच्क्याउं , ढुम ढुम ढुम....क्या बात है ?

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  5. एक बात तो है कि हिंदी ब्लाॅगिंग में कुछ गिने हुए दो-चार ही सिरफिरें हैं जिनकी बजह से आए दिन मनोरंजन चलता रहता है वर्ना जरा सोचो , कि बिना उठा-पटक के ब्लाॅगिंग की दुनिया कैसी बेढब होती ...

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  6. हिन्दी जितनी बची है, बचाये रखना चाहिये।

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  7. ढिच्क्याउं , ढुम ढुम ढुम ... यहाँ तो वैसे भी सब अपने बंकर मे बैठे गोली चलाने को आतुर होते रहते है ... बस कोई ज़रा सा छेड़ भर दे ... फिर देखिये ... हो जाती है शुरू ... ढिच्क्याउं , ढुम ढुम ढुम!!

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  8. kahaan BBC aur kahaan Velle-tab bhi aur ab bhi! badhiyan manodgar hai!

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  9. मतलब की बात.
    " तुम्हारे लाख सवालों से मेरी खामोशी अच्छी,
    अबे जो सुननी पडे कविता तुम्हारी ,हमारी बेहोशी अच्छी :) "

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  10. कुछ न कुछ होता रहना चाहिए अजय भैया

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला

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