ब्लोग बैठक में इसके बाद धीरे धीरे सभी एक एक करके आने लगे । मगर सबसे ज्यादा चौंकाने वाली उपस्थिति रही मसीजीवी की, उनसे मुझे थोडी देर अकेले बात करने का अवसर मिला । जब राज भाटिया जी अपने ब्लोग्गिंग की शुरूआती अनुभवों को बांटना शुरू किया तो वो भी खासा दिलचस्प रहा । उन्होंने बताया कि जर्मनी में बहुत बर्फ़बारी होती है और ऐसे में सिवाय घर में दुबके रहने के कुछ नहीं किया जा सकता । ऐसे ही एक मौसम में जब दो दिन की बोरियत भरी बर्फ़बारी का मजा ले रहे थे तो उनके नजदीक में ही रहने वाले एक मित्र घर पहुंचे और जब वे दोनों ही नेट पर समय बिताने की कवायद में लगे थे तो मित्र ने ही सबसे पहले उन्हें ब्लोग्गिंग के बाते में बताया । जानते हैं वे मित्र कौन थे ....और कोई नहीं जाने माने ब्लोग्गर श्री आ सी मिश्रा जी । बस यहीं से राज भाटिया जी , जो कहते हैं कि विदेश में जहां हिंदी की कोई कटिंग भी वे खजाने की तरह सहेज कर रख लेते थे , ऐसे में हिंदी ब्लोग्गिंग तो उनके लिए ऐसे था जैसे टाईटेनिक के रूप में दबा हुआ खजाना ।
राज भाई की पहली लाईन थी अपने परिचय की .....मैं एक हिन्दुस्तानी हूं ।राज भाई ने बताया कि शुरूआती ब्लोग्गिंग में ही कुछ टिप्पणियों के कारण उनका एक सामूहिक ब्लोग से विचारधारा का टकराव हो गया और उन्हें भी स्वाभाविक रूप से धडाक से उसी मानसिकता वाला करार देकर खूब किरकिरी की गई । उन्होंने कहा कि पहले तो वे बिल्कुल सकपका गए मगर फ़िर जल्दी ही संभल गए और फ़िर कभी उस पचडे में नहीं पडे । अपने अनुभवों को सुनाते हुए एक सरल हृदय सज्जन पुरुष जो पराए देश में भी रहते हुए अपने दिल में हिंदुस्तान को जीता हो , उसके मनोभावों को देखना और पढना एक अलग ही अनुभूति प्रदान करने वाला रहा । इसके बाद जैसे जैसे ब्लोग्गर्स मित्रों की संख्या बढती जा रही थी , मुझे अंदर एक कसावट सी महसूस हो रही थी और अंदाजा हो रहा था कि इस तरह बैठने से सभी एक साथ आमने सामने बैठ कर बातचीत नहीं कर पाएंगे । मैं फ़ौरन वहां के मैनेजर शर्मा जी से मिलने गया और उसे कोई और व्यवस्था करने को कहा । उसने फ़ौरन ही एक वैकल्पिक व्यवस्था करने की बात कही , वो थी बाहर लान में । मैं थोडा झिझक रहा था मगर अविनाश भाई से पूछा तो उन्होंने हरी झंडी देते हुए इसे और बेहतर बताया । बस सभी बाहर की ओर लपक लिए ।
अब मजलिश जम चुकी थी और ,और काफ़ी, चाय , स्नैक्स के साथ गरम भी हो रही थी । मेरा फ़ोन लगातार बज रहा था और मैं सभी मित्र ब्लोग्गर्स को साथ साथ वहां पहुंचने में आ रही कठिनाईयों को दूर करने में लगा था । जब फ़ोन से बात नहीं बनती तो फ़िर स्कूटर से दौड.......। इसी बीच फ़ोन पर एक और आवाज आई ,,,भाई आपके बताई स्थान के पास पहुंच चुका हूं मगर अब कैसे आऊं । मैंने कहा आप बताईये कहां हैं और कौन हैं मैं फ़ौरन वहां पहुंचता हूं । उन्होंने कहा जाईये जब आप पहचान ही नहीं रहे हैं तो फ़िर आने का क्या फ़ायदा । मैं सकपका गया , मैं आपसे बात तो कर चुका हूं पहले, और आप अपने नंबर से फ़ोन नहीं कर रहे हैं इसलिए पहचान नहीं पा रहा हूं । जाईये फ़िर मैं नहीं आऊंगा । इससे पहले कि मैं और परेशान होता ....एक ठहाका लगा और पता चला कि उधर से भाई पंकज मिश्रा जी ब्लोग्गर्स मीट का हालचाल और बधाई देने के लिए फ़ोनिया रहे थे ।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgfJiRC-NgDMSix9ua4jf_6-sH88bQOXUOPCKVbIVnUflHHakOwZGf6DRWPRkam-rM3WPtRUdmWU1OjwDn_K5VWNk_HA1l4l790x67qqeYfuaejbrB9M3sJKG6qPxq1emI5V9kegDjSi9GS/s400/IMG0246A.jpg)
बाहर बैठने के बाद , औपचारिक परिचय दौर ( जो कि बार बार चला किसी नए मित्र के आने पर स्वाभाविक रूप से ) के साथ साथ जिस पहली बात पर विमर्श चला वो था ब्लोग्गिंग और हिंदी तथा , पश्चिमी देशों में भारतीय सभ्यता तो बचाए बनाए रखने की जद्दोजहद । जाहिर है कि यू के से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी को बढावा दिए जाने के लिए पुरस्कार ग्रहण करके भारत का मान बढाने वाली कविता जी से बेहतर और कौन होता इस विषय पर विचार व्यक्त करने के लिए । काविता जी अपने बेबाक अंदाज़ में अपनी बात कही और साफ़ कहा कि बदलते हुए समय के साथ चलना ही बेहतर और आखिरी विकल्प है । उन्होंने बताया कि कई बार विदेशों में भारतीय सभ्यता/संस्कृति/भाषा को बचाए रखने के नाम पर जो कुछ किया जाता है वो बहुत ही अप्रासंगिक और निर्रथक सा लगता है । उन्होंने स्पष्ट कहा कि अब जबकि वो अपनी बिटिया के लिए वर तलाश रही हैं तो जाहिर है कि वो उस वर में वो बातें नहीं ढूंढेंगी जो उन्होंने अपने समय में ढूंढी होंगी । इसलिए समय के साथ चलना ही समझदारी है । बात करते करते उनके निकलने का समय हो चुका था , मसीजीवी भी साथ ही निकलने को तैयार थे । जाते जाते उन्होंने दो बातें मुख्य रूप से कहीं । एक तो ये कि सभी ब्लोग्गर्स की ये सामूहिक जिम्मेदारी बनती है कि ब्लोग्गिंग का माहौल खराब न हो । दूसरी और ज्यादा महतवपूर्ण ये कि सभी ब्लोग्गर्स को हिंदी को सबल बनाने उसे समृद्धता प्रदान करने के लिए अपनी पोस्टों में अपनी रचनाएं, अपने विचार देने के अलावा एक एक बडे स्थापित लेखक, प्रेमचंद, निराला, रेणु, पंत, नागार्जुन , आदि जैसों की रचनाओं को भी अंतरजाल पर डालकर उसे अमर बनाने में योगदान देना चाहिए ।
इसके बाद कविता जी और मसीजीवी जी तथा मोईन शम्सी जी हमसे विदा लेकर निकल गए । और इस बीच कुछ और साथी मिथिलेश दूबे जी , नीशू तिवारी जी , तारकेशवर गिरि जी , पद्म सिंह जी और सतीश सक्सेना जी भी पधार चुके थे । बातों का सिलसिला और आगे बढा । डा. टी.एस दराल जी ने अपना परिचय सीधे सादे तरीके से रखने के कारण , खुशदीप भाई ने चुटकी लेते हुए कह ही दिया कि हरियाण्वी के लिए इस तरह से परिचय देना कैसे हजम होगा । इसके बाद सुनाए गए हरियाणवी किस्से आपको खुशदीप भाई ने बताए ही ।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEheGw5XViD5znLgwr18Y8QtQj8vQ02g5UQ8MfIosz1opF7XMQbJnP3BywC_zlHE-Enzjkdn4Mme_4oEWKNJ3UPBWS0EVPKSFcWuBBLa6DR1M9WdHpmJnmjYRJgLohrnQX3naWIoXRQkwLP_/s1600/5.jpg)
बहुत बढ़िया.... बहुत अच्छी लगी यह बैठक.... अभी फिर ट्रेन पकड़ने जा रहा हूँ.... इसलिए जल्दबाजी में टिप्पणी कर रहा हूँ.... .....
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा ..आप सब को साथ देख कर ...
जवाब देंहटाएंलगता है दिमाग के कम्प्यूटर में एक एक बात सिलसिलेवार सुरक्षित है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर रिपोर्ट
अजय झा जी के क्या कहने
जवाब देंहटाएंपहले ब्लोगर मिलन कराया शानदार
अब पेश कर रहें है समाचार जानदार
करिये उनके सार्थक प्रयासो की प्रसंसा जोरदार
बढ़िया सिलसिलेवार रिपोर्ट....
जवाब देंहटाएंagali report ka vesabri se intzaar
जवाब देंहटाएंबढ़िया चल रही है रिपोर्टिंग..आनन्द आया.
जवाब देंहटाएंबढ़िया सिलसिलेवार रिपोर्ट....
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक अंदाज मे यह सफ़र आगे बढ रहा है, अब अगली कडी का इंतजार है.
जवाब देंहटाएंरामराम.
जीजीज में इंतजाम बढ़िया रहा।
जवाब देंहटाएंऔर बढ़िया प्रस्तुतिकरण।
इस रिपोर्ट का आभार। जारी रखॆं...।
जवाब देंहटाएंरिपोर्टिंग बहुत अच्छी है। लगता है जैसे हम भी वहाँ मौजूद थे।
जवाब देंहटाएंवाह उस्ताद वाह
जवाब देंहटाएंक्या रिपोर्टिंग है मजा आ रहा है।
काफी नयी जानकारियां मिली इस बार ! शुक्रिया
जवाब देंहटाएंजब हो जाते हैं 11
जवाब देंहटाएंतो नंबर मेरा होता है बारह
महफूज अली जी अब कहां की ट्रेन पकड़ रहे हैं
क्या दिल्ली आने में ज्यादा जल्दी नहीं कर रहे हैं
कोई इनको जगा दो जाकर
ये तो सपने में चल रहे हैं
टिप्पणी कर रहे हैं
वो भी जल्दबाजी में
इतने तेज बाज है
कि सोने में
ट्रेन छोड़ने में
लाजवाब हैं।
बहुत बढ़िया लगा था विशेष रूप से डॉ. साहब की ताऊ वाली बात बड़ी मजेदार लगी कि कम से कम बी. ए. तो कर लेते.....रिपोर्ट पर रिपोर्ट बहुत अच्छा लगा रहा है..हिन्दी ब्लोग़गिंग का एक सुंदर पल...बधाई अजय भैया
जवाब देंहटाएंजिसे लिखा है बारह
जवाब देंहटाएंउसे 15 माना जाये
जब लिखना शुरू की
और जब तक लिखी
तीन और घुस गए
कतार तोड़ कर।
Thats the spirit ! Thats the meet . Allahabad was a farce !
जवाब देंहटाएंझाजी,आप रिपोर्ट डलाइवर गाड़ी धीरे-धीरे हांकोजी की तर्ज पर देकर हमें बहुत तड़पा रहे हैं। लेकिन इस तड़प में भी बहुत मजा आ रहा है। जारी रखिए।..
जवाब देंहटाएंbadhiya report, agli kisht ki pratikshha me
जवाब देंहटाएंक्या जला कर खाक कर डालोगे अजय भाई।अफ़सोस बढता जा रहा है वंहा नही आ पाने का।
जवाब देंहटाएंbahut badiya achchhi report
जवाब देंहटाएंमेरे आने से पहले क्या हुआ, सब धीरे धीरे पता चल रहा है.
जवाब देंहटाएंपूरे सप्ताह नेट नहीं था , ऊपर से परियोजना कार्य , आपकी पोस्ट नहीं पढ़ पाया पढ़ा होता तो शायद हमें भी मौका मिल जाता आप सब से मिलने का . वैसे भी हमारे घर के पिछवाड़े में दिल्ली ब्लोगर का मिलन हुआ और हम ही ना शामिल हो सकें . कहीं ये अनुभवी लोगों के लिए तो नहीं था ? अगर फ्रेशर भी आ सकते हैं तो अगली बार जानकारी जरुर दीजियेगा ......
जवाब देंहटाएंसिलसिले से पढ़ रहे हैं
जवाब देंहटाएंये कडी छूट गयी थी .. इसे अभी पढा !!
जवाब देंहटाएं