रविवार, 1 फ़रवरी 2009

चाँद को ढूँढने के लिए नासा ने मदद की पेशकश की थी ;

आज सोचा की आप लोगों को कुछ ख़बर पढ़वाई जाए, भाई आप लोग वैसे तो पढ़ते ही होंगे मगर इस ब्लॉगर का एंगल नहीं लगाते होंगे , तो लीजिये न हम कब काम आयेंगे।

सेना सतर्क हुई, वैलेन्ताईन डे जो आ रहा है

जी हाँ एक बार फ़िर हमारे सक्रिय और साहसी सेना के लिए चुनौती का मौका आ गया है, सबको स्पष्ट कह दिया गया है की इस बार भी हमारे देश की संस्कृति और उसके मान सम्मान पर कोई आंच नहीं आनी चाहिए, और सब के सब जी जान लड़ा कर उसे बचा कर दिखाएँगे। लीजिये आप भी नहीं समझे अजी आज कल कुछ ही सेनायें तो सक्रिय हैं, शिव सेना, राम सेना, बजरंग सेना, अरे नहीं दल। और हर बार की तरह इस बार भी वे लोग पूरे दम ख़म के साथ देश की परम्परा को बचाए रखेंगे, उन्हें किसी तरह का प्रेम प्यार नहीं करने देंगे और शान्ति का जवाब हिंसा से दिया जायेगा । हालाँकि सुना है की इस बार वैलेन्ताईन मनाने वालों की सुरक्षा के लिए भी किसी दल ने हुंकार भरी है, मगर हमारे सेनानी किसी से डरते वरते थोड़ी हैं। तो आईये, आप और हम अपनी सेना का मनोबल बढ़ाने के लिए प्रार्थना करें।

चाँद को ढूँढने के लिए नासा ने मदद की पेशकश की थी ;-
कल जैसे ही घर पर पहुंचा तो मित्र /पड़ोसी चिल्ला कर कहने लगे , भाई झाजी बड़ा गजब हो गया चाँद नहीं मिल रहा है। अमा क्या कहते हो, चाँद और सूरज भी कोई गायब होने की चीज़ है, मन की कोई विग लगा कर अपनी गंजी चाँद को छुपा भी सकता है मगर देर सवेर चाँद तो निकल कर बाहर आ ही जाता है। झा जी, यार कभी तो सीरीयस हुआ करो, मैं तो फिजा के चाँद की बात कर रहा हूँ। अबे चंदा चाहे फिजा का हो, वादियों का हो, या घाटी का हो, कैसे गम हो सकता है भला, क्या दिन में ही चढ़ा ली है। अरे नहीं नहीं, मैं तो .............

छोडो , छोडो, चाँद की चिंता, अब तो चाँद के गम शम होने की बात ही बेमानी है , अभी हाल ही में तो अपना चंद्रयान चाँद के पास पहुँच गया था, तो फ़िर ऐसा कैसे हो सकता है, चाँद उसकी नजर से नहीं छुप सकता, यदि थोड़ी देर के लिए इधर उधर हुआ भी है तो नासा की मदद से हमारा चंद्रयान उसे ढूंढ ही निकालेगा,
पड़ोसी हमेशा की तरह मुझे खूब कोसते हुए घर में घुस गए.और में आसमान की और ताकता रहा फ़िर याद आया की अभी तो दिन है, चाँद रात को ही तो फिजा में चमकता है सो चमक ही जायेगा, किसी न किसी रात।

ऑस्कर नामांकन से झुग्गी के कुत्तों में खुशी की लहर :-
सुना है की ऑस्कर में अपने नाम की पिक्चर के नामांकन की ख़बर सुन कर झुग्गी की तमाम कुत्तों में खुशी की लहर दौड़ गयी है, वे इसे सरकार की तरफ़ से कोई चुनावी तोहफा मान रहे हैं। उन्होंने हॉलीवुड और बौलीवुड को भी धन्यवाद कहा है की मेनका जी के इतने विरोध के बावजूद कोई तो है जिसने कुत्तों को लेकर इतनी हिम्मत दिखाई है। हालाँकि नेताओं का मानना है की उन्हें जरा भी भनक नहीं लगनी चाहिए की इस पिक्चर से दूर दूर तक उनका कोई लेना देना नहीं हैं, अन्यथा वोट मांगने जाते हुए सबसे ज्यादा ख़तरा इन कुत्तों से ही उन्हें होने वाला है.

7 टिप्‍पणियां:

  1. कुत्तों को भी मताधिकार मिल जाय तो कैसा रहेगा ! फिर काटेंगे नहीं शायद :)

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  2. अन्यथा वोट मांगने जाते हुए सबसे ज्यादा ख़तरा इन कुत्तों से ही उन्हें होने वाला है.
    कभी इस निरतरता से जुड़े.
    महेन्द्र मिश्र "निरंतर"
    जबलपुर

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  3. ये नज़रिया भी सही रहा,,, :) इस तरह तो यह खबरें नहीं ही पढ़ी थी. :)

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  4. aap sabkaa bahut bahut dhanyavaad, padhne aur saraahne ke liye, mahendra bhai , aapke nirantar kaa to main nirantar anusaran kar raha hoon.

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  5. बहुत सुन्दर.........लिखते रहें कुछ ऐसा ही....

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  6. बहुत सुन्दर लिखते हैं आप.मेरे ब्लौग का अनुसरण कर आपने मेरी हौसला अफ़्जाई की है.धन्यवाद.

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला

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