शुक्रवार, 5 मार्च 2010

चलिए महिला दिवस मनाने की तैयारी करें .......कहीं देर हो गई तो ?....




अब तो जिस तरह से इन दिवसों पर उन संबंधित मुद्दों को मनाने /दिखाने और जताने की जितनी मजबूरी है उतनी ही मजबूरी साल भर उन मुद्दों को भुलाए रहने की रहती है । अब जबकि महिला दिवस आ ही गया है और उस दिन यानि आठ मार्च को सभी इस मुद्दे पर गंभीर /अगंभीर आलेख लिख कर महिला दिवस मनाएंगे तो मैंने सोचा कि आज ही कुछ लिख डालूं ताकि फ़िर उस दिन तसल्ली से बैठ कर सबकी पोस्टें पढ के महिला दिवस मना सकूं । मुझे पता है कि तैयारियां तो अभी से ही या शायद कुछ पहले से ही शुरू हो चुकी होगी । विद्यालयों में यदि परीक्षा की आपाधापी के बीच समय मिला तो बच्चियों से भाषण भूषण की तैयारी करवाई जा रही होगी । बडे छोटे , सरकारी , गैर सरकारी , स्वंय सेवी आदि तमाम तरह के संस्थान उस दिन के लिए किसी न किसी आयोजन की तैयारी कर रहे होंगे । सर्वेक्षण वाली संस्थाएं महिलाओं की पिछडी स्थिति , उन पर होने वाले अत्याचार , और इस जैसे ही कृत्यों के जुटाए आंकडों को फ़ाईनल टच दे रहे होंगे । और सरकार के लिए तो सुना है कि अबकि मैडम जी ..की अगुवाई में ..महिला आरक्षण बिल ...वाले खेल का फ़ाईनल मैच खेलने वाली हैं ...और अबके तो पप्पू पास होकर ही रहेगा .....॥

मगर जाने क्यों मेरे मन में ये सवाल उठ रहा था कि क्या इससे आरूषि के हत्यारों का पता चल जाएगा , उस घटिया पुलिस अधिकारी राठौड को फ़ांसी पर चढाया जा सकेगा , अच्छा चलिए ये न सही ..मेरे ख्याल से तो उस दिन शायद ..ये तो हो ही जाएगा कि किरन बेदी जैसी पुलिस अधिकारी से किए गए बर्ताव और अन्याय के कारण अब शर्मसार होकर सरकार उनसे माफ़ी मांगेगी और उन्हें फ़िर से वही खुर्राट पद दे देगी । ओह लगता है ये भी थोडा मुश्किल लग रहा है ..फ़िर कम से कम ये तो हो ही सकता है ..देखिए इसमें आप ना नुकुर नहीं करिएगा ...सुना है सभी धारावाहिकों में उस दिन से एक नई परंपरा शुरू होगी कि अब किसी भी धारावाहिक में महिला किरदारों को सिर्फ़ और सिर्फ़ नकारात्मक चरित्र के रूप में दिखाने के अलावा और भी कई पक्षों को दिखाया जाएगा । क्या सोच रहे हैं आप कि ये सबसे मुश्किल काम है । ओहो ...अच्छा चलिए फ़िर इतनी अपेक्षा तो की ही जा सकती है कि उस दिन हमारे डाक्टर लोग कसम खा लेंगे कि अब उस दिन के बाद से कोई भ्रूण हत्या नहीं होगी देश में । ओह आप लोग तो इसमें भी मुंह बिचका रहे हैं । चलिए फ़िर शायद ऐसा हो कि ............अमां क्या खाक ऐसा हो ऐसा हो .....कुछ नहीं होगा ..मुझे पता है कि कुछ नहीं होगा .....ये दिवस हम सभी जोर से ...और जोर से ..आगे जाकर तो जोर शोर से मनाएंगे । मगर आरुषि की आत्मा वहीं अटकी होगी , राठौड भी किसी कोर्ट से जमानत ले रहा होगा , किरन बेदी किसी और राह से अपने ज़ज़्बे को जिंदा रखे हुए होंगी , .महिला आरक्षण बिल में और भी कई नए प्रावधान जोड कर उसे पेश करने की तैयारी की जा रही होगी ..और फ़िर से एक बार से सब मिलकर ..महिला दिवस मनाने की तैयारी कर रहे होंगे ...............

ओह मैं भी निकलता हूं ....अभी तक समाचार पत्रों के लिए महिला दिवस पर कोई आलेख नहीं लिखा है ...जल्दी करूं । आप भी अपनी तैयारी करिए .........हैप्पी महिला दिवस .....दिवस का तो पता नहीं ..महिला के हैप्पी होने का इंतजार रहेगा ..........

17 टिप्‍पणियां:

  1. कहां मनाना है अजय जी

    आप तो बस आदेश कीजिए

    हम हाजिर हो जाएंगे

    सदा की तरह

    सदा के लिए।

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  2. Bharatme adhiktar mahilaon ko ye mahila diwas kya bala hoti hai,ye tak nahi pata!

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  3. अजय भाई , अच्छा किया आपने बता दिया । अब सब पुरुष मिलकर महिला दिवस मनाएंगे ।

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  4. जिस तरह ढेर सारे दिवस मना लिये जाते हैं उसी तरह यह दिवस भी मना लिया जायेगा । दुनिया उसी तरह चलती रहेगी आधी दुनिया उसी तरह रहेगी । जाने कितनी तरह तरह की पोस्ट लिखी जायेंगी, कविता ,कहानी, आलेख ,चित्र ,व्यंग्य ,संस्मरण, साक्षात्कार और फिर सब कुछ पहले की तरह हो जायेगा । फिर भी हम निराशावादी नहीं है... न ही पुरुषवादी ..कुछ नही न वादी न प्रतिवादी .. बस सोचते है कि खुशहाल रहे न केवल आधी बल्कि पूरी आबादी ।

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  5. आने वाले महिला दिवस पर सभी महिलाएं एकता से रहने का प्रण लें लें .. किसी भी देश में, समाज में और परिवार में यदि सभी महिलाओं में एकता दिखाई पडे .. तो मेरा दावा है कि किसी एक महिला का बाल भी बांका नहीं हो सकता !!

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  6. पढ लिया है लेकिन ज्यादा विस्तार से टिप्पणी नहीं कर पाएंगें...क्यों कि अभी हम भी महिला दिवस पर एक पोस्ट की तैयारी में व्यस्त हैं :-)

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  7. संगीता पूरी से सहमत हूँ ! माँ के बना हम कहाँ , और लड़कियों के साथ कोई भी समस्या महिलाओं के योगदान के बिना संभव नहीं , नयी लडकी से व्यवहार करते अक्सर माँ भूल जाती है कि वह भी कभी बच्ची थी !

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  8. मनाते हैं..पटाखे खरीद लाये हैं और गुलाल होली का रखा है...मिलाजुला कर यह त्यौहार भी मन ही जायेगा. :)

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  9. हम तो भाई महिला नहीं मातृ दिवस वाले हैं। हम महिला को मातृ रूप में देखते हैं जो संसार की जननी है। महिला आरक्षण बिल आने से राजनीति में शुचिता बढ़ने की सम्‍भावना है।

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  10. बिल्कुल सब एेसे ही चलता रहेगा आैर महिला िदवस भी मनता रहेगा।

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  11. ek din ka shor uske baad sab band ........jaisa hamesha hota aaya hai..........achcha likha aapne.

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  12. अच्छी प्रस्तुति...पर ऐसे दिवसों से कुछ नहीं होने वाला ....आपने आरुषि, राठौर और किरण बेदी के अच्छे मुद्दे उठाये हैं....

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  13. बहुत बढ़िया लगा! आपने बड़े ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है!

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  14. बहुत सुंदर फ़िर इस दिन के बाद सास बहू मै कभी लडाई नही होगी, सारी महिलाये मिल जुल कर रहेगी.

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला

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