बडका :- तब छोटका .....खूबे मौज चल रही है आजकल .......देखिये रहे हैं ...आ रहे हो .....जा रहे हो ..
छोटका :- प्रभु ...प्रभु .....ई मौज का नाम मत लो .....आज कल ई शबद पर बहुते ....शनि ग्रह का प्रभाव चल रहा है .....अजित भाई को कहे हैं कि ई ...शब्द से संबंधित जतना जानकारी ....उपलब्ध हो ...(अरे हमको मालूम है कि ....एक ठो लाईब्रेरी मा .....ई शब्द से रिलेटेड ....सांईस, भूगोल, इतिहास, गणित ....सब का पूरा थीसिस जमा है ) ...तनिक ...शब्दों का सफ़र में ऊ पर प्रकाश डाला जाए.....ताकि ई शब्द को लेकर ...लोगन को सफ़र (suffer ) नहीं करना पडे ॥..प्रभु अब तो सुने हैं कि .....मौज के खिलाफ़ ....पता नहीं कौन कौन फ़ौज ....और ब्रिगेड ....सब भी खडा हो गया है जी .....अब ई मौज को मौजा....और फ़िर जुत्ता बनते देर नहीं लगेगी ..॥ हमको तो माफ़े करिये.......
बडका :- अरे काहे घबराते हो ...भाई......मस्तिया के ब्लागिंग करो एक दम ..तुम तो अंग्रेजी साहित्य पढे हो न ......ऊ जूलियस सीजर ...ब्रूटस ...का कहनियां सब ॥
छोटका :- अरे का बताएं ....महाराज ...हम तो अपने ग्रेजुएशने में ...अंग्रेजी एतना ढेर पढे न ..कि बाद में मने औकिया गया .....जैसे जैसे अकल आया ......आगे होते ही ...प्रेमचंदिया गए ....मुदा आप ई क्वालिफ़िकेशन (कु औल फ़ेक शन ) के बारे में काहे पूछे जी ..॥
बडका :- अरे हम कहां पूछ रहे हैं भाई .....लोग बाग पूछ लेता है कभी कभी ....काहे से ब्लागिंग में ..पैसा और समय दुनु ...एक साथ बर्बाद होता न है ....तो ई देख रहे थे कि ..का ..क्वालीफ़ाईड लोग भी करता है समय और पैसा बर्बाद ..।
छोटका :- लीजिए ई कौन ढेर मुश्किल सवाल है ...हम तो सुने हैं कि ढेर अफ़सरान/हाकिम लोग भी ब्लागिंग में हईये है.....अब बर्बाद का कर रहा है ई नहीं पता ...पैसा/समय ...कि ब्लोगजगते को बर्बाद किए दे रहा है लोग ......का मालूम ......असलियत का है ....?????तो आप कुछ सोच रहे हैं का ई बारे में .....मतलब एतना "रेस्टिव " माने आराम से ......माने .....अरे छोडिये ....कहे का मतलब.....कौनो काम कर रहे हैं कि नहीं ......काहे से कि ....खाली तो नईंये बैठ सकते हैं न आप ...कुछ नाम नूम कमाने के लिए हैं कुछ ........खुर्फ़तिया आईडिया .....॥
बडका :- हा हा हा ...केतना हुसियार हो गये हो तुम जी ....अरे कुछ खास नहीं ...एक ठो कैरेक्टर खडा किये हैं ....दद्दा जईसन ...आउर जानते ..उसके माध्यम से अईसन दुधरिया चला रहे हैं ..कि केधरो चले ....कुछ काटिये के आएगा ....हा हा हा ..॥ और इससे भी आगे जा के ....एतना बौखला दिए हैं न ...लोग बाग हम पे सीधे मोकदमा ठोंक डाले ......
छोटका :- अरे ....भकलोल जी महाराज .....मुदा ई सब से तो आपका भी किरकिरी नहीं होगा ....ई मोकदमा कचहरी .....ई छद्म कैरेक्टर ......आउर ..
बडका :- अरे सुनो सुनो .....एतना "उद्वेलित " काहे होते हो बात बात में ......यार जब तक कौनो पर मोकदमा नहीं न चल जाएगा सब एकदम नार्मले चलेगा .....और ई तो हमरे रहते हो नहीं सकता ...फ़िर हमरे खुर्फ़तिया ...दिमाग का काहे कोई दाद देगा ....अईसे नहीं न देता है॥ फ़िर घबराते हो काहे ...हमरे पास पच्चासी हज़ार वाला ..रिवाल्वर तो हईये है न...?
छोटका :- अरे रे रे का सोच कर रहे हैं आप ...।बोल लिए न ....अब ई छोटका ब्लागर का बात सुना जाए ........नवाब साहिब .....अब तो सुने हैं कि लखनऊ बाले ...नवाब अली भी ...उधरे बिर्गेड के तरफ़ हैं.....एक तरफ़ छत्तीस (तो खाली कहता है लोग जी ..असल में त एक एक ...इक्ल्ले ही पचास के बराबर है ) धुरंधर पहिले ही कह दिया है ....कि अईसन ब्लास्ट करेंगे ........कि सब....भरभरा जाएगा....॥और जाते जाते ई भी सुनते जाईये....कि सुने हैं कौनो ..दिल्ली में भी चक्कू पिजा रहा है ......और........
बडका :- अरे ओ ....रे का तो नाम है तुम्हरा जी .........कौफ़ी पिलाओ ...ई तो हडका रहा है छोटका......
अरे कहां गया जी .......रे महाराज ....चल कुछ ...खर्चा किया जाए......रे नाम का महाराज है कि ...कुछ खिलईबो पिलईबो करेगा ......
सोमवार, 7 दिसंबर 2009
मौज बनाम फ़ौज ,: ब्लॉगर चिंतन , ब्लास्ट नहीं सुतली बम
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बडका ठीक कह रहा है ! वैसे आपको एक सलाह देना चाहता हूँ अजय जी, ( ये कमबख्त आदत ही नहीं सुधरती, जब देखो सजेशन देने लगती है )
जवाब देंहटाएंआप ब्लॉग का पेज डिजाइन चेंज कर दीजिये , क्योंकि इस वाले डिजाईन के पेज में चौड़ाई कम होने की वजह से बड़े फॉण्ट वाले अक्षर कटे-कटे से दीखते है और पाठक पढ़ नहीं पाता ठीक से !
बहुत खूब! क्या मौज का टिरान्सफर हुई गवा है?
जवाब देंहटाएंबडका :- अरे काहे घबराते हो ...भाई......
जवाब देंहटाएंbahut hi badhiya
वाह्! मौज मौज में आपने भी कित्ती बढिया सामयिक पोस्ट ठेल दी :)
जवाब देंहटाएंझा जी-बहुत बढिया चर्चा है बड़का के अउर छोटका के,मजा आ गया।
जवाब देंहटाएंलगे रहें...जमे रहें...डटे रहें
जवाब देंहटाएंआपे मौज लेने निकल पड़े...बड़ी संक्रामक बीमारी है इ भाई...बचा ही जाये... :)
जवाब देंहटाएंअरे हम मौज नहीं ....हम फ़ौज हैं ...अपने ब्रिगेडियर को काहे बिसराते हैं जी ....सिपाही विद्रोह करवाईयेगा का ...
जवाब देंहटाएं.मुदा ई सब तो किरकिरी नहीं होगा ....:)
जवाब देंहटाएंबढ़िया है ! इसी तरह मौज लेते रहो |
जवाब देंहटाएंबड़का छुटका के बहाने आपने भी मौज ले ही ली :-)
जवाब देंहटाएंबी एस पाबला
लेओ लेओ जम के मौज लो अच्छा है ये तरीका भी..
जवाब देंहटाएंबड़का तो डर गया छोटके की घुड़की से..मजेदार वार्तालाप..बढ़िया बहुत बढ़िया अजय जी
जवाब देंहटाएंअजय कुमार झा ji!
जवाब देंहटाएंमोज लेना गलत बात है यह बात बडी ही फ़ुरसत से हमारे गुरुजी ब्लोगान्न्दन्जी बताते थे.
ले लो भाई !ले लो !हम तो आपकी मोज को देख ही खिल उठे है.
ब्लोग चर्चा मुन्नाभाई की
मौज की लिखते हैं, मौजूँ लिखते हैं ।
जवाब देंहटाएंकुछ पल्ले नहीं पड़ा .. कौन तो छोटका और कौन बड़का ...औरी ई मौज लेना का होत है ...
जवाब देंहटाएंतनिक कम पढ़ा लिखा लोग के बारे में भी तो सोचा जाए ...!!
खूब रहा मौजा मौजा ... दिल मेरा मौजा रे .... बड़का और छुटका तो गजब कर रिये यार
जवाब देंहटाएंइतनी एकाग्रता से शायद कॉलेज में, इम्तहान के समय टेक्स्ट बुक भी नहीं पढ़ा होगा ...जितना एकाग्र होकर यह पोस्ट पढ़ी (एक अलग ही अंदाज़ में जो पेश किया गया है)..फिर भी यहाँ बहुत कुछ between the lines है , जो समझने से रह ही गयी
जवाब देंहटाएंहा हा रोचक अजय भाई...
जवाब देंहटाएंऊपर गोदियाल जी बात पर ध्यान दिया जाये। अक्षर सचमुच में कटते हैं।
badka bhi rochak
जवाब देंहटाएंaur chotka bhi rochak...
बहुत बदिया ये हुयी न बात आपके बिना ये लट के झटके कौन लिखे?
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें