सोमवार, 6 अप्रैल 2009

क्या आप करते हैं नए ब्लोग्गेर्स का स्वागत ?

शुरू शुरू में जब यहाँ इस अंतरजाल से नाता जुडा था तो सब कुछ नया था, ऐसे में जाहिर था कि मैंने भी वही सुरक्षित रास्ता अपना रखा था। यानि चुपचाप आओ , अपना काम करो और निकल लो। उन दिनों से ,( ये सिलसिला अभी भी जारी है), जब भी अपना ई मेल अकाउंट खोलता तो दो नियमित मेले जरूर हुआ करती थी। एक वो सूचना जिसमें कि अपनी पोस्ट छपने की जानकारी दी होती थी दूसरी वो जिसमें लिखा होता था, अमुक तारीख को अंतरजाल से जुड़ने वाले इतने नए चिट्ठों का टिप्प्न्नी द्वारा स्वागत कीजिये। मैं भी ठीक वैसे ही करता था जैसे हम में से बहुत से लोग करते हैं या अब भी कर रहे होंगे। बिना पढ़े ही डीलीट कर दिया।

किंतु पिछले दिनों न जाने अचानक मुझे क्या हुआ कि मैं उन चिट्ठों को खोल खोल कर पढने लगा। सच कहूँ तो अपने आप को ही धन्यवाद कहता रहता हूँ कि अचानक वो ख्याल मेरे मन में आ गया। तब से तो मानिये जैसे ये एक आदत सी बन गयी और मैं पहला काम यही करता हूँ। यकीन मानें दिल को इतना सुकून मिलता है जब मैं किसी को पहली टिप्प्न्नी करता हूँ, या उसे फोलो करने वाला पहला व्यक्ति बँटा हूँ। न जाने कितने सारे दोस्त बना लिए हैं अब तक। कई सारी छोटी छोटी बातें जब देखने पढने को मिलती हैं तो अपने पुराने दिन भी याद आ जाते हैं, मसलन कई ब्लोग्गेर्स अनजाने में ख़ुद के ब्लोग्स को ही फोलो करने लगते हैं। किसी को ये नहीं पता होता कि अब जब उसे कोई टिप्प्न्नी कर रहा है तो वह उसे कैसे धन्यवाद कर सकता, आदि आदि। कहने का मतलब ये कि अब हमारा परिवार, हिन्दी ब्लॉग जगत का परिवार इतना बड़ा तो हो ही चुका है कि हम में से कुछ ब्लोग्गेर्स नियमित रूप से नए ब्लोग्गेर्स का स्वागत करें और उन्हें प्रोत्साहित करें। मुझे खूब पता है जब कोई नयी नयी पोस्ट लिखता है और काफी दिन बीतने के बाद भी कोई प्रतिक्रया नहीं आती तो उसे कैसा महसूस होता है।

इसलिए भाई मैंने तो ये सोच लिया है कि, बड़े भाई उड़नतश्तरी जी के पदचिन्हों पर चलते हुए नए ब्लॉगर को भरपूर समर्थन और प्रोत्साहन दूंगा, वैसे असली कारीगरी तो तब शुरू होगी, जब भगवान् की कृपा से जल्दी ही अपना कंप्युटर ले लूंगा। मेरी तो आप सबसे गुजारिश है कि नए मित्रों का स्वागत करें। यकीन मानें आपको जितनी खुशी मिलेगी उसका एहसास उन नए मित्रों को भी हो सकेगा। आशा है मेरी प्रार्थना आपको स्वीकार्य होगी.

13 टिप्‍पणियां:

  1. प्रोत्साहितेव विजयी भवते!

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  2. जरूरी और सही बात । धन्यवाद ।

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  3. बहुत अच्‍छी बातें कही ... मैं तो किया करती हूं।

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  4. बाकि सारी बातों से सहमत हूँ ..एक बात कहूँ... ब्लोगिंग अगर आपकी आदत बन गई है तब तो कम्पुटर की जगह लेपटोप ले ताकि घर से दूर रहकर भी नए ब्लोगरों को प्रोत्साहित कर सकें :-)

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  5. कोशिश तो रहती है जी सब नए ब्लॉग पढने की .

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  6. aap sabkaa bahut bahut dhanyavaad. padhne, saraahne aur sahmati ke liye bhee. achha hai ki yadi aap sab saath hain to nissandeh ye muhim koi na koi rang jaroor layegee.

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  7. aapke yeh vichar aapko bina puche mere blog per aap he ke naam se dal raha hu, muje maaf kare, aur vise bhi aapne meri himaat badhai hai...
    aur dhanywad aapko
    intzar main...

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  8. aaj aapki wajah se hi mai blog jagat me hu....

    sat sat dhanyabad.... apka ye lekh apne blog par lakar sahej raha hu... aasha h apko apatti na hogi...

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  9. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला

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