मंगलवार, 14 अप्रैल 2009

बैसाखी, हॉकी और राखी

आज बैसाखी है , हर त्यौहार की तरह इस त्यौहार में भी अब वो बात नहीं रही है। दरअसल मैंने जो महसूस किया है वो ये की ग्रामीण त्योहारों में भी वक्त के साथ बहुत सी औपचारिक तब्दीलियाँ आयी हैं। एक वक्त हुआ करता था जब ग्रामीण त्य्हारों में , वसंत पंचमी, होली, मकर संक्रांति, तीज, बैसाखी, आदि जो भी थे, एक तो वे सब स्वाभाविक रूप से कृषि से किसी न किसीजुड़े हुए थे और उनके मानाने के तरीके में जो मासूमियत और सुलभता दिखाए देती थी अब वो नहीं दिखती। रही बात शहरों की तो यहाँ तो त्यौहार सिर्फ़ एस ऍम एस तक सिमित होकर रह गए हैं या कोई ज्यादा ख़ास हुआ तो फ़िर उपहार देने के एक और औपचारिता निभा दी जाती है। मगर अभी तो चुनावों का मौसम है सो जाहिर है की खूब भुनाया जायेगा इस मौके को भी अपने चुनाव्वी हथकंडो के लिए। अब देखना ये है की क्या क्या करते हैं सब ।

पूरे चौदह वर्षों बाद हमारी हॉकी टीम ने कोई ऐतिहासिक प्रतियोगिता जीती है तो ऐसे में जब राष्ट्रीय स्तर पर हॉकी को दरकिनार करके क्रिकेट को तरजीह देने की कोशिशें की जा रही तो ये जीत हॉकी प्रेमियों का जवाब बन कर आया है। मैं ये तो नहीं जानता की इस जीत से हॉकी के वर्तमान और भैविश्य पर क्या असर पडेगा या की ये जीत ख़ुद खिलाड़ियों का कितना मनोबल बढाएगा मगर इतना तो तय है की कुछ समय तक ही सही ये जीत भारीतय हॉकी के लिए संजेवानी का काम करेगी। हां मगर इस बात का मुझे बेहद अफ़सोस रहेगा की हमेशा की तरह मीडिया ने इस मौके को भी इस तरहनहीं पेश किया की आम लोगों की मानसिकता थोड़ी ही सही बदल सके।
और मुझे इस जीत की खुशी का अनुभव तब होगा जब सही में क्रिकेट की तरह ना सही मगर कुछ तो दीवाने हों हॉकी के। और काश की किसी दिन ऐसा हो पाये।

अब बात करें राखी की, आप सोच रहे होंगे की अभी तो बैसाखी की बात चल रही थी और अभी रखीए की बात होने लगी,मगर नहीं महाराज में राखी या रक्षा बंधन की बात नहीं कर रहा हूँ। दरास्सल यहाँ जिक्र कर रहा हूँ मशहूर (किसी भी कारण से )राखी सावंत की , पता चला है की राखी सावंत ने अपना स्वयाम्बर रच्वाने की घोषणा कर दी है वो भी टेलीविजन पर और खुले आम सबसे अपील की जा रही है की अपनी किस्मत आजमायें। राखी के कारनामों को देखते हुए ये कोई अनोखी बात लगती भी नहीं है , मैं तो सिर्फ़ इतना सोच रहा हूँ की यदि अपने मीका भाई भी स्वयाम्बर में पहुँचते हैं तो फ़िर निश्चित ही मछली की आँख या जो भी निशाना होगा उस पर वही निशाना लगा पायेंगे, आखित उन्होंने पहले भी तो ये कर दिखाया है, बांकी सब को तो राखी यही कह देंगी, "देखता है तू क्या, डिंग डिंग डिंग डिंग डिंग......

4 टिप्‍पणियां:

मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला

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