भैया ये ब्लॉग डे भी आने वाला है क्या ?:-
जी हाँ ! हो सकता है की आप मेरा ये प्रश्न सुन कर आश्यार्यचाकित रह गए हों, मगर यकीन मानें इसमें मेरा कोई कुसूर नहीं है। दरअसल हर दो तीन दिन में देखता हूँ कि कोई न कोई दिवस आ जाता है और मुझ जैसा बेचारा ब्लॉगर जो रात में बैठ कर कैफे में अपना नंबर आने पर कुछ लिख पाता है उसको तो जब तक दिवस का पता चलता है तब तक तक उस दिवस को बीते कई दिवस बीत जाते हैं। खैर, इस प्रश्न को यहाँ आप लोगों से पूछने kee मेरी मंशा इसलिए भी थी क्योंकि आज कल हर तरफ़ यही चर्चा है कि आई पी एल जरूरी है या कि आम चुनाव। सभी इसी पशोपेश में पड़े हुए हैं, तो ऐसे में यदि ब्लॉग डे भी पड़ गया तो ये तो काफी मुश्किल वाली बात हो जायेगी।
वैसे यदि अभी तक कोई ब्लॉग डे तय नहीं हुआ है तो मेरा ख्याल है कि हमें जल्दी जल्दी से आगे आकर एक ब्लॉग दिवस की घोषणा कर देनी चाहिए, कम से कम हिन्दी ब्लॉग डे तो हम घोषित कर ही सकते हैं। और इसके लिए हमें ज्यादा कुछ करने की जरूरत भी नहीं रहेगी। खूब जोर शोर से अपने भोले भले मीडिया के सहारे इस बात का प्रचार प्रसार, कुछ anonymous टाईप जोरदार विरोध करने वाले बंधू (क्योंकि हमारा बलोग डे बिना इनके विरोध और विध्वंसकारी बयां के सफल नहीं हो पायेगा )और कुछ हम जैसे वेल्ल ब्लॉगर जो ऐसे सभी दिवसों पर न जाने कितने वर्षों से एक ही बातें घसीटे जारहे हैं और ख़ुद भी घिसट रहे हैं । तो हे प्रभु लोगों, हे बड़े ब्लोग्गरों , हे ब्लॉग अद्दिक्तों, और जितने भी तरह के चिट्ठेकार हैं सबसे यही अनुरोध है कि कृपया मुझे नाचीज को भी थोडा मौका दें.
डाक्टर प्रोफेसर चुनाव में ,अब देश की तकदीर जरूर बदलेगी :-
मेरी न जाने कब से ये दिल्ली तमन्ना थी , सच कहूँ तो जब से पहली बार मैंने अपने चाचा जी की जगह जाकर बोगस वोट डाला था तभी से, कि अपना वोट किसी अच्छे , पढ़े लिखे, विद्वान् के खाते में दाल सकूँ। इतना लंबा समय बीत गया कि अब तो मैं अपने खाते के वोट भी कई बार दाल चुका हूँ मगर कमबख्त तलाश अभी भी नहीं ख़त्म नहीं हुई है। लेकिन इस बार ऐसा लगता है कि जरूर ही कोई न कोई करिश्मा होने वाला है। अब ये ओबामा के कारण हो रहा है या किसी और कारण से ये तो पता नहीं मगर सुना है कि इस बार चुनाव में प्रोफेसर और डाक्टर भी हमारे सच्चे प्रतिनिधि बनकर हमारे सामने आ रहे हैं हैं। क्या कह रहे हैं आपको नहीं पता। लीजिये डाक्टर के रूप में तो वही अपने मुन्ना भाई ऍम बी बी एस , अपनी नयी चिकित्सा तकनीक झप्पी थेरापी के साथ आपकी सेवा में आयेंगे। लेकिन इससे भी ज्यादा खुशी तो इस बात की है कि अपने महान प्रोफेसर बटुकनाथ (अजी वही साहसी प्रोफेसर जिन्होंने अपनी एक शिक्छार्थी को ब्रह्मचर्य आश्रम से गृहस्थ आश्रम का दिव्या ज्ञान भी करवा दिया ) जी भी चुनाव मैदान में हैं, सुना है कि उन्होंने चुनाव चिन्ह के रूप में दिल की मांग की है । तो इस बार निस्संदेह कुछ बहुत बड़ा परिवर्तन होगा भारतीय लोकतंत्र में, शायद ओबामा से भी बड़ा।
यार ई फालू करने का क्या फंडा है :-
हमसे मित्र चिटठा सिंग ने पूछा कि भैया ई फालू(फालो ) करने का क्या फंडा है । हमने कहा कि हमें क्या पता भैया । काफी विचार विमर्श करने के बाद के बाद एक सूत्र विकसित किया गया, आप भी नोश फ़रमाएँ।
आओ हम तुम,, कुछ ऐसी प्रथा चालु करें,
तुम हमें ,हम तुम्हें फालू करें.....
और देखिये हमने इस सूत्र vaakya को पकड़ कर सब शुरू भी कर दिया मगर हम फालू करते रहे और वे शोर्टकट से निकल कर हमें लात मार कर छोड़ गए। फ़िर भी हम हैं कि गाये जा रहे हैं जय हो जय , रिंग रिंग रिंगा रिंग रिंग रिंगा
ब्लागर डे तो मनाना होगा! पहले तो ब्लागिंग के बीस वर्ष पूरे होने पर बाइ-डेसिनियल BI-DECINIAL CELEBRATIONS तो मना लें:)
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही, 31 अगस्त को विश्व ब्लाग दिवस मनाया जाता है। हम चाहें तो अगली 31 अगस्त को इसे विशिष्ठ तरीके से मना सकते हैं।
जवाब देंहटाएंदिनेश जी की टिप्पणी से सहमत हूँ .
जवाब देंहटाएंaap logon ka bahut bahut dhanyavaad, ye batane ke liye ki blog day kab hai aur pasand karne ke liye bhee.
जवाब देंहटाएंddfdf
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