कल इसी विषय पर मैंने अपने दूसरे चिट्ठे में (देखें मेरा दूसरा चिटठा , मेरा दूसरा ठिकाना ) कुछ पंक्तियाँ लिखी थी, मगर फ़िर लगा कि, अभी मन नहीं भरा और अभी और भी बहुत कुछ कहना बांकी है ।
अभी हाल फिलहाल में ख़बर पढी कि , ताजातरीन आरुशी काण्ड ने हिन्दी समाचार चैनलों की टी आर पी बढ़ा दी है। टी आर पी, यानि टेलीविजन रेटिंग पोंट्स , मतलब उन दिनों लोगों ने अधिकांश समय ये समाचार चैनल्स देखे। इसके साथ ही इस घटना से जुडी कुछ और खबरें भी आयी, जैसे कि एक प्रमुख महिला निर्मात्री (जिन्हें मेरे विचार से भारतीय टेलीविजन इतिहास की सबसे सादे गले मस्तिष्क और विचार वाली महिला और निर्मात्री कहा जाए टू ग़लत नहीं होगा ) ने अपनी आदत के अनुरूप इस व्हातना को भी अपने वाहियात सेरेयलों को ज्यादा वाहियात बनाने के लिए शामिल करने की सोची, मगर आयोग के डंडा फटकारते ही दुबक गए।
हालांकि ये पहला मौका नहीं है जब मीडिया , और चित्रपट के लोगों द्वारा हादसे को, किसी के दर्द को भुनाने की कोशिश की गयी हो। बॉलीवुड में तो ये एक स्थापित चलन सा बन चुका है। आपको राजस्थान की दलित महिला भंवारी देवी के साथ किए गए सामूहिक बलात्कार की घटना पर बनी पिक्चर बवंडर शायद याद हो। जहाँ तक मुझे पता है कि इसके निर्माता निर्देशक (उनका नाम शायद जगमोहन मून्द्रा था ) ने आज तक कभी भंव्री देवी की शक्ल भी नहीं देके, उसका दर्द पूछना तो दूर की बात है। और ऐसे सैकड़ों उदाहरण हैं, जिन्हें याद करने के लिए दिमाग पर ज्यादा जोर नहीं डालना पडेगा।
असल बात सिर्फ़ इतनी है कि ये जो हमारे बीच से निकलकर हमारे सामने खड़े हैं और जिनका दावा है कि वे जो दिखाते बताते हैं वो तो समाज का आईना है वो एक सौदागर हैं, विशुद्ध सौदागर , सबकुछ बेचने वाले। सपने मुस्कराहट, आतंक, मासूमियत, दर्द, प्यार, नफरत, हादसा, हकीकत, सबकुछ। माल चाहे जैसा भी हो, जो भी हो या कि सबके पास एक ही माल हो फर्क पैकिंग और प्रस्तुतीकरण का है।
और फ़िर हमारे समाचार चैनलों की इन्तहा टू ये है कि अभी कुछ समय पहले एक समाचार चैनल की प्रसारिका एक अपराध आधारिक कार्यक्रम की उद्घोषणा इतनी शिद्दत से करती थी कि लगता था कि वे अपराधियों का नाम नहीं बल्कि अपने प्रेमियों का नाम ले ले कर पुकार रही हों। तो फ़िर तो यही लगता है कि ये सब के सब उन गिद्धों के झुंड की तरह हो गए हैं जिन्हें सिर्फ़ लाशों से मतलब होता है, चाहे वो इंसान की लाशें हों या जानवरों की। वह रे हमारा चौथा स्तम्भ !
सही कह रहे हैं.
जवाब देंहटाएंudantashtaree jee,
जवाब देंहटाएंaapkaa bahut bahut dhanyavaad.