हाँ तो कल जैसा कि मैं आपको बता रहा था कि कैसे उखडी हुई पटरियों ने बिल्कुल उखड़े हुए अंदाज़ में मुझे अपना दुखडा सुनान्ने लगीं और उन्होंने बताया कि लोगों को दिल्ली मेट्रो की पटरियाँ उखाड़ने की हिम्मत दिखानी चाहिए , इसका बाद उन्होंने आगे कहना शुरू किया ," मेट्रो रेल की पटरियों के माध्यम से उन्हें (पटरी बनाने वाले जापानियों को ) बताना चाहिए कि यदि यहाँ पर कोई पटरी, रेलगाड़ी , बुल्लेट ट्रेन बनानी है तो उसे आन्दोलन प्रूफ़ बनाना आवश्यक है ।
अच्छा इसके बाद। चिट्ठासिंग उत्सुकता से पूछने लगे।
हमने कहा, " इसके बाद क्या हम पहुंचे गाय , भैसों के पास उनसे पूछा , भैया, अरे नहीं, गाय भैंस बहनों , ये दूध बंदी का क्या चक्कर है। उन्होंने भड़क कर बताया , " ये भाड़ में गया तुम्हारा ये आन्दोंलन -वान्दोलन , हमें क्या मतलब इस आरक्षण वारक्षण से। अम जब हम सबकी यानि गाय भैंस बकरी ऊँट आदि की शक्ल और सूरत अलग अलग होने के बावजूद हमरे अन्दर से एक जैसा ही दूध निकलता है , उसकी जो मर्जी बनाओ दही या पनीर , तो फ़िर तुम लोग तो एक जैसे ही हो तो कहे का आरक्षण भइया। हमें तो बक्शो भाई।
हमे सोचा यार चलो इंसानों के पास भी पहुँच कर पूछ ही लें। कुछ दूर जाने पर उदास लोगों की टोली मिली। पूछा तो उनमें से एक न कहा , " क्या बतायें बाबूजी , कल पुलिस फायरिंग में कुनबे के आठ लड़कों को गोली लग गयी, छ मारे गए। इतना लोग को आरक्षण मिलने के बाद नौकरी नहीं मिली जितना लोगों की जान चली गयी। एक बात और आरक्षण तो इस बात का होना चाहिए कि इस तरह के आन्दोलोनों में चार में से एक ही सही मगर एक गोली किसी नेता मंत्री लोगों को भी लगनी चाहिए।
मैं और मित्र चिट्ठासिंग जी पूरे घटनाक्रम पर मंथन कर रहे हैं आप भी कीजिये...........
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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला