माँ , तेरी गोद मुझे,
मेरे अनमोल,
होने का,
एहसास कराती है॥
माँ, तेरी हिम्मत,
मुझको,
जग जीतने का,
विश्वास दिलाती है॥
माँ, तेरी सीख,
मुझे ,
आदमी से,
इंसान बनाती है॥
माँ, तेरी डाँट,
मुझे, नित नयी,
राह दिखाती है॥
माँ, तेरी सूरत,
मुझे मेरी,
पहचान बताती है॥
माँ, तेरी पूजा,
मेरा, हर,
पाप मिटाती है॥
माँ तेरी लोरी,
अब भी, मीठी ,
नींद सुलाती है॥
माँ , तेरी याद,
मुझे,
बहुत रुलाती है॥
माँ , माँ है और कोई उस जैसा नहीं होता , है न .
बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण और बड़ी प्यारी कविता ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना.........
जवाब देंहटाएंaap dono kaa bahut bahut dhanyavaad.
जवाब देंहटाएंsach me maa jaisa koi nahi...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना है।
जवाब देंहटाएंdr saahab aur aadarniya mahavir jee aap dono kaa dhanyavaad.
जवाब देंहटाएंभाई साहब, आपकी कविता वाकई मर्मस्पर्शी है... मां के विभिन्न रूपों को समझाने की एक बेहद सरल और सफल कोशिश.. बधाई हो
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