Landsdowne से लगभग 30 किलोमीटर ,और काफी जगह कम चौड़ी सड़क से होकर ,पहाड़ों की तलहटी में बना ताड़केश्वर धाम , इतना सुकून और शांति से भरा हुआ है कि आप अपनी आत्मा को धड़कते हुए सुन सकते हैं
गगन स्पर्शी चीर के जंगलों के बीचों बीच इस पवित्र सिद्धपीठ की आसपास के क्षेत्र में बहुत मान्यता है । मंदिर के साथ ही धर्मशाला भी बनी हुई है जहां रात्रि विश्राम भी किया जा सकता है।
ऊपर पार्किंग के पास ही प्रसाद की दुकान है जो लाल थैलियों में मिलता है जिसे कपड़ों के अंदर छुपा कर ही लेकर जाना होता है नहीं वानर फौज उसका भोग पहले ही लगा देंगे । अच्छी बात ये है कि एक दर्जन से अभी अधिक भोटिया श्वान आपके साथ साथ आसपास एकदम हाई लेवल सुरक्षा दिए रहते हैं और वानर सेना के साथ इनकी लड़ाई ,बाहुबली और भल्लाल देव की तरह पुश्तों तक चल रही है।
मंदिर में प्रवेश के लिए जूते मौजे उतारने के बाद एकदम ठंडे फर्श पर पैर रखते ही आपके सारे चक्षु खुल जाते हैं और पूजन दर्शन का आनंद आ जाता है।
मंदिर निर्माण कार्य सहयोग राशि एकत्र के लिए भी अलग से व्यवस्था थी जहां दो भाई इसी काम के लिए बैठे थे , हमने भी अपने हिस्से का दायित्व पूरा कर उनसे रसीद ली ।
उन्होंने बताया कि ये वर्षांत पर होने वाले पूजन ,भंडारे प्रसाद की तैयारी चल रही है इसलिए मंदिर की साज सज्जा और श्रृंगार का काम स्थानीय युवक और ग्रामीण कर रहे हैं।
थोड़ी देर रुकने देखने के बाद हम वापस चल चुके थे landsdowne के लिए
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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला