बुधवार, 5 अगस्त 2009

सावधान , ब्लॉगजगत में भी शुरू .. मंदी का दौर .

देखिये ये उनके लिए तो कतई चिंता की बात नहीं है ...न ही उन्हें ज्यादा सोचने की जरूरत है....जो पोस्टें लिख कर हमारे हवाले कर जाते हैं की जाओ बिटवा ..पढो...टीपो ..पसंद करो ..हम तो कल ही आयेंगे ...टिप्पियाँ पढेंगे ..और एक ठो अगला पोस्ट लिख कर चले जायेंगे...सो उन पर मंदी का असर बिलकुल उसी तरह नहीं होगा ..जिस तरह ..हमारे सरकारी कर्मचारियों और मंत्रियों पर नहीं होता है .....मगर अन्य लोगों के लिए निश्चित ही ये सावधान होने का समय है ..क्यूंकि साफ़ दिख रहा है कि ब्लॉगजगत पर भी मंदी का असर होने लगा है....


हाँ हाँ, मुझे पता है .....आप में से कुछ लोग कहेंगे ..मैं कैसी बात कर रहा हूँ..अपने अलबेला जी के रहते ..क्या कोई भी मंदी ..ब्लॉगजगत को प्रभावित कर सकती है ..अब तो ब्लोग्वानी हो या चिट्ठाजगत ..किसी का भी कोई भी पन्ना ऐसा बचा है ..जहां अलबेला जी न मौजूद हों ......सुना तो ये है कि ..ब्लोग्वानी और चिट्ठाजगत ...दोनों ही ये योजना बना रहे हैं कि ..अलबेला के लिए एक अलग प्लॉट....काट कर मुख्या पन्ने पर दे दिया जाए ....सब कुछ अलबेला जी पर छोड़ दिया गया है...तो ऐसे में मंदी ...फिर अब तो रतलामी जी ने भी घोषणा कर दी है कि ...हिंदी ब्लोग्गेर्स की संख्या तीन लाख हो गयी है...फिर काहे कि मंदी .....

आप लोग समझ नहीं रहे हैं न ...मैं चिट्ठों ..पोस्टों ...अग्ग्रीगेतार्स ..या और किसी की बात नहीं कर रहा हूँ ..गुरूजी असली बात तो तेल पानी ....अरे टिप्प्न्नी यार ....की बात कर रहा हूँ....मैं पिछले कुछ समय से देख रहा हूँ कि ..पोस्टों पर टिप्न्नियाँ बहुत ही कम आ रही हैं .....और ऐसा नहीं है कि किसी ख़ास ब्लॉग पर या किसी ख़ास दिन ....बल्कि छुट्टी के दिनों में भी ..और ताऊ की पहेली जैसे ब्लोग्स की पोस्टों पर भी अपेक्षाकृत टिप्न्नियाँ कम हो रही हैं..हमारे जैसे fisaddi ब्लोग्गेर्स का तो कहना ही क्या ...कारण सोचने बैठा तो ..पहला तो एकदम से पकड़ में आ गया ..आजकल उड़नतश्तरी ...सुना है ....वोर्कशौप में है ...वो भी गहन पहरेदारी के बीच ...इसका बाद सोचा ..तो बस अब तक सोच ही रहा हूँ .......हमारे जैसों को तो इस बैअरें नौकरी ने बाधित कर दिया है ..मगर फिर भी जब मौका मिलता है ..जहां घुसे ...फट से टीप आयी...

देखिये देखिये...अब ये मत कहियेगा कि..अजी टीपने तीपानी की छोडो ....अरे कैसे छोड़ दें महाराज ....खासकर जब देखते हैं ....पोस्ट को पढ़ा गया .....इत्ती बार ...वाह छाती चौड़ी हो जाती है ..एक दम लैपटॉप के स्क्रीन से भी ज्यादा ...और जैसे ही टिप्प्न्नी पर नजर पड़ती है ...कमबख्त झट से माउस बन जाती है ...और क्या कहूँ कई बार तो सिर्फ कर्सर सी होकर रह जाती है ...घोर आश्चर्य तब होता है जब पता चलता है पसंद तो पता नहीं कित्ते कित्ते लोगों ने कर लिया....मगर टीपे के नाम पर खाली पीपे पकडा गए ....अमा भैया ...कुछ तो लिखो यार ..सब लिखो एक दुसरे के लिए ...खाली मुंह ताकते बैठे रहते हैं .....यूँ तो भैया एक दिन ऐसा भी आयेगा ....जब खुद के लिखे पर खुद ही टीपना पडेगा ......कि वाह भैया ....का लिखे हो ...काश कि दूसरा भी कोई ऐसा लिख देता यहाँ पर ......

और हाँ ई बात हम सब से कह रहे हैं..कौनो नए पुराने, नियमित अनियमित,बडका छोटका कवी साहित्यकार ..वाला कतेग्राजेशन मत करिएगा ...खाली यही सब में तो मथ्फुत्तौव्वल करते हैं आप लोग ...ई न कि उतना देर में बढिया बढिया पढ़ कर सुन्दर सुन्दर टीपा जाए ....बस कौनो विवाद हो जाए ...ओह्हो बस उसके बाद देखिये न फुर्ती ...अजी महाराज पता नहीं मिनटों में कितना शोध तक हो जाता है ,...मतलब बिना विवाद के टीप दीजियेगा तो कुछ हो जाएगा ..ई बात ध्यान में रख लीजिये कि ब्लॉग्गिंग को चलायमान और सक्रिय रखने के लिए जितना जरूरी पोस्ट लिखना है ...उससे ज्यादा जरूरी है दूसरों की पोस्टों को पढ़ना और उनपर टीपना...उम्मीद है की मेरे इस आग्रह को आप गंभीर अनुरोध की तरह लेंगे और आने वाले कुछ दिनों में ही मुझे परिवर्तन देखने को मिलेगा ..

27 टिप्‍पणियां:

  1. LO PYAARE AAPNE MERA NAAM KAAM ME LE HI LIYA HAI TOH SABSE PAHLE MAIN PRAKAT BHI HO GAYA HOON AAPKA HUKUM BAJAANE K LIYE...........

    AAPKA AALEKH TOH UMDAA HAI HI
    AAPKI SOCH AUR AAPKI SHABDAAVALI BHI POORNATAH: URJASVIT HAI...AAPKI KATHNI SPASHT HAI AUR JIS LAKSHYA KO LEKAR AAP AAGE BADH RAHE HO VAH SARAAHNEEYA HAI

    PYAARE BHAI,
    TIPPANIYON KI FIKRA CHHODO , FIKRA YE KARO KI ZYADA SE ZYADA LIG PADHEN, AGAR PADHTE RAHE TOH HO DAKTAA HAI PADHTE PADHTE VE LIKHNAA BHI SEEKH JAAYEN AUR TIPPANIYON KI KAMI BHI POORI HO JAAYE....

    JAB TAK AISA NA HO TAB TAK
    LIKHTE RAHO
    AUR
    DIKHTE RAHO.....

    WISH YOU ALL THE BEST
    & ENJOY YOUR GREAT TAILENT !

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  2. वाह अलबेला भाई ..इसे कहते हैं ..प्रेम और स्नेह..कमाल है ..मुझे ख़ुशी है की सबसे पहली टिप्प्न्नी आपकी आयी ..आपकी सलाह सर आँखों पर ..मेरा आशय तो सिर्फ इतना है की ..लोगों की आदत टिप्प्न्नी करने की बिलकुल छूटती सी जा रही है....जो निसंदेह अच्छी बात नहीं है ...आखिर सब लिखते ही रहेंगे तो फिर पढने वाले क्या बाहर से आयेंगे..और मुझे तो सच कहूँ तो टीप टीप कर ही लिखना आया है..पोस्ट में तो कहीं न कहीं एक बंदिश रहती ही है ..टिप्प्न्नी में तो vishay के anusaar अलग अलग बातें ..daayraa vistrit है..ummeed है आपका स्नेह bana रहेगा ..

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  3. बहुत सुन्दर पोस्ट......बस एक टिप्पणी आंदोलन की आवश्यकता है.....आभार.

    गुलमोहर का फूल

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  4. मुद्दा है तो गंभीर

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  5. सही कहा उम्मीद तो कम ज्यादा सब इंसानों को होती है
    हिंदी के ब्लॉगर अगर टिप्पणी भी हिंदी में करें तो अच्छा लगेगा

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  6. क्यों न टिप्पणी आन्दोलन चलाया जाय और जिसका अध्यक्ष क्यों न आपको बना दिया जाए हा हा

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  7. समय कम हो तो कभी कभी पढना हो जाता है .. पर टिप्‍पणी करना नहीं हो पाता .. इधर दो महीनों से मेरा यही हाल है !!

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  8. भाई बात तो आप ने मजेदार और पते की है। लिखने के बाद टिप्पणी का बेसब्री से इन्तेजार रहता है, और हम जैसे नये ब्लोगर की टिप्पणी से ही उत्साह वर्धन होता है। यहां मदीं का दौर खत्म हो जाता तो अच्छा होता।

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  9. अरे भई, वर्कशाप में है कोई राईट ऑफ नहीं हुए हैं अभी कि महेन्द्र भाई आपको अध्यक्ष बनाने की सलाह दिये दे रहे हैं, बहुते नाइन्साफी है भई.. :)

    आते हैं ठीक से डेन्टिंग पेन्टिंग करा कर, चहारदिवारी फांद कर. इन्तजार करियेगा. कहीं अध्यक्ष न बन बैठियेगा. आप तो मेरे अपने हो भई. :)

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  10. डेंटिंग, पेंटिंग करा कर, चहारदिवारी फांद कर, उड़न तश्तरी अध्यक्ष बनने को तैयार, अपनों के बीच :-)

    क्या बात है! बढ़िया!! मज़ा आ गया!!!

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  11. लीजिए एक टिप्पणी हमारी ओर से भी!
    शायद अब आपकी टिप्पणी व्यथा कुछ कम हो जाए:)

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  12. लो जी हमने तो टीप दिया आब आपकी बारी है हा हा हा

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  13. अपने हिस्से की मंदी हम निपटा दिये। टिपिया दिये।

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  14. बहुत ही सार्थक व्यंग है. आप चिंता नही करें ऐसा मौसम यहां पहले भी आता रहा है और अभी जल्दी ही यह समय भी बीत जायेगा. समीरजी की बात का खयाल रखियेगा.:)

    रामराम.

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  15. कलम बहुत तेज तराश ली है।

    रक्षाबंधन पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
    विश्व-भ्रातृत्व विजयी हो!

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  16. dekhiye meri bohni thik rahi na...
    ab aise hi kiya karo
    sabse pahle
    mujhse hi tipiyaliya karo.....ha ha ha ha

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  17. वाह अजय जी बहुत बढ़िया लगा! मैं तो आपके ब्लॉग पर आती रहती हूँ और टिपण्णी देती रहती हूँ! कभी वक्त मिले तो मेरे ब्लॉग पर भी आइयेगा!

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  18. महेंदर भाई ..ई का कह दिए आप..टीपने को लेकर यदि कभी भी कोई नाम लिया जाएगा तो वो सिर्फ ..उड़नतश्तरी का होगा..अध्यक्ष ,उपाध्यक्ष ..सब कुछ ..हम लोग तो झरुआ मरुआ हैं जी....अलबेला जी बोहनी तो ठीक रही..देखिये दूकान चल निकली है ...

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  19. ऐसे ही दुकान चलती रहे, ग्राहकी बढ़ती रहे, शुभकामनाऐं. :)

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  20. aji aisi kya baat hai...leejiye aapki farmaish ham abhi poori kar dete hain...aapko apne hi post par tipiyana nahin padega...hum log kis lie hain, hum tipiyaenge aur ka..

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  21. bhai , mujhe to lagta hai ki sab apni apni naukri aur dandhe ko bachaane ki koshish me lage hai , jaise ki main ...
    well hum sab saath saath hai ji ....kabi kam to kabhi jyaada..


    regards

    vijay
    please read my new poem " झील" on www.poemsofvijay.blogspot.com

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  22. bhaiya, aisa post likhkar kahe humara heartbeat badha rahe ho, naye-naye logon ka to BPL matlab ki Blood Pressure Low ho jayega. ummeed bandhao yaar.

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला

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