बुधवार, 3 जून 2009

ब्लोग्वानी और चिट्ठाजगत के अलावा......


मैं पिछले कुछ दिनों से जब भी कोशिश कर रहा हूँ लिखने की स्वाभाविक रूप से या पता नहीं किन वजहों से सिर्फ ब्लॉग्गिंग पर ही कलम चल रही है.......और जब बातें चल ही रही हैं तो फिर जो एक बात काफी दिनों से मन में अटकी हुई थी सोचा कि आज आपके सामने रख दूं.....मुझे नहीं पता कि इसके पीछे मकसद क्या है और ये भी कि मैं दरअसल चाहता क्या हूँ...मगर दिल ने सोचा...कलम से शब्द निकले ....और जो कुछ निकल कर सामने आया........

वर्तमान में ज्यादातर ब्लोग्गेर्स किस भी ब्लॉग पोस्ट को पढने के लिए दों ही पन्ने खोलते हैं.....ब्लोग्वानी और चिट्ठाजगत.....इसमें कोई शक नहीं कि दोनों का ही अपना अलग स्वाद है....एक अलग अंदाज है...और अपनी अहमियत है.....कुल मिला कर दोनों ही लाजवाब हैं....अपने मिजाज और रूचि के अनुरूप आपको जो भी पसंद हो खोल कर शुरू हो जाइए......दोनों में ही लगातार सुधार और परिवर्तनों से उनका आकर्षण बरकरार रहता है...इसके अलावा जो भी अग्ग्रेगेतोर्स हैं......मुझे नहीं पता कि कितने हैं....मगर कुछ को तो मैं जानता हूँ और कभी कभी वहाँ पहुंचता भी हूँ .....लेकिन वे उतने लोकप्रिय और प्रचलित नहीं हैं....कारण मैं खुद नहीं जानता...यही वजह है कि मुझे अब लगता है कि इन दोनों ऐग्रेगेतार्स के अलावा और भी पन्ने होने चाइये....देखिये न दोनों ही प्रचलति पन्नो पर लगभग एक ही प्रणाली लागू होती है...थोड़े बहुत अंतर के साथ वही पोस्टें...वही पसंद ....और ज्यादा तिप्प्न्नियों वाली पोस्टों के रूप में सामग्री मौजूद रहती है....तो क्या अच्छा न हो यदि और भी कुछ पन्ने मैदान में आयें..जहां पहले पन्ने पर ..नए ब्लोग्गेर्स की पोस्टें.....अलग अलग विधाओं की पोस्टें...और एक साथ ज्यादा पोस्टें देखने को मिलें....
मुझे पता है...कुछ लोग कहेंगे.....लीजिये दों तो ठीक ठीक पूरा पूरा पढा नहीं जाता अब और आ तो उन्हें कौन पढेगा....मगर मुझे फिर भी लगता है कि और भी अग्रीगेतार्स हों तो अच्छा रहेगा...और अग्ग्रेगातार्स भी लगता है निश्चिंत से हो गए हैं...कोई नयी प्रतियोगिता नहीं....पहेली भी hamein ही पूछ कर बुझनी पड़ रही है.....हिंदी ब्लॉग्गिंग के सभी नए उपयोगी विजेटों को भी एक जगह दिखाने और लगाने की व्यवस्था हो....chaahe आशीष भाई की मदद ही क्यूँ न ली जाए....
एक आखिरी बात....आप में से जो भी अन्य अग्रीगेतार्स का पता जानते हों .....कृपया जरूर बताएँ ताकि और लोग भी जान सकें....मुझे तो बस हिंदी ब्लोग्स और नारद के बारे में पता है......

17 टिप्‍पणियां:

  1. नाविन्य अच्छा है पर यह भी सही कि कितना कुछ होता है पढने को जो पूरा पढा भी नही जाता ।

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  2. ेअजय जी प्रतिस्पर्धा के लिये तो अच्छा है उनके लिये भी जो केवल लेखन मे ही कार्यरत ह मगर ये कहीं बाज़ारवाद का रूप ही ना ले ले वेसे इन दो को भी पूरा पढा नहीं जाता मैने भी एक दो जगह ब्लोग बनाये थे मगर आज तक एक भी पोस्ट नहीं लिख सकी अगर सारा दिन कम्पयूटर पर ही रहें तो गंभीर चिन्तन के लिये समय कब मिलेगा ये मेरे विचार हैं बाकी आप सब लोग मुझ से अधिक समझ दार हैं आज कल कुकरमुत्ते की तरह पत्रिकायें निकल रही हैं मगर अच्छी पत्रिकायेम कितनी हैं और पत्रिकायेम चलाने के चक्र मे कुछ भी छपता चला जा रहा है इस पर विचार विमर्श जरूर हो धन्यवाद्

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  3. nirmala jee..aapkee baaton se shat pratishat sehmat hoon magar mera aashay ye hai ki doosre aggregetors ke aane se shaayad kuchh aur bhee postein sabko aasaanee se padhne ko milein...yadi ve bhee yahi sab karein to fir to yahi dono theek hain...lekin hindi blogging ke vistaar se naye badlaav ke baare mein sochaa to jaa saktaa hee hai....

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  4. हमें ब्लाग लेखन के माध्यम से कुछ सार्थक करने हेतु प्रयासरत होना चाहिए, न कि सिर्फ भी बेफालतू की भीड इक्कठी करने के प्रयास करते रहें.......

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  5. aadarneey sharma jee ye badi baat keh dee aapne ab ye kaun tay karegaa ki kaun befaaltu hai aur kaun saarthak.....??????

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  6. आपने एक और प्रेरणा दे दी मुझे :-)

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  7. एक सही विचार है यह । ज्यादा विकल्प होने ही चाहियें ।

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  8. वाकई आपका विचार सही है. जितने ज्यादा विकल्प होंगे उतनी विविध सामग्री मिलेगी.

    रामराम.

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  9. अजय भाई,आपका अंदाज एकदम कड़क है कि कौन तय करेगा कि कौन फ़ालतू है और कौन काम का?ये तो मात्र सापेक्ष बातें हैं, किसी को डा.बिनायक सेन से कोई मतलब नहीं है जुडीशियरी कि भ्रष्टाचार से सरोकार नहीं है,जस्टिस आनंद सिंह से क्या लेना देना और क्या मतलब संविधान की समीक्षा करके पुनर्विचार करने का??...???
    गुडी-गुडी लिखते रहो ताकि ब्लाग पर ट्रैफ़िक बढ़ा रहे शायद कुछ लोग इसी को ब्लागिंग मानते हैं। मेरे लिये तो ये उनकी आवाज वैश्विक तल पर लाने का सशक्त ज़रिया है जो दबे-कुचले हैं,शोषित हैं,तकनीक नहीं जानते,दस्तकार है,किसान हैं,मजदूर हैं,भिखारी हैं, मजबूर देहव्यवसायी हैं,लैंगिक विकलांग हैं..........

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  10. munnawar jee...apne mere baaton ko aur bhee khoobsurat dhang se keh diya..dhanyavaad.

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  11. आपकी बात बहुत महत्वपूर्ण है और ब्लॉगर्स की संख्या में इजा्फे के साथ और महत्वपूर्ण होती जायेगी.

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  12. baat to sahi lagi....shayad ye baat sabhi ko janch nahi rahi....lekin main to iske paksh men hoon.

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  13. अजय जी मैं ब्लौग्वाणी से सन्तुष्ट हूँ किन्तु यदि एक ही पन्ने पर सौ से अधिक पोस्ट्स दिखेज़ तो और भी बेहतर होगा।
    घुघूती बासूती

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  14. मुझे भी ऐसा ही लगता है.. कोशिश जारी है देखते है कब रंग लाती है

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला

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